सोनभद्र के जिला निर्वाचन अधिकारी की मुख्य निर्वाचन आयुक्त से शिकायत

पेड न्यूज पर अंकुश लगाने की भारतीय प्रेस परिषद और चुनाव आयोग की कोशिश पर सोनभद्र के जिला निर्वाचन अधिकारी पानी फेर रहे हैं। चुनाव आयोग शिकायत का संज्ञान ले चुका है लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी अखबार मालिक को पेड न्यूज मॉनिटरिंग कमिटी के सदस्य पद से हटाने के लिए तैयार नहीं हैं जबकि यह अखबार ना ही सोनभद्र से प्रकाशित होता है और ना ही इसका मालिक और संपादक सोनभद्र जिले का पत्रकार है। सोनभद्र में ‘पेड न्यूज मॉनिटरिंग कमेटी’ के सदस्य के रूप में स्वंतत्र नागरिक/पत्रकार की श्रेणी में योग्य व्यक्ति का चयन नहीं करने की शिकायत पर जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा उचित कार्रवाई नहीं किए जाने के संबंध में भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिखा गया पत्रः

आजमगढ़ः संप्रदायिकता नहीं, जातीय वर्चस्व की जंग में मुलायम

मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं, समाचार माध्यमों में इस इस तरह की अटकलें पहले से ही थीं परन्तु हर बार पार्टी की ओर से इसका खण्डन किया जाता रहा। मंथन इस बात पर चल रहा था कि सपा के इस क्षेत्र में खिसकते जातीय आधार पर कैसे काबू पाया जाए? ऐसे में सपा द्वारा यह कहना कि सांप्रदायिकता के खिलाफ आजमगढ़ में मुलायम सिंह चुनाव मैदान में हैं, यह महज एक शिगूफा है, जिसे क्षेत्र का मुसलमान समझ रहा है।

लाख रुपए दीजिए, न्यूज़ चैनल आईडी और जिले की कमान लीजिए

देहरादून में मीडिया की अड्डेबाज़ी अब भू माफियाओं ने सम्हाल ली है। कलम को गिरवी रखने का खेल तो काफी समय से चल रहा था लेकिन अब न्यूज़ चैनल की आईडी बेच कर लाखों में पत्रकार बनाने का खेल भी शुरु हो गया है। इसके चलते ईमानदारी से पत्रकारिता करने वाले खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। ख़बर है कि देहरादून में कुछ दिनों पूर्व शुरू हुए न्यूज़ चैनल राष्ट्र ख़बर ने जिस तेज़ी से ग्राउंड बनाना शुरु किया था उसी तेज़ी से चैनल ने कमाई करने की छूट भी अपने यहां के पत्रकारों को देनी शुरु कर दी। लोकसभा चुनाव का मौसम था तो लगे हाथ कुछ लोगो ने मीडिया का चोला पहन कर धन उगाही का सपना देख लिया था। लेकिन सपना पूरा होने से पहले ही इस न्यूज़ चैनल की हकीकत लोगों के सामने आ गयी।

पलवल में पत्रकार और उसके परिजनों को हत्या के प्रयास में फंसाने की साज़िश का पर्दाफाश

पलवल में व्यापारी पर हुए जानलेवा हमले के मामले का खुलासा जिला पुलिस कप्तान राकेश कुमार आर्य ने पत्रकार वार्ता के दौरान किया। घटना की साजिश रचने और अंजाम देने वालों को भी पत्रकारों के समक्ष पेश किया गया। पुलिस ने इस मामले में व्यापारी के तीन साथियों को भी गिरफ्तार किया है, जबकि व्यापारी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। एसपी ने कहा की व्यापारी ने योजना के तहत दूसरे लोगों को फंसाने के लिए चाक़ू मारने की साजिश रचि थी। इसमें और भी लोगों का हाथ होने की सम्भावना बतायी गई है। मामले में आरोपी बने वैश्य समाज के प्रधान और पत्रकार ओमप्रकाश गुप्ता, उनके बेटे और भाई को निर्दोष बताया गया है। इस तरह का झूठा मामला पलवल में पहली बार उजागर हुआ है। यह मामला हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और युपीए अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गांधी और राहुल गांधी की चौखट तक पहुंच भी पहुँच गया था।

दलित बहन-बेटियों पर की गई टिप्पणी से उजागर हुआ रामदेव का कुलषित चरित्र

रामदेव नाम का ढोंगी बाबा असल में घिनौने चरित्र का और रुग्ण मानसिकता का शिकार है जो दूसरों का उपचार करने की बात करता है लेकिन उसका स्वयं का मस्तिष्क विकृत हो चुका है। जिसे दलित समाज की बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार करने में शर्म नहीं आती, उसे इंसान कहना ही इंसान को गाली देना है। जो पुरुष एक औरत की इज्जत लूटता है तो उसको फांसी की सजा की मांग की जाती है। रामदेव ने तो देश की करोड़ों दलित बहन-बेटियों की इज्जत को तार-तार कर दिया है, अब रामदेव को कितनी बार फांसी पर लटकाया जाना चाहिये, इस बारे में भी देश के लोगों को सोचना होगा। अन्यथा ये भी साफ कर देना चाहिये कि इस देश में दलित स्त्रियों की इज्जत का कोई मूल्य नहीं है!

बनारस, धर्म निरपेक्षता और वामपंथ

बनारस से भाजपा प्रत्याशी के रूप में नरेन्द्र मोदी के चुनाव लड़ने की बात के सामने आते ही धर्म निरपेक्ष बौद्धिकों के द्वारा प्रतिरोध का उठना स्वाभाविक था। नरेन्द्र मोदी का बनारस से चुनाव लड़ने के पीछे भाजपा का मकसद अयोध्या के बाद बनारस को आधार बनाकर उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिकीकरण की प्रक्रिया को तेज करना, हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण तथा देश में सांप्रदायिकता की राजनीति को आगे बढ़ाना था। उसी वक्त से ही धर्म निरपेक्ष व प्रगतिशील समाज के बीच इस विचार का जोर पकड़ना शुरू हो गया कि मोदी को शिकस्त देने के लिए उनके खिलाफ धर्म निरपेक्ष दलों को एकजुट होकर लड़ना चाहिए।

पत्रिका ने छह संपादकों को जबरन मैनेजर बनाया, अन्य 15 नामों की सूची तैयार

पत्रिका ने अपने ही छह पत्रकारों के हाथ की कलम छीन ली है। उनके हाथ काट दिए हैं। उन्हें जबरन मैनेजर बनाया जा रहा है, जबकि उनकी इस तरह के काम की ना तो मंशा है और ना ही वे इसे करना चाहते हैं। पत्रिका ने बीकानेर के संपादक सुनील जैन और अजमेर के संपादक दौलत सिंह चौहान को कुछ दिन पहले ही संपादक के पद से हटा कर इन शाखाओं का मैनेजर बना दिया था। नौकरी करनी थी, इसलिए मजबूरी में वे प्रबंधन के इस फैसले पर चुप रहे। इसके बाद पत्रिका ने गत २४ मार्च को भीलवाडा के संपादक जयप्रकाश सिंह, कोटा के संपादक संदीप राठौड और पाली के संपादक राकेश गांधी को उनके पदों से हटा दिया और उन्हें एक महीने तक भोपाल में मैनेजर बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। अब इन्हें पत्रिका में कहा गया है कि किसी भी सूरत में संपादक का काम नहीं करना है। पत्रकारिता को मार दो और मैनेजर बन जाओ, सर्कुलेशन बढ़ाओ, विज्ञापन लाओ।

सूचना आयुक्त ने वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता को जेल भिजवाया

सूचना का अधिकार कानून के इतिहास में सम्भवतः यह पहली घटना होगी जब सूचना आयुक्त ने आरटीआई कार्यकर्ता को अपने कक्ष से धक्के मार कर न केवल बाहर निकलवा दिया बल्कि पुलिस द्वारा पिटवाया और रिपोर्ट दर्ज करा कर रात के 10 बजे घर से गिरफ्तार भी करवा दिया।

कलयुग के महाभारत में काशी कैसे कुरुक्षेत्र बन गयी

गंगा और बुनकर। एक काशी के आस्तित्व की पहचान तो दूसरा प्रतीक और रोजी रोटी। नरेन्द्र मोदी ने बनारस में पर्चा भरते वक्त इन्ही दो मुद्दों को उठाया। लेकिन इन दोनों मुद्दों के साए में अगर बनारस का जिक्र होगा और वह भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर तो फिर आने वाले वक्त में काशी के भाग्य बदलेंगे या काशी देश की सत्ता परिवर्तन भर का प्रतीक बनकर रह जायेगा। हो जो भी लेकिन सच यही है कि बुनकर मजदूर बन चुका है और गंगा किसी बरसाती नाले में तब्दील हो चली है। दरअसल, गंगा की अविरल धारा अब गंगोत्री से काशी तक सिर्फ लोगों के जहन में ही बहती है। शहर दर शहर, गांव दर गांव। सौ पचास नहीं बल्कि ढाई हजार गांव इसी गंगा पर पूरी तरह आश्रित है और गंगा सिर्फ मां नहीं बल्कि आधुनिक दौर में जिन्दगी भी है। रोजगार है। कारखाना है। उद्योग है। सरकारी योजनाओं को समेटे है गंगा। लेकिन बिगड़े बच्चों की तरह गंगा को मां मानकर भी किसी ने गंगा के उस सच को नहीं देखा जिसके दायरे में गंगा का पानी पीने लायक नहीं बचा और सैंट्रल पौल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड को कहना पड़ा कि कन्नौज, कानपुर, इलाहबाद और काशी में तो गंगा नहाने लायक तक नहीं है।

