मेरी भी सुनो मेरी मां शायद ये नहीं जानती, हर चीज दौलत से तौली जाती है बचपन की कुछ बातें याद हैं मुझे / याद है मेरी मां का आशाओं से भरा वो चेहरा सपनों से भरी वो आंखें /... Bhadas4Media.comMay 7, 2011
देश-प्रदेश परिजनों ने एक बिटिया को सरेआम मारा, किसी को खबर तक नहीं नजमा परवीन नहीं रही। 21 साल की इस लड़की जला जिस्म भले ही छित्तनपुरा के फखरूद्दीन बाबा क्रबिस्तान में मिट्टी के ढेर के नीचे... Bhadas4Media.comApril 24, 2011
मेरी भी सुनो इससे सस्ता नहीं हो सकता कैंसर का इलाज! : देसी पद्धति सर्वपिष्टी से इलाज करने का दावा : चिकित्सा विज्ञान जटिलतम बीमारियों के गूढ़ रहस्यों का पता लगाने के लिए निरन्तर जूझ... Bhadas4Media.comApril 22, 2011
मेरी भी सुनो शर्म! इन ठेकेदारों को नहीं पता भगत सिंह का शहादत दिवस ये शिव सेना है, जो कह दे, जो कर दे कम है। इनके लिए वेलेंनटाइन डे पश्चिम से आयातित पर्व है सो इसका विरोध... Bhadas4Media.comFebruary 16, 2011
समाज-सरोकार वेलेंटाइन (4) : हमने इश्क को नया नाम दिया है भाषा, मजहब, सरहद के नाम पर बंटे लोगों की जितनी जुबानें होती है, उतनी ही मोहब्बत की दास्तानें होती हैं। पर सबसे अहम बात... Bhadas4Media.comFebruary 14, 2011
साहित्य जगत …हर मौसम में फतवे जारी किया करो [caption id="attachment_2528" align="alignleft" width="124"]राहत इंदौरी [/caption]: इंटरव्यू : राहत इंदौरी (शायर) : रवायतों के सफे तोड़ के आगे बढ़ो... वरना तुमसे जो आगे हैं... Bhadas4Media.comDecember 23, 2010
मेरी भी सुनो ‘कल चमन था, आज सहरा हुआ’ गंगा के नाम पर धंधा चलाने वालो का क्या कहना। गंगा के नाम पर एक भी मौका नहीं चूकते खाने कमाने का। काशी में... Bhadas4Media.comNovember 26, 2010
साहित्य जगत हमनें नमाजें भी पढ़ी है, गंगा तेरे पानी से वजू करके : नजीर साहब के जन्म दिन पर : नजीर साहब की एक गजल है - कभी खामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे, मैं उतना याद... Bhadas4Media.comNovember 25, 2010
तेरा-मेरा कोना जिन्दा रहने के पीछे मजबूत तर्क नहीं है तो..! : कवि सुदामा पाण्डेय धूमिल की पुण्य तिथि पर विशेष : खेवली के सुदामा पाण्डेय यानी धूमिल ताउम्र जिन्दा रहने के पीछे मजबूत तर्क... Bhadas4Media.comNovember 9, 2010
बातों बातों में अन्याय और शोषण के खिलाफ इंकलाब का नाम है भगत सिंह : जन्म दिन 28 सितंबर पर विशेष : इंकलाब को जिदांबाद का इन्तजार : भगत सिंह अन्याय और असत्य के सामने कभी नहीं झुके।... Bhadas4Media.comSeptember 27, 2010
साहित्य जगत आज तुम खुद बुत में कैद होकर रह गए हो हे राम त्रेता से कलयुग तक के सफर में मूल्य बोध कितने बदल गए और तुम एक बुत बनकर रह गए और साथ उस... Bhadas4Media.comSeptember 18, 2010