दोस्तों, अगर आपके पास कोई नेता वोट मांगने आये तो आप उससे ये तीन सवाल पूछ डालिये…
1- आप जो जनता को कैशलेश और पेटीएम तथा ऑनलाइन पेमेंट की बात समझाते हो तो ऐसा सविंधान क्यों नहीं बनाते कि देश की सभी पार्टियां ऑनलाइन और पेटीएम से ही चंदे की रकम स्वीकार करें। ये सारे नियम सिर्फ जनता ही क्यों पालन करे।राजनीतिक पार्टियां क्यों नहीं।
2- राजनैतिक पार्टियां चाहे कोई भी हों आर टी आई और इनकम टैक्स के दायरे में आने से क्यों बचती है।और अपने आय ब्यय का हिसाब अपने वेबसाइट पर क्यों नहीं देती
3- उनका जो चुनावी घोषणा पत्र है उसे वे एफिडेविट कराकर क्यों नहीं देती और नेताओ के आय का जरिया क्या है।ये जो चुनावी घोषणा पत्र है उसमें जो मुफ्त सामान देने की बातें की जारही है उसके लिए फंड क्या पोलिटिकल पार्टी अपने चंदे से देंगी या उसके लिये सरकारी खजाने को सहारा बनाया जाएगा।
मैं जानता हूँ हिंदुस्तान के किसी भी राजनैतिक पार्टी में दम नहीं है कि जनता के इन सवालों का जवाब दे।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
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