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मीडिया मंथन

विदेशी चैनल की डाक्यूमेंट्री देखकर रोंगटे खड़े हो गए

26/11 की कहानी, विदेशियों की ज़ुबानी : क्या आपने कभी 26/11 के हमले को अंजाम देने वाले आंतकियों में से एकमात्र ज़िंदा आंतकी अजमल आमिर कसाब के बयान की ओरिजनल फुटेज देखी है? भारतीय टीवी चैनल्स पर तो नहीं देखी होगी, क्योंकि भारतीय टीवी चैनल्स को ये मुहैया ही नहीं करवाई गई। इसकी वजह भी साफ है ये संवेदनशील मसला है और इससे जुड़ी हर बात ज़रुरी नहीं की मीडिया से शेयर की जाए। लेकिन जो बात यहां नहीं बताई गई वो विदेशी चैनलों को मालूम है। सुरक्षा कारणों से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ताज और ओबेराय के सीसीटीवी की सीमित फुटेज भारतीय मीडिया को मुहैया कराई और कसाब के बयान के बारे में भी मौखिक जानकारियां पत्रकार वार्ताओं के दौरान दी गईं। सैटेलाईट फोन के ज़रिए ये आंतकी अपने आकाओं से किस क़िस्म की बात कर रहे थे इसके बारे में भी बहुत ज़्यादा जानकारियां बाहर नहीं आईं। हमने भी 26/11 पर लगातार कवरेज किया लेकिन इन्हीं सीमित जानकारियों के साथ और ये मानकर भी की ये सुरक्षा का मसला है इससे ज़्यादा जानकारियां दिखाई भी नहीं जानी चाहिए। लेकिन इस हमले के लगभग एक साल गुज़र जाने के बाद भी एक विदेशी चैनल की डाक्यूमैंट्री देखकर मेरे रौंगटे खड़े हो गए।

डा. प्रवीण तिवारी

26/11 की कहानी, विदेशियों की ज़ुबानी : क्या आपने कभी 26/11 के हमले को अंजाम देने वाले आंतकियों में से एकमात्र ज़िंदा आंतकी अजमल आमिर कसाब के बयान की ओरिजनल फुटेज देखी है? भारतीय टीवी चैनल्स पर तो नहीं देखी होगी, क्योंकि भारतीय टीवी चैनल्स को ये मुहैया ही नहीं करवाई गई। इसकी वजह भी साफ है ये संवेदनशील मसला है और इससे जुड़ी हर बात ज़रुरी नहीं की मीडिया से शेयर की जाए। लेकिन जो बात यहां नहीं बताई गई वो विदेशी चैनलों को मालूम है। सुरक्षा कारणों से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ताज और ओबेराय के सीसीटीवी की सीमित फुटेज भारतीय मीडिया को मुहैया कराई और कसाब के बयान के बारे में भी मौखिक जानकारियां पत्रकार वार्ताओं के दौरान दी गईं। सैटेलाईट फोन के ज़रिए ये आंतकी अपने आकाओं से किस क़िस्म की बात कर रहे थे इसके बारे में भी बहुत ज़्यादा जानकारियां बाहर नहीं आईं। हमने भी 26/11 पर लगातार कवरेज किया लेकिन इन्हीं सीमित जानकारियों के साथ और ये मानकर भी की ये सुरक्षा का मसला है इससे ज़्यादा जानकारियां दिखाई भी नहीं जानी चाहिए। लेकिन इस हमले के लगभग एक साल गुज़र जाने के बाद भी एक विदेशी चैनल की डाक्यूमैंट्री देखकर मेरे रौंगटे खड़े हो गए।

