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लोकतंत्र बचाए रखने को आजमगढ़ की शहादत

आतंकवाद के नाम पर फर्जी तरीके से समुदाय विशेष से युवाओं के गिरफ्तारी और एनकाउन्टर करनी वाली सत्ता के खिलाफ नई पीढी ने निर्भीकता से मोर्चा संभाला. कई खबरे, रिपोर्टें और तस्वीरों के माध्यम से सरकारी प्रचार की कलई खोली. चर्चित बटला हाउस मुठभेड़ कांड में आजमगढ़ के युवकों की हत्या के बाद से वहां मुस्लिम समुदाय में एक उबल देखा गया. इस बीच इस समुदाय से भी उलेमा काउंसिल बना कुछ लोगों ने इसे हिन्दू बनाम मुस्लिम मुद्दा बना साम्प्रदायिक रूप देने की कोशिश की. तमाम दमनात्मक कार्यवाहिओं के बाद यह उस समुदाय की एक प्रतिक्रिया थी. १९ सितम्बर को बटला हाउस मुठभेड़ कांड के एक वर्ष पूरे होने जा रहे हैं. इससे पहले पढिये एक और खोजपूर्ण रिपोर्ट –

<p><em>आतंकवाद के नाम पर फर्जी तरीके से समुदाय विशेष से युवाओं के गिरफ्तारी और एनकाउन्टर करनी वाली सत्ता के खिलाफ नई पीढी ने निर्भीकता से मोर्चा संभाला. कई खबरे, रिपोर्टें और तस्वीरों के माध्यम से सरकारी प्रचार की कलई खोली. चर्चित बटला हाउस मुठभेड़ कांड में आजमगढ़ के युवकों की हत्या के बाद से वहां मुस्लिम समुदाय में एक उबल देखा गया. इस बीच इस समुदाय से भी उलेमा काउंसिल बना कुछ लोगों ने इसे हिन्दू बनाम मुस्लिम मुद्दा बना साम्प्रदायिक रूप देने की कोशिश की. तमाम दमनात्मक कार्यवाहिओं के बाद यह उस समुदाय की एक प्रतिक्रिया थी. १९ सितम्बर को बटला हाउस मुठभेड़ कांड के एक वर्ष पूरे होने जा रहे हैं. इससे पहले पढिये एक और खोजपूर्ण रिपोर्ट -</em></p>

आतंकवाद के नाम पर फर्जी तरीके से समुदाय विशेष से युवाओं के गिरफ्तारी और एनकाउन्टर करनी वाली सत्ता के खिलाफ नई पीढी ने निर्भीकता से मोर्चा संभाला. कई खबरे, रिपोर्टें और तस्वीरों के माध्यम से सरकारी प्रचार की कलई खोली. चर्चित बटला हाउस मुठभेड़ कांड में आजमगढ़ के युवकों की हत्या के बाद से वहां मुस्लिम समुदाय में एक उबल देखा गया. इस बीच इस समुदाय से भी उलेमा काउंसिल बना कुछ लोगों ने इसे हिन्दू बनाम मुस्लिम मुद्दा बना साम्प्रदायिक रूप देने की कोशिश की. तमाम दमनात्मक कार्यवाहिओं के बाद यह उस समुदाय की एक प्रतिक्रिया थी. १९ सितम्बर को बटला हाउस मुठभेड़ कांड के एक वर्ष पूरे होने जा रहे हैं. इससे पहले पढिये एक और खोजपूर्ण रिपोर्ट –

13 सितंबर 08 को दिल्ली बम धमाकों में आजमगढ़ के लोगों का नाम आने के बाद पूरे जिले में दहशत का माहौल हो गया। मीडिया द्वारा आ रही खबरों और बिना नंबर प्लेट की गाड़ियों में घूम रहे सादी वर्दी के एसटीएफ वालों ने ऐसे कई नाम लिए जिनको 19 सितंबर को हुए बाटला हाउस फर्जी एनकाउंटर के बाद भुला दिया गया। दिल्ली स्पेशल सेल ने इस एनकाउंटर में आजमगढ़ के साजिद और आतिफ अमीन को मुठभेड़ में मारने का दावा किया। इस कार्यवाई में मोहन चंद्र शर्मा की मौत और एक अन्य पुलिस कर्मी को गोली लगने की जानकारी पुलिस ने दी। 22 वर्षीय आतिफ अमीन पुत्र मो0 अमीन जामिया मीलिया में हयूमन रिसोर्स डैवलपमेंट में रिसर्च कर रहा था। वह कई सालों से दिल्ली में रह रहा था। संकट मोचन, गोरखपुर, अयोध्या, यूपी के कचहरीयों, अहमदाबाद, दिल्ली और जयपुर के धमाकों का उसे आरोपी बताया गया। पुलिस ने बताया की आतिफ इंडियन मुजाहिद्दीन के ही घटक गजनवी ब्रिगेड, जिसे बम धमाकों की जिम्मेदारी सौपी गई थी, का प्रमुख था।

