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पूरे गांव को सांप्रदायिक आग में झोंकने पर आमादा है कोतवाल

आज़मगढ़ जिले की कोतवाली फूलपुर की अंबारी पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले गांव सजई को इस कोतवाली के कोतवाल और चौकी के प्रभारी उपनिरीक्षक जातीय और सांप्रदायिक आग में झोंकने और बेकसूर लोगों को बेवजह परेशान करने में लगी है और अगर पुलिस महकमे के जिम्मेदार अफ़सरान और राज्य की अखिलेश सरकार ने समय रहते मामले पर ध्यान नहीं दिया और पुलिस की मनमानी नहीं रोकी तो इस गांव में कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।

<p>आज़मगढ़ जिले की कोतवाली फूलपुर की अंबारी पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले गांव सजई को इस कोतवाली के कोतवाल और चौकी के प्रभारी उपनिरीक्षक जातीय और सांप्रदायिक आग में झोंकने और बेकसूर लोगों को बेवजह परेशान करने में लगी है और अगर पुलिस महकमे के जिम्मेदार अफ़सरान और राज्य की अखिलेश सरकार ने समय रहते मामले पर ध्यान नहीं दिया और पुलिस की मनमानी नहीं रोकी तो इस गांव में कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।</p> <p>

आज़मगढ़ जिले की कोतवाली फूलपुर की अंबारी पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले गांव सजई को इस कोतवाली के कोतवाल और चौकी के प्रभारी उपनिरीक्षक जातीय और सांप्रदायिक आग में झोंकने और बेकसूर लोगों को बेवजह परेशान करने में लगी है और अगर पुलिस महकमे के जिम्मेदार अफ़सरान और राज्य की अखिलेश सरकार ने समय रहते मामले पर ध्यान नहीं दिया और पुलिस की मनमानी नहीं रोकी तो इस गांव में कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।

बता दें कि तीन-चार दिन पहले सजई निवासी व्यास अष्ठाना की गांव के ही एक दर्जी के लड़के से कुछ कहा-सुनी और गाली-गलौज हो गयी थी जिसमें व्यास अष्ठाना ने दर्जी के उस लड़के पर हाथ उठा दिया था। उसके अगले दिन व्यास अष्ठाना कहीं जा रहे थे तो दर्जी-फकीरों के कुछ लड़कों ने उन्हें घेर लिया और बुरी तरह पीटा प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि यदि कुछ महिलाएं व्यास के ऊपर गिर कर उनको न बचातीं तो ये लड़के उन्हें जान से मार डालते। व्यास और उनके घर वालों ने पुलिस में इस मामले की शिकायत की तो पुलिस ने उनकी प्राथमिकी तक नहीं दर्ज की और कच्ची शिकायत लिख कर रख ली और जानकार सूत्र बताते हैं कि उस शिकायत पर प्रतिक्रिया देते हुए कोतवाल ने कहा कि व्यास अष्ठाना पिट गये तो क्या लोगों को फांसी चढ़ा देंगे!

इस घटना से आहत व्यास अष्ठाना और उनके सगे-संबंधियों ने सदरुद्दीन नामी दर्जी के घर जाकर उसको पीट दिया और बताते हैं कि सदरु ने जो गैर लाइसेंसी असलहा रखता है, चार-छह राउंड गोली भी चलायी। उसके बाद से पुलिस गांव में बंदर की दंवरी नाधे हुए है। सदरू की पिटाई के बाद उसके समर्थकों ने उसके घर के ठीक सामने के मकान के मालिक काले बंदवार के घर का पतरा और उसके खपरैल की छत तोड़ दी। काले ने 100 नंबर पर फ़ोन करके अपने साथ हुई ज़्यादती का रोना रोया तो पुलिस मामले के लिए ज़िम्मेदार लोगों का पता लगाने और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बजाय फ़रियादी काले बंदवार की बीवी को पीटा और काले को उठा कर चौकी ले गयी जहां उनको बेरहमी से पीटा और 107/157 में चालान कर दिया। यही नहीं, आज काले के चचेरे भाई तन्नू ने उसकी जमानत करायी तो उसकी जमानत कराने क जुर्म में पुलिस तन्नू को उठा ले गयी और चौकी पर होम गार्ड के रूप में काम करने वाले अमर प्रताप सिंह को पुलिस ने चौकी पर इस आरोप में बुरी तरह लताड़ा कि उसने और उसके दो चाचाओं ने ओमकार सिंह और ज्ञान प्रकाश सिंह और पिछले ग्राम प्रधान इंद्राज यादव ने काले को 100 नंबर पर फ़रियाद करने के लिए उकसाया। यह कैसी पुलिस है और उसकी कैसी कार्यशैली और नैतिकता है कि फ़रियादी को संरक्षण देने की बजाय उल्टे उसका चालान कर देती है और उसकी जमानत लेने वाले को थाने उठा ले जाती है और ऐसे लोगों की लानत-मलामत करने की फिराक़ में है जिसकी इस सारे मामले में कोई भूमिका नहीं है।

गांव का माहौल इस पुलिसिया कुकर्म के चलते इस कदर बिगड़ता जा रहा है कि यदि पुलिस के आला अफ़सरान समय रहते नहीं चेतते हैं तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है। इस सारे प्रकरण में सदरु और उसके पैरोकार पिता-पुत्र की जो पड़ोसी गांव अमनाबाद के निवासी और पेशे से वकील हैं, भूमिका संदिग्ध बतायी जाती है। यही नहीं, बताते हैं कि सदरू पिछले छह-सात महीने से पुलिस का चहेता बना है जब से उसने कथित तौर पर अपनी बहन की हत्या करवा दी थी और पुलिस को भारी घूस देकर सारा दोष अपनी बहन के प्रेमी युवक और उसके परिवार वालों पर डाल दिया था। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव, उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक, आज़मगढ़ के उप-पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस अधीक्षक तक से अपनी बेगुनाही की गुहार लगाने, स्थानीय विधायक के सामने गांव के सैकड़ों लोगों की गवाही के बावजूद फूलपुर कोतवाली का कोतवाल लगातार सदरू को निर्दोष करार देता रहा और उसकी बहन का प्रेमी और उसका पूरा परिवार (जो जाति के कहांर हैं) आज भी  फरार है।

पुलिस की भूमिका इस सारे मामले में बहुत ही अमानवीय है। एक मामूली सी कहा-सुनी से शुरू हुए इस प्रकरण को पुलिस ने सदरू और उसके सरपरस्त अमनाबाद निवासी वकील पिता-पुत्र की शह पर पूरे गांव में आतंक का ताडंव मचा रखा है। गांव के आधे से ज्यादा लोग अपने घर-बार छोड़ कर भागे हुए हैं और जो लोग हैं भी वे अपने रोज़-मर्रा के काम-धाम भी नहीं कर पा रहे हैं और गहन आतंक के साये में जी रहे हैं। ऐसे समय में जब कुछ राजनीतिक शक्तियां और उनके रणबाकुरे चुनावी वैतरणी पार करने के लिए लाशों की फ़सल काटने के लिए ज़मीन की तलाश में हैं फूलपुर कोतवाली का यह रवैया गांव ही नहीं पूरे क्षेत्र के लिए भयानक त्रासदी का कारण बन सकता है। इसलिए मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, और पुलिस के आला अफ़सरों से गुज़ारिश है कि वे इस मामले की संवेदनशीलता को समझें और पुलिस की हैवानियत पर तुरंत रोक लगायें।

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