भारत सरकार का दावा- रक्षा सौदों में हो रहे आत्मनिर्भरता के गंभीर प्रयास

भारत सरकार ने यह दावा किया है कि वह रक्षा सौदों में पूर्ण आत्म-निर्भरता के लिए गंभीरता से कार्य कर रही है। आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा अपने पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए आदेश के सन्दर्भ में भेजे सुझावों के जवाब में रक्षा मंत्रालय ने उन्हें अवगत कराया है कि नवीनतम रक्षा अधिप्राप्ति प्रक्रिया (डीपीपी)-2013 में बाई (इंडियन) तथा बाई एंड मेक (इंडियन) श्रेणी को बाई (ग्लोबल) श्रेणी से प्राथमिकता दी गयी है। इसी प्रकार बाई एंड मेक (इंडियन) श्रेणी को सरल बनाया गया है ताकि रक्षा उत्पादों के अवांछनीय आयात पर रोक लगाई जा सके।

सूचनाः ओमेक्स बिल्डर वापस नहीं कर रहा आरडब्लूए को आईएफएमएस मनी

ओमेक्स बिल्डर ने अपनी ओमेक्स हाईट विभूति खण्ड योजना में काफी धांधली की है। बिल्डर यहां की रेजीडेण्ट वेलफेयर एसोसियेशन को आईएफएमएस मनी वापस नहीं कर रहा है। मार्च 2010 से जून 2011 तक उसने मेसर्स सानवी को मेन्टीनेन्स एजेन्सी नियुक्ति किया था। जुलाई 2012 से एसोसियेशन को मेन्टीनेन्स का कार्य सौंप दिया गया था लेकिन आईएफएमएस मनी रूपये 4.5 करोड़ नहीं वापस किये। जुलाई 2012 से अबतक करीब दो वर्ष होने जा रहा है लेकिन ओमेक्स आईएफएमएस मनी वापस करने का नाम नहीं ले रहा है। पहले बिल्डर ने कई शर्तें रखी ऐसोसियेशन ने सारी शर्तें मान ली, एफीडेविट भी साइन कर दिया अब बिल्डर द्वारा नियुक्त एजेन्सी सानवी कम्पनी द्वारा फ्लैटों में गलत पुराने मेन्टीनेन्स बिल भेजे जा रहे हैं। मेसर्स सानवी के श्री अमित बन्सल का मो0नं0 09711800560 है।

रॉबर्ट बढेरा की संपत्ती पर अमेरिकी अखबार के खुलासे के निहितार्थ

पिछले कई दशकों में देखा गया है कि किस तरह दुनिया भर में अमेरिकी हितों की रक्षा करने के लिए अमेरिकी सरकार, प्रेस और पूरा समाज एकजुट होता रहा है। लोकतंत्र का झंडाबरदार बना घूमने वाला अमेरिका शेष विश्व में कैसे अपनी कठपुतली सरकारें बनवाता है, यह देखा-सुना सच है। सच को झूठ और झूठ को सच में बदलने में माहिर अमेरिकी समाज के दोहरे मानक हैं, अपने लिए कुछ और तथा दूसरों के लिए कुछ और। उनका अपना मतलब हल हो जाना चाहिए, बाकी दुनिया जाये भाड़ में। मानवता, नैतिकता, आदर्श, सिद्धांत आदि सब का प्रयोग सिर्फ और सिर्फ वे अपने ही हित में किस तरह करते हैं, या फिर महज कागजी चीज के तौर पर इनकी अनदेखी-अनसुनी कर इन्हें हाशिये पर डाल दिया जाता है, इसका अनुभव पूरी दुनिया आये दिन करती रहती है।

इतनी आसान नहीं दलित वोटों में सेंधमारी

नरेन्द्र मोदी के अम्बेडकर प्रेम के निहितार्थ

अखिल हिन्दूवादी मजबूत राष्ट्र के निर्माण का सपना दिखाकर भारतीय जनता पार्टी सदैव बहुसंख्यक हिन्दूओं के भावात्मक मुद्दों की राजनीति करती रही है। लेकिन इस राजनैतिक एजेंडे के बल पर लगभग 27 दलों के गठबंधन के सहारे पहले 13 दिनों और बाद में 13 महिनों के लिए अपना राज्याभिषेक करवाकर वह पिछले दस सालों से केन्द्र की सत्ता से वनवास भोग रही है। कुर्सी से दूरी की पीड़ाएँ एवं सत्ता पाने की भाजपा की छटपटाहट अब पूरी शिद्दत से सामने आ रही है। इसी के चलते नेतृत्व के स्तर पर इस बार उसने सवर्ण हिन्दू कैंडिडेट के स्थान पर अन्य पिछड़ा वर्ग से सम्बद्ध नरेन्द्र मोदी को आगे किया है। जाति के आधार पर अन्य पिछड़ा लेकिन वफादारी के स्तर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध का कट्टर हिन्दूवादी सच्चा सिपाही।

‘येन केन प्रकारेण’ चुनाव जीतने की लालसा, खर्चीले चुनावों की जनक है

एक टी वी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के दौरान यह पता चला कि चुनावों में पैसे का कितना योगदान है और इसके दम पर क्या कुछ नहीं किया जा सकता। डमी प्रत्याशी खड़ा करके किसी जीतने वाले प्रत्याशी के वोट किस तरह काटे जा सकते हैं। इसमें निर्दलीयों और छोटी -छोटी पार्टियों की क्या भूमिका होती है, यह तथ्य सामने आता है। कॉर्पोरेट लॉबिंग का क्या मतलब है और बड़ी पार्टियां किसके इशारों पर चलती हैं, यह भी स्पष्ट हो जाता है। अतः यह अनुमान लगन कठिन नहीं कि भारत में, भ्रष्टाचार का मुख्य सूत्र, भारत की राजनीतिक व्यवस्था के भीतर है। यदि यहां भ्रष्टाचार को समाप्त करने की कोई भी सार्थक पहल की जाती है तो उसमें अवश्य ही राजनीतिक व्यवस्था में व्यापक बदलाव एक अत्यावश्यक आधार होगा।

आवश्यक है चुनावों की वित्त पोषण प्रणाली का पारदर्शी होना

अपने घर से लेकर बाहर तक मैं चुनावों के दौरान अक्सर यह बात सुनता हूं कि हारने वाले उम्मीदवार को मत देकर लोगों ने मत ख़राब कर दिया। या चुनावों के बाद वे पछताते हुए पाये जाते हैं कि उन्होंने जिसे वोट दिया था वह तो हार गया और उनका वोट बरबाद हो गया। आखिर यह कैसी मानसिकता है? क्या तुलसीदास ने इसीलिए लिखा था 'समरथ को नहीं दोस गुसाईं'। इस मानसिकता का उत्स कहाँ है? यदि गौर से इस बारे में सोंचा जाये तो हम देखते हैं कि हम सांस्कृतिक गुलामी से कभी मुक्त नहीं हो पाये। कभी राजाओं, नबाबों की गुलामी, उनके कारिंदों, जमीदारों, जागीरदारों की गुलामी, तो कभी उच्च वर्ण की गुलामी, या फिर पुरुषवर्चस्व की गुलामी। अंग्रेजों की गुलामी, प्रशासनिक अमले की गुलामी, और भारतीय राजनेताओं की गुलामी। और सर्वोपरि धन की गुलामी।

भगाणा पीड़ितों की लड़ाई देश में उत्‍पीड़न से मुक्ति की लड़ाई में तब्‍दील होः स्‍वामी अग्निवेश

नई दिल्‍ली: भगाणा सामूहिक बलात्‍कार पीड़ितों के लिए गुरूवार (24 अप्रैल) को जंतर-मंतर पर कैंडिल मार्च का अयोजन किया गया। मार्च में बड़ी संख्‍या में महिला संगठनों के लोग, जेएनयू के छात्र व बुद्धिजीवियों समेत लगभग 50 सामाजिक संगठनों के लोगों ने भाग लिया। मार्च के पूर्व आयोजित सभा में 27 अप्रैल को गृह मंत्री सुशील शिंदे के आवास का घेराव का फैसला लिया गया। कार्यक्रम के आयोजको ने इसके लिए दिल्‍ली के अलावा विभिन्‍न प्रदेशों के जागरूक व संवेदनशील लोगों को भी दिल्‍ली पहुंचने का आह्वन किया है।

राजनीति का नया ‘अभिषेक’

आसान जीत की ओर बढ़ रहे अभिषेक सिंह का राजतिलक लगभग तय है लेकिन इसके बाद खुद को साबित करने की चुनौती मुंहबांये खड़ी है. अब तक राजनांदगांव से खुद को दाँव पर लगाने वालों की सच्चाई यह है कि राजनीतिक रोटियां सेंकने के सिवाय वे कोई खास चमत्कार नहीं कर सके अत: परिवार से लेकर जनता-जनार्दन तक में आशा की यह डोर बंधी है कि शुक्ल-युग का अवसान होने के बाद देश के राजनीतिक-शीर्ष पर युवा छत्तीसगढिय़़ा की जो कमी राज्य महसूस कर रहा है, अभिषेक इसे भरने में कामयाब होंगे, ठीक राहुल गांधी, सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह.

