पायनियर हिंदी का हाल : हर दो माह बाद एक माह की तनख्वाह मिलती है

लखनऊ : यशवंत जी, पायनियर हिन्दी की हालत आप या किसी भी मीडिया घराने से छुपी नहीं हैं। अखबार की लांचिग से ही यहां पर आर्थिक कठिनाइयां पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही है। शुरुआत के छह माह बाद यहां पर काम करने वाले रिपोर्टरों की स्थिति नाजुक हो गयी है। 2011 की दिवाली क्या बीती, यहां पर तो काम करने वालों को खाने के लाले पड़ गये हैं। दीवाली के बाद दो माह की सेलरी स्थानीय प्रबंधन द्वारा रोक जाने के बाद स्वयं चन्दन मित्रा ने आकर यहां पर स्टाफ को जल्द से जल्द सेलरी दिलाने का वादा किया था। मगर जैसे ही मित्रा जी ने दिल्ली का रुख किया, वैसे ही सेलरी यहां पर बंद हो गयी है।