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ढिबरी न्यूज में चैनल प्रमुख के लिये खुली अर्जी

[caption id="attachment_2251" align="alignleft" width="119"]विनोद विप्लवविनोद विप्लव[/caption]माननीय महोदय; मुझे ज्ञात हुआ है कि अंधविश्वास, विवेकहीनता, सामाजिक पागलपन, अश्लीलता, अनैतिकता एवं संस्कारहीनता के प्रचार-प्रसार के सर्वोच्च उद्देश्य को लेकर चलाये जा रहे अत्यंत लोकप्रिय, हर दिल अजीत एवं टीआरपी बटोरू चैनल ‘ढिबरी न्यूज’ में चैनल प्रमुख का पद कोई सुयोग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाने के कारण काफी समय से रिक्त है। मैं इस पद के लिये अपने को एक उम्मीदवार के रूप में पेश करते हुये पूर्ण विश्वास के साथ दावा करता हूं कि इस पद के लिये मुझ जैसा काबिल, सक्षम एवं सुयोग्य उम्मीदवार आपको ढिबरी लेकर ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। महोदय, अगर आपको अपने चैनल की टीआरपी आसमान से भी आगे ले जानी है तो आप मेरी सशर्त सेवा ले सकते हैं।

विनोद विप्लव
विनोद विप्लव

विनोद विप्लव

माननीय महोदय; मुझे ज्ञात हुआ है कि अंधविश्वास, विवेकहीनता, सामाजिक पागलपन, अश्लीलता, अनैतिकता एवं संस्कारहीनता के प्रचार-प्रसार के सर्वोच्च उद्देश्य को लेकर चलाये जा रहे अत्यंत लोकप्रिय, हर दिल अजीत एवं टीआरपी बटोरू चैनल ‘ढिबरी न्यूज’ में चैनल प्रमुख का पद कोई सुयोग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाने के कारण काफी समय से रिक्त है। मैं इस पद के लिये अपने को एक उम्मीदवार के रूप में पेश करते हुये पूर्ण विश्वास के साथ दावा करता हूं कि इस पद के लिये मुझ जैसा काबिल, सक्षम एवं सुयोग्य उम्मीदवार आपको ढिबरी लेकर ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। महोदय, अगर आपको अपने चैनल की टीआरपी आसमान से भी आगे ले जानी है तो आप मेरी सशर्त सेवा ले सकते हैं।

इससे पहले मैंने बच्चे से लेकर बिल्ली और बंदरों के गड्ढे में गिरने की घटनाओं को पेश करने में सबसे आगे रहने वाले गड्ढा स्टार चैनल, हवेलियों को भूतहा और भयावह बनाकर कर दिखाने वाले चैनल सुनसान न्यूज 24, राखी सावंत जैसी चवन्नी छाप अभिनेत्रियों के बल पर भारी टीआरपी बटोरने वाले चैनल स्वांग इमेजिन, जूली-मटूकनाथ के साथ-साथ सुर्खियों में आये चैनल – झाडू तक और हल्की बारिश को महाप्रलय तथा मामूली आगजनी को महाविनाश साबित करने में माहिर चैनल – बर्बाद इंडिया टीवी जैसे अनेकानेक चैनलों में मालिक को लड़कियां सप्लाई करने वाले दलाल और विज्ञापन एजेंट से लेकर इनपुट हेड और चैनल प्रमुख के रूप में काम कर चुका हूं। इस समय मैं पाताल 7 चैनल में काम कर रहा हूं जिसने धरती के नीचे किये जाने वाले वैज्ञानिकों के प्रयोग से धरती के नष्ट होने की घोषणा करके काफी नाम कमाया था और यह महत्वपूर्ण ब्रेकिंग न्यूज मेरे ही उर्वर दिमाग की उपज थी।