संजीव श्रीवास्तव जी फोकस न्यूज़ की गलतियों पर ध्यान दीजिए

हिन्दी न्यूज चैनलों में गुणवता और स्क्रीन एलर्टनेस में गिरावट दिखना अब आम हो गया है। मसलन, थके हुए विजुअल्स, हेडलाइन्स कुछ और हेडलाइन्स-विजुअल्स कुछ और। कामचलाऊ शब्दों का उपयोग। एंकरिंग का मतलब बिना किसी भाव भंगिमा के सिर्फ टीपी पढ़ना। ग्राफिक्स पैकेजिंग में भारी झोल आदि-आदि। सिर्फ एक-दो चैनलों को छोड़ गुणवत्ता में ऐसी गिरावट सभी चैनलों की स्क्रीन पर आमतौर पर देखने को मिल जाती है। मैं हमेशा चैनलों को वॉच करता रहता हूं और जहां गलतियां दिख जाती हैं वहीं पर मेरी आंखें रुक जाती हैं।

मजीठिया से बचने के लिए फॉर्म पर कर्मचारियों के दस्तखत ले रहा पंजाबी जागरण प्रबंधन

दैनिक जागरण समूह के पंजाबी जागरण अखबार के कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड भूल जाने के लिए बोल दिया गया है। सूचना  है कि आज (शुक्रवार) सभी रिपोर्टरों और कर्मचारियों को एक फॉर्म पर दस्तखत करने के लिए हेड ऑफिस जालंधर बुलाया गया है। जागरण के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि पंजाब में कोई भी अखबार मजीठिया वेज बोर्ड नहीं देगा इसलिए पंजाबी जागरण के कर्मचारी भी किसी खुशफहमी में न रहें।

लोकसभा चुनाव में हो रहे अपार सम्मान से पत्रकारों के छलक आए आंसू

फर्रुखाबाद व कन्नौज में 2 दिग्गज चुनाव के मैदान में हैं। एक हैं विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद तो दूसरी हैं उप्र के मुख्यमंत्री की पत्नी डिंपल यादव। फर्रुखाबाद व कन्नौज के पत्रकार बड़ी उम्मीद के साथ चुनाव में लगे पड़े थे की कुछ न कुछ तो बड़ा मिलेगा। फर्रुखाबाद के हालत तो बड़े ही मजेदार थे ज्यादातर पत्रकार सोंच रहे थे किसी भी प्रत्याशी ने कुछ किया नहीं है। पिछले 5 साल तक सलमान ने भी कुछ नहीं किया तो अब चुनाव में जरूर कुछ न कुछ मिलेगा। वहीं फर्रुखाबाद में जब चुनाव के एक दिन रह गया तो फिर क्या सलमान खुर्शीद ने जिले के चुनिंदा वरिष्ठ पत्रकारों को माइक्रोमैक्स का एक मोबाइल दे दिया। डिब्बा पैक होने की वजह से पत्रकार बड़े खुश दिखे। खोला तो निकला मंहगा वाला मोबाइल। अब तो फर्रुखाबाद के पत्रकारों के ख़ुशी के आसू रोके नहीं रूक रहे हैं। वहीं कन्नौज में डिम्पल यादव ने सभी वरिष्ठ पत्रकारों को 50000 रूपये के सम्मान ने नवाजा है।

साथी, भगणा की लड़कियां अब भी आपकी राह देख रहीं हैं!

कल दोपहर में हरियाणा भवन, दिल्‍ली पर भगणा बलात्‍कार पीड़ितों के आंदोलन का बहिष्‍कार करने वाले इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया संस्‍थानों के दफ्तर से शाम को आंदोलनकारियों को फोन आया कि वे आंदोलन का 'बहिष्‍कार' नहीं कर रहे। ख़बर दिखाएंगे। संभवत: उनका फैसला मीडिया संस्‍थानों में खूब पढ़े जाने वाले भड़ास फॉर मीडिया व अन्‍य सोशल साइटस पर इस आशय की खबर प्रसारित होने के कारण हुआ।

एबीपी न्‍यूज़ के घोषणा पत्रः ‘लगे रहो नमो भाई आरएसएस’

एबीपी न्‍यूज के घोषणा पत्र में 'लगे रहो नमो भाई आरएसएस' कुछ खास बातेंः

1. व्‍यंग और विनोद जीवन से खत्‍म हो गया तो जीवन कहां रह जाएगा।
मतलब
– चुनावी रैलियों पर शहजादा व जीजा की बात कही जा रही है केवल व्‍यंग व विनोद के भाव से कही जा रही है।

मजीठिया का लाभ न मिलने से निराश दैनिक भास्कर ग्रुप के एक मीडियाकर्मी का पत्र

दैनिक भास्कर ग्रुप में पिछले एक वर्ष से काम कर रहे एक साथी ने मेल लिख कर भड़ास से अपनी पीड़ा साझा की है। एमबीए डिग्रीधारी और साढ़े तीन वर्षों का तजुर्बा रखने वालो इस साथी को मात्र 11200/- रुपए मिलते हैं जबकि उसने एमबीए की पढ़ाई के लिए बड़ा लोन भी लिया था। उसे बड़ी उम्मीद थी कि मजीठिया लागू होगा और उसके वेतन में बढ़ोत्तरी होगी। लेकिन सभी कुछ उसकी उम्मीदों के विपरीत हो रहा है। पढ़िए भड़ास को भेजा गया पत्रः

बंद होगा भास्कर समूह का ‘डीएनए’ अख़बार, कर्मचारियों के सामने रोज़ी का संकट

इंदौर। दैनिक भास्कर समूह का इंग्लिश अख़बार डीएनए 29 अप्रैल को बंद होने जा रहा है। ऐसे में 54 कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। डीएनए के अचानक बंद करने का कारण स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मजीठिया लागु किया जाना इसका भी एक कारण हो सकता है।

नवीन जिन्दल ने मुख्य चुनाव आयुक्त से की ज़ी न्यूज़ के चेयरमैन सुभाष चंद्रा की शिकायत

नई दिल्ली, 23 अप्रैल। कुरुक्षेत्र से 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नवीन जिन्दल ने जी न्यूज, उसके चेयरमैन सुभाष चंद्रा और भारतीय जनता पार्टी के कुरुक्षेत्र से प्रत्याशी राजकुमार सैनी के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून, आदर्श चुनाव आचार संहिता और भारतीय दंड संहिता का घोर उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। जिन्दल ने कहा है कि जी न्यूज ने प्रचार की अवधि समाप्त होने के बाद भी उनके खिलाफ मनगढ़ंत खबरें खूब चलाईं। इस चैनल के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने भाजपा प्रत्याशी राजकुमार सैनी के लिए मंच से वोट मांगे और मेरे एवं मेरी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार में जी मीडिया के सभी चैनलों का इस्तेमाल किया। अपने तथ्यों के पक्ष में सभी प्रमाण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने जी मीडिया, चेयरमैन सुभाष चंद्रा और भाजपा प्रत्याशी राजकुमार सैनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

मजीठिया से बचने के लिए ‘आज समाज’ की चाल, कर्मचारियों से वापस मांगे नियुक्ति पत्र

सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के बाद मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने से बचने के लिए अखबार मालिक तरह-तरह के टोटके आजमा रहे हैं। इस संबंध में भड़ास पर दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, पंजाब केसरी द्वारा मजीठिया से बचने के लिए की जा रही कोशिशों की खबरें पहले ही प्रकाशित हो चुकीं हैं। अब खबर आ रही है कि 'आज समाज' अखबार भी मजीठिया से बचने के लिए कुछ पैंतरेबाजी कर रहा है। आज समाज ने अपने सभी कर्मचारियों से उनके पुराने नियुक्ति पत्र वापस करने के लिए कहा है। प्रबंधन का कहना है कि इनके स्थान पर नए नियुक्ति पत्र कर्मचारियों को दिए जाएंगे। प्रबंधन द्वारा उठाए गए इस कदम से सभी कर्मचारी सतर्क हो गए हैं।

क्या लखनऊ से सपा के लोकसभा प्रत्याशी अभिषेक मिश्रा आईआईएम में प्रोफेसर थे?

