पेड न्यूज पर अंकुश लगाने की भारतीय प्रेस परिषद और चुनाव आयोग की कोशिश पर सोनभद्र के जिला निर्वाचन अधिकारी पानी फेर रहे हैं। चुनाव आयोग शिकायत का संज्ञान ले चुका है लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी अखबार मालिक को पेड न्यूज मॉनिटरिंग कमिटी के सदस्य पद से हटाने के लिए तैयार नहीं हैं जबकि यह अखबार ना ही सोनभद्र से प्रकाशित होता है और ना ही इसका मालिक और संपादक सोनभद्र जिले का पत्रकार है। सोनभद्र में ‘पेड न्यूज मॉनिटरिंग कमेटी’ के सदस्य के रूप में स्वंतत्र नागरिक/पत्रकार की श्रेणी में योग्य व्यक्ति का चयन नहीं करने की शिकायत पर जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा उचित कार्रवाई नहीं किए जाने के संबंध में भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिखा गया पत्रः
प्रेषक,
शिव दास प्रजापति, पत्रकार,
ग्राम-तिनताली, पोस्ट- तेन्दू,
जिला- सोनभद्र, राज्य- उत्तर प्रदेश-231216
मोबाईल- 9198383943/9910410365
ई-मेलः thepublicleader@gmail.com
सेवा में,
मुख्य निर्वाचन आयुक्त
भारत निर्वाचन आयोग, निर्वाचन सदन,
अशोका रोड, नई दिल्ली-110001
विषयः सोनभद्र में ‘पेड न्यूज मॉनिटरिंग कमेटी’ के सदस्य के रूप में स्वंतत्र नागरिक/पत्रकार की श्रेणी में योग्य व्यक्ति का चयन नहीं करने की शिकायत पर जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा उचित कार्रवाई नहीं किए जाने के संबंध में।
महोदय,
अवगत कराना है कि भारत निर्वाचन आयोग और भारतीय प्रेस परिषद के निर्देशानुसार लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान सभी जिलों में ‘मीडिया सर्टिफिकेशन ऐण्ड मॉनिटरिंग कमिटी ऑन सर्टिफिकेशन ऐण्ड पेड न्यूज (एमसीएमसी)’ का गठन किया जाना अनिवार्य है। इसके गठन के संदर्भ में भारत निर्वाचन आयोग ने 26 फरवरी 2014 को पत्रांक संख्या-491/पैड न्यूज/2014 के माध्यम सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किया था लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र ने अपने यहां इस कमिटी का गठन 17 फरवरी, 2014 को ही कर दिया था। भारत निर्वाचन आयोग के पत्रांक संख्या-491/पैड न्यूज/2014 के मुताबिक पेड न्यूज की जांच के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमिटी (एमसीएमसी) का गठन किया जाएगा जिसमें डीपीआरओ/जिला सूचना अधिकारी/समकक्ष सदस्य सचिव होंगे (संलग्नक-1)। इसके अलावा कमिटी में एआरओ, जो एसडीएम स्तर के नीचे न हों, भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का एक अधिकारी तथा स्वतंत्र नागरिक/पत्रकार बतौर सदस्य शामिल होंगे। अगर भारतीय प्रेस परिषद ने पत्रकार की संस्तुति नहीं की है तो जिला निर्वाचन अधिकारी जिले के किसी पत्रकार अथवा स्वतंत्र नागरिक को बतौर सदस्य नामित कर सकते हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र ने उक्त आदेश का उल्लंघन करते हुए एमसीएमसी कमिटी का गठन उप जिला निर्वाचन अधिकारी मनी लाल यादव की अध्यक्षता में गठित कर दिया जबकि वह प्रभारी जिला सूचना अधिकारी के रूप में भी कार्यरत हैं। इस वजह से कमिटी में सदस्य सचिव का पद ही नहीं है। इतना ही नहीं जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र ने भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार पांच सदस्यीय कमिटी की जगह छह सदस्यीय कमिटी का गठन कर दिया जिसमें रॉबर्ट्सगंज तहसील के उप-जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद तिवारी, आकाशवाणी ओबरा के कार्यक्रम अधिकारी/कार्यक्रम प्रमुख, सहायक मनोरंजन कर आयुक्त रामजीत पांडेय, हिन्दी न्यायाधीश, सोनभद्र के संपादक (वास्तव में हिन्दी दैनिक ‘न्यायाधीश’ का प्रकाशन सोनभद्र जिले से नहीं होता है। इस अखबार का प्रकाशन इलाहाबाद से होता है और इसके स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक और संपादक रघुवीर चंद जिंदल हैं। वह सोनभद्र में संपादक/जिला प्रतिनिधि/तहसील प्रतिनिधि/मान्यता प्राप्त पत्रकार आदि के तौर पर एक पत्रकार के रूप में भी पंजीकृत नहीं हैं।), पी0ओ0 डूडा, सोनभद्र बी.के. निगम बतौर सदस्य चयनित किए गए हैं (संलग्नक-2)। सबसे गौर करने वाली बात यह है कि जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र ने एमसीएमसी में सदस्य के रूप में चयनित किए जाने वाले स्वतंत्र नागरिक/पत्रकार श्रेणी में भारतीय प्रेस परिषद और भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज कर दिया। भारतीय प्रेस परिषद ने 7 मार्च 2014 को जारी अपने प्रेस रिलीज संख्या-पीआर/15/13-14-पीसीआई में पेड न्यूज और संपादकीय नीति को स्पष्ट किया है कि संपादकीय और प्रबंधकीय विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों का स्पष्ट विभाजन होना चाहिए। साथ ही संपादक की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए (संलग्नक-3)। इसके बावजूद जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र