राजनीति का एक अघोषित नियम बन गया है। वह यह कि अगर आप सच्चाई और ईमानदारी से गलत को गलत कहने का साहस रखते हैं तो आप राजनीति नहीं कर सकते। आपके अपने आपके खिलाफ हो जाएंगे। विरोधी आपको किसी भी तरह निपटाने के लिए हर संभव साजिश रचेंगे। कुछ यही हाल है सरयू राय का। सरयू राय वैसे तो भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर झारखंड के जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं पर अंदरखाने उनके खिलाफ भाजपा के लोग भी हैं। कारण, उन्होंने अपने ही दल के कई मंत्रियों के खिलाफ सवाल उठाये, विधानसभा के अंदर और बाहर, दोनों जगहों पर।
सरयू राय उन लोगों में हैं जिन्होंने कोड़ा एंड कंपनी के खिलाफ बहुत मजबूती से सदन के अंदर और सदन के बाहर मामलों को उठाया। उन्हें सरकारी कार्यप्रणाली की गहरी जानकारी है, इसलिए वे आधारहीन बातें नहीं उठाते और इसलिए उनकी उठायी बातों का गहरा असर भी होता है। अब स्थिति यह है कि सरयू राय को हराने के लिए कोड़ा एंड कंपनी पूरी ताकत से लगी है। लोकसभा चुनाव में भी वे बीजेपी के चंद नेताओं में थे जो कोड़ा के खिलाफ प्रचार में गये, वरना उनके दल के अनेक लोग कोड़ा से मिल गये थे। कांग्रेस भी किसी कीमत पर नहीं चाहती कि वे विधानसभा पहुंचे। इसलिए रातों-रात बन्ना गुप्ता को समाजवादी पार्टी से कांग्रेस में लाकर टिकट थमा दिया गया। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध किया। बाद में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप बलमुचु ने सफाई दी कि राज्य कांग्रेस की अनुशंसा को दरकिनार कर बन्ना गुप्ता को दिल्ली के नेताओं ने टिकट दे दिया तो वे क्या कर सकते हैं। इसी से लगता है कि कांग्रेस सरयू राय को हराने के लिए कहां तक जा सकती है।
सरयू राय भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते रहे हैं. जब उन्होंने कोड़ा एंड कंपनी के खिलाफ आवाज उठायी तो हाइकोर्ट में आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनके खिलाफ मुकदमा भी करा दिया गया। सरयू राय ने खुद मुकदमे की पैरवी की। श्री राय ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक की। श्री राय कई दलों की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। भाजपा का एक वर्ग भी नहीं चाहता कि सरयू राय चुनाव जीतें।
वे पांच साल से जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीट के विधायक रहे हैं। वे पांच साल तक पूरे झारखंड की समस्याओं को विधानसभा में गंभीरता से उठाते रहे। वे झारखंड के पहले विधायक हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में विधायक फंड से किये गये खर्च का ब्योरा बुकलेट के रूप में छपवाया और पूरे क्षेत्र में बंटवाया। किसको-किसको काम दिया गया, उन्होंने यह सार्वजनिक किया। इस चुनाव में उन्होंने एक बैंक अकाउंट खुलवाया और लोगों से आग्रह किया कि चुनाव में चंदे के रूप में जो लोग उन्हें मदद करना चाहते हैं, वे सीधे उन्हें धन न दें, बल्कि उस बैंक अकाउंट में पैसा जमा कर दें ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
श्री राय 1974 के छात्र आंदोलन की उपज हैं। वे देश के मशहूर पटना साइंस कालेज के प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं। उन्होंने बिहार में जनता पार्टी में रहकर लंबे समय तक किसानों के सवालों पर संघर्ष किया। वे लालू प्रसाद, शिवानंद तिवारी, नीतीश कुमार के साथ मिलकर कांग्रेस के खिलाफ मुहिम में लगे रहे। बिस्कोमान में खाद घोटाले का परदाफाश किया। पशुपालन घोटाला को सामने लाने वालो में एक सरयू राय भी थे। श्री राय ने पटना में देश के जाने-माने विद्वानों को बुलाकर एक व्याख्यान सिरीज चलाया। 80 के अंतिम और 90 के आरंभिक दशकों में। झारखंड में पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए दामोदर बचाओ अभियान भी वर्षों से चला रहे हैं। वे ऐसे प्रत्याशी है जिनकी पराजय अमूमन हर दल चाहता है, भाजपा के एक वर्ग समेत।
ऐसे में सरयू राय के पक्ष में एकजुटता के लिए मीडिया के ईमानदार लोगों से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और हर दल के संवेदनशील कार्यकर्ता गुपचुप तरीके से अभियान चला रहे हैं। माना यह जा रहा है कि सरयू राय की जीत झारखंड को लूट खाने के लिए आमादा लोगों की बड़ी हार होगी। इस मुहिम में प्रभात खबर जैसा वैचारिक अखबार भी शामिल है। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अभियान चलाने वाला प्रभात खबर सरयू राय को हराने के लिए हो रही साजिशों के मद्देनजर उन्हें बिना शर्त अपना समर्थन दे रहा है। झारखंड का यह चुनाव ईमानदार लोगों की एकता का भी गवाह बन रहा है। संभव है, इस चुनाव के बाद झारखंड की तस्वीर बदलने की शुरुआत हो सके।
रांची से राकेश कुमार की रिपोर्ट