लखनऊ से सपा के लोकसभा प्रत्याशी अभिषेक मिश्रा के नाम के आगे 'प्रोफेसर' लिखे पोस्टर, बैनर, पर्चे सभी जगह दिखाई दे रहे हैं। अभिषेक मिश्रा स्वयं को देश की प्रतिष्ठित संस्था आईआईएम अहमदाबाद का भूतपूर्व प्रोफेसर बताते आये हैं। पर हकीकत में अभिषेक मिश्रा आईआईएम अहमदाबाद में कभी प्रोफेसर रहे ही नहीं हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कैसे अभिषेक मिश्रा सरीखे व्यक्ति जनता के समक्ष झूठे तथ्य रखकर अपने आप को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं और कभी विधान सभा पहुंच जाते हैं तो कभी लोक सभा के प्रत्याशी बनकर वोट मांगते दिखाई देते हैं। सारा सिस्टम मूकदर्शक बना मात्र तमाशा देखता रहता है, पर करता कुछ भी नहीं है।

अमीषा पटेल की कवरेज को गए पत्रकार की जेब कटी

इलाहाबाद: फिल्म अभिनेत्री अमीषा पटेल की कवरेज के लिए पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार शिव त्रिपाठी का जेबकतरों ने बटुआ उड़ा दिया। शिव त्रिपाठी एक डेली न्यूज पेपर से जुड़े हैं। सोमवार को वह शाहगंज एरिया में सभा की कवरेज के लिए पहुंचे थे। इस दौरान किसी ने उनकी जेब काट कर बटुआ निकाल लिया। पर्स में कुछ कैश, दो एटीएम कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस था। उन्होंने इस चोरी की रिपोर्ट शाहगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी है।

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालयः विद्यार्थियों को नहीं मिली छात्रवृत्ति, कुलसचिव को ज्ञापन

भोपाल 22 अप्रैल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के विद्यार्थियों ने पिछले 2 वर्षो से छात्रवृत्ति न मिलने के कारण कुलसचिव चंदन सोनाने को ज्ञापन सौंपा। ज्ञात हो कि प्रशासनिक लापरवाहियों के चलते पिछले 2 वर्षो से विश्वविद्यालय के अनुसुचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति नही मिल पायी है। जिसके चलते कई छात्रों अपने शिक्षण कार्य को निरंतर चला पाना संभव नही हो पा रहा है। जिसके कारण आज पूनः कुलसचिव महोदय को छात्रवृत्ति के संबंध में ज्ञापन सौंपा गया इसके पूर्व भी कई बार आवेदन प्रतिवेदन किये जा चुके है। किन्तु छात्रवृत्ति अभी तक किसी छात्र-छात्रा को प्राप्त नहीं हुई है।

अनिवार्य मतदान की व्यवस्था पर ज़रूरी है व्यापक बहस

कुछ साल पहले आज की अपेक्षा कम मतदान होता था, इससे चिंतित इंतजामिया ने लोगों को प्रेरित करने के लिए अभियान चलाने प्रारंभ किए। आज सरकार से लेकर हर राजनीतिक दल, हजारों स्वयंसेवी संगठनों सहित मीडिया और बाजारवाद के तमाम मंच लोगों को वोट जरूर डालने के प्रति जागरूक कर रहे हैं। मतदान को राष्ट्र, समाज हित में और पुनीत कर्तव्य बता रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने विगत दिनों अहमदाबाद में कहा है कि चुनाव के बाद केंद्र में उनकी सरकार बनी तो देश में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था लागू की जायेगी। उन्होंने सुझाया है कि वोट नहीं देनेवालों को दंडस्वरूप अगले चुनाव में मतदान के अधिकार से वंचित करने की व्यवस्था बनायी जा सकती है।

चुनावों के पीछे की चालबाज़ियां: आनंद तेलतुंबड़े

मौजूदा चुनावी प्रक्रिया, इसके जातीय पहलू और जनता के हितों के अनुकूल एक मुनासिब चुनावी प्रणाली के विकल्पों पर आनंद तेलतुंबड़े का विश्लेषण. अनुवाद: रेयाज उल हक   कुछ ही दिनों में सोलहवें आम चुनावों की भारी भरकम कसरत पूरी हो जाएगी. और इसी के साथ भारत के सिर पर लगे दुनिया के सबसे महान …

मोदी को कट्टर ही बनाए रखना चाहते हैं मदनी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना मदनी के इस कथन ने एक नई बहस को जन्म दिया है कि मैं तिलक नहीं लगा सकता तो मोदी भी टोपी क्यों पहनें। उनकी बात बहुत ही तार्किक, सीधी-सीधी गले उतरने वाली और वाजिब लगती है। इसी से जुड़ी हुई ये बात भी सटीक महसूस होती है कि जब मुस्लिम इस्लाम के मुताबिक अपनी रवायत पर कायम रखता है और उसे बुरा नहीं माना जाता तो किसी हिंदू के अपने धर्म के मुताबिक चलते हुए मुस्लिम टोपी पहनने को मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। कुछ ऐसा ही मसला दोनों धर्मों के धर्म स्थलों को लेकर है। मुस्लिम मंदिर नहीं जाता तो  इसे सहज में लिया जाता है, मगर कोई हिंदू मस्जिद अथवा दरगाह से परहेज रखता है तो उसे कट्टर क्यों माना जाना चाहिए। मगर सच ये है चंद हिंदुओं को छोड़ कर अधिसंख्य हिंदुओं को दरगाह, गिरिजाघर अथवा गुरुद्वारे में माथा टेकने में कोई ऐतराज नहीं होता।

न्यूज़ फर्स्ट टीवी से जुड़े सलीम सैफी

न्यूज़ फर्स्ट टीवी के साथ वरिष्ठ पत्रकारों का जुड़ना जारी है। ताज़ा कड़ी में वरिष्ठ टीवी पत्रकार सलीम सैफी ने न्यूज़ फर्स्ट टीवी को ज्वाइन किया है। उन्हें न्यूज़ फर्स्ट टीवी में एडिटर स्पेशल एसाइनमेंट बनाया गया है। इससे पहले वो इसी पद पर समाचार प्लस चैनल के साथ जुड़े हुए थे। सलीम सैफी के पास टीवी का लंबा अनुभव है। वो आज तक समेत कई चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं। सलीम सैफी से पहले वरिष्ठ पत्रकार रवि शर्मा भी बतौर कार्यकारी संपादक संस्थान के साथ जुड़ चुके हैं। वो दैनिक जागरण, अमर उजाला और जनवाणी समेत कई अख़बारों में अहम पदों पर काम कर चुके हैं। उनके पास लगभग 25 साल का अनुभव है।

23 अप्रैल को होगा भारत भास्कर अवॉर्ड का आयोजन

रायपुर। भारत भास्कर अवॉर्ड का आयोजन 23 अप्रेल को वृन्दावन हॉल में शाम 6 बजे होगा। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ की 11 अलग अलग विधाओं के लोगों को सम्मानित भी किया जाएगा। दैनिक भारत भास्कर की वेब साइट http://www.bharatbhaskar.com भी इसी आयोजन का हिस्सा होगा। वेब साइट के समाचार सम्पादक आशीष मिश्रा हैं। भारत भास्कर के प्रधान सम्पादक संदीप तिवारी और प्रबंध सम्पादक अहफ़ाज़ रशीद ने आज इस बात की जानकारी दी।

शशिशेखर इन दिनों पाठक परिवार को उपकृत करने में लगे हैं

दैनिक 'हिन्दुस्तान' के सम्पादकीय पृष्ठ पर पिछले काफी दिनों से अमितांशु पाठक और उनके भाई किंशुक पाठक के लेख नियमित तौर पर चित्र के साथ छप रहे हैं। तमाम जाने-माने लेखकों, पत्रकारों को उनसे ईष्या हो सकती है क्योंकि ये युवा स्तम्भकार हिन्दुस्तान के सभी संस्करणों में प्रमुखता से छपते हैं। अमितांशु पाठक का परिचय स्वतंत्र पत्रकार के रूप में दिया होता है गोया वे जाने-माने पत्रकार रहे हों। जानकार बताते हैं कि वे कुछ समय तक 'नई दुनिया' के लिए वाराणसी से फीचर आदि लिखते थे। वाराणसी में उनके काफी ठाठ रहे हैं। वे बड़ी बड़ी गाड़ियों में चलते और पुलिस-प्रशासन में उनकी हनक भी थी लेकिन कानाफूसी के अनुसार, मायावती के शासनकाल में महत्वपूर्ण पद पर रहे एक पुलिस अधिकारी ने उनके साथ कुछ ऐसा व्यवहार किया कि वे लम्बे समय तक नेपथ्य में चले गए। अब वे इन स्तम्भ के साथ प्रकट हुए हैं।

जंतर मंतर और हरियाणा भवन पर जेएनयू छात्रों का प्रदर्शन

नई दिल्‍ली : मंगलवार को दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भगाणा की गैंग-रेप पीड़ित ल‍ड़कियों को न्‍याय दिलाने के लिए जोरदार प्रदर्शन किया तथा हरियाणा भवन पहुंच कर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर जेएनयू छात्र संघ के नेताओं ने हरियाणा व केंद्र सरकार विरोधी नारे लगता तथा खाप पंचायतों की संस्‍कृति को ध्‍वस्‍त करने की बात कही।

