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मीडिया मंथन

इंडिया टीवी उर्फ फर्जी होने के लिए भी प्रतिभा चाहिए

[caption id="attachment_2243" align="alignleft"]आलोक तोमरआलोक तोमर[/caption]एक कंपनी हैं। नोएडा में किराए की इमारत में चलती है। किराया और बिजली का बिल भरने को ले कर इमारत के मालिक से विवाद भी हो चुका है। मगर इस कंपनी ने अमेरिका की एक फंडिंग कंपनी को इतनी रंगीन तस्वीर पेश की कि उसने एक करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश इस कंपनी में कर दिया। कंपनी का नाम बताएं इसके पहले एक भूल सुधार। निवेश जिस कंपनी में हुआ है वह एक पति पत्नी द्वारा चलाई जा रही बगैर किसी बड़े ढांचे और पूंजी वाली कंपनी हैं और जुगल जोड़ी द्वारा चलाई जा रही ये कंपनी एक चर्चित टीवी चैनल की मालिक हैं और टीवी चैनल का नाम हैं -इंडिया टीवी। अमेरिका की इंटरनेशनल वेंचर फंड कॉम वेंचर्स की सहयोग कंपनी फ्यूज प्लस मीडिया ने रजत शर्मा और उनकी दूसरी पत्नी रितु धवन द्वारा चलाई जा रही इंडिपेंडेंट न्यूज सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को करोड़ों डॉलर सौंप कर इंडिया टीवी में नहीं बल्कि इंडिपेंडेंट न्यूज सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में भागीदारी खरीदी है। यह कंपनी एक जमाने में कई चैनलों के लिए टीवी कार्यक्रम बनाती थी।

आलोक तोमर

आलोक तोमरएक कंपनी हैं। नोएडा में किराए की इमारत में चलती है। किराया और बिजली का बिल भरने को ले कर इमारत के मालिक से विवाद भी हो चुका है। मगर इस कंपनी ने अमेरिका की एक फंडिंग कंपनी को इतनी रंगीन तस्वीर पेश की कि उसने एक करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश इस कंपनी में कर दिया। कंपनी का नाम बताएं इसके पहले एक भूल सुधार। निवेश जिस कंपनी में हुआ है वह एक पति पत्नी द्वारा चलाई जा रही बगैर किसी बड़े ढांचे और पूंजी वाली कंपनी हैं और जुगल जोड़ी द्वारा चलाई जा रही ये कंपनी एक चर्चित टीवी चैनल की मालिक हैं और टीवी चैनल का नाम हैं -इंडिया टीवी। अमेरिका की इंटरनेशनल वेंचर फंड कॉम वेंचर्स की सहयोग कंपनी फ्यूज प्लस मीडिया ने रजत शर्मा और उनकी दूसरी पत्नी रितु धवन द्वारा चलाई जा रही इंडिपेंडेंट न्यूज सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को करोड़ों डॉलर सौंप कर इंडिया टीवी में नहीं बल्कि इंडिपेंडेंट न्यूज सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में भागीदारी खरीदी है। यह कंपनी एक जमाने में कई चैनलों के लिए टीवी कार्यक्रम बनाती थी।

अब यह इंडिया टीवी भी चलाती है और उत्तराखंड में एक टीवी पत्रकारिता संस्थान भी। रजत शर्मा की इस बात के लिए तारीफ करनी पड़ेगी कि दिल्ली के कश्मीरी गेट इलाके के एक छोटे से कमरे में पूरे परिवार के साथ रह कर जिंदगी शुरू करने वाले इस व्यक्ति ने अच्छा खासा टीवी साम्राज्य खड़ा कर दिया है। टीवी चैनल कई बार टीआरपी के शिखर पर भी पहुंच जाता है। यह बात अलग है कि अक्सर इस चैनल पर आपको यह बताया जाता है कि आसमान का रंग नीला इसलिए है क्योंकि वैज्ञानिक प्रयोग किए जा रहे हैं औ जल्दी ही यह लाल हो सकता हैं, या यह कि बच कर रहिए, पृथ्वी दो साल में नष्ट होने वाली है, या यह कि एक निश्चित दिन ही सड़क दुर्घटनाएं ज्यादा क्यों होती है और कौन सा मंत्र पढ़ने से बचा जा सकता है, या यह कि राखी सावंत से ले कर अभिषेक बच्चन तक कौन से ताबीज पहनते हैं। भूत प्रेत नियमित चैनल पर आते हैं और इसका कल्याण करते है। एक निर्दोष बच्ची आरुषि तलवार की हत्या हुई तो चैनल ने बाकायदा एक घंटे तक दो मोबाइल फोन तोड़ कर देश को बताया कि मोबाइल कैसे नष्ट किए जाते हैं। देश में प्रलय आ जाए मगर इंडिया टीवी पर आपको नाच गाना और तंत्र मंत्र ही दिखेंगे।

एक बार तो इंडिया टीवी ने एक समाज सेविका को आईएसआई का जासूस दिखा कर पेश कर दिया था और जब शिकायत हुई तो उसे नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन से निकाला गया। बाद में माफी मांगने पर फिर से शामिल गया और इस बार चैनल का प्रतिनिधत्व एक ऐसे सज्जन कर रहे हैं जिन्हें यू टयूब नामक वेबसाइट्स से चोरी कर के कहानियां बनाने के लिए गिनीज बुक में भेजा जा सकता हैं।

ऐसी कंपनी अगर विदेशी निवेश बटोर लाए तो इसे रजत शर्मा की उस प्रतिभा का कमाल कहना चाहिए जिसकी वजह से कम उम्र में ही वे एक बड़ी पत्रिका के संपादक बन गए थे और प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो की मान्यता के लिए ग्वालियर के एक संघी अखबार के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया था। जो फर्जी थे वे फर्जी ही रहेंगे। आखिर इंडिया टीवी फर्जी समाचारों का चैनल है और यहां जो बिकता है वहीं दिखता हैं। इंडिया टीवी में और किसने कितना कितना निवेश किया हैं यह तो पता नहीं लेकिन जिस ठाठ से यह चैनल चल रहा है उससे जाहिर है कि देने वाले बहुत है। इंडिया टीवी में हाल के दिनों में काफी बदलाव आए हैं और एक सबसे बड़ा बदलाव यह है कि रजत शर्मा ने किसी वैज्ञानिक चमत्कार का सहारा ले कर अपने टकले सिर पर बालों की खेती उगा ली है। पता नहीं वीरेंद्र सहवाग को उन्होंने उस डॉक्टर का पता बताया कि नहीं जिसने उनका हुलिया सुधार दिया है।

लेखक आलोक तोमर हिंदी पत्रकारिता के बड़े नाम हैं. खरी-खरी लिखने-बोलने वाली अपनी शैली के कारण वे हर क्षेत्र में दोस्त और दुश्मन लगभग समान मात्रा में पैदा करते रहते हैं.

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