ये फ़िल्म 26/11 को ऑन एयर की जाएगी लेकिन एक दोस्त की मदद से इसकी एक्सक्लूसिव तस्वीरें देखने को मिलीं। मैंने पहली बार कसाब को बोलते हुए सुना और आश्चर्य हुआ ये जानकर कि ये लोग दिमाग़ी तौर पर कितने दीवालिया थे। बल्कि ऐसे ही लोगों को छांटा जाता है जो पहले से दिमाग़ी तौर पर कमज़ोर हों और जिनका ब्रेन वॉश आसानी से किया जा सके। कसाब बार-बार यही कह रहा था कि उन्हे जन्नत जाना था और जिन्होंने उन्हे यहां भेजा है वो खुद भी ये सब कर चुके हैं। मज़हब को बचाने के लिए उन्होंने ये सब किया। यहां पर भेजे जाने का मकसद सिर्फ और सिर्फ लोगों को बेरहमी से मारना था और पूरी दुनिया को दहशत का पैगाम पहुंचाना था।

कसाब के साथ पूछताछ के अलावा सैटेलाईट फोन के ज़रिए पाकिस्तान में इन आतंकियों की आख़िरी दम तक चलने वाली पूरी बातचीत भी रौंगटे खड़ी करने वाली है। आतंकी कुबेर बोट को काबू में करने से लेकर दो-दो की टुकड़ियों में पांच जगह रवाना होने तक लगातार अपने आकाओं को अपडेट करते रहे। यहां तक की जिन लोगों को इत्मिनान से मारा गया, यानी अंधाधुंध फायरिंग के अलावा ताज, ट्राइडेंट और नरीमन हॉउस में मारे गए लोगों के बारे में आदेश वहीं से आए। सबसे ज़्यादा सनसनीख़ेज़ वाक्या तब पेश आया जब नरीमन हॉउस में बंधक बनाए गए परिवार को मारने के लिए कहा गया और आतंकी ने थके होने की वजह से कुछ समय की मांग की। थोड़ी देर बात आकाओं का फोन फिर आया उनका मकसद था कसाब को छुड़वाना इसमें कामयाबी नहीं मिलती देख उन्होंने बाकायदा इस दंपती को कैसे मारना है ये तक पाकिस्तान से बैठे बैठे बताया। उन्होंने कहा इनका मुंह दीवार की तरफ करके गोली दागो, फोन ऑन है मैं सुन रहा हूं। गोली चलने की एक आवाज़ आती है, पाकिस्तानी आका कहता है अब दूसरे को मारो और आंतकी कहता है एक से ही दोनों का काम हो गया है। इस तरह की सनसनीख़ेज़ बातचीत इन दस के दस आतंकियों से लगातार होती रही।

पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं ने किस तरह भारतीय चैनल्स पर दिखाई जा रही लाइव तस्वीरों का इस्तेमाल किया इसे भी इस डाक्यूमेंट्री मे दिखाया गया है। खासतौर पर ताज में मौजूद आतंकियों से उनके पाकिस्तानी आका लगातार कह रहे थे सारी दुनिया की नज़र तुम पर है सारे चैनल्स ताज को तवज्जों दे रहे हैं, जब तक आग नहीं लगाओगे बात नहीं बनेगी। अल्कोहल और कालीन का इस्तेमाल करके जितनी बड़ी तादाद में आग लगा सकते हो लगाओ। आग से तस्वीरे और खौफनाक होंगी और दहशत पैदा करेंगी। इन आतंकियों ने ऐसा ही किया भी। नरीमन हॉउस में एनएसजी कमांडोज़ की कार्यवाई का लाइव ब्योरा जो कई भारतीय चैनलों ने दिखाया उसका अपडेट आतंकियों के आका उन्हें देते रहे। चाहे वो हेलिकॉप्टर का हॉउस के ऊपर आना हो या कंमाडोज़ का छत पर उतरना हो। ये आका बार-बार इस बात पर ज़ोर दे रहे थे कि ये आतंकी किसी भी सूरत में ज़िंदा न पकड़े जाए उन्हे ये बता कर भेजा गया था की जन्नत में हूरें उनका इंतज़ार कर रही हैं और मौत ही उनकी ज़िंदगी का मक़सद है। जब इन आंतकियों का हौंसला टूट रहा था तब उनके आका उन्हे बाहर निकलकर गोली बारी करने को कह रहे थे। उनका कहना था ये लोग थका कर तुम्हें ज़िंदा पकड़ना चाहते है लेकिन किसी हालत में तुम इनके हाथ मत आना।

