हमेशा की तरह पूरे 36-48 घंटे इंतजार किया कि किसी का तो जमीर जागेगा और शायद 'भड़ास' पर यह खबर पढ़ने को मिलेगी। जब देखा 'भड़ास' पर इस खबर की एक लाइन नहीं है, फिर तय किया, चलो इस बार भी अपन ही खबर भेजें। तो हुआ यूं कि आन-बान-शान के लिए जाने वाले राजस्थान के मेरे शहर 'अजमेर शरीफ' के पत्रकारों ने कल फिर एक गुल खिला दिया।