मुजफ्फरपुर। प्रथम श्रेणी के विद्वान न्यायिक दंडाधिकारी दीवांशु श्रीवास्तव ने परिवाद-पत्र संख्या-2638/2012 में 30 मई, 2013 को ऐतिहासिक फैसला दिया और दैनिक जागरण अखबार प्रकाशित करने वाली कंपनी मेसर्स जागरण प्रकाशन लिमिटेड, सर्वोदय नगर, कानपुर-208005, के 17 निदेशकों और संपादकों के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420, 471 और 476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराएं 8 (बी),14 और 15 के तहत ‘प्रथम दृष्टया आरोप‘ सही पाया। न्यायालय ने सभी 17 नामजद अभियुक्तों को ‘सम्मन‘ जारी करते हुए न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश पारित किया। न्यायालय ने नामजद सभी 17 अभियुक्तों को निबंधित डाक से ‘सम्मन‘ जारी करने का आदेश कार्यालय लिपिक को दिया।
मुंगेर के दैनिक हिन्दुस्तान के 200 करोड़ के सरकरी विज्ञापन फर्जीवाड़ा के बाद विश्व का यह दूसरा सनसनीखेज सरकारी विज्ञापन घोटाला है, जिसमें दैनिक जागरण अखबार के निदेशकों और संपादकों ने करोड़ों रुपए का सरकारी विज्ञापन प्राप्त करने के लिए प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 और भारतीय दंड संहिता के कानूनों को ठेंगा दिखाया और दस्तावेजों में सनसनीखेज जालसाजी की। अभियुक्तों ने मुजफ्फरपुर से बिना निबंधन का दैनिक जागरण का मुजफ्फरपुर संस्करण लगभग सात वर्षों तक प्रकाशित किया और केन्द्र और राज्य सरकारों के समक्ष मुजफ्फपुर संस्करण को निबंधित अखबार के रूप में सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर करोड़ों-करोड़ रुपए का सरकारी विज्ञापन प्राप्त कर सरकारी राजस्व की लूट मचाई।
कौन-कौन अभियुक्त बने?
न्यायालय ने मेसर्स जागरण प्रकाशन लिमिटेड (कानपुर) के निदेशक मंडल, संपादकीय बोर्ड और प्रबंधन के जिन अधिकारियों को भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420, 471, 476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराएं 8 (बी), 14 और 15 के तहत अभियुक्त बनाया हैं, उनमें शामिल हैं:- (1) महेन्द्र मोहन गुप्ता (चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक और प्रबंध संपादक, दैनिक जागरण), (2) संजय गुप्ता (सीईओ सह संपादक, दैनिक जागरण), (3) धीरेन्द्र मोहन गुप्ता (पूर्णकालीक निदेशक), (4) सुनील गुप्ता (पूर्णकालीक निदेशक सह स्थानीय संपादक, दैनिक जागरण), (5) शैलेश गुप्ता (पूर्णकालीक निदेशक), (6) भारतजी अग्रवाल (स्वतंत्र निदेशक), (7) किशोर वियानी (स्वतंत्र निदेशक), (8) नरेश मोहन (स्वतंत्र निदेशक), (9) आरके झुनझुनवाला (स्वतंत्र निदेशक), (10) रशिद मिर्जा (स्वतंत्र निदेशक), (11) शशिधर नारायण सिन्हा (स्वतंत्र निदेशक), (12) विजय टंडन (स्वतंत्र निदेशक), (13) विक्रम बख्शी (स्वतंत्र निदेशक), (14) अमित जयसवाल (कंपनी सचिव), (15) आनन्द त्रिपाठी (महाप्रबंधक और मुद्रक, दैनिक जागरण), (16) देवेन्द्र राय (स्थानीय संपादक, दैनिक जागरण, मुजफ्फरपुर) और (17) शैलेन्द्र दीक्षित (स्थानीय संपादक, दैनिक जागरण, पटना)।