संजरपुर के लोगांे को मीडिया से मालूम हुआ कि आतिफ और साजिद की हत्या और सैफ को गिरफ्तार किया गया है। आतिफ मूल रुप से संजरपुर का रहने वाला था लेकिन सरायमीर में उसके पिता ने कई साल पहले घर बनवा लिया था जहां उसका पूरा परिवार शिफ्ट हो गया था। गाव वालों के मुताबिक वह एक अच्छा एथलीट था और दिल्ली रहने के बावजूद गांव आया-जाया करता था। वहीं दूसरी ओर साजिद पुत्र डा0. अंसारुल हस्सान पहली बार आजमगढ़ से तीन महीने पहले जामिया में प्रवेश के लिए गया था पर प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण न कर पाने के कारण वह वापस आजमगढ़ लौट आया था। लेकिन महीने भर बाद ही वह फिर दिल्ली जाकर कम्प्यूटर और अग्रेंजी स्पीकिंग का कोर्स करने लगा। जिसको एक महीने बाद ही पुलिस ने बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ में मार दिया। जिस पर तमाम मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाया। और अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी दिल्ली पुलिस को इस फर्जी मुठभंेड़ पर क्लीन चिट देकर अपनी प्रासंेगिकता और विश्वसनियता पर खुद प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार इस मुठभेड़ में आतिफ और साजिद को गाली लगी जिससे उनकी मौत हो गयी और मोहन चंद्र शर्मा और बलवंत सिंह को भी गोली लगी। मोहन चंद्र शर्मा को और दूसरे पुलिस कर्मी को अस्पताल ले जाया गया जहां देर शाम मोहन चंद्र शर्मा की मौत हो गयी।

जिशान पुत्र प्रो. एहसान भी इन लोगों के साथ रहता था और उस दिन परीक्षा देने गया था। जिशान को लौट के आने के बाद जब पता चला कि साजिद और आतिफ को पुलिस ने मार दिया है तो उसने अपने पिता प्रो0 एहसान को फोन किया। प्रो0 एहसान बताते हैं कि मैंने उससे तुरंत कहा कि तुम सरेंडर कर दो और उसने आज तक के आफिस जाकर सरेंडीर किया पर बाद में पुलिस वालों ने उसे भी गिरफतार करने का दावा किया। 21 सितंबर को साकिब निसार, जियाउर्रहमान और शकील को भी गिरफ्तार कर लिया गया। बाटला हाउस फर्जी एनकाउंटर के बाद पुलिस ने आजमगढ़ के दर्जनों युवकों का नाम देश में हुए बम धमाकों से जोड़ते हुए आरोपी बताया। इनकी गिरफतारियों के लिए पुलिस ने जगह-जगह छापे मारी की। 22 सितंबर 08 को साढे़ छह बजे के तकरीबन संजरपुर में छापेमारी शुरु की। पुलिस ने आरिफ, खालिद, सलमान, साजिद बड़ा, डा0 शाहनवाज जो बाटला हाउस से पकड़े गए सैफ के भाई हैं के घरों पर छापा डाला। छापे मारी के दौरान पुलिस का रवैया आपराधिक और सांप्रदायिक था। इसी छापे मारी ही नहीं बल्कि अनेक गिरफ्तारियों में देखा गया एसटीएफ के सिपाही बिना वर्दी के और बिना नंबर प्लेट की गाड़ियों से आते थे। छापे-मारी में महिलाओं के साथ अभद्रता और कुरान जैसे धार्मिक पुस्तकों फाड़ना फेकना और यह कहना कि इसी को पढ़ तुम्हारे बच्चे आतंकवादी बनते हैं आम बात हो गयी थी। एसटीएफ की बिना नंबर प्लेट की गाड़ियों और उसमें भारी मात्रा में असलहे और रस्सों की जब जानकारी स्थानीय थानाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह को दी गयी तो उन्होंने कहा कि वो जो कर रहे हैं सही कर रहे हैं और ऐसा ही करना चाहिए। इसकी सूचना डीएम, एसपी, डीआईजी तक को दी गयी लेकिन इन लोगों ने भी कोई कायवाई का न आश्वासन दिया और न ही कोई एक्शन लिया और बल्कि इन बिना वर्दीधारी एसटीएफ वालों को ही संरक्षण दिया।

