Connect with us

Hi, what are you looking for?

मीडिया मंथन

ये चैनल इंडस्ट्री एक भट्ठी है जिसमें हम ईंधन

[caption id="attachment_2267" align="alignleft"]राजेश बादलराजेश बादल[/caption]अशोक उपाध्याय का अचानक जाना एक फांस की तरह चुभ रहा है। मेरे साथ उनका रिश्ता छोटे भाई की तरह था। तकलीफों को पी जाना, ज्यादा तनाव हो तो अपने में डूब जाना उसकी आदत थी। लेकिन अशोक का चेहरा साफ बोलता था कि कुछ बात तो है। मेरे कुछ दिन वीओआई में बीते हैं। जब वहां मैने एसोसिएट ग्रुप एडीटर के तौर पर चैनल की जिम्मेदारी सम्हाली तो अशोक शिफ्ट इंचार्ज थे, रात पाली के। रात पाली लंबे समय तक सेहत के लिये ठीक नहीं होती। पहले मुझे लगा, अशोक रात पाली में सुविधा महसूस करते होंगे। लेकिन काफी दिन तक वो रात में ही आते रहे तो मैने उन्हें एक दिन बुलाया। कहा, तुम्हारी दिन की शिफ्ट हो रही है। चालीस प्लस होने के बाद सेहत पर भी ध्यान दिया करो। अशोक मुस्करा दिये। बोले कि रात में दिन के लिये काफी काम रहता है। वो जरूरी भी होता है। मैने बात नहीं मानी। उन्होंने दिन में आना शुरू कर दिया। दो दिन में ही मैंने पाया कि रात का आउटपुट आधा रह गया है। तो, चैनल के लिये अशोक का डेडीकेशन अदभुत था। मगर मैं तो उनकी प्रतिभा का व्यापक इस्तेमाल करना चाहता था।

राजेश बादल

राजेश बादलअशोक उपाध्याय का अचानक जाना एक फांस की तरह चुभ रहा है। मेरे साथ उनका रिश्ता छोटे भाई की तरह था। तकलीफों को पी जाना, ज्यादा तनाव हो तो अपने में डूब जाना उसकी आदत थी। लेकिन अशोक का चेहरा साफ बोलता था कि कुछ बात तो है। मेरे कुछ दिन वीओआई में बीते हैं। जब वहां मैने एसोसिएट ग्रुप एडीटर के तौर पर चैनल की जिम्मेदारी सम्हाली तो अशोक शिफ्ट इंचार्ज थे, रात पाली के। रात पाली लंबे समय तक सेहत के लिये ठीक नहीं होती। पहले मुझे लगा, अशोक रात पाली में सुविधा महसूस करते होंगे। लेकिन काफी दिन तक वो रात में ही आते रहे तो मैने उन्हें एक दिन बुलाया। कहा, तुम्हारी दिन की शिफ्ट हो रही है। चालीस प्लस होने के बाद सेहत पर भी ध्यान दिया करो। अशोक मुस्करा दिये। बोले कि रात में दिन के लिये काफी काम रहता है। वो जरूरी भी होता है। मैने बात नहीं मानी। उन्होंने दिन में आना शुरू कर दिया। दो दिन में ही मैंने पाया कि रात का आउटपुट आधा रह गया है। तो, चैनल के लिये अशोक का डेडीकेशन अदभुत था। मगर मैं तो उनकी प्रतिभा का व्यापक इस्तेमाल करना चाहता था।

मैंने कहा कि तुम्हारी आवाज रौबदार है। कुछ खबरों के वाइस ओवर से ही तुम खुश हो? मैने उन्हें विशेष-स्पेशल न्यूज प्रोग्राम की एंकरिंग और उसकी सारी जिम्मेदारी दी। अशोक की एंकरिग ने विशेष में चार चांद लगा दिये। मैं हार्ड कोर न्यूज़ के लिये ऐसी ही आवाज और एंकरिंग चाहता था। उन दिनों सारी टीम की बदौलत टीआरपी 3.7 तक जा पहुंची थी। अशोक को भी काफी मजा आ रहा था। अशोक एक हीरा इंसान था। जितना अच्छा जर्नलिस्ट, उससे कई गुना अच्छा और सेंसटिव इंसान। इन्हीं दिनों हालात ने करवट ली। वीओआई को नजर लग गयी। वैचारिक मतभेद के चलते मैंने वीओआई से मुक्ति ले ली। जिस दिन मैं अपने केबिन में बैठा कागज समेट रहा था, अशोक आए अपना इस्तीफा लेकर। बोले, मैं यहां रहकर क्या करुंगा। मैंने उन्हें मनाया। अशोक ने इस वादे पर इस्तीफा वापस लिया कि मेरी नई टीम में शामिल होने वाले वो पहले जर्नलिस्ट होंगे। अफसोस, नई टीम बनाने से पहले ही अशोक खामोशी से अपने अंतिम सफर पर चले गये। ये चैनल इंडस्ट्री एक भट्ठी है जिसमें हम ईंधन की तरह जलते हैं। हम जल जाते हैं पर भट्ठी का पेट नहीं भरता।

कुछ साल पहले मैंने चैनल की जिंदगी पर एक कविता लिखी थी। अशोक के जाने के बाद याद आ रही है….

ये हैं भट्ठी, हम हैं ईंधन, बाकी सब कुछ जन, गण, मन

काम किये जा, काम किये जा ओर फूंक दें तन, मन, धन

न कुछ तेरा, न कुछ मेरा, बीवी बच्चे जन, गण, मन

काम करो तो पीठ पर लादो, नहीं करे तो सर पर बिठा दो

क्योंकि चैनल दौड़ रहा है, इसलिए सब जन, गण, मन

अंत सभी का ऐक सरीखा, एसपी हो या फिर हो रंजन।

लेखक राजेश बादल टीवी व प्रिंट मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

मेरी भी सुनो

अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने के लिए पहले रेडियो, अखबार और टीवी एक बड़ा माध्यम था। फिर इंटरनेट आया और धीरे-धीरे उसने जबर्दस्त लोकप्रियता...

साहित्य जगत

पूरी सभा स्‍तब्‍ध। मामला ही ऐसा था। शास्‍त्रार्थ के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी प्रश्‍नकर्ता के साथ ऐसा अपमानजनक व्‍यवहार...

मेरी भी सुनो

सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने घटिया खाने और असुविधाओं का मुद्दा तो उठाया ही, मीडिया की अकर्मण्यता पर भी निशाना...

समाज-सरोकार

रूपेश कुमार सिंहस्वतंत्र पत्रकार झारखंड के बोकारो जिला स्थित बोकारो इस्पात संयंत्र भारत के सार्वजनिक क्षेत्र का इस्पात संयंत्र है। यह संयंत्र भारत के...

Advertisement