कसाब ने भी अपनी पूछताछ में यहीं बताया है कि जुम्मे के दिन तक पूरी दुनिया को दहशत में रखने के बाद मौत ही उनका आख़िरी मक़सद थी। सैटेलाइट फोन पर आखिरी बातचीत ताज में मौजूद फयतुल्ला से हुई वो कह रहा था जनाब मुझे दो गोलियां लगी है, मेरे लिए दुआ करें, मुझे जन्नत मिले, मैंने मजहब के लिए काम किया है, मेरे लिए दुआ करें………. इस पागल हैवान के आका पूछ रहे थे गोली कहा लगी है…. जिंदा पकड़ में मत आना…. जन्नत ज़रुर मिलेगी। उनका मकसद था इस दहशत को फैलाकर इन लोगों का मर जाना क्योंकि जिस तरह कसाब अंतराष्ट्रीय समुदाय के सामने भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ एक पुख्ता सबूत है उसी तरह अगर एक दो आतंकी और ज़िंदा पकड़ लिए जाते तो इन सबूतों को और मज़बूती मिलती।

फयतुल्ला का फोन ऑन रखने के लिए कहकर उसके आका गोलीबारी की आवाज़ों को सुनते रहे और जब उसने जवाब देना बंद कर दिया तब उन्होंने फोन डिसकनेक्ट किया यानि वो मर गया है इस बात की तसल्ली हो जाने के बाद ही उन्होंने सुकून की सांस ली। ये पूरी बातचीत ये भी बताती है की ये दस आतंकी कुछ भी नहीं थे महज़ कठपुतलियां थे और इनकी डोर पाकिस्तान में बैठे इनके आका सैटेलाइट फोन के ज़रिए खींच रहे थे।

इन फुटेज और बातचीत को देखकर आतंक से नफरत करने वाले किसी भी शख्स को इस आतंकी हमले के पीछे मास्टर माइंड्स की भूमिका के बारे में और जानकारी मिलती है। साथ ही साथ मज़हब के नाम पर किस तरह युवाओं का ब्रेन वॉश कर उनसे घिनौना काम करवाया जाता है ये भी साफ होता है। ये तस्वीरें ऐसे युवाओं को भी चेताती है जिन पर इन पाकिस्तानी आकाओं की नज़र होती है। ख़ैर ये तो इनकी हक़ीक़त थी लेकिन एक भारतीय मीडियाकर्मी होने के नाते मुझे खेद इस बात का है की इस तरह की कोई बातचीत या फुटेज हमें मुहैया नहीं कराई गईँ। वैसे ये विदेशी चैनलों को भी मुहैया नहीं करवाई गईं थी, लेकिन भारतीय जांच एंजेसियों ने जो फुटेज और बातचीत एफबीआई को मुहैया करवाई वो इन विदेशी चैनलों को अपने सूत्रों से हासिल हो गईं।

भारतीय मीडिया को ये क्यों नहीं दी गईं इसका पुख्ता कारण तो मुझे नहीं मालूम, लेकिन भारतीय दर्शक को ये ज़रुर देखने को मिलेगी क्योंकि जिन विदेशी चैनलों पर ये फुटेज आने वाली है उनके दर्शकों की संख्या यहां डा. प्रवीण तिवारीभी बड़े पैमाने पर है। यानी भारतीय दर्शक तो इन्हे देख पाएंगें लेकिन विदेशियों की ज़ुबानी।

लेखक डा. प्रवीण तिवारी लाइव इंडिया न्यूज चैनल में एंकर और प्रोड्यूसर हैं।  

 

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