उत्तराखंड में घपले-घोटालों का सिलसिला अनवरत जारी है। भ्रष्ट नौकरशाही और राजनेताओं की चमड़ी कमीशनखोरी करते-करते इतनी मुठिया चुकी है कि उन पर न तो किसी जांच रिपोर्ट का असर होता है और न ही उन्हें रत्तीभर शर्म ही महसूस होती है। कमीशनखोरी, घपले-घोटालों के लिए कुख्यात सूचना महकमे में बैठे भ्रष्ट अफसर तो इतने बलवान हैं कि जब एक ईमानदार आईएएस दिलीप जावलकर ने इनके कुकर्मों की जांच करवाकर कार्रवाई के लिए कदम बढ़ाए तो उनको ही विभाग से विदा करवा दिया गया। नतीजन जावलकर के आदेश पर हुए स्पेशल आडिट की रिपोर्ट धूल फांक रही है। इस सबसे अब एक आम धारणा जड़ बना चुकी है कि भ्रष्टाचारियों का कुछ नहीं बिगड़ सकता है, आप चाहे तो कितना ही चिल्लाते रहो या कागज पोतते रहो। इस जड़ता को तोड़ने की दिशा में मैने खुद जावलकर की आडिट रिपोर्ट को आधार बनाते हुए पुलिस में सूचना विभाग के घोटालेबाजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए शिकायत की है। ये रहा राज्य के पुलिस महानिदेशक को लिखा शिकायती पत्र……देखते हैं पुलिस इस पर क्या रंग दिखाती है…..
सेवा में,
पुलिस महानिदेशक,
उत्तराखंड पुलिस।
विषयः सरकारी धन के दुरूपयोग व गबन के आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के संबंध में।
महोदय,
निवेदन इस प्रकार है कि राज्य के सूचना महानिदेशालय कार्यालय में कतिपय अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी कर कुछ संस्थाओं के साथ मिलीभगत कर सरकारी धन का दुरूपयोग-गबन किया जा रहा है। गत वर्ष तत्कालीन सूचना महानिदेशक श्री दिलीप जावलकर द्वारा निदेशालय के भ्रष्ट अधिकारियों के कारनामों की जांच के लिए वर्ष 2011-12 का स्पेशल आडिट कराया गया, जिसमें भ्रष्ट तौर-तरीकों से अफसरों ने कुछ संस्थाओं यथा कुमार वेजिटेरियन, प्रभातम, कलर चैकर्स आदि के साथ साजिश कर लाखों रूपयों की हेराफेरी का मामला सामने आया है। आडिट रिपोर्ट के अवलोकन से सरकारी धन के दुरूपयोग व गबन में अपर निदेशक अनिल चंदोला, संयुक्त निदेशक राजेश कुमार, सहायक निदेशक एसके चैहान व वित्त अधिकारी ओपी पंत की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है।
अतः निवेदन है कि आडिट रिपोर्ट को आधार मानते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर सरकारी धन के दुरूपयोग की जांच कर संबंधित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
संलग्नः आडिट रिपोर्ट
प्रार्थी
दीपक आजाद