एक सनसनी पसंद लेखक ने गांधी जी के बारे में न जाने क्या क्या लिख दिया है। यह बात कितने लोगों को पता है कि एपेंडिक्स के आपरेशन के समय महात्मा गांधी ने बेहोशी की दवा नहीं ली और होश में रहते हुए ही आपरेशन कराया? कितने लोगों को पता है कि वे रोज नीम की पिसी हुई कड़वी पत्तियां बड़े चाव से खाते थे? क्योंकि नीम रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर है। इसकी पिसी पत्तियां हमारे रक्त को शुद्ध रखती हैं। कितने लोगों को पता है कि कई कई दिन तक उपवास रखते थे? आजकल तो हम लोग एक वक्त खाना नहीं मिलता तो हजार बार कहते हैं कि कल तो खाना ही नहीं खाया। जैसे कोई बहुत बड़ी घटना हो गई हो।
हम तो जरा सी धूप में तिलमिला जाते हैं और महात्मा गांधी कड़ी धूप में पदयात्रा करते थे। कुछ लोग एसी (एयरकंडीशनर) की ठंडक में बैठ कर कल्पना लोक में उड़ानें भरते हैं और जो जी में आता है लिख मारते हैं। गांधी जी घुटने के ऊपर धोती पहनते थे और कमर से ऊपर सिर्फ चादर लपेटे रहते थे। कुर्ता भी नहीं पहनते थे। इसीलिए उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है। वे शांति, अहिंसा और प्रेम के प्रतीक हैं। उनके बारे में लिखने से पहले आप अपने गिरेबान में झांकिए। महात्मा गांधी महान व्यक्ति थे। उनके बारे में एक लाइन भी लिखने से पहले उनके जीवन मूल्यों को समझना चाहिए। उनके संयमित जीवन से सीखी लेनी चाहिए। आमतौर पर देखा जाता है कि जो इंद्रिय लोलुप लोग होते हैं वही महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों के बारे में अनाप- शनाप लिखते हैं। गांधी जी जैसा महापुरुष हमारा नेता था, यह हमारे लिए गौरव की बात है। उनके बारे में अनाप- शनाप लिखने से महात्मा गांधी की नहीं, बल्कि लिखने वाले की मानसिकता की पोल खुलती है। सूरज की तरफ कीचड़ फेंकने पर वह लौट कर फेंकने वाले के ही मुंह पर गिरेगा।
लेखक विनय बिहारी सिंह कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार हैं और हिंदी ब्लाग दिव्य प्रकाश के माडरेटर भी.