जंतर-मंतर पर आदिवासी अधिकार मंच का हुआ धरना, लिए गए राजनीतिक प्रस्ताव, योगेन्द्र यादव, वृंदा करात, अखिलेन्द्र हुए धरने में शामिल, पूरे उ0 प्र0 से जुटे आदिवासी
नई दिल्ली, 9 नवम्बर 2016, मोदी सरकार ने उ0 प्र0 के आदिवासी समाज के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए लम्बित विधेयक संसद
में वापस लेकर उन्हें चुनाव लड़ने तक के लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित कर दिया है। इसलिए केन्द्र सरकार तत्काल प्रभाव से अध्यादेश
लाकर उ0 प्र0 की दुद्धी व ओबरा विधानसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित करें। यह मांग आज जंतर-मंतर पर आल इण्ड़िया
पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) समर्थित आदिवासी अधिकार मंच की तरफ से आयोजित धरने व आमसभा में उठी। धरने व आमसभा का
नेतृत्व उ0 प्र0 सरकार के पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड़ ने और संचालन आइपीएफ के उ0 प्र0 के महासचिव दिनकर कपूर ने किया। धरने
व आमसभा में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, स्वराज इण्ड़िया के राष्ट्रीय अध्यक्ष
योगेन्द्र यादव, सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य का0 वृंदा करात, पूर्व आईजी व आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस0 आर0 दारापुरी
समेत जनवादी आंदोलन के तमाम नेता शामिल हुए। धरने में पूरे उत्तर प्रदेश से आदिवासी, किसान और मजदूरों ने हजारों की संख्या
में हिस्सा लिया।
धरने में लिए राजनीतिक प्रस्तावों में सरकार से मांग की गयी कि उ0 प्र0 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्काल प्रभाव से
अध्यादेश लाकर दुद्धी व ओबरा विधानसभा सीट आदिवासी समाज के लिए आरक्षित की जाए और सम्पूर्ण उ0 प्र0 में सभी आदिवासियों
को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए तथा वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों और वनाश्रितों को जमीन पर अधिकार मिलें।
धरने में लिए प्रस्ताव में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर के सवाल को हल करने में मोदी सरकार पूरी तौर पर विफल हुई है। अपनी
दमनात्मक नीतियों पर पुनर्विचार करने की जगह केंद्र सरकार देश भर में उन्माद पैदा करने की कोशिश कर रही है। धरने द्वारा जम्मू-
कश्मीर की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान करने, आफ्स्पा (एएफपीएसए) जैसे काले कानून को वापस करने और फर्जी
मुठभेडों़ में मारे गये लोगों को मुआवजा देने और जम्मू-कश्मीर में न्याय व कानून के शासन को स्थापित करने की मांग की गयी।
प्रस्ताव में कहा गया कि मोदी सरकार ने देश में लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। लोकतांत्रिक अधिकारों पर चैतरफा हमले
हो रहे हैं। असहमति और विरोध की हर आवाज को बलपूर्वक दबा देने तथा अभिव्यक्ति की आजादी को छीन लेने की कोशिश हो रही है।
धरने द्वारा सरकार से कानून के राज का सम्मान करने और संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले बंद करने की मांग की गयी।
धरने में रोजगार के अधिकार पर लिए प्रस्ताव में कहा गया कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाए। हर नौजवान के गरिमामय
रोजगार और ठेका/संविदा श्रमिकों के सम्मानजनक जीवन के लिए जीविकोपार्जन लायक वेतन व उनका नियमितीकरण की गारण्टी की
जाये।
धरने को पूर्व सांसद राम निहोर राकेश, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनीता राकेश, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष
लाल बहादुर सिंह, अखिल भारतीय गोंड़ महासभा के अध्यक्ष राजेश गोंड़, गोंड़वाना स्टूडेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविन्द गोंड, रामजी
गोंड़, मुनीजा खान, नसीम खान, मुक्ति तिर्की, राजमंगल गोंड़, अजीत सिंह यादव, राजेश सचान, मनोज शाह, विजय सिंह मरकाम,
सुरेन्द्र पाल, रवि कूुमार गोंड़, अंजनी पटेल, परमेश्वर कोल, अरूण गोंड़ आदि ने सम्बोधित किया। धरने के बाद पांच सदस्यी
प्रतिनिधिमण्ड़ल ने प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर मांगपत्र दिया।
भवदीय
दिनकर कपूर
संयोजक, आदिवासी अधिकार मंच
प्रदेश महासचिव, आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ), उ0 प्र0।