ने पत्रकार/स्वतंत्र नागरिक की श्रेणी में इलाहाबाद से प्रकाशित हिन्दी दैनिक ‘न्यायाधीश’ के स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक और संपादक रघुवीर चंद जिंदल को सदस्य के रूप में चयनित किया। संपादकीय सामग्रियों और अखबार के प्रतियों के प्रसार को लेकर रघुवीर चंद जिंदल हमेशा सवालों के घेरे में रहे हैं। इसके लिए एक महीने में प्रकाशित उनके अखबार की प्रतियों का अवलोकन भी किया जा सकता है। इसके अलावा रघुवीर चंद जिंदल सोनभद्र में बतौर पत्रकार कार्य भी नहीं करते हैं। इन हालातों में उनका चयन भारतीय प्रेस परिषद के दिशानिर्देशों का खुलेआम उल्लंघन है। इस संबंध में मैंने 22 मार्च 2014 को ई-मेल के माध्यम से जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश, मुख्य चुनाव आयुक्त, नई दिल्ली आदि को अवगत कराया था (संलग्नक-4)। इसका संज्ञान लेते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश ने जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र को मामले की जांच करने और सही व्यक्ति का चयन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे लेकिन अभी तक जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र ने रघुवीर चंद जिंदल को एमसीएमसी से नहीं हटाया है। इसके लिए वह विधानसभा चुनाव-2012 में एमसीएमसी के गठन को आधार बना रहे हैं जबकि प्रार्थी ने 10 फरवरी, 2012 को भी रघुवीर चंद जिंदल के गैर-वैधानिक चयन की शिकायत आयोग से की थी लेकिन उस समय उसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई (संलग्नक-5)। इसका नतीजा यह रहा कि विधानसभा चुनाव-2012 के दौरान जिले में पेड न्यूज का एक भी मामला सामने नहीं आया। वास्तव में पत्रकार/स्वतंत्र नागरिक के रूप में जिस व्यक्ति का चयन पेड न्यूज की निगरानी के लिए किया जा रहा है, उसे पेड न्यूज के मामले से कोई लेना देना नहीं है। इससे यह प्रतीत होता है कि जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र जानबूझकर पूर्व में की गई गलती को दोहरा रहे हैं। साथ ही वह भारत निर्वाचन आयोग तथा भारतीय प्रेस परिषद के दिशा-निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं। असल में यह सब जिले में जिला सूचना अधिकारी की नियुक्ति पिछले करीब 10 सालों से नहीं होने की वजह से हो रहा है। इस विभाग में पूर्ण रूप से लिपिक की तैनाती भी नहीं है। विभाग के सभी कार्यों की देखरेख उर्दू अनुवादक सह लिपिक नेसार अहमद करते हैं जिसकी वजह से पत्रकारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वह प्रशासन की नीतियों के प्रचार-प्रसार में रुचि लेने की जगह लाइजनिंग में ज्यादा समय जाया करते हैं (संलग्नक-6 का अवलोकन करें जिसमें दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर में विभाग के एक कर्मचारी द्वारा लाइजनिंग किए जाने का आरोप है)। इससे पत्रकारों को चुनाव प्रक्रिया की समुचित जानकारी नहीं हो पाती है। इसे लेकर पत्रकार संगठन जिला सूचना अधिकारी की नियुक्ति किए जाने की मांग भी कई बार कर चुके हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन पूर्व की गलतियों को सुधारने के लिए तैयार नहीं है। अगर जिला निर्वाचन अधिकारियों और चुनाव आयोग द्वारा इसी प्रकार से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने का वादा किया जाता है तो फिर जनता के लाखों रुपये पेड न्यूज मॉनिटरिंग के नाम पर क्यों खर्च किए जा रहे हैं? क्या चुनाव आयोग और उसके प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाले जिला निर्वाचन अधिकारी भारतीय संविधान और उसके तहत निर्मित विधियों के ऊपर हैं? अगर ऐसा ही है तो फिर वे जनता के बेशकीमती समय और धन को क्यों बर्बाद किया जा रहा है?
अतः श्रीमान् जी से निवेदन है कि जनहित में उक्त प्रकरण की जांच भारतीय प्रेस परिषद और चुनाव आयोग के प्रतिनिधि खुद करें और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी अथवा कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई कर उपयुक्त व्यक्ति का चयन एमसीएमसी में करने की कृपा करें जिससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा साकार हो सके।
दिनांकः 26-04-2014
शिव दास प्रजापति
प्रतिलिपिः
(1) अध्यक्ष, भारतीय प्रेस परिषद, नई दिल्ली।
(2) मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश।
(3) जिला निर्वाचन अधिकारी, सोनभद्र।
(4) प्रेक्षक, रॉबर्ट्सगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र।
(5) श्री अनिल चमड़िया, प्रमुख, मीडिया स्टडीज ग्रुप, नई दिल्ली।
(6) निदेशक, इलेक्शन वॉच, नई दिल्ली।
(7) संपादक, भड़ास4मीडिया.कॉम।
(8) संपादक, द हूट.कॉम।
(9) संपादक, जनसत्ताएक्सप्रेस.नेट।
(10) संपादक, हस्तक्षेप.कॉम।
(11) अध्यक्ष, प्रेस क्लब, नई दिल्ली।
(12) ओमर राशिद, संवाददाता, द हिन्दू।
(13) सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रमुख।
(14) अन्य