यूपी सरकार के एक वर्ष : दंगों-दागियों-दबंगों की रही दहशत

उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 15 मार्च को अपनी सरकार का एक वर्ष पूरा करने जा रहे हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज भी वह वहीं खड़े हैं जहां एक साल पहले शपथ लेने के समय खड़े थे। तमाम दावों के बाद भी उनकी सरकार को दंगो-दागियो और दबंगों से छुटकारा नहीं मिल रहा है। न तो मुलायम की नसीहतें काम आ रही है न अखिलेश की तेजी से कोई कारनामा हो रहा है।

फर्जी मुठभेड़ के आरोपी आईपीएस को जांच की जगह ‘सौगात’

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी जिला बरेली के मुकुल गुप्ता फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई आईपीएस जे रविंद्र गौड़ समेत 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने जा रही है। लखनऊ के मौजूदा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौड़ मुठभेड़ के वक्त बरेली में एएसपी के पद पर  तैनात थे। सीबीआई ने आईपीएस के खिलाफ राज्य सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी। दो माह से जवाब नहीं मिलने पर सीबीआई तय अवधि के बाद अदालत में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है। हालांकि मामले को तूल पकड़ता देख सरकार ने अभियोजन स्वीकृति पर विचार करना शुरू कर दिया हैं और जल्द की उसकी तरफ से हरी झंडी मिल जायेगी।

दलित-पिछड़ों का आरक्षण बना सपा-बसपा के लिए सत्‍ता की सीढ़ी

उत्तर प्रदेश में दलितों और पिछड़ों को लुभाने के लिए समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच गला काट प्रतियोगिता चल रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती जहां दलित वोट बैंक को अपनी जागीर समझती हैं, वहीं सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अपने को पिछड़े वर्ग का रहनुमा मानते हैं। इसके उलट सर्वजन हिताय की बात करने वाली माया को जहां पिछड़ों से परहजे है तो वहीं समाजवादी सोच रखने वाले मुलायम को दलितों की राजनीति रास नहीं आती है।