: मान्यता न होने के बावजूद संचालित हो रहे हैं ऐसे कोर्स : व्यवसायिक शिक्षा देने के नाम पर कई संस्थाओ ने उत्तर प्रदेश में वैध-अवैध ढंग से केन्द्र और शाखाओं की स्थापना करके छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड जारी रखा है। करोड़ों रुपये के इस अवैध व्यापार पर प्रत्यक्ष नियत्रंण के लिए कोई कारगर कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसा लग रहा है कि इस समस्या से राज्य स्तरीय अधिकारी या तो अनजान है या उनमें इच्छा शक्ति की कमी है। जनपद फतेहपुर को ही बानगी के तौर पर लिया जाये तो नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग के एक वर्षीय डिप्लोमा पाठयक्रम के नाम पर एक अप्रमाणिक बतायी जा रही संस्था द्वारा आधा दर्जन से अधिक शाखाओं के माध्यम से सैकड़ों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
विगत 6-7 वर्षों से करोड़ों रूपये की उगाही की जा चुकी है। एनटीटी डिप्लोमा देने वाले प्रमुख केन्द्र मदर सुहाग इण्टर कालेज और इस कोर्स का प्रशिक्षण देने वाली अन्य 7 शाखाओं द्वारा छात्र-छात्राओं को जारी प्रमाण पत्रों से जब इस गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ तो पता चला कि दिल्ली की एक संस्था के संक्षिप्त नाम की हूबहू नकल करते हुए, दूसरी संस्था में पूरे प्रदेश में अनेक जनपदों के साथ-साथ यहां भी अपना व्यापार फैला रखा है। मदर सुहाग इण्टर कालेज से एनटीटी डिप्लोमा प्राप्त कर चुकी कई छात्रओं ने अपने अंक-पत्र एवं शुल्क की रसीदें दिखाते हुए बताया कि उन्हें सब्जबाग दिखा कर गवर्नमेंट आफ एनसीटी, नई दिल्ली से पंजीकृत इस कोर्स को आल इण्डिया अरली चाइल्डहुड केयर एण्ड एजुकेशन (एआईईसीसीई) से सम्बद्ध बता कर भारी भरकम फीस वसूली गयी।
दूसरी तरफ उनको दिए गए अंक-पत्रों में एडवांस इनफारमेशन इन अरली चाइल्डहुड केयर एण्ड एजुकेशन (एआईईसीसीई) नामक संस्था, जिसके बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय में उसके अस्तित्व में होने न होने का मामला लम्बित बताया जाता है, का नाम देख कर इस कोर्स को संचालित करने वाली संस्था और केन्द्रों पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। मजेदार बात यह है कि प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहे इन केन्द्रों पर शिक्षा विभाग के अधिकारी किसी भी प्रकार के नियत्रंण का अधिकार नहीं होने की बात कहते है, और दिल्ली उच्च न्यायालय में लम्बित वाद संख्या सीएस (ओएस)151/2009 में एक पक्षीय आदेश के बावजूद गोरखधंधा धड़ल्ले से जारी है।
इस सम्बंध में जब मदर सुहाग इण्टर कालेज में चल रहे एनटीटी कोर्स के प्रधानाचार्य शैलेन्द्र श्रीवास्तव से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने बार-बार फोन काट कर बात करने से इनकार कर दिया। जब निदेशक राखी श्रीवास्तव से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने अपने पति शैलेन्द्र श्रीवास्तव से संपर्क करने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया। शिक्षण-प्रशिक्षण सामग्री, प्रास्पेक्टस, शुल्क की रसीदें आदि से लेकर अंक-पत्रो व प्रमाण-पत्रों तक बदले हुए नाम व विरोधाभासी सूचनाओं के चलते प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे व प्राप्त कर चुके सैकड़ों छात्रों के साथ धोखाधड़ी किए जाने की आंशका से इनकार नही किया जा सकता है।
कुल मिला कर अनेकानेक संस्थाए भिन्न-भिन्न नामों से अपनी सम्बद्धता दिखाकर जनपद के दो दर्जन से अधिक विद्यालयों में कई सैकड़ा छात्र-छात्राओं को नर्सरी टीचर के रूप में उज्जवल भविष्य संबंधित सब्जबाग दिखाते हुए करोड़ों रुपये की उगाही में मस्त है, लेकिन सीमाओ से बंधे अधिकारी इस गोरखधंधे में लिप्त संस्थाओ और शिक्षण-प्रशिक्षण केन्द्रों की वैधता अथवा अवैधता तक को जांचने-परखने में भी स्वयं को मजबूर मान रहे हैं। बेरोजगारी से त्रस्त युवा फर्जी संस्थाओ के मकड़जाल में फंस कर जहां अपना भविष्य बरबाद कर रहे है, वहीं उनके अभिभावकों के खून-पसीने की कमाई भी भारी भरकम फीस के रूप में धड़ल्ले से लूटी जा रही है।