Connect with us

Hi, what are you looking for?

राजनीति-सरकार

माया की तुलना वेश्या से करके भाजपा नेता ने यूपी में भाजपा के लिए ठीकठाक गड्ढा खोद दिया है…

Samar Anarya : BJP will repent for its VP Dayashankar Singh’s abuse to Bahan Mayawati much more in UP than it repented Mohan Bhagwat’s attack on reservations in Bihar. Period. भाजपा अपने उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की बहन मायावती को दी गयी गाली पर उत्तर प्रदेश में उतना पछतायेगी जितना वह मोहन भागवत के आरक्षण पर हमले पर भी नहीं पछतायी थी। बस।

<p>Samar Anarya : BJP will repent for its VP Dayashankar Singh's abuse to Bahan Mayawati much more in UP than it repented Mohan Bhagwat's attack on reservations in Bihar. Period. भाजपा अपने उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की बहन मायावती को दी गयी गाली पर उत्तर प्रदेश में उतना पछतायेगी जितना वह मोहन भागवत के आरक्षण पर हमले पर भी नहीं पछतायी थी। बस।</p>

Samar Anarya : BJP will repent for its VP Dayashankar Singh’s abuse to Bahan Mayawati much more in UP than it repented Mohan Bhagwat’s attack on reservations in Bihar. Period. भाजपा अपने उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की बहन मायावती को दी गयी गाली पर उत्तर प्रदेश में उतना पछतायेगी जितना वह मोहन भागवत के आरक्षण पर हमले पर भी नहीं पछतायी थी। बस।

Ajay Prakash :  भाजपा में दंगाइयों की कमी थी जो अब बेशर्मों की भर्ती होने लगी। उत्तर प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह का कहना है ‘मायावती जी एक वेश्या से भी बदतर चरित्र’ की हो गई हैं. हद है बेशर्मी की। यह है विकास का नारा।

Navin Kumar :  यही बीजेपी का चेहरा है। पार्टी का उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही मायावती को ‘वेश्या से भी बदतर’ कहता है और पार्टी उसे माथे पर बैठाए रखती है। ‘हमें खेद है’ कहकर पार्टी के बड़े-बड़े नेता दांत निपोर रहे हैं। अभी देखते जाइए। उनके चेहरे अभी बेनक़ाब होने शुरू हुए हैं। अभी तो वो गुजरात में दलितों को सड़कों पर पीट रहे हैं, मुंबई में अंबेडकर भवन गिरा रहे हैं, हरियाणा में बलात्कारियों को छूट दे रहे हैं। अभी बहुत कुछ होगा। मुझे ऐसी राजनीति और उस राजनीति के पुरोधाओं से नफरत है जिसके नेता औरतों को वेश्या मानते हैं और खुलेआम कहते हैं। ‘राष्ट्रवादी’ लोग तय कर लें। औरतें तो उनके घरों में भी होंगी ही। वैसे बेशर्मी की कोई हद नहीं होती।

Pramod Kumar : मेरे लिए एक औरत का देवी कहलाना उतना ही स्त्रीविरोधी सूचक है जितना कि वेश्या कहलाना. क्योंकि दोनों ही स्थितियों में हम स्त्री से समाज में समानता के साथ एक सामान्य जीवन जीने के अधिकार को छीन रहे हैं. संघ के लिए एक महिला या तो देवी है या वैश्या है. बीच की कोई स्थिति नहीं. यानि कि पुरुष की तरह एक औरत के एक सामान्य अस्तित्व की उनके नजर में कोई स्थान नहीं है.

Priyabhanshu Ranjan :  उत्तर प्रदेश BJP के उपाध्यक्ष दया शंकर ने BSP प्रमुख मायावती की तुलना “वेश्या” से की। उत्तर प्रदेश चुनाव तक BJP-RSS के नेताओं की तरफ से ऐसे बयान आते रहने चाहिए। देश का बहुत भला होगा। कहने का मतलब समझ रहे हैं न?

Rahul Sankrityaayan : बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार. जय हो! मायावती की तुलना भारतीय जनता पार्टी के नेता दयाशंकर ने वैश्या से की.

Ujjwal Bhattacharya : यूपी भाजपा के उपाध्यक्ष ने “आदरणीय चर्मकार” की बेटी को रंडी से भी बदतर कहा है.

