Connect with us

Hi, what are you looking for?

समाज-सरोकार

ठहरिये! गिन तो लीजिये अब कितने ‘हिंदू’ बचे हैं ‘आपके हिंदुत्व’ में….

डॉ राकेश पाठक
प्रधान संपादक, डेटलाइन इंडिया

भारत वर्ष को “हिन्दू राष्ट्र” बनाने की कोशिश अब कोई दबी छुपी बात नहीं रह गयी है।साधुओं,साध्वियों के अलावा मंत्री,सांसद तक खुल कर बोल चुके हैं। इनमें से किसी ने 2020 तो किसी ने 2022 तक “हिन्दू राष्ट्र’ बन जाने की बाकायदा घोषणा भी कर दी है। (इनके बयान आसानी से मिल जायेंगे गूगल कर लीजिये) लेकिन इस हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रथम चरण की लड़ाई थी “मुस्लिम मुक्त भारत”। अब ये तो अभी हुआ भी नहीं कि आपने दलित मोर्चे पर अपनी सेनाएं रवाना कर डालीं।मुस्लिमों के खिलाफ “यलगार” की आवाज़ अभी थमी भी न थी कि दलितों के विरुद्ध “आक्रमण” का घोष कर दिया गया।

<p><strong>डॉ राकेश पाठक<br />प्रधान संपादक, डेटलाइन इंडिया</strong></p> <p>भारत वर्ष को "हिन्दू राष्ट्र" बनाने की कोशिश अब कोई दबी छुपी बात नहीं रह गयी है।साधुओं,साध्वियों के अलावा मंत्री,सांसद तक खुल कर बोल चुके हैं। इनमें से किसी ने 2020 तो किसी ने 2022 तक "हिन्दू राष्ट्र' बन जाने की बाकायदा घोषणा भी कर दी है। (इनके बयान आसानी से मिल जायेंगे गूगल कर लीजिये) लेकिन इस हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रथम चरण की लड़ाई थी "मुस्लिम मुक्त भारत"। अब ये तो अभी हुआ भी नहीं कि आपने दलित मोर्चे पर अपनी सेनाएं रवाना कर डालीं।मुस्लिमों के खिलाफ "यलगार" की आवाज़ अभी थमी भी न थी कि दलितों के विरुद्ध "आक्रमण" का घोष कर दिया गया।

डॉ राकेश पाठक
प्रधान संपादक, डेटलाइन इंडिया

भारत वर्ष को “हिन्दू राष्ट्र” बनाने की कोशिश अब कोई दबी छुपी बात नहीं रह गयी है।साधुओं,साध्वियों के अलावा मंत्री,सांसद तक खुल कर बोल चुके हैं। इनमें से किसी ने 2020 तो किसी ने 2022 तक “हिन्दू राष्ट्र’ बन जाने की बाकायदा घोषणा भी कर दी है। (इनके बयान आसानी से मिल जायेंगे गूगल कर लीजिये) लेकिन इस हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रथम चरण की लड़ाई थी “मुस्लिम मुक्त भारत”। अब ये तो अभी हुआ भी नहीं कि आपने दलित मोर्चे पर अपनी सेनाएं रवाना कर डालीं।मुस्लिमों के खिलाफ “यलगार” की आवाज़ अभी थमी भी न थी कि दलितों के विरुद्ध “आक्रमण” का घोष कर दिया गया।

क्या हिन्दू राष्ट्र के महाअभियान में यह भी शामिल था कि दलित,आदिवासी आदि को भी रास्ते से हटाना है? फिलहाल लग तो यही रहा है। तो क्या आपके हिन्दू राष्ट्र में सिर्फ ऊंची जाति( आप ही ऐसा मानते हैं) के लिए ही जगह होगी? क्या आप देख नहीं पा रहे कि गाय के नाम पर गोबर खिला कर, मृत गाय की खाल उतारने वालों की चमड़ी उधेड़ कर,आंबेडकर की विरासत पर बुलडोजर चला कर उन्हें अपने से कितना दूर कर रहे हैं?

