Connect with us

Hi, what are you looking for?

तेरा-मेरा कोना

ससुर के खिलाफ बहुरानी

[caption id="attachment_2279" align="alignleft" width="130"]निरंजन परिहारनिरंजन परिहार[/caption]शिवसेना प्रमुख का बुढापा खराब हो रहा है। या यूं भी कहा जा सकता है कि वे खुद ही अपना बुढ़ापा खराब करवा रहे हैं। अकसर किसी भी वृद्ध के लिए किसी के भी मन में सम्मान ही होता है। और इस उमर की सबसे बड़ी जरूरत भी सम्मान ही हुआ करती है। हर बूढ़ा इंसान चाहता है कि कोई भी उसके विरोध में ना बोले। खासकर घर के लोग इतना तो खयाल करे, ताकि इस उमर में उसके मान सम्मान की रक्षा होती रहे। पर, बाल ठाकरे के साथ उल्टा हो रहा है। राजनीति में बाल ठाकरे के असल अवतार कहे जाने वाले भतीजे राज ठाकरे तो सामने तलवार लेकर खड़े ही है। अब बहू भी मैदान में उतर आई है। फिल्म “माई नेम इज खान” की रिलीज पर शिवसेना द्वारा खड़े किए गए बवाल के बीच स्मिता ठाकरे भी शाहरूख खान की पैरवी में मैदान में कूद पड़ी हैं।

निरंजन परिहार

निरंजन परिहार

निरंजन परिहार

शिवसेना प्रमुख का बुढापा खराब हो रहा है। या यूं भी कहा जा सकता है कि वे खुद ही अपना बुढ़ापा खराब करवा रहे हैं। अकसर किसी भी वृद्ध के लिए किसी के भी मन में सम्मान ही होता है। और इस उमर की सबसे बड़ी जरूरत भी सम्मान ही हुआ करती है। हर बूढ़ा इंसान चाहता है कि कोई भी उसके विरोध में ना बोले। खासकर घर के लोग इतना तो खयाल करे, ताकि इस उमर में उसके मान सम्मान की रक्षा होती रहे। पर, बाल ठाकरे के साथ उल्टा हो रहा है। राजनीति में बाल ठाकरे के असल अवतार कहे जाने वाले भतीजे राज ठाकरे तो सामने तलवार लेकर खड़े ही है। अब बहू भी मैदान में उतर आई है। फिल्म “माई नेम इज खान” की रिलीज पर शिवसेना द्वारा खड़े किए गए बवाल के बीच स्मिता ठाकरे भी शाहरूख खान की पैरवी में मैदान में कूद पड़ी हैं।

ठाकरे परिवार की सबसे सक्रिय और लोकप्रिय  बहू स्मिता ने खुलकर कहा है कि शाहरुख खान की फिल्म “माई नेम इज खान” के मामले में शिवसेना जो कुछ भी कर रही है, वह ठीक नहीं है। आज मुंबई में स्मिता ने शाहरूख खान का समर्थन करते हुए शिवसेना पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शिवसेना द्वारा इस फिल्म का विरोध करना बिल्कुल गलत है। स्मिता ने इस तरह के विरोध को राजनीतिक सेंसरशिप का बताते हुए इसका विरोध किया है। और शाहरुख का समर्थन में यह भी कहा है कि कलाकार भी आखिर एक सामान्य इंसान है, जिसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का हक है।  

यह कोई बहुत दिन पुरानी बात नहीं है, जब शिवसेना में बहू स्मिता ठाकरे का फरमान चलता था। राज ठाकरे जब शिवसेना में ही थे, तब भी स्मिता की बहुत चलती थी। पार्टी में उनके रुतबे का इससे बड़ा सबूत और कुछ हो ही नहीं सकता कि शिवसेना में किसी की भी उनका नाम लेकर संबोधित करने की हिम्मत कभी नहीं देखी गई। सम्मान की यह आदत शिवसेना के कार्यकर्ताओं में आज भी मौजूद है। लोग सम्मान से उनको ‘भाभी’  कहते हैं। वजह यही थी कि स्मिता ठाकरे पर बाल ठाकरे की मेहरबानी थी और वे सबसे चहेती बहू इसलिए भी कही जाती है क्योंकि वयोवृद्ध होते ठाकरे की सेवा भी उन्हीं ने की।