दो धाराएं गैरजमानतीय : 7 साल की सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 420 – जालसाजी और धोखाधड़ी से किसी व्यक्ति को किसी चीज देने के लिए मजबूर करना। गैर-जमानतीय है। भारतीय दंड संहिता की धारा 476। जालसाजी से किसी दस्तावेज को ‘प्रामाणिक दस्तावेज‘ का रूप देना। भी ‘गैर-जमानतीय‘ है। दोनों धाराओं में सात साल तक की सजा और जुर्माना का भी प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 471। जालसाजी और धोखाधड़ी के द्वारा जाली दस्तावेज को सही और वास्तविक दस्तावेज घोषित कर उपयोग करना। ‘जमानतीय‘ है।
आग का दरिया और मौत की नाव : शुरू हो गई जान से मारने की धमकी
न्यायालय के आदेश के बाद से दैनिक जागरण सरकारी विज्ञापन घोटाला के परिवादी रमण कुमार यादव (मुजफ्फरपुर), जांच साक्षी नं. – (01) कंचन शर्मा, मुंगेर, जांच – साक्षी नं. – (02) बिपिन कुमार मंडल और जांच -साक्षी नं. – (03) श्रीकृष्ण प्रसाद को अभियुक्तों के लोगों के द्वारा सपरिवार जान से मारने की लगातार धमकियां मिलनी शुरू हो गई हैं।
अभियुक्तों ने विज्ञापन मद में करोड़ों का चूना लगाया केन्द्र और राज्य सरकारों को
परिवादी और जांच -साक्षी का कहना है कि –‘‘सरकारी विज्ञापन पाने के लिए दैनिक जागरण के निदेशकों और संपादकों ने बिना निबंधन का मुजफ्फरपुर संस्करण लगभग सात वर्षों तक प्रकाशित किया और दैनिक जागरण को निबंधित अखबार केन्द्र और राज्य सरकारों की संचिकाओं में घोषित कर केन्द्र और राज्य सरकारों को सरकारी विज्ञापन प्रकाशन मद में करोड़ों रुपए के राजस्व को डंका की चोट पर चूना लगाया।
परिवादी और जांच -साक्षी का कहना है कि —‘‘‘ दैनिक जागरण के फर्जी संस्करण और करोड़ों रुपए के सरकारी विज्ञापन घोटाला को उजागर करने का दुस्साहसिक कार्य ‘आग के दरिया में मौत की नाव में यात्रा करने‘ के बराबर है।‘‘
बहस मुंगेर के चर्चित अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने की : दैनिक जागरण के करोड़ों के सरकारी विज्ञापन फर्जीवाड़ा के मुकदमे में प्लाट का निर्माण और मुजफ्फरपुर न्यायालय में संज्ञान के बिन्दु पर अब तक की सभी बहस बिहार के मुंगेर जिले के चर्चित और वरीय अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने की थी। न्यायालय में बहस में अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद ने प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 के घोर उल्लंघन और कानून के घोर उल्लंघन के दस्तावेजी साक्ष्यों को सिलसिलेवार ढंग से न्यायालय के समक्ष ‘अंग्रेजी‘ में प्रस्तुत किया था। जब अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद न्यायालय में
अंग्रेजी में विश्व के चर्चित दैनिक जागरण विज्ञापन घोटाला के मुकदमे में संज्ञान के बिन्दु पर बहस कर रहे थे, न्यायालय में उपस्थित अन्य विद्वान अधिवक्तागण गंभीरता और कौतूहलपूर्वक बहस की सूक्ष्मता पर केन्द्रित होकर गंभीरतापूर्वक मनन करते देखे गए। देश के चर्चित अखबार दैनिक जागरण के निदेशकों और संपादकों के करोड़ों-करोड़ के आर्थिक भ्रष्टाचार का सनसनीखेज और अनूठा मामला जो न्यायालय में था।मुजफ्फरपुर से वरिष्ठ पत्रकार काशी प्रसाद की रिपोर्ट. इनसे संपर्क मो. नम्बर 09470400813 के जरिए किया जा सकता है.