बाटला हाउस के बाद सभी प्रदेशों की पुलिस ने इसका श्रेय लेने की होड़ में कई नाम लिए। मुबई पुलिस कई साल पहले के बाम्बे ट्रेन ब्लास्ट के कई आरोपियों का नाम 24 सितंबर को लेना शुरु किया और इनको गिरफ्तार करने का दावा किया। जिनमें आरिफ बदर, सादिक शेख जाकिर शेख और अफजल उस्मानी को जो मऊ का रहने वाला था को गिरफ्तार किया। जिनमें आरिफ बदर को दिल्ली और अहमदाबाद विस्फोटों में भी दिखा दिया गया। वहीं जाकिर शेख को संकट मोचन और उत्तर प्रदेश की कचहरियों में हुए धमाकों का आरोपी बताया गया। यहां गौर करने की बात है कि कई घटनाओं में चार्ज शीट और सजा होने के बाद बाटला हाउस प्रकरण में पकड़े गए लोगों पर पुनः आरोप लगाया गया। ऐसा करने से एक-एक वयक्ति पर पचास-पचास मुकदमें दर्ज हैं। इन पकडे़ गये नौजवानों की औसत आयु 22-23 वर्ष के आस-पास हैं जिसमें अधिकांश उच्चशिक्षा में अध्यनरत थे या फिर कोई तकनीकी काम करते थे।

‘गायब’ होने वालों में अबू राशिद भी हैं जो संजरपुर के ही हैं और मुंबई में आप्टीशियन की दुकान पर काम करता है। उसकी तलाश में पुलिस उसके घर गयी। लेकिन उस दौरान अबू राशिद अपने पैतृक गांव संजरपुर आए हुए थे इसलिए पुलिस ने उनके भाई अबू तालिब और उनके चाचा से ही पूछताछ की। पुलिस ने उन पर दबाव बनाया कि वो अपने भाई को बिना यूपी की पुलिस और किसी अन्य को बताए मुबंई बुला ले। 23 सितंबर को मीडिया वालों की मौजूदगी जिसमें आज तक भी था के सामने अबू राशिद ने बताया कि उसके भाई और परिवार वालों को मुबई पुलिस परेशान कर दबाव डाल रही है कि वो मुझे मुंबई बुला लें इसलिए मैं जा रहा हूं। इसके बाद अबू राशिद ने घर बताया कि वह वाराणसी जाकर गाड़ी पकड़ेगा मुंगई के लिए। उसके बाद से अबू राशिद का पता नहीं चला। अबू राशिद के मुंबई न पहुंचने पर पुलिस ने उसके भाई अबू तालिब को आजमगढ़ ले आयी। अब अबू तालिब अपना करोबार छोड़ डर व दरहशत में मुंबई नहीं जा रहे हैं। गांव वाले व परिवार वालों का मानना है कि जिस पुलिस ने उनके घरों पर पहरा डाल दिया है उसी ने उसे उठा लिया है और कभी भी किसी घटना में गिरफतार करने का मार गिराने का दावा करेगी। क्योंकि अगर अबू राशिद को भागना होता तो वह मीडिया वालों के सामने क्यों आता चोरी से भाग जाता। आजमगढ़ में ऐसे दर्जनों अबू राशिद हैं जिनमें कुछ को तो मानवाधिकार संगठनों व आम नागरिकों की सक्रियता के चलते चिन्हित कर लिया गया है जो पुलिस की गैर कानूनी हिरासत में हैं जिन्हें कभी भी कहीं भी दिखाया जा सकता है। लेकिन डर व दहशत के माहौल में कई लोगों ने अपनों के गायब होने की जानकारी देने से बचते हैं। हम यहां आजमगढ़ में अब तक कितने गिरफ्तार, कितने गायब और कितने पुलिस की गोली के शिकार हुए की एक सूची जारी कर रहे हैं।

पुलिस की गोली के शिकार (2)

  1. आतिफ अमीन पुत्र मो0 अमीन, ग्राम संजरपुर दिल्ली, 52 मुकदमें, अहमदाबाद, जयपुर, बनारस संकटमोचन, यूपी कचहरी ब्लास्ट
  2. साजिद पुत्र डा0 अनसारुल हस्सान, ग्राम संजरपुर, 52 मुकदमें, अहमदाबाद, जयपुर, बनारस संकटमोचन, यूपी कचहरी ब्लास्ट

गिरफ्तार किए गए (16)