पर, वक्त बदला और हालात भी बदल गए। तो पिछले दिनों सबके सामने स्मिता ठाकरे ने खुलकर कहा था कि अब मातोश्री में दम घुटने लगा है। तब लबको लग गया था कि भाभी अपने लिए नए दरवाजे खोल सकती हैं। और उसके तत्काल बाद ही जब

स्मिता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी की तारीफ की, तो तय हो गया कि उनका रास्ता किधर जा सकता है। लेकिन हर कोई मान रहा था कि स्मिता औरों की तारीफ तो कर सकती हैं। लेकिन यह कभी किसी ने भी नहीं सोचा था कि बाल ठाकरे का बेदह सम्मान करने वाली उनकी यह लाडली बहू  कभी उनके किए और कहे को गलत ठहराकर विरोध में भी उतर सकती है। पर, अब बहू भी बाल ठाकरे मे सामने खड़ी हो गई है। शाहरुख खान के मामले मैं भाभी ने शिवसेना की कार्रवाई को ना केवल गलत ठहराया है बल्कि उसका विरोध भी किया है।

स्मिता ठाकरे शौक से समाजसेविका है और पेशे से फिल्म निर्माता। वे इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष रह चुकी हैं और मुक्ति नामक एक एनजीओ भी चलाती हैं। पिछले दिनों मराठी फिल्म ‘झेंडा’ के खिलाफ जब महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री नारायण राणे के समर्थकों ने हंगामा किया था। और फिल्म में कुछ बदलाव के बाद ही उसको चलने दिया। तब स्मिता कुछ भी नहीं बोली थी। बिल्कुल चुप रहीं। राणे अब कांग्रेस में हैं। और शाहरुख भी कांग्रेस खेमे के ही माने जाते हैं। इससे स्मिता की नई राह को समझा जा सकता है। शाहरुख का समर्थन और वह भी ससुर ठाकरे के विरोध के साथ। स्मिता ने पहली बार अपने जीवन का सबसे मजबूत कदम बढ़ाया है। लेकिन फिर भी बाल ठाकरे का क्या ? वे इस उमर में भी जो कुछ कर रहे हैं और जिस तरह के बयान देकर अपनी सेना से जो कुछ भी करवा रहे हैं, उसमें स्मिता ठाकरे जैसी उनकी सबसे लाडली बहू के पास भी उनका विरोध करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। बाल ठाकरे के लिए बुढ़ापे में इससे बुरी बात और क्या हो सकती है  ?   

लेखक निरंजन परिहार वरिष्ठ पत्रकार हैं.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

मेरी भी सुनो

अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने के लिए पहले रेडियो, अखबार और टीवी एक बड़ा माध्यम था। फिर इंटरनेट आया और धीरे-धीरे उसने जबर्दस्त लोकप्रियता...

साहित्य जगत

पूरी सभा स्‍तब्‍ध। मामला ही ऐसा था। शास्‍त्रार्थ के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी प्रश्‍नकर्ता के साथ ऐसा अपमानजनक व्‍यवहार...

मेरी भी सुनो

सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने घटिया खाने और असुविधाओं का मुद्दा तो उठाया ही, मीडिया की अकर्मण्यता पर भी निशाना...

समाज-सरोकार

रूपेश कुमार सिंहस्वतंत्र पत्रकार झारखंड के बोकारो जिला स्थित बोकारो इस्पात संयंत्र भारत के सार्वजनिक क्षेत्र का इस्पात संयंत्र है। यह संयंत्र भारत के...

Advertisement