संजय से स्वामीजी को कमरा बंद करके चर्चा क्यों करनी पड़ी?

: अब  एक और संजय नहीं : वह लगभग चौदह-पन्द्रह वर्ष का लड़का था… नाम था संजय.. आश्रम में सफाई और इधर-उधर के छोटे-मोटे काम करता… तवे सा काला रंग, फटी पैंट, बड़े-बड़े दाँत, मैली टीशर्ट और हमेशा चेहरे पर रहने वाली हँसी उसकी पहचान थी… उसके दिन भर हँसते रहने से आश्रम आने वाले यात्री परेशान होते और इसी से वह सबकी डांट खाता… एक दिन उसे किसी ने इसी बात पर थप्पड़ मार दिया और वह रोता हुआ मेरे पास आया… मैंने उसे चुप कराते हुए कहा कि तुम सफाई से रहने की आदत डालो और मुझसे रसोई का काम सीखो.