: बम विस्फोट की लगातार घटनाएं, पसरती अराजकता, बेलगाम भ्रष्टाचार इन सब के मूल में हैं, हमारा गड़बड़ चरित्र. उसूलहीन जीवन. पैसा और भोग के प्रति गुलामी. 1857 या आजादी की लड़ाई के दौर, कभी-कभार हमारे जीवन में रोशनी लेकर आते हैं. पर हम बार-बार अंधकार का ही वरण करते हैं. राष्ट्रीय जीवन का कोई क्षेत्र बचा रहा गया है, जहां चरित्र का तेज हो, आदर्श की आभा हो, देश के लिए कुछ कर गुजरने की जिद हो? :