आदणीय महोदय, मैंने पैसे लेकर फर्जी डिग्रियां देने वाले देश के एक नामी विश्वविद्यालय से पैसे दिये बगैर स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है जो मेरी काबिलियत का जीता-जागता प्रमाण है। मैंने न केवल अपने लिये बल्कि अपने अनेक लंगोटिया दोस्तों को भी डिग्रियां दिलायी है। मैंने सैकड़ों लड़के-लड़कियों को बोर्ड परीक्षाओं में पर्चियां पहुंचाकर अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण करवा कर देश के साक्षारता प्रतिशत में बढ़ोतरी करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं दीवार फांदने और पाइपों के जरिये पलक झपटते छतों पर पहुंचने में माहिर रहा हूं। मेरी इस योग्यता के कारण मुझे परीक्षाओं में चोरियां कराने के लिये दूर-दूर के परीक्षा केन्द्रों में अभिभावकों द्वारा आमंत्रित किया जाता रहा है। मैंने कई लड़कियों को पर्चियों के नाम पर प्रेम पत्र पहुंचा कर अनेक टूटे हुये दिलों एवं रिश्तों को जोड़ कर देश में प्रेम एवं भाइचारे को बढ़ावा दिया है। मेरे बदौलत परीक्षायें पास करके अच्छी-अच्छी डिग्रियां पाने वाले मेरे ये सभी मेधावी दोस्त इलेक्ट्रानिक मीडिया के विकास के मुख्य  प्रणेता बने हुये हैं। मैं और मेरे दोस्त अपने-अपने चैनलों की टीआरपी को जमीन से उठा कर आसमान पर और देश की जनता के विवेक को रसातल में पहुंचा कर देश में लोकतंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

परम् पूज्यनीय मान्यवर, मेरा पक्का विश्वास है कि मेरे जैसे मीडियाकर्मियों की बदौलत टेलीविजन चैनलों ने देश में लोकतंत्र के विस्तार में जितना योगदान दिया है उतना किसी और ने नहीं दिया है। इन चैनलों ने यह साबित कर दिया है कि दुनिया में अगर कहीं सच्चा लोकतंत्र है तो भारत में है जहां कोई कुछ भी करता रहे, कुछ भी दिखता रहे, कोई कुछ भी चिल्लाता रहे न तो सरकार के और न ही जनता के कानों में जू रेंगता है। यहां जनता मूर्ख बनकर, लूटकर और इज्जत खोकर खुश होती है – यह यही लोकतंत्र की असली पहचान है। इसलिये हमने जिन चैनलों में काम किया उनका सदुपयोग हमने लोकतंत्र को बढ़ाने में किया।

महोदय मैंने चापलूसी, दलाली, चोरी-चमारी, दंगेबाजी, रंडीबाजी, इश्कबाजी और रंगदारी जैसे हर क्षेत्रों में विशेश अनुभव बटोरे हैं। इस पत्र के जरिये मैं न केवल अपनी मानसिक एवं शैक्षणिक योग्यता का बल्कि शारीरिक योग्यता एवं क्षमता का ब्यौरा आपके सामने पेश करना चाहता हूं क्योंकि चैनलों में काम करने के लिये मानसिक योग्यता से कहीं अधिक पैर, घुटने और गले जैसे शरीर के विभिन्न अंगों की क्षमता ज्यादा महत्वपूर्ण है।

जहां तक गले की क्षमता का सवाल है मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने अनेक परीक्षा केन्द्रों के बाहर खड़े होकर, बेरोजगारी के दिनों में फेरी लगाकर, मोहल्लों की औरतों को साड़ियां एवं ब्लाउज बेचने का भी काम कर चुका हूं। गला फाड़कर चिल्लाने की मेरी क्षमता के कारण कई मोहल्ले के लोगों ने कई बार मेरी पिटाई कर दी जिसके कारण मैंने सब्जी बेचने का धंधा छोड़कर अपने शहर के एक मशहूर कोठे पर चौकीदार की नौकरी करने लगा। कोठे पर चौकीदारी तथा साड़ियां-ब्लाउज बेचने के दौरान मेरी कई औरतों से गहरी दोस्ती हो गयी जो बाद में चैनलों की नौकरी के दौरान बहुत काम आयी। इस मामले में मेरे संपर्क का दायरा बहुत व्यापक है और ये संपर्क चैनलों की आमदनी बढ़ाने तथा कई अटके कामों में अत्यंत उपयोगी साबित हुये हैं।