ओपी श्रीवास्तव ने मेरी कीमत लगाने की जुर्रत की थी… बावजूद इसके ओपी के व्यवहार से बेहद प्रभावित हुआ था

कुमार सौवीरः नंगे अवधूत की डायरी में दर्ज सुनहरे चार बरस (भाग सात)

फिर मैं समझ गया अपनी ही केंचुल में सिमटे वामपंथियों का चरित्र

हम लोगों ने छेड़ दी फैसलाकुन जंग, आमरण अनशन शुरू

ताजा-ताजा बने चचा-भतीजा के बलुआ रिश्तों की पींगों का अन्‍तर्भाव

ज्यादातर वामपंथियों में होता है खुद के प्रति श्रेष्ठतम सम्मान का पाखण्ड

लखनऊ: वैसे आपको एक बात बताऊंगा जरूर, कि ओपी श्रीवास्तव के व्यवहार से बेहद प्रभावित हुआ था। बावजूद इसके कि उन्होंने मेरी कीमत लगाने की जुर्रत की थी। लेकिन उन जैसे व्यक्ति से उससे ज्या‍दा और क्या हो सकता था। माना कि वे सहारा इंडिया के दूसरे नम्बर की हैसियत रखते थे, लेकिन पहले दर्जे वाली हैसियत वाले सुब्रत राय के कोसों-योजनों दूर निचले पायदान पर ही तो। जो कुछ भी उन्होंने मुझसे कहा उससे ज्यादा वे कर भी तो नहीं सकते थे, यह मैं खूब जानता था। लेकिन मेरा मानना है कि उन्होंने अपना श्रेष्ठ्तम प्रदर्शन किया, मेरे सन्दर्भ में। यकीन मानिये, कि मैं सहारा इंडिया में ओपी श्रीवास्तव और बाद के विवेक सहाय जैसे लोग सहारा इंडिया के पाप-कुण्ड के अक्षुण-निष्पाप आत्मा हैं। वे वाकई सोचते और करते थे, बिना किसी ढिंढोरा मचाये हुए। हां, सुब्रत राय नामक जैसा फोबिया उन लोगों पर अगर हावी रहता था, तो उसमें हैरत या अचरज क्यों? उन्होंने अगर मुझे एक लाख रूपयों की रिश्वत की पेशकश की थी, तो भी उसमें उनका प्रोफेशनलिज्म ही तो था। हां, इतना जरूर था कि चूंकि मैं उस आन्दोलन का सर्वाधिक मजबूत पहरूआ था, इसलिए उन्होंने मुझे खरीदने का प्रस्ता‍व रखा। अब इसमें हमारे आंदोलन को तबाह करने की मंशा थी, इसलिए मैंने उसे खारिज कर दिया था। लेकिन जो शैली उन्होंने अपनायी उसका तो मैं आज तक मुरीद हूं।

सहारा प्रबंधन ने मुझे दी थी एक लाख की रिश्वत वाली पेशकश

कुमार सौवीरः नंगे अवधूत की डायरी में दर्ज सुनहरे चार बरस (भाग छह)

सहारा इण्डिया के पाप-कुण्ड में केवल ओपी और सुबोध ही निष्पाप दिखे

देर रात तक चकल्लस और क्रांतिकारी गीतों और नाटकों का रिहर्सल

लखनऊ: हमारे अखबार में एक विज्ञापन प्रतिनिधि हुआ करता था केके श्रीवास्तव। थोड़ा घमण्डी, लेकिन कम से कम मुझसे और अचिन्त्य अधिकारी से खुला हुआ था। कारण यह कि जब वह एच-रोड वाले मकान में आया, तब तक हम लोग आफिस बंद होने के बाद खूब मस्तीन किया करते थे। बाथरूम में तो गजबै कार्रवाइयां हुआ करती थीं। अचिन्त्य जब यहां आया तो सबसे पहले मैंने उसे सम्पूर्ण नंगा किया। फिर श्याम अंकुरम का नम्बर आया। एक नया क्लर्क भर्ती हुआ अभय श्रीवास्तव। वह भी गोरखपुर का था। रेल कालोनी में उसके पिता रहते थे। वह भी यहां नंगा हो गया। इसके बाद तो तय यह हुआ कि दफ्तर का काम निबटने के बाद से पूरे परिसर में हम लोग केवल नंगे ही रहते थे। चार के चारों नंगे।

सुब्रत राय ने नौकरी छीनी तो श्रमिक जगत ने हमें सिर-माथे पर लिया

कुमार सौवीरः नंगे अवधूत की डायरी में दर्ज सुनहरे चार बरस (भाग पांच)

लखनऊ के श्रमिक आंदोलन का ऐसा जोश अब स्वप्न से परे है

राजकुमार केसवानी ने की थी भोपाल औद्योगिक नर-संहार की भविष्यवाणी

लखनऊ: आज के पत्रकारों को यह अहसास करने का मौका तक नहीं मिला होगा कि इस देश में कोई भीषणतम औद्योगिक नर-संहार भी हो चुका है। जी हां, हम यूनियन कार्बाइड हादसे की बात कर रहे हैं जिसकी भोपाल वाली कीटनाशक दवा बनाने वाली यूनिट में एमआईसी(मिक) यानी मिथाइल आइसो सायनाइड की टंकी रिसने लगी और इस हादसे में करीब चालीस हजार लोगों की मौत हो गयी। इतना ही नहीं, करीब सवा पांच लाख लोगों पर स्थाई तौर विकलांगता का प्रभाव पड़ा।

28 मई 1985 को सुब्रत राय ने मुझे बर्खास्त कर दिया, मजदूर हितैषी तडि़त कुमार दादा ने जारी कराया आदेश

कुमार सौवीरः नंगे अवधूत की डायरी में दर्ज सुनहरे चार बरस (भाग चार)

पारिवारिक संस्था व सर्वहारा की डींग मारते पाखण्डी बुर्जुआ लोग

लखनऊ: अखबार को शुरू हुए दो साल शुरू हो चुके थे। कर्मचारियों में खुसफुसाहट शुरू हो गयी थी कि वेतन बढ़ना चाहिए। सम्पादकीय लोगों में भी चर्चा पकड़ रही थी। कि अचानक अप्रैल-85 को ऐलान हुआ कि सभी कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ गयी है। दिल धकड़ने लगा था। किसी से भी पूछने लगो तो जवाब ही नहीं मिलता था। जिस जिसी से भी पूछता, तो जवाब मिलता कि लेटर मिलने के बाद ही पता चलेगा। आखिरकार एक दिन लेटर मिल ही गया। हालांकि सबको गोपनीय पत्र से सूचित किया था, लेकिन यह बात छुप कहां होती है। दो-एक दिनों में ही पता चला कि तडित दादा का वेतन साढ़े छह हजार, वर्मा जी का साढे चार हजार, सम्पादकीय लोगों का 12 सौ से ढाई हजार के बीच मिला था। मेरा व श्याम की पदोन्नति हो गयी थी और हम लोगों को कॉपी-होल्डर के बजाय सीधे प्रूफ रीडर बनाते हुए 660 रूपया महीना मिलेगा।

पत्रकारिता के बड़े पदों को छेंके हुए ओछे बौने लोग

कुमार सौवीरः नंगे अवधूत की डायरी में दर्ज सुनहरे चार बरस (भाग तीन)

पत्रकरिता में खोखले सुरंग-जीवीयों को करीब से देखा मैंने

मौका मिलते ही पाखण्डी बन जाते हैं आदर्श बघारते लोग

लखनऊ: आपको एक बात बता दूं कि इस पूरे अखबार में सुब्रत राय ने एक बार भी हस्तक्षेप नहीं किया। हां, एक बार सुब्रत राय के नाम से एक पत्र जरूर प्रकाशित हुआ। पूरे दौरान केवल तीन बार ही प्रेस में आये और बारीकी से यहां को देखा-समझा। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह अखबार पूरी तरह शांत रहा था। गुटबाजी और तेल लगाने की परम्परा यहां पनप गयी। मसलन, सन-84 में इंटर की परीक्षाओं के दौर में मेरे दाहिने हाथ पर तेल खौलती कटोरी गिर गयी थी। बड़ा फफोला पड़ गया था। बेहिसाब जलन थी। उसी हालत में मुझे एक राइटर देकर परीक्षा करायी गयी। अगले दिन जब परीक्षा देकर मैं आफिस पहुंचा, तो काम करने के बीच ही मुझे झपकी आ गयी। कि अचानक सुब्रत राय मुआयने पर पहुंचे। मैं कुर्सी की पुश्त पर टेक लगाये हुए था। सुब्रत राय ने कंधे पर हाथ रखा तो मैं जाग गया। चूंकि मैं यहां का पहला कर्मचारी था, इसीलिए वे मुझे खूब पहचानते थे।

दूसरों की मजबूरियां दो कौड़ी में खरीदने सुब्रत राय को महारत है

कुमार सौवीरः नंगे अवधूत की डायरी में दर्ज सुनहरे चार बरस (भाग दो)