Sudhir Mishra : बेचारी सेक्स वर्कर, जो भयानक गाली है, उसका क्या? 2008 की बात है। कोलकाता की पार्क स्ट्रीट के एक पार्क पहुंचा। एचआईवी एड्स पर अध्ययन कर रहा था। एक एनजीओ की मदद से एक सेक्स वर्कर महिला से मुलाकात हुई। करीब एक घंटे तक पूछने के बाद भी उसने नहीं बताया कि वह इस धंधे में क्यों आई? वक्त काफी बीत गया तो मैने उसे दो सौ रुपए दिए और कहा कि मैने आप का काफी वक्त लिया। यह रख लीजिए। दो सौ रुपए देखते ही उसके आंखों से आंसू फूट पड़े और बोली-साहब पहली बार मैं इस धंधे में तब आई थी जब तीन दिन की भूख मिटाने के लिए सिर्फ दो रुपए चाहिए थे। उसकी उम्र उस वक्त सिर्फ पंद्रह सोलह साल थी। राज्यसभा सांसद और बसपा सुप्रीमो मायावती पर बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह की अभद्र और अमर्यादित टिप्पणी पर हुए हंगामे के बाद वह सेक्स वर्कर याद आ गई। यह सवाल समाज से है कि जो सेेक्स वर्कर सभ्य समाज के लिए एक भयानक गाली है, उसके लिए हमारी सरकार, समाज और देश क्या कर रहा है? वह भी एक महिला है, उसे इस दलदल से निकालने के बारे में क्या सोचते हैं लोग।

Sanjaya Kumar Singh : भाजपाइयों की भाषा। इन्हें पार्टी से निकालने की मांग करना डूबती नाव का बोझा उतार लेना है। इन्हें रहने दीजिए वहीं। सब एक से, एक साथ रहेंगे। मुझे एक कहानी याद आ रही है। कहानी है कि, एक मास्टर साब साइकिल से जा रहे थे। किनारे खड़े बच्चों ने साइकिल के पहिए में लकड़ी घुसा दी, मास्टर साब गिर पड़े। मास्टर साब उठकर खड़े हुए तो पास ही छिपे लड़के ऐसे आ गए जैसे उन्होंने कुछ किया ही नहीं और मास्टर साब को कुछ पता नहीं चला। मास्टर साब अनजान बने रहे और बच्चों की तारीफ की और चले गए। अगले दिन फिर यही हुआ और मास्टर साब आज भी अनजान बने रहे। दो-चार दिनों बाद लड़कों की हिम्मत बढ़ गई और उन्होंने मोहल्ले के एक हीरो के साथ ऐसा ही किया। हीरो ने बच्चों की ठीक से पिटाई कर दी। मास्टर साब को पता चला तो उन्होंने कहा ठीक हुआ, ऐसा तो होना ही था। लोगों ने पूछा, आप तो बच्चों को मना नहीं करते थे। अब कह रहे हैं, ठीक हुआ, होना ही था। मास्टर साब ने कहा, मैं कहां उन्हें मारने-पीटने में पड़ता। मेरा काम हीरो ने कर दिया। उन्हें सीख मिल गई। मेरे ख्याल से जुमलों वाली पार्टी के संस्कारी नेता ऐसे ही हैं। इन्हें बताने की जरूरत नहीं है कि ये क्या कर रहे हैं। जो कर रहे हैं उसका फल समय आने पर भुगतेंगे। अच्छी तरह।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सौजन्य : फेसबुक

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

मेरी भी सुनो

अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने के लिए पहले रेडियो, अखबार और टीवी एक बड़ा माध्यम था। फिर इंटरनेट आया और धीरे-धीरे उसने जबर्दस्त लोकप्रियता...

साहित्य जगत

पूरी सभा स्‍तब्‍ध। मामला ही ऐसा था। शास्‍त्रार्थ के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी प्रश्‍नकर्ता के साथ ऐसा अपमानजनक व्‍यवहार...

मेरी भी सुनो

सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने घटिया खाने और असुविधाओं का मुद्दा तो उठाया ही, मीडिया की अकर्मण्यता पर भी निशाना...

राजनीति-सरकार

मोहनदास करमचंद गांधी यह नाम है उन हजार करोड़ भारतीयों में से एक जो अपने जीवन-यापन के लिए दूसरे लोगों की तरह शिक्षा प्राप्त...

Advertisement