गला-फाड़कर चिल्लाने का मुझे काफी अभ्यास रहा है। इस संबंध में मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे यहां बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान परीक्षा केन्द्रों पर लाडडस्पीकर लगाकर परीक्षार्थियों को प्रश्नों के जबाव बताये जाते थे। कई बार तकनीकी खराबी आने पर मैं लाउडस्पीकर की मदद लिये बगैर चिल्ला-चिल्लाकर ही परीक्षार्थियों को प्रश्नों के उत्तर लिखवाता था। चिल्लाने की मेरी क्षमता ऐसी थी कि हर परीक्षार्थी बिना कोई गलती किये सभी प्रश्नों के सही उत्तर लिखते थे। कई बार तो पास के परीक्षा केन्द्रों के परीक्षार्थी भी मेरी आवाज सुनकर उत्तर लिख लेते थे। आप समझ सकते हैं कि देश में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में मेरा कितना योगदान रहा है।

जहां तक मेरे पैर एवं घुटने की क्षमता का सवाल है मैं आपको बताना चाहता हूं कि चैनलों में आने के पहले मैं कई महीनों तक एक बहुत बड़े कारोबारी के बंगले पर सुरक्षा गार्ड के रूप में नौकरी कर चुका हूं जहां मेरा काम गेट पर लगातार खड़ा रहने का होता था। मेरी यह क्षमता चैनलों में रिपोर्टिंग के दौरान काफी काम आयी।

मेरी अन्य शारीरिक एवं मानसिक योग्यतायें निम्न लिखित है –

  1. मैं उफ किये बगैर एवं चेहरे पर शिकन लाये बगैर लगातार सौ जूते एवं चप्पले खा सकता हूं।
  2. खड़े-खड़े पचास लात-घूसे खाने की क्षमता। लात-घूसे खाने से शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है और नींद भी अच्छी आती है।
  3. मै मालिकों की गालियों को अपने लिये अमृत समान मानता हूं। जिस दिन मैं मालिक के मुंह से एक दर्जन गालियां हजम नहीं कर लूं उस दिन खाना हजम नहीं होता।
  4. अगर आपका दिल मुझे नौकरी से निकालने का हो तो पीठ पर पांच लात मारकर निकाल सकते हैं। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
  5. अपने अधीन काम करने वाले कर्मचारियों को गदहा-घोड़ा समझते हुये उन्हें भी लात-घूंसे और जूते-चप्पल बरसाने की काबिलियत रखता हूं।
  6. चापलूसी और दलाली में महारत। अपना काम निकालने के लिये थूक और जूते चाटने को पवित्र काम मानना।
  7. मुझे पढ़ने-लिखने से सख्त नफरत है। मैंने परीक्षाओं में नकल करके कापियों पर लिखने के अतिरिक्त अपने जीवन में कुछ भी नहीं लिखा है और न ही नकल करने के लिये बनायी गयी पर्चियों एवं कापियों के अलावा कुछ पढ़ा है।

महोदय, मैंने जो योग्यतायें गिनायी हैं, आज के समय में बहुत कम लोगों के पास ऐसी योग्यतायें है और मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जो मुझसे कम योग्यता होने के वाबजूद बड़े-बड़े चैनलों के प्रमख बनकर दस-दस लाख रुपये की सेलरी ले रहे हैं। ऐसे में मैं अपनी काबिलियत को ध्यान में रखते हुये 15 लाख रुपये की मासिक सेलरी पाने की उम्मीद रखता हूं और वायदा करता हूं कि मैं एक साल के भीतर आपके चैनल को देश का नम्बर वन चैनल बना दूंगा और अगर मैं ऐसा करने में विफल रहूं तो आप मुझे सौ जूते मारकर तत्काल नौकरी से निकालने के लिये स्वतंत्र हैं।

मुझे पक्का विश्वास है कि आप मेरे आवदेन एवं मेरी योग्यता पर विचार करते हुये अपने चैनल में काम करने और अपनी योग्यता को साबित करने का एक मौका अवश्य देंगे।

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आपका भावी सेवक

लेखक विनोद विप्लव पत्रकार, कहानीकार एवं व्यंग्यकार हैं।

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