मुझे गर्व है कि दिग्गजों ने मेरे भविष्य की दिशा तय की

नौकरी मिली तो मछली-भात, और बेरोजागार हुए तो क्रांति-कामी

लखनऊ : साप्ताहिक शान-ए-सहारा अखबार के लिए आफिस खोजने के लिए दो दिनों में ही मैंने सात मकान छान मारे। अपनी टुटी लेडीज साइकिल के बल पर। तडित दादा तो कुछ देर के लिए सुब्रत राय के अलीगंज वाले मकान में कुछ देर के लिए ही आते थे, फिर बाकी अपने घर में ही। दरअसल, खाली वक्त में दादा को मछली की याद सबसे ज्यादा सताती थी ना, इसीलिए। और दादा की खासियत यह है कि वे खाली वक्त तब ही पाते हैं, जब नौकरी उनके हाथ में होती है। नौकरी मिली तो मछली-भात, और जब बेरोजगारी मिली तो क्रान्तिकारिता। लेकिन हम लोगों के प्रति दादा ही नहीं, पूरा परिवार भी स्नेह-प्यार की वर्षा करता था। मैं भी खाली ही था, न घर-बार न परिवार। सो, ज्यादातर वक्ता दादा की सेवा में ही रहता था मैं।

सुब्रत राय का इलाज या तो मजदूर होते हैं, या फिर सुप्रीम कोर्ट

कुमार सौवीरः नंगे अवधूत की डायरी में दर्ज सुनहरे चार बरस (भाग एक)

श्रमिकों के तेवर के सामने सुब्रत राय की अकड़-फूं निकल गयी

चुटकियों में निपट गया साप्ताहिक शान-ए-सहारा का झंझट

लखनऊ : सुब्रत राय और सहारा इंडिया का यह सिर्फ किस्सा ही नहीं है, एक खबर की मुकम्मल पंच-लाइनें हैं। इसे समझने के लिए आपको देखना होगा कि अपना चेहरा काला करने वाले लोग अपनी हराम की कमाई को फंसते देख कर कैसे चुप्पी साध लेते हैं, जबकि खून-पसीने की गाढ़ी कमाई को वापस हासिल करने वाला श्रमिक जब अपनी औकात पर उतरता है, तो कयामत की तरह कहर तोड़ देता है। जी हां, मैं सहारा इंडिया और सुब्रत राय के ही बारे में बात कर रहा हूं, जब श्रमिकों के तेवर के सामने सुब्रत राय की अकड़-फूं निकल गयी थी। श्रमिकों ने जब भी, तनिक सी भी तेवर-त्योरी चढ़ायी, सुब्रत राय ने बाकायदा आत्म समर्पण कर दिया।

वाराणसी प्रकरणः पत्रकार ही घोंप रहे अपने साथियों की पीठ में खंजर

वाराणसी: शहर के व्‍यस्‍ततम चौराहे पर पुलिसवालों ने अपनी घायल महिला रिश्‍तेदार को अपने घर ले जाने की कोशिश कर रहे दो पत्रकारों के साथ न केवल अभद्रता की, बल्कि भरे-बाजार उनकी जमकर पिटाई भी कर दी। पत्रकारों के साथ हुए इस हादसे से खफा पत्रकारों ने यह पूरा मामला एसएसपी के सामने पेश किया। लेकिन इसके पहले कि इस मामले पर कोई कार्रवाई शुरू होती, शहर के कुछ दलाल पत्रकारों ने वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक के साथ काना-फूंसी की और मामला हमेशा-हमेशा के लिए रद्दी की टोकरी तक चला गया।

सुप्रीम कोर्ट परिसर में यौन उत्पीड़न की शिकायत पर मुख्य न्यायाधीश का पहला आदेश

सुप्रीम कोर्ट परिसर में यौन उत्पीड़न के मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आरोपी अधिवक्ता के सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश पर 6 महीने के लिए पाबंदी लगा दी।

ज़ी न्यूज़ ने किए एक तीर से दो शिकार

ज़ी न्यूज़ और नमो की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है। कुरुक्षेत्र में 'ज़ी न्‍यूज' के मालि‍क सुभाष चंद्रा ने नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया था और कहा था कि 'मैं भी हरि‍याणा का सूं, यो ज़ी चैनल भी समझो थारा ही सै।' ज़ी न्यूज़ और कांग्रेस के बीच छत्तीस का आंकड़ा नवीन जिंदल के चलते है।

मैं बनारस हूं, मेरे मर्म को समझिए

एक बार फिर चुनावी बयार के बीच मैं बनारस हूं। राजनीतिक उपेक्षा और तिरस्कार का शहर बनारस। कहने को सबसे पुराना शहर, सांस्कतिक राजधानी पर सबसे बेहाल और बदहाल। राजनीतिज्ञों के लिए इस बार मैं दिल्ली की सत्ता पाने की पहली सीढ़ी हूं। शोर है, होड़ है, चर्चाए है, विरोधी है, समर्थक हैं। नारे हैं, पोस्टर हैं सबको अपनी बात कहकर आगे निकल जाने की जल्दी है। इन सबके बीच मैं अपने जख्मों के साथ उन पर मरहम रखने के इंतजार में खड़ा हूं।

कोबरापोस्ट पड़ताल: सिक्ख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस की संदिग्ध भूमिका का खुलासा

चैप्टर 84: 1984 में हुए सिक्ख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस की भूमिका पर कोबरापोस्ट की तहकीकात। पहली बार कैमरे पर कोबरापोस्ट 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस की संदिग्ध भूमिका का खुलासा करता है, जिसके चलते देश की राजधानी मे 3000 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया …

फासीवाद को स्वर देते श्री श्री रविशंकर

अभी कुछ दिन पहले ही, ‘आध्यात्मिक गुरू और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों को लोकसभा चुनाव में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए। इसके पीछे उनका तर्क था कि क्षेत्रीय पार्टियों के लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण ही केन्द्र में मिली-जुली सरकारें बनती है और जिसके लिए उन्होंने ’खिचड़ी’ शब्द इस्तेमाल किया। उनका मानना था कि खिचड़ी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, तथा रुपए के अवमूल्यन के लिए जिम्मेदार होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर केन्द्र में अगली सरकार मिली-जुली बनती है, तो भारतीय रुपए की कीमत काफी नीचे चली जाएगी। उनका विचार था कि मुल्क में अमरीकी समाज जैसा राजनैतिक सिस्टम लागू होना चाहिए जहां केवल दो ही दल हैं। उन्होंने अपने अनुयायियों से भी अपील की कि, वोट देने से पहले वे राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में जरूर रखें।

दिल्ली में मीडिया ने किया रेप पीड़ित दलित लड़कियों के आंदोलन का बहिष्‍कार

दिल्ली। यह कितनी अजीब बात है कि भागाणा (हरियाणा) में गैंग रेप की शिकार हुई बालिकाओं के लिए दिल्‍ली में चल रहे आंदोलन का आज मीडिया ने घोषित रूप से बहिष्‍कार कर दिया। जैसा कि आप जानते होंगे कि भगाणा के लोग गैंग-रेप की शिकार हुई बालिकाओं के साथ पिछले 6 दिनों से दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं। आज (22 अप्रैल, 2014) जेएनयू के सभी छात्र संगठनों के साथियों ने भगाणा के पीड़ितों को साथ लेकर हरियाणा भवन पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान आयोजित जन-सभा में एक साथी ने भगाणा प्रकरण को तवज्‍जो नहीं देने को लेकर मीडिया को ब्राह्मणवादी कहा। इस पर वहां खड़े पत्रकारों ने आंदोलन के जातिवादी होने का आरोप लगाते हुए इसके बहिष्‍कार करने की घोषणा कर दी। उन्‍होंने आयोजकों का सबक सिखाने की धमकी दी तथा एक ओर गोल बनाकर खड़े हो गये।

क्या फर्क पड़ता है कि हरिसिंह जाटव मर गया

बरेली। विगत 17 अप्रैल को आंवला लोक सभा क्षेत्र के देवचरा में एक मतदान बूथ पर हरिसिंह जाटव ने केरोसिन डाल कर आत्मदाह कर लिया था। हरिसिंह वोट डालने के लिए जयपुर से अपने घर आया था। वह राम भरोसे इंटर कॉलेज मतदान केंद्र के बूथ संख्या 310 पर वोट डालने भी गया। लेकिन मतदान पर्ची न होने के कारण मतदान कर्मियों ने उसे वोट नहीं डालने दिया। बार-बार मना किए जाने से क्षुब्ध हरिसिंह ने आत्मघाती कदम उठा लिया। फिर जैसा कि होना था, प्रशासन ने हरिसिंह को विक्षिप्त औऱ शराबी बता कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की और अपनी रिपोर्ट में निर्वाचन आयोग को ये बात लिख भेजी।

मतदान न कर पाने से क्षुब्ध व्यक्ति ने किया आत्मदाह, न्यायिक जाँच की मांग

आँवला लोकसभा क्षेत्र के देवचरा में मतदान  केंद्र के भीतर कथित रूप से मतदान न कर पाने से क्षुब्ध हरिसिंह की मृत्यु की न्यायिक जाँच की मांग

महोदय,
            उपरोक्त
विषयक निम्नांकित तथ्य आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं:

