नौजवानों पत्रकारों के एक समूह ने नेटवर्क18 में हुई छंटनी के खिलाफ कुछ घंटों की नोटिस पर पत्रकार एकजुटता मंच बनाया और ठीक दो दिन बाद एक विरोध प्रदर्शन का एलान कर दिया. यह प्रदर्शन नोएडा स्थित फिल्म सिटी के आईबीएन7 व सीएनएन-आईबीएन के आफिसों पर होना तय हुआ. फिल्म सिटी में संभवतः पहली बार ऐसा हुआ कि कई घंटे तक पत्रकारों के नारों की गूंज यहां से लेकर वहां तक सुनाई देती रही. इस मौके की कुछ तस्वीरें…
इस प्रदर्शन पर दो साथियों ने फेसबुक पर यूं कमेंट किया है…
Kumar Rajesh : नोएडा फिल्म सिटी की गलियां आज पत्रकारों, छात्रों और संस्कृतिकर्मियों के नारों से गूज उठीं. नारों से सीएनएन-आईबीए और आईबीएन सेवन के दफ्तरों की खिड़कियां खड़क उठीं. संपादकों के शरीर में सनसनी दौड़ गई.राघव बहल, राजदीप सरदेसाई और आशुतोष गुप्त बंद शीशों के बंद कमरों से बाहर आने की हिम्मत नहीं जुटा सके. सवाल पर सवाल दागने वाले ये तथाकथित पत्रकार पत्रकारों के सवालों से मुँह चुराते नजर आए. खुद सामना करने की हिम्मत और नैतिक ताकत नहीं बची थी तो पुलिस और पीएसी बुला ली. लेकिन अभी तो यह अंगड़ाई है. आगे बड़ी लड़ाई है.
Lalit Fulara : आज रात सपने में कॉरपोरेट मीडिया घराने के दलाल तथाकथित स्वयंभू पत्रकार आशुतोष के कानों में 'दलाली बंद करो' के नारे जरुर गुजेंगे. रात में डंडा लिए लोग 'जनता की आए पलटनिया' के नारे लगाते हुए उसके आंखों के आगे नाचेंगे. वो भूलाए भी आज का विरोध प्रदर्शन नहीं भूल पाएगा.. वैसे किसी को मौका मिले तो उसके दिल की धड़कन नाप ले..कहीं अटैक का खतरा ना बढ़ गया हो…. इससे बचने के लिए जब महोदय सिगरेट का सहारे लेंगे तो धुंआ उनके शरीर को अपने आगोश में लेकर ‘आशुतोष मुर्दाबाद’ की याद दिलाएगा.. वैसे आशुतोष जैसे दलाल और बेर्शम को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला उसने अपने लिए नींद की गोली का इंतजाम कर लिया होगा………सुनो भई आशुतोष….एसी रुम में बैठे तुम, सोच रहे होगे अब नई चाल…शर्म करो या बने रहोगे अभी भी दलाल…
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