अतुल माहेश्‍वरी ने कहा- जाकर कानपुर में संपादकीय प्रभार संभालिए

घर से छोड़कर बार-बार बाहर जाने का एक लाभ मिला कि मुझे तमाम चीजों की अनायास जानकारी हो गई जिसके लिए लोगों को सालों किताबों में सिर खपाना पड़ता है। इमरजेंसी खत्म होने के बाद कलकत्ता से आनंदबाजार पत्रिका समूह ने हिंदी में अपना पहला प्रयोग किया साप्ताहिक रविवार निकाल कर। निकलते ही रविवार ने धूम मचा दी। हम लोग पूरा हफ्ता इंतजार करते कि रविवार कब आएगा। सुरेंद्र प्रताप सिंह और उदयन शर्मा स्टार बन चुके थे।

‘सर आप डिप्रेशन जैसी बातें न लिखें, इससे डिप्रेशन हम लोगों को होने लगता है’

Shambhunath Shukla : कल अमर उजाला के सीनियर एडिटर हरवीर सिंह मिल गए। भरे गले से बोले- सर आप डिप्रेशन जैसी बातें न लिखा करिए। इससे हम लोगों को भी डिप्रेशन होने लगता है। हमें तो आप पर गर्व है। और आपको कमी किस बात की है? हरवीरजी, कृषि और अर्थ क्षेत्र के नामी पत्रकार हैं। हिंदी बेल्ट में कृषि की समझ रखने वाले ऐसे पत्रकार कम हैं। मुझे उनकी बात से लगा कि नहीं, लोगों को मेरी पीड़ा का अहसास है।

रिटायरमेंट के बाद डिप्रेशन के घेरे में आ गया हूं : शंभूनाथ शुक्ला

Shambhunath Shukla : घर में कुल जमा दो लोग हैं। दिल्ली से लेकर कानपुर, कोलकाता, चेन्नई और पुरी तक फैला अपना विस्तार है। जहां चाहूं दौड़कर या अपनी इनोवा गाड़ी खुद ड्राइव करता हुआ जा सकता हूं। समय भी खूब है और बंधन कोई नहीं। उम्र कुल ५८ की है। सरकारी सेवा में रहता तो ६५ साल में रिटायर होता। इस तरह पूरे सात साल मुझे मिल गए हैं सक्रिय रहने के। पत्नी की उम्र मुझसे करीब एक साल ज्यादा है। उनके पैरों में गठिया के कारण चलने फिरने में तकलीफ भी रहती है। लेकिन मैं पाता हूं कि वे मेरी तुलना में अधिक चलखुर हैं।