उत्तर प्रदेश के “गाली-पुराण”  के बाद सोशल मीडिया दलितों की ईंट से ईंट बजाने, मुंह तोड़ जवाब देने के उन्मादी आव्हान से अटा पड़ा है।आज उत्तर प्रदेश में  “बेटी के सम्मान” में उबलने वाली भीड़ दलितों के खिलाफ आग में कुछ और घी डाल कर ही चैन लेगी। सवर्णों और दलितों के बीच यह खायी कोई इन दो सालों में नहीं बन गयी है।ऊंच नीच के सदियों पुराने सुलूक ने दलितों के मन में दबे आक्रोश को जब जब मौका मिला प्रकट भी किया है।

लेकिन कथित हिन्दू राष्ट्र के पैरोकारों को सत्ता का प्रत्यक्ष और परोक्ष संरक्षण ऐसा पहले कभी नहीं मिला था जैसा अब मिल रहा है। इसी का नतीजा है कि अब दलित आपके कथित “हिंदुत्व” में से खुद को बाहर कर रहे हैं। ठहर कर गिन लीजिये, अब आपके हिन्दू राष्ट्र के सपने को साकार करने में कितने दलित, आदिवासी बचे हैं??? आप शायद सत्ता के अहंकार में देख नहीं पा रहे कि वे आपकी चौहद्दी से बाहर हुए जा रहे हैं…!

सदियों तक नगर में प्रवेश के समय कमर में झाडू बांधना, थूकने के लिए गले में मटकी लटकाना,वेद वाक्य सुन लेने भर से कानों में पिघला शीशा उड़ेल देना,दूसरों का मैला सिर पर ढोना, आपकी चौखट के सामने से सिर पर जूतियां रख कर निकलना,बारात में घोड़ी से उतार कर दूल्हे का पीटा जाना उनकी समृतियों में  अब भी घर किये है। जिन्हें आज भी पंडिज्जी,ठाकुस्साब..अपने चौंतरा पै संगें बैठार नईं रहे…जिन्हें मंदिर की देहरी पर पाँय धरबे की इज़ाज़त नइयां …अबै तौ बिनें माँस नईं मान पाये और सोच रहे हौ बे हिन्दू राष्ट्र बनवायेंगे..?? कबहुँ नईं..!

उस पर भी अब आप नए वर्ग संघर्ष की ज़मीन तैयार कर रहे हैं।तब वे क्यों कर आपके साथ रहेंगे…? ज्यादा दूर जाने की ज़रूरत नहीं है।बस अपने संगठन में ही जो दलित हों उनके सीने पर हाथ रखकर देख लीजिये, उनकी व्यथा सुन कर आँखें फटी की फटी रह जायेंगीं। एक बात और…अगर आप समझते हैं कि अपने इस “हिंदुत्व” में कथित ऊंचे तबके के सौ फीसदी लोगों को हांक ले जायेंगे तो आप भरम में हैं। एक बहुत बड़ा हिस्सा अब आपकी इस “उल्लू की लकड़ी” को पकड़ने को तैयार नहीं है।

हिन्दू समाज में से अगर ये सब निकल गए तो आपके पास बचेगा क्या…? निल बटे सन्नाटा.. मेहरबानी करके रुक जाइये… अभी देर नहीं हुयी। बचा लीजिये समाज के ताने बाने को…वर्ना लम्हों की इस खता के लिए सदियाँ सजा पाएंगीं.. और इतिहास आपको कभी माफ़ नहीं करेगा…!

लेखक डॉ राकेश पाठक डेटलाइन इंडिया के प्रधान संपादक हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

मेरी भी सुनो

अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाने के लिए पहले रेडियो, अखबार और टीवी एक बड़ा माध्यम था। फिर इंटरनेट आया और धीरे-धीरे उसने जबर्दस्त लोकप्रियता...

साहित्य जगत

पूरी सभा स्‍तब्‍ध। मामला ही ऐसा था। शास्‍त्रार्थ के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी प्रश्‍नकर्ता के साथ ऐसा अपमानजनक व्‍यवहार...

मेरी भी सुनो

सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने घटिया खाने और असुविधाओं का मुद्दा तो उठाया ही, मीडिया की अकर्मण्यता पर भी निशाना...

समाज-सरोकार

रूपेश कुमार सिंहस्वतंत्र पत्रकार झारखंड के बोकारो जिला स्थित बोकारो इस्पात संयंत्र भारत के सार्वजनिक क्षेत्र का इस्पात संयंत्र है। यह संयंत्र भारत के...

Advertisement