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बहन मायावती आप देवी और सम्मानित भी, लेकिन दयाशंकर की बीवी और बेटी का क्या कुसूर?

एक भद्दी गाली का जवाब 100 भद्दी गालियां तो हरगिज नहीं हो सकती… जो गलती भाजपा से बाहर किए गए दयाशंकर सिंह ने की उसी तरह की गलतियां मायावती समर्थकों ने अपने विरोध-प्रदर्शन के दौरान की। इसमें कोई दो मत नहीं कि बसपा अध्यक्ष मायावती के खिलाफ दयाशंकर सिंह ने जिन भद्दे शब्दों का इस्तेमाल अपने बयान में किया वह किसी भी तरह क्षम्य नहीं है। उसकी तो कड़ी से कड़ी सजा दयाशंकर को मिलना चाहिए और मिलेगी भी, क्योंकि भाजपा ने खुद ही जहां उसे निलंबित कर दिया वहीं पुलिस ने प्रकरण भी दर्ज करते हुए उसके भाई धर्मेन्द्र को गिरफ्तार कर लिया। अब दयाशंकर सिंह को एससी/एसटी कानून के तहत 7 साल की सजा मिले या ना मिले वह अदालतों का विषय है, लेकिन इस मामले में मायावती के समर्थकों ने उत्तरप्रदेश से लेकर देश के कई शहरों में  जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किए।

<p>एक भद्दी गाली का जवाब 100 भद्दी गालियां तो हरगिज नहीं हो सकती... जो गलती भाजपा से बाहर किए गए दयाशंकर सिंह ने की उसी तरह की गलतियां मायावती समर्थकों ने अपने विरोध-प्रदर्शन के दौरान की। इसमें कोई दो मत नहीं कि बसपा अध्यक्ष मायावती के खिलाफ दयाशंकर सिंह ने जिन भद्दे शब्दों का इस्तेमाल अपने बयान में किया वह किसी भी तरह क्षम्य नहीं है। उसकी तो कड़ी से कड़ी सजा दयाशंकर को मिलना चाहिए और मिलेगी भी, क्योंकि भाजपा ने खुद ही जहां उसे निलंबित कर दिया वहीं पुलिस ने प्रकरण भी दर्ज करते हुए उसके भाई धर्मेन्द्र को गिरफ्तार कर लिया। अब दयाशंकर सिंह को एससी/एसटी कानून के तहत 7 साल की सजा मिले या ना मिले वह अदालतों का विषय है, लेकिन इस मामले में मायावती के समर्थकों ने उत्तरप्रदेश से लेकर देश के कई शहरों में  जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किए।

एक भद्दी गाली का जवाब 100 भद्दी गालियां तो हरगिज नहीं हो सकती… जो गलती भाजपा से बाहर किए गए दयाशंकर सिंह ने की उसी तरह की गलतियां मायावती समर्थकों ने अपने विरोध-प्रदर्शन के दौरान की। इसमें कोई दो मत नहीं कि बसपा अध्यक्ष मायावती के खिलाफ दयाशंकर सिंह ने जिन भद्दे शब्दों का इस्तेमाल अपने बयान में किया वह किसी भी तरह क्षम्य नहीं है। उसकी तो कड़ी से कड़ी सजा दयाशंकर को मिलना चाहिए और मिलेगी भी, क्योंकि भाजपा ने खुद ही जहां उसे निलंबित कर दिया वहीं पुलिस ने प्रकरण भी दर्ज करते हुए उसके भाई धर्मेन्द्र को गिरफ्तार कर लिया। अब दयाशंकर सिंह को एससी/एसटी कानून के तहत 7 साल की सजा मिले या ना मिले वह अदालतों का विषय है, लेकिन इस मामले में मायावती के समर्थकों ने उत्तरप्रदेश से लेकर देश के कई शहरों में  जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किए।

इन प्रदर्शनों में दयाशंकर के खिलाफ तो कई टिप्पणियां की ही गई, लेकिन सबसे अधिक आपत्तिजनक उनकी पत्नी और बेटी के खिलाफ की गई अभद्रता है। दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति ने कहा भी है कि कई कार्यकर्ताओं ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल उनके और उनकी 12 साल की बेटी के खिलाफ किया है अब उनके खिलाफ कौन कार्रवाई करेगा..? उनकी 12 साल की बेटी तो सदमे में है और घर से बाहर निकलने में ही डर लगने लगा है। एक महिला के अपमान के बदले दूसरी महिलाओं के अपमान को कैसे न्यायसंगत ठहाराया जा सकता है..? दयाशंकर की पत्नी स्वाति के ये सवाल वाकई चिंतनीय तो हैं, वहीं अन्य सवाल भी खड़े करते हैं। क्या दयाशंकर सिंह द्वारा की गई भद्दी टिप्पणी का बदला उनके परिवार से लिया जाना चाहिए, जिनका कोई कुसूर ही नहीं है। हां, अगर उनका परिवार किसी ऐसे कृत्य में मददगार रहता जो सबने संगनमत होकर किया हो तब इस तरह का विरोध समझ में आता, लेकिन पति द्वारा की गई किसी टिप्पणी के विरोध में उसकी पत्नी और बेटी के खिलाफ उसी तरह की अभद्र टिप्पणियां की जाएं यह तो अत्यंत ही चिंतनीय है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने इन टिप्पणियों के संबंध में कहा कि उनके समर्थक व कार्यकर्ता उन्हें देवी मानते हैं इसलिए उन्होंने इस तरह का आक्रोश दिखाया। उन्होंने यह भी कहा कि दयाशंकर के खिलाफ भाजपा नेता अगर एफआईआर दर्ज कराते तो वे मेरा दिल जीत सकते थे, लेकिन यहां पर सवाल बहन मायावती से यह है कि उनके समर्थक व कार्यकर्ता उन्हें देवी मानें इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर वे अपने इन समर्थकों को इस तरह की अभद्रता करने से रोकती और चेतावनी देती  तो वे पूरे देश का दिल और बेहतर तरीके से जीत सकती थीं। दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटी के साथ जो अभद्रता की गई उस पर भी मायावती को एक महिला होने के नाते अफसोस प्रकट करना चाहिए था। इससे उनका कद और ऊँचा ही हो जाता। राजनीति के जानकारों का यह भी मानना है कि इस मुद्दे को इसलिए भी अब जिंदा रखा जाएगा ताकि उत्तरप्रदेश के चुनाव में दलित वोटों की हदबंदी की जा सके और भाजपा के लिए यह मामला ठीक उसी तरह का साबित होगा जैसा बिहार चुनाव में हुआ था। उस वक्त मोदी जी ने डीएनए वाली बात कही थी, जिसे नीतिश कुमार और लालू यादव ने जमकर भुनाया और अब मायावती की बारी है।

लेखक राजेश ज्वेल से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.

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