घर से छोड़कर बार-बार बाहर जाने का एक लाभ मिला कि मुझे तमाम चीजों की अनायास जानकारी हो गई जिसके लिए लोगों को सालों किताबों में सिर खपाना पड़ता है। इमरजेंसी खत्म होने के बाद कलकत्ता से आनंदबाजार पत्रिका समूह ने हिंदी में अपना पहला प्रयोग किया साप्ताहिक रविवार निकाल कर। निकलते ही रविवार ने धूम मचा दी। हम लोग पूरा हफ्ता इंतजार करते कि रविवार कब आएगा। सुरेंद्र प्रताप सिंह और उदयन शर्मा स्टार बन चुके थे।
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”वीरेंद्र को कानपुर बुला लीजिए वह डेस्क के लायक ही है”
घूमने का शौक कम लोगों को होता है। खासकर रिस्क लेकर घूमने का शौक। बात २००४ की है तब मैं कानपुर में अमर उजाला का संपादक था। हमारे समूह संपादक शशि शेखर कानपुर के दौरे पर आए तो बोले कि मैं कानपुर से कवर होने वाले सारे जिलों के संवाददाताओं, वहां के दफ्तरों को मैं रूबरू देखूंगा। बुंदेलखंड के चार जिले तब कानपुर से ही कवर होते थे। बांदा, हमीरपुर, महोबा, चरखारी, जालौन और चित्रकूट।