1. दिनांक 17 अप्रैल 2014 को मतदान के दौरान आंवला लोक सभा क्षेत्र के देवचरा में राम भरोसे इंटर कॉलेज मतदान केंद्र के बूथ संख्या 310 के वोटर संख्या 1309 हरि सिंह को कथित रूप से मतदाता पर्ची न होने की वजह से कई प्रयासों के बाद भी वोट नहीं डालने दिया गया। इससे कुपित होकर उसने मतदान प्रक्रिया के दौरान ही मतदान केंद्र के अंदर तमाम सुरक्षा बलों, सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों व मतदाताओं की मौजूदगी में ही केरोसिन डालकर आत्मदाह कर लिया। 90 प्रतिशत जल जाने के कारण कुछ ही देर में जिला अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गयी।

अमर उजाला के इस साथी पत्रकार को सलाम

लखनऊ। लोक सभा चुनाव में जहां पेड न्यूज़ के किस्सों की भरमार हैं और मीडिया पर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं वहीं अमर उजाला के एक साथी पत्रकार की ईमानदारी प्रशंसा योग्य है। वाक़या समाजवादी पार्टी के कैसरबाग कार्यालय पर शनिवार को हुयी एक बैठक का है। कवरेज के लिए वहां ‘अमर उजाला’ का संवाददाता भी पहुंचा। संवाददाता ने जब बैठक के विषय में कुछ और जानकारी चाही तो मीडिया प्रभारी ने बताया कि इसके लिए उसको लोकसभा प्रत्याशी प्रो. अभिषेक मिश्र के चुनाव कार्यालय चलना पड़ेगा। इसके बाद वो मीडिया प्रभारी अमर उजाला संवाददाता को चुनाव कार्यालय पर ले गया जहां एक छोटे  कमरे में सपा के ही एक दूसरे नेता ने हजार के नोटों की गड्डी निकाली और संवाददाता की ओर बढ़ा दी।

हाईकोर्ट ने कहा हज पर जाने वालों को दी जाएं बेहतर सुविधाएं

शाहजहाँपुर(उप्र), 21 अप्रैल। इमरोज़ होटल, कच्चा कटरा, में एक प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए हाजी मोहम्मद असलम खां वारसी ऐडवोकेट ने बताया कि भारत के हाजियो के साथ हज के समय बहुत नाइंसाफी, हक्तल्फी, बेमानी होती थी। पैसा होटलो में रोकने का लिया जाता लेकिन उन्हे पुरानी खस्ता हाल इमारतों में रोका जाता था। जबकि दुनीया भर के हाजी होटलो में रुकते है। इसके खिलाफ एक जनहित याचिका हाईकोर्ट इलाहबाद में दायर की गयी थी। याचिका पर हाई केर्ट ने फैसला दिया है कि भारत के हाजियो को वही सहूलियतें दी जाएं जो और मुल्को की हज कमेटी के ज़रिये जाने वाले हाजियो को मिलती है।

न्यूज़ चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम में मारपीट, सपा विधायक पर एफआईआर

लखनऊ। एक न्यूज़ चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम में बहस के दौरान हुई मारपीट के मामले में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने मैनपुरी में एक दूसरे पर एफआईआर दर्ज करायी है।

अगर मोदी की सरकार आई तो क्या अख़बार मालिकों के अच्छे दिन आएंगे?

अच्छे दिन आने वाले हैं, मगर अख़बार मालिकों के, अगर मोदी की सरकार आई तो…। इसी साल 7 फ़रवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सभी अख़बार मालिकों को मजीठिया वेज बोर्ड सम्बन्धी केन्द्रीय श्रम मंत्रालय के 2011 के आदेश को उसी तिथि से लागू करने का आदेश दिया था। उसके बाद एबीपी, राजस्थान पत्रिका जैसे कई संस्थानों ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाएं दायर कीं, जिनके ख़ारिज हो जाने के बाद अब इसे लागू करना ज़रूरी हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही इसकी काट में जुटे अख़बार मालिकों ने नई रणनीति बनाई है।

ये नेता हैं या गुंडे?

जिन-जिन लोगों को हिंदी फिल्में देखने का शौक़ है वह सब अमरीश पूरी, प्रेम चोपड़ा, गुलशन ग्रोवर, शक्ति कपूर, सदाशिव अमरापुरकर, प्राण और इसी प्रकार के दुसरे विलन को अच्छी तरह जानते हैं। ये फिल्मी विलेन गाँव वालों को या आम जनता को धमकी देते रहते हैं की यदि तुमने हमारा काम नहीं किया तो हम तुम्हें उठवा लेंगे, तुम्हारे घर वालों को उठवालेंगे या फिर यह कि तुम्हारी ज़मीन छीन लेंगे। यह सब फ़िल्मी गुंडे हैं और ऐसी हरकतें सिर्फ फिल्मों में करते हैं मगर अफसोस की बात यह है कि हमारे प्यारे देश भारत में जिन नेताओं को जनता की रक्षा के लिए चुना जाता है वही आये दिन जनता को और अपने विरोधियों को धमकी देते रहते हैं।

सुब्रत रॉय की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सुरक्षित

नई दिल्ली, 21 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने आज सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और दो निदेशकों की ज़मानत याचिका पर अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया है। ये तीनो 4 मार्च से न्यायिक हिरासत में हैं। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सुब्रत राय और दो निदेशकों की जमानत के लिए दस हजार करोड़ रुपए का भुगतान करने के सहारा के प्रस्ताव पर भी विचार करने की सहमति दे दी है। मामले की अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं की गई है।

राजनीतिक पत्रिका ‘न्यूज बेंच’ का हिंदी और अंग्रेजी संस्करण बाजार में

ग्रांड कॉन्सेप्ट्स मीडिया सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने एक राजनीति केंद्रित मासिक पत्रिका ‘न्यूज बेंच’ का प्रकाशन हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में किया है। न्यूज बेंच के प्रवेशांक की कवर स्टोरी है ‘नरेद्र मोदी के असली दुश्मन’, जिसमें खुलासा किया गया है कि नरेंद्र मोदी को 24 अकबर रोड ‘कांग्रेस’ चाहे अजय भवन ‘वामदल’ से कोई खतरा ही नहीं है। उन्हें असली खतरा अंग्रेजीदां अभिजात्य बुद्धिजीवियों और अपनी ही पार्टी के उन घाघ नेताओं से हैं, जो लगातार उनकी टांग खीचने में लगे हुए हैं। 76 पृष्ठों वाली इस पत्रिका ने पूरे देश के राजनीतिक नब्ज़ को टटोलने के साथ अन्य क्षेत्रों को भी अपने भीतर समेटने का प्रयास किया है।

न्यूज़ फर्स्ट से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार रवि शर्मा

मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार रवि शर्मा ने गौरी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को ज्वाइन किया है। संस्थान में उन्हें कार्यकारी संपादक बनाया गया है। रवि शर्मा लंबे समय से प्रिंट मीडिया से जुड़े रहे हैं। वो दैनिक जागरण, अमर उजाला और जनवाणी समेत कई समाचार पत्रों में अहम पदों पर काम कर चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट तेजपाल की ज़मानत अर्ज़ी पर सुनवाई को तैयार

नई दिल्ली, 21 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने तहलका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल की ज़मानत अर्ज़ी सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है। मुख्य न्यायाधीश की बैंच ने सुनवाई करते हुए गोवा पुलिस से चार हफ्तों में जवाब देने को कहा है। तेजपाल पर अपनी एक जूनियर महिला सहयोगी से दुष्कर्म का आरोप है।

ये चुनावी इंकलाब सिवाय ज़़ुबानी जमा-खर्च और कुछ नहीं

वाराणसी। न शहादत दिवस है और न ही जन्म दिवस फिर भी अपने शहर बनारस की सरज़मीन पर इंकलाब-जिदांबाद के नारे को सुन रहा हूं तो भगत सिंह की बातें इंकलाब का मतलब अन्याय पर टिकी व्यवस्था का खात्मा है, जेहन में गूंज रहा है। चुनावी मौसम में इस नारे के औचित्य को समझना चाहता हूं पर समझ छोटी पड़ रही हैं। नारे लगाने वाले राजनीतिक दल कौन सा इंकलाब लाना चाहते हैं। इनका इंकलाब कब आयेगा, ये तो नहीं पता पर अफसोस काश भोली-भाली आवाम इन्हें समझ सकती? जान पाती इनके मंसूबों को? इनके चेहरों को पहचान पाती? वैसे ये शहर एक लम्बे समय से किसी इंकलाब की बाट जोह रहा है, जो यहां के हालात में आमूल-चूल परिवर्तन ला दे।

सुंदर ने अपनी पहली मोहब्‍बत को अपनाया है, बीवी के साथ

लखनऊ: आर सुंदर ने आखिरकार पत्रकारिता को टाटा बाय-बाय कर दिया है। मतलब यह नहीं कि वह अब अभिव्‍यक्ति के असीम क्षेत्र को छोड़ने जा रहा है, बल्कि उसने पत्रिकारिता के परम्‍परागत क्षेत्र को छोड़कर अध्‍यापन को अंगीकार कर लिया है। वह भी फोटोग्राफी। लखनऊ के रामस्‍वरूप विश्‍वविद्यालय में अब वह सहायक प्रोफेसर के तौर पर अपने छात्रों को कैमरे के कमाल और बारीकियों-तकनीकियों से रू-ब-रू करायेगा।

