सुप्रीम कोर्ट ने वेबसाइटों और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को 36 घंटे के भीतर हटाने के मामले में केंद्र की ओर से बनाए नियमों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। केंद्र सरकार के नियम के मुताबिक शिकायत मिलने पर वेबसाइटों से 36 घंटे के भीतर आपत्तिजनक पोस्ट को हटाना जरूरी है। इस नियम के खिलाफ एक वेबसाइट ने शिकायत की थी लेकिन अदालत ने इस पर स्थगनादेश से इंकार कर दिया है।
जस्टिस एच.एल.गोखले और जे. चेलामेश्वर ने अपने एक फैसले में कहा कि इस तरह की आपत्तिजनक पोस्ट पर व्यापक नजरिये से विचार करना होगा। ऐसी प्रवृतियों का व्यापक असर होता है और यह पूरे देश में फैल सकती है। एक अरब बीस करोड़ की आबादी वाले इस देश में ऐसी साइटों पर अगर कुछ आपत्तिजनक प्रकाशित होता है तो इसकी चपेट में पूरा देश आ सकता है। खास कर तब, जब ऐसी पोस्ट धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों से जुड़ी हों।
गौरतलब है कि कंटेट और कंज्यूमर रिव्यू वेबसाइट माउथशट.कॉम ने एक याचिका दायर कर दलील दी थी कि सरकार के आईटी कानून अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं। इसे आधार बना कर वेबसाइट ने इस तरह की पोस्ट को हटाने के नियम को रद्द करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे पहली नजर में सरकार के इस नियम में कोई खामी नजर नहीं आती। सबको पता है कि अफवाहों का असर होता है। पिछले दिनों म्यांमार और भारत के उत्तर पूर्व में कुछ हुआ और अफवाह की वजह से बेंगलुरू में रहने वाले उत्तरपूर्व के लोगों को शहर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। इसलिए इस तरह के पोस्ट के प्रति सावधान रहना बेहद जरूरी है।