जिस संपादक का यहां जिक्र हो रहा है उनके महिला प्रेम को मैं जानता हूं

: एक रसिक संपादक के बहाने कुछ यूं ही : अक्सर लड़कियों एवं महिलाओं की शिकायत होती है कि पुरूष उनके शरीर को छूने का बहाना ढूंढते रहते हैं। जो पुरूष ऐसा करने की कोशिश करते हैं उन्हें नीच समझा जाता है। मीडिया एवं साहित्य में ऐसा अक्सर देखा जाता है। कई बार इसी आधार पर यौन प्रताड़ना का मामला बन जाता है और लोग नमक—मिर्च लगाकर उस पुरूष को नीच ठहराते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि सभी पुरूषों की ऐसी लालसा होती है। यह स्वभाविक है।

वीर अनशनकारियों का देश : कई करते हैं, कुछ कराते हैं

अन्ना हजारे से नाराज हमारे महान नेताओं और मंत्रियों को इस बात पर घोर आपत्ति है कि केवल 12 दिन भूखे रह कर एक मामूली आदमी जननायक बन गया जबकि वर्षों से देश सेवा में जी-जान से जुटे नेताओं और मंत्रियों को कोई भाव नहीं दे रहा है, जिनकी बदौलत देश के लाखों गरीब, मजदूर और किसान वर्षों आमरण अनशन कर रहे हैं। अन्ना का अनशन तो 12 दिन में ही खत्म हो गया लेकिन देश के नेताओं के कारण लाखों लोग महीनों-वर्षों तक आमरण अनशन कर रहे हैं और कई तो अपने अनशन के प्रति इतने समर्पित होते हैं कि वे भूख के कारण स्वर्ग सिधार जाते हैं, लेकिन अपना अनशन नहीं तोड़ते, लेकिन इन्हें कोई महत्व नहीं दे रहा है।