Shambhunath Shukla : कल अमर उजाला के सीनियर एडिटर हरवीर सिंह मिल गए। भरे गले से बोले- सर आप डिप्रेशन जैसी बातें न लिखा करिए। इससे हम लोगों को भी डिप्रेशन होने लगता है। हमें तो आप पर गर्व है। और आपको कमी किस बात की है? हरवीरजी, कृषि और अर्थ क्षेत्र के नामी पत्रकार हैं। हिंदी बेल्ट में कृषि की समझ रखने वाले ऐसे पत्रकार कम हैं। मुझे उनकी बात से लगा कि नहीं, लोगों को मेरी पीड़ा का अहसास है।
Tag: deperession
रिटायरमेंट के बाद डिप्रेशन के घेरे में आ गया हूं : शंभूनाथ शुक्ला
Shambhunath Shukla : घर में कुल जमा दो लोग हैं। दिल्ली से लेकर कानपुर, कोलकाता, चेन्नई और पुरी तक फैला अपना विस्तार है। जहां चाहूं दौड़कर या अपनी इनोवा गाड़ी खुद ड्राइव करता हुआ जा सकता हूं। समय भी खूब है और बंधन कोई नहीं। उम्र कुल ५८ की है। सरकारी सेवा में रहता तो ६५ साल में रिटायर होता। इस तरह पूरे सात साल मुझे मिल गए हैं सक्रिय रहने के। पत्नी की उम्र मुझसे करीब एक साल ज्यादा है। उनके पैरों में गठिया के कारण चलने फिरने में तकलीफ भी रहती है। लेकिन मैं पाता हूं कि वे मेरी तुलना में अधिक चलखुर हैं।
डिप्रेशन के शिकार हो चुके हैं राहुल गांधी!
वो सुब्रत राय और अम्बानियों से दूर रहते हैं. राजीव शुक्ल और अहमद पटेल जैसों को वो भीतर से पसंद नहीं करते. उनके दरबार में रसूख और रइसजादों की वाकई अहमियत नहीं. प्रधानमंत्री हो या वित्तमंत्री …हर बड़े को उनसे मिलने या बात करने के लिए समय लेना होता है. और हर बड़ा फैसला उनके बिना लेने की आज देश में किसी की हैसियत नहीं है. वो निहायत शरीफ हैं और चकाचौंध छोड़कर सादगी से जीते हैं. लेकिन वो परेशान हैं. वो सहमे हैं, खुद के भविष्य से. उनका आत्मविश्वास उन्हें छल रहा है. और अगर मेरी खबर सही है तो वो एक तरह के मनोवैज्ञानिक दबाव की स्थिति से गुजर रहे हैं. अगर हिम्मत करके लिखूं तो वो एक तरह के डिप्रेशन से घिरते जा रहे हैं.