हिंदी के वरिष्ठ आलोचक प्रो. गोपेश्वर सिंह को रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान 2015 प्रदान करने की घोषणा हुई है। केदार स्मृति शोध संस्थान बांदा एवं रामानन्द सरस्वती पुस्तकालय जोकहरा, आजमगढ़ द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किए जाने वाले सम्मान की निर्णायक समिति में प्रो. निर्मला जैन, प्रो. नित्यानन्द तिवारी, प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी और उपन्यासकार श्री विभूति नारायण राय शामिल हैं।
केदार स्मृति शोध संस्थान, बांदा के सचिव वरिष्ठ कवि नरेन्द्र पुण्डरीक ने प्रेस को यह जानकारी दी। इसके पूर्व यह सम्मान हिंदी के वरिष्ठ आलोचक प्रो. प्रदीप सक्सेना एवं प्रो. शंभूनाथ को प्रदान किया जा चुका है। गोपालगंज बिहार में जन्में प्रो. गोपेश्वर सिंह की शिक्षा मुजफ्फरपुर, बनारस और पटना में सम्पन्न हुई। पटना विश्वविद्यायल और केंद्रीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद में लगभग 22 वर्षों तक अध्यापन एवं हिंदी आलोचना में सक्रिय रहते हुए आजकल दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में कार्यरत हैं। भक्ति आंदोलन के सामाजिक आधार, नलिन विलोचन शर्मा, साहित्य से संवाद, कल्पना का उर्वशी विवाद एवं आलोचना का पाठ जैसे महत्वपूर्ण एवं गंभीर आलोचनात्मक कार्य करने वाले गोपेश्वर सिंह ने 1974 के बिहार आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। आंदोलन और आपातकाल के दौरान जेल यात्रा की।
जयप्रकाश नारायण की एक संस्था के साथ आदिवासियों के बीच अनेक वर्षों तक सक्रिय रहे। सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक विषयों पर सौ से ऊपर लेख, टिप्पणियां शीर्ष पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। पिछली अर्धशती हिंदी आलोचना की जो मुख्य धारा है, उससे गोपेश्वर सिंह का आलोचक संलग्न और गतिशील रहा है। ये वैसे तथाकथित विशेषज्ञ आलोचकों में से नहीं हैं जो अपने को खंडित विषय-क्षेत्र तक सीमित या विस्तृत रखते हैं। इनकी आलोचनात्मक पहुंच संपूर्णतावादी है- क्या मध्यकाल और आधुनिक काल, क्या कविता और कथा-साहित्य-सभी इनकी रूचि के क्षेत्र हैं और इनकी रूचि एकांगी नहीं है। इनमें वह दोटूकपन और पैनापन है जो धुंध और अनिश्चय रचने वाली आलोचना के विरूद्ध एक बेहतर और सक्रिय विकल्प निर्मित करता है। निर्णयक मंडल की संस्तुति पर सम्मान समिति के संयोजक नरेन्द्र पुण्डरीक ने बताया कि सम्मान समारोह की तिथि एवं स्थान यथाशीघ्र घोषित किया जाएगा।
नरेन्द्र पुण्डरीक
संयोजक,
रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान