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बातों बातों में

वे नौकर हैं तो हम लोग उनसे भी बड़े नौकर!

मीडिया में बंद हो ‘नौकर’ व ‘नौकरानी’ शब्दों का इस्तेमाल : अखबार पढते या टेलीविजन पर समाचार सुनते एक शब्द बरबस ही खटक जाता है- नौकर या नौकरानी। मीडिया में अक्सर घरेलू कर्मचारियों या चाय ठेले/ढाबे पर कार्य करने वाले कर्मचारियों से जुडी खबरों में ‘नौकर’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। “अमुक ने अपने नौकर को ये काम करने भेजा था” या “उसके घर का काम नौकरानी करती थी”। आखिर इस तरह से कौन-सी मानसिकता का प्रदर्शन करना चाहते हैं हम?

<p><font color="#003366">मीडिया में बंद हो 'नौकर' व 'नौकरानी' शब्दों का इस्तेमाल : </font>अखबार पढते या टेलीविजन पर समाचार सुनते एक शब्द बरबस ही खटक जाता है- नौकर या नौकरानी। मीडिया में अक्सर घरेलू कर्मचारियों या चाय ठेले/ढाबे पर कार्य करने वाले कर्मचारियों से जुडी खबरों में ‘नौकर’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। “अमुक ने अपने नौकर को ये काम करने भेजा था” या “उसके घर का काम नौकरानी करती थी”। आखिर इस तरह से कौन-सी मानसिकता का प्रदर्शन करना चाहते हैं हम? </p>

मीडिया में बंद हो ‘नौकर’ व ‘नौकरानी’ शब्दों का इस्तेमाल : अखबार पढते या टेलीविजन पर समाचार सुनते एक शब्द बरबस ही खटक जाता है- नौकर या नौकरानी। मीडिया में अक्सर घरेलू कर्मचारियों या चाय ठेले/ढाबे पर कार्य करने वाले कर्मचारियों से जुडी खबरों में ‘नौकर’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। “अमुक ने अपने नौकर को ये काम करने भेजा था” या “उसके घर का काम नौकरानी करती थी”। आखिर इस तरह से कौन-सी मानसिकता का प्रदर्शन करना चाहते हैं हम?

यदि वो नौकर हैं, तो हममें से ज्यादातर भी तो नौकर ही हैं। कलेक्टर, एस.पी., सचिव या संपादक, ये सभी तो नौकर ही हैं….। तो फिर इन्हें भी नौकर क्यों न लिखा जाय? सभी लोग अपना-अपना नियत कार्य करते हैं, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता, तो फिर छोटे स्तर के कर्मचारियों के लिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके हम कहीं पुरानी सामंतशाही मानसिकता का परिचय तो नहीं दे रहे हैं। घरेलू कर्मचारी या सिर्फ कर्मचारी शब्द का उपयोग कर उन्हें भी सम्मान का दर्जा दिया जाना चाहिये। हम मीडिया के लोग जाने-अनजाने में जो असमानता की लकीर बना देते हैं, उस पर आत्मचिंतन किया जाना चाहिये।

लेखक केएल जोशी दूरदर्शन न्यूज के लिए बतौर संवाददाता इंदौर में काम करते हैं. 

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