  1. हकीम तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद, ग्राम सम्मोपुर, यूपी कचहरी धमाकों का आरोप
  2. अबुल बसर पुत्र अबू बकर, ग्राम बीनापारा, अहमदाबाद 19 धमाके, एक गांधी नगर, 15 सूरत में जो बम पकडे़ गए उसमें
  3. सरवर पुत्र मो हनीफ, ग्राम चादपटटी, 8 मुकदमें जयपुर
  4. सैफउर्रहमान पुत्र अब्दुल रहमान, शहर आजमगढ, आरोप-  अहमदाबाद, जयपुर धमाकों का
  5. मो. सैफ पुत्र शादाब अहमद ग्राम संजरपुर, 52 मुकदमें -दिल्ली, जयपुर, अहमदाबद, कर्नाटका में संभावित
  6. आरिफ पुत्र मिर्जा नशीम अहमद, ग्राम संजरपुर, 36 मुकदमें- लखनऊ, अहमदाबद
  7. साकिब निसार पुत्र निशार अहमद पूरा परिवार दिल्ली में रहने लगा है मुकदमें दिल्ली, अहमदाबाद
  8. हाकिम पुत्र अब्दूल करीम, रहमत नगर, मुकदमें 9-दिल्ली 9-जीशान पुत्र प्रो. एहसान, मुकदमें 35- दिल्ली, अहमदाबाद
  9. सादिक हुसैन पुत्र मो. अमीन अंसारी, ग्राम पुराबाग मुबारकपुर, आरोप मुबई से आजमगढ़ के लिए हथियार लाने का
  10. खलीलुर्रहमान पुत्र मतीउलला, ग्राम नया पुरा मुबारकपुर,आरोप मुबई से आजमगढ़ के लिए हथियार लाने का
  11. मासूम रज़ा पुत्र रियाजुल हसन,ग्राम पुरा रानी मुबारकपुर,आरोप मुबई से आजमगढ़ के लिए हथियार लाने का
  12. नजरे आलम पुत्र जफर आलम मपुरारानी,आरोप मुबई से आजमगढ़ के लिए हथियार लाने का
  13. आरिफ बदर पुत्र बदरुददृीन,ग्राम इसरौली आजमगढ़, अहमदाबाद, दिल्ली मुबई टेन सीरियल ब्लास्ट
  14. सादिक शेख पुत्र इसरार अहमद, मुंबई टेªन ब्लास्ट, अहमदाबाद, यूपी संकटमोचन, कलत्ता अमेरिकन सेंटर पर आतंकवादी हमले में शामिल
  15. जाकिर शेख, ग्राम कवरा गहनी सरायमीर, अहमदाबाद, बाम्बे सीरियल ब्लास्ट
  16. अफजल उस्मान, ग्राम ढैलही फिरोजपुर, बाम्बे सीरियल ब्लास्ट, अहमदाबाद

‘गायब’(11)

  1. डा. शाहनवाज पुत्र शादाब अहमद, ग्राम संजरपुर, दिल्ली, अहमदाबाद, बाम्बे सीरियल ब्लास्ट
  2. साजिद बड़ा पुत्र कुरैश अहमद, ग्राम संजरपुर, 52 मुुकदमें-दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर
  3. खालिद पुत्र सगीर अहमद, ग्राम संजरपुर, 52 मुकदमें-जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली
  4. सलमान पुत्र सकील अहमद, ग्राम संजरपुर, 52 मुकदमें-दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद
  5. अबू राशिद पुत्र एकलाक अहमद, ग्राम संजरपुर, बांबे सीरियल ब्लास्ट
  6. मो0 आरिज पुत्र जफर आलम, शहर आजमगढ,़ दिल्ली,अहमदाबाद, जयपुर और बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान पुलिस पर फायरिंग करते हुए भाग गए।
  7. मिर्जा शादाब बेग पुत्र मिर्जा एहतेशाम, शहर आजमगढ़ 52 मुकदमें-दिल्ली, अहमदाबद, जयपुर
  8. शहजाद पुत्र शेराज, आजमगढ़, दिल्ली धमाके और बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान पुलिस पर फायरिंग करते हुए भाग गए।
  9. असदउल्ला अख्तर पुत्र डा0 जावेद, मोहल्ला गुलामी का पुरा,दिल्ली धमाकों का आरोप
  10. हबीब फलाही पुत्र अबुल जैश, ग्रामबारी खास, आरोप अहमदाबाद धमाकों का
  11. वासिक मीयर, ग्राम फरिहां, आरोप अहमदाबाद धमाकों का

लेखक- राजीव यादव : संपर्क- [email protected]
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