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अन्ना के समर्थन में “चौथा कोना” सड़क पर उतरा

अरविंद त्रिपाठीगणेश शंकर विद्यार्थी की कर्मभूमि रहे कानपुर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आमरण अनशन पर बैठे अन्ना हजारे के समर्थन में पत्रकारों का धरना आयोजित हुआ. इस धरने को “चौथा कोना” ने आयोजित किया था. ये कोई संस्था नहीं है बल्कि कानपुर के प्रमुख साप्ताहिक समाचार पत्र ‘हेलो कानपुर’ का एक स्थायी स्तम्भ है. नवीन मार्केट के शिक्षक पार्क के इस धरने में कानपुर के सभी अखबारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों और छायाकारों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. धरने का नेतृत्व शहर के जाने-माने कवि एवं पत्रकार प्रमोद तिवारी जी ने किया.

<p style="text-align: justify;"><img src="http://bhadas4media.com/images/2011/arvkanp.jpg" border="0" alt="अरविंद त्रिपाठी" align="left" />गणेश शंकर विद्यार्थी की कर्मभूमि रहे कानपुर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आमरण अनशन पर बैठे अन्ना हजारे के समर्थन में पत्रकारों का धरना आयोजित हुआ. इस धरने को "चौथा कोना" ने आयोजित किया था. ये कोई संस्था नहीं है बल्कि कानपुर के प्रमुख साप्ताहिक समाचार पत्र 'हेलो कानपुर' का एक स्थायी स्तम्भ है. नवीन मार्केट के शिक्षक पार्क के इस धरने में कानपुर के सभी अखबारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों और छायाकारों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. धरने का नेतृत्व शहर के जाने-माने कवि एवं पत्रकार प्रमोद तिवारी जी ने किया.</p> <p style="text-align: justify;" />

अरविंद त्रिपाठीगणेश शंकर विद्यार्थी की कर्मभूमि रहे कानपुर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आमरण अनशन पर बैठे अन्ना हजारे के समर्थन में पत्रकारों का धरना आयोजित हुआ. इस धरने को “चौथा कोना” ने आयोजित किया था. ये कोई संस्था नहीं है बल्कि कानपुर के प्रमुख साप्ताहिक समाचार पत्र ‘हेलो कानपुर’ का एक स्थायी स्तम्भ है. नवीन मार्केट के शिक्षक पार्क के इस धरने में कानपुर के सभी अखबारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकारों और छायाकारों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. धरने का नेतृत्व शहर के जाने-माने कवि एवं पत्रकार प्रमोद तिवारी जी ने किया.

उनसे जब इस धरने का कारण जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा अन्ना हजारे के जन-लोकपाल बिल को लागू करने की मांग के समर्थन में और प्रेस क्लब, कानपुर की निष्क्रियता और आत्म-मुग्धता के कारण ऐसा करना पडा. आज वैभवशाली पत्रकारिता के इतिहास के बावजूद कानपुर के आम पत्रकारों पत्रकारों के पास अपनी समस्याओं की आवाज को सुर देने के लिए सक्षम मंच की कमी है. इसका फायदा समय-समय पर दलाल और फर्जी पत्रकारों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी भी उठाते हैं. हाल में प्रेम बनाम प्रेस का मुद्दा देश-दुनिया में सुर्ख़ियों में रहा था.

धरने के मध्य अपने संक्षिप्त उद्बोधन में प्रमोद जी ने आपातकाल के दिनों की याद दिलाते हुए नयी पीढ़ी के पत्रकारों से कहा कवि  दुष्यंत कुमार ने जयप्रकाश नारायण को जेहन में रख कर एक शेर कहा था “एक बूढ़ा आदमी है इस मुल्क में या यूँ कहो कि इस अँधेरी कोठरी में एक रोशनदान हैं!” आज यही पंक्तियाँ बुजुर्ग युवा समाजसेवी अन्ना हजारे के किरदार को भी उजागर करती हैं.  कानपुर के सभी सजग पत्रकारों से आग्रह है कि अन्ना हजारे द्वारा जन लोकपाल बिल को लागू कराये जाने की मांग को लेकर किये जा रहे आमरण अनशन को समर्थन देने के लिए चौथा कोना के एक दिवसीय धरने में शामिल होकर अपनी ईमानदार भूमिका का संकल्प दोहराए और कर्त्तव्य पथ पर आगे बढे़.  उन्होंने स्वरचित पक्तियां  भी कहीं-

उठा लाओ कहीं से भी उजाले की किरण कोई,
अंधेरों की नहीं अब धमकियाँ बर्दाश्त होती हैं!
उजाले के लिए जलते हैं जो दीपक खुले दिल से,
तजुर्बा है मेरा उनके हवाएं साथ होती है!!

शहर में पत्रकारों और समाजसेवियों के मध्य चर्चित रहे इस धरने में वर्तमान प्रेस क्लब के वरिष्ठ मंत्री सरस बाजपेयी शामिल रहे. इसी प्रकार कानपुर के राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय सम्पादक नवोदित जी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. नयी दुनिया साप्ताहिक समाचार पत्र के ब्यूरो चीफ कमलेश त्रिपाठी और राष्ट्र-भूमि के संवाददाता प्रवीन शुक्ला भी उपस्थित रहे. लगभग एक सौ पच्चीस से अधिक पत्रकारों ने इस धरने में भाग लिया. इतनी ही संख्या में पत्रकरों ने दूर से धरने की गतिविधियों का जायजा लिया. यद्यपि इस कार्यक्रम की सूचना कानपुर के सभी बड़े अखबारों को पूर्व में दे दी गयी थी, किन्तु अखबारी व्यस्तता और अन्य कारणों से उपस्थित न हो सके लोगों ने फोन के माध्यम से अपनी उपस्थिति की असमर्थता को स्पष्ट किया, जो इस धरने के महान उद्देश्य के लिए सफलता की बात रही.

जैसा की सर्व-विदित है की कानपुर प्रेस क्लब का चुनाव विगत सात सालों से नहीं हुआ है और इस संस्था में तमाम वित्तीय गड़बडि़या व्याप्त हैं. इस समस्या पर भी इस धरने में दबी जबान से बात शुरू हुयी जो अंततः मुखर हो गयी. प्रेस क्लब में लोकतंत्र और पारदर्शिता का न होना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. पत्रकारों और छायाकारों में इस संस्था के चुनाव न करवाने पर रोष है, जो अन्ना हजारे के लोकपाल बिल को लागू करवाने के माध्यम से उजागर हो गया. किन्तु प्रमोद तिवारी और कमलेश त्रिपाठी सहित वरिष्ठ पत्रकारों ने इस के लिए अगला संघर्ष शुरू करने के लिए पत्रकारों के मध्य नेतृत्व तैयार करने के लिए रास्ता तलाशने का मार्ग दिखाया. शीघ्र अगला संघर्ष करने के पहले वर्तमान पदाधिकारियों की समिति को भंग करने का नोटिस दिए जाने पर सहमति  बनी. जिला और प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों की मध्यस्थता में चुनाव करवाने पर जोर दिया गया. शीघ्र ही ये मामला अखबारों और चैनलों की सुर्खिया बनने वाला है.

लेखक अरविंद त्रिपाठी कानपुर में पत्रकार हैं तथा चौथी दुनिया से जुड़े हुए हैं.

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