दिव्य भास्कर ने लिया धीमंत से इस्तीफा, कल्पेन को नोटिस

दिव्य भास्कर, अहमदाबाद में बतौर पॉलिटिकल एडिटर काम कर रहे धीमंत पुरोहित का चुनावो के दौरान ही इस्तीफा ले लिया गया है। एक अन्य पत्रकार कल्पेन मकवाणा को इस्तीफे का नोटिस दे दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि, नरेन्द्र मोदी का फर्जी इन्टरव्यू फ्रन्ट प्रेज प्रकाशित होने और बाद में माफी मांगने के कारण धीमंत पूरोहित के सामने काफी सवाल खड़े होने लगे थे। इसके बाद एक और घटना में भी दिव्य भास्कर को माफी मांगनी पड़ी थी। कहा जा रहा है कि, दिव्य भास्कर स्टेट एडिटर अवनीश जैन ने ही धीमंत की बतौर पोलिटिकल एडिटर नियुक्ति की थी और आज जैन ने ही धीमंत का इस्तिफा ले लिया है।

क्या राज ठाकरे की इतनी न्यूज-वेल्यू है कि मीडिया उससे अपनी औकात नपवाए?

चौथे खंभे के जिन दिग्गजों को हम जैसे लोग लोकतंत्र के पहरुये, रक्षक-उद्धारक समझ रहे थे, वे बेहद बौने साबित हुए। राज ठाकरे ने टीवी चैनलों पर नामी पत्रकारों की ऐसी-तैसी कर दी। इन तथाकथित बड़े पत्रकारों के लिए भीगी बिल्ली बन जाना, मुआवरा भी छोटा साबित हुआ। पहली बार पत्रकारों को इतना दयनीय रूप में देखा। ये स्थिति न केवल शर्मनाक, वरन भविष्य के लिहाज से चिंताजनक भी है। आपातकाल के बारे में सुना है कि तब इंदिरा गांधी ने मीडिया को थोड़ा झुकने के लिए कहा था और उसकी परिणति रेंगने के रूप में सामने आई थी। लेकिन अब भारतीय मीडिया, खासतौर टीवी मीडिया रेंगने से भी आगे की दुर्गति को प्राप्त हो गया है।

सारधा समूह के न्यूज चैनल की प्रमुख रहीं अर्पिता घोष को ईडी का नोटिस

कोलकाता। बालूरघाट संसदीय क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार औऱ सारधा समूह के न्यूज चैनल की प्रमुख रहीं अर्पिता घोष को केन्द्रीय जांच एजेन्सी इंफोर्समेन्ट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है। ईडी बहुचर्चित सारधा घोटाले की जांच कर रहा है। अर्पिता से सारधा समूह के न्यूज चैनल से संबंधित कागजात और खातों के बारे में पूछा गया है। उनका कहना है कि वे नोटिस का जवाब देंगी और अगर जाना पड़ा तो 24 अथवा 25 अप्रैल को स्वयं ईडी के ऑफिस जाएंगी।

राज ठाकरे धमकाता रहा और संपादक भीगी बिल्ली बनकर बैठे रहें

पिछले दो तीन दिनों में मैंने राजदीप सरदेसाई और टाइम्स नाउ के मठाधीश एंकर को राज ठाकरे का साक्षात्कार लेते हुए टीवी पर देखा। मोटी मलाई खाकर बड़े बड़े स्टुडिओज में ही बैठकर देश का विजन सेट करने की गफलत पाले इन बड़े चेहरों की बेचारगी निश्चित तौर पर भारतीय मीडिया जगत की गिरावट का प्रबल उदाहरण बनकर सामने आई।

आरटीआई के ज़रिए तेजपाल ने अपने मुक़दमे के खर्च का ब्यौरा मांगा

पणजी। अपनी एक जूनियर महिला सहयोगी से दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद तहलका के संस्थापक संपादक तरूण तेजपाल ने सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत अपने मुकदमे की पूरी छानबीन और अभियोजन पर हुए खर्चे की जानकारी मांगी है। आरटीआई के माध्यम से तेजपाल ने चार सवालों के साथ गोवा पुलिस के समक्ष एक आवेदन पेश किया है। तेजपाल ने पूछा है कि इस मामले में वकीलों को कितनी धनराशि का भुगतान किया गया है। इसके अलावा कितने पुलिसकर्मी इस मामले की जांच कर रहे हैं। तेजपाल ने यह भी पूछा है कि उनके मामले में कितनी बार गोवा-मुंबई और गोवा-दिल्ली-गोवा के बीच विमान यात्राएं की गई हैं।

मतदाता को डराने-धमकाने की राजनीति और ख़ामोश चुनाव आयोग

जब बात सत्ता पाने की राजनीति को लेकर हो तो उसमें अच्छी नीति की संभावना न के बराबर ही होती है। राजनीति और झूठ का रिश्ता इतना गहरा हो गया है कि सत्ता सुख के लिए जनता को ललचाना, बहकाना, खरीदना, झूठे वादे करना ये सब राजनीति की प्रवृत्ति बन चुकी है, और एसे में जब कोई नेता वोट के लिए मतदाताओं को डराना शुरू कर दे तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं। हमारे राजनेताओं का स्तर इतना गिर चुका है कि वें वोट बैंक के लिए किसी भी अमानविय घटना को अंजाम देने के लिए एकदम तैयार बैठे हैं। 9 चरण वाले लोकसभा चुनाव 2014 का दौर जारी है, 6 चरण पूरे हो चुके हैं और तीन चरण अभी भी बाकी हैं और ऐसे में अमित शाह और आजम खान का मुद्दा अभी शांत हुआ नहीं था और आचार संहिता के उल्लंघन की प्रतियोगिता अभी चल ही रही थी कि मतदाताओं को डराने व धमकाने के जो नए मुद्दे सामने आए हैं वो लोकतंत्र के निर्वाचन प्रणाली में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए अशुभ संकेत है।

एक मई से भोपाल में लॉन्च होगा ‘हरिभूमि’

'हरिभूमि' के भोपाल संस्करण के लॉन्चिंग की तैयारियां पूरी हो गई हैं। 'हरिभूमि' भोपाल के संपादक डॉ. संतोष मानव के नेतृत्व में भोपाल में काम-काज शुरू हो गया है। 1 मई को इसके बाजार में आने की संभावना है। यह अखबार रोहतक, नई दिल्ली, बिलासपुर, रायपुर, जबलपुर से पहले ही प्रकाशित हो रहा है। एडिटोरियल, विज्ञापन, सर्कुलेशन सभी टीमों का गठन किया जा चुका हैं। अख़बार का डमी निकलना भी प्रारंभ हो गया है। हजारों लोगों को अब तक ग्राहक बनाया जा चुका है। भोपाल में होर्डिंग, स्टीकर से प्रचार-प्रसार भोपाल में एक नए अखबार के आने का माहौल बन चुका है।

रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र कर का सड़क दुर्घटना में निधन

रायपुर। रायपुर (छत्तीसगढ़) के वरिष्ठ पत्रकार और यहां से निकलने वाले दैनिक समाचार पत्र आज की जनधारा के मैनेजिंग एडिटर देवेंद्र कर उनकी धर्मपत्नी और बहन का शनिवार (19.4.14) को एक सड़क दुर्घटना में दुखद निधन हो गया। देवेंद्र कर जी के निधन से छत्तीसगढ़ का पत्रकार जगत सकते में है। छत्तीसगढ़ में लगभग 25 सालों से पत्रकारिता के विविध आयामों में सक्रिय देवेंद्र कर बेहद मिलनसार व्यक्ति थे। देवेंद्र कर अपने पत्रकार साथियों के दुख सुख में हमेशा उनके साथ सहभागी रहते थे।

यूपी पुलिस ने दिया चतुर्थ श्रेणी कर्मियों पर गलत हलफनामा

आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस गलत हलफनामा दायर कर घुमावदार तरीके से खुद को बचाने के प्रयास में है। पुलिस डिपार्टमेंट क्लास IV एम्प्लाइज एसोसियेशन द्वारा दायर पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने डीजीपी, यूपी को यह हलफनामा दायर करने को कहा कि ये कर्मचारी नियम के विपरीत कहीं तैनात नहीं किये गए हैं।

भारत में फलता-फूलता मुक़दमेबाजी उद्योग

भारतीय न्यायातंत्र उर्फ मुकदमेबाजी उद्योग ने बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध करवा रखा है। देश में अर्द्ध–न्यायिक निकायों को छोड़कर 20,000 से ज्यादा न्यायाधीश, 2,50,000 से ज्यादा सहायक स्टाफ, 25,00,000 से ज्यादा वकील, 10,00,000 से ज्यादा मुंशी टाइपिस्ट, 23,00,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी इस व्यवसाय में नियोजित हैं और वैध–अवैध ढंग से जनता से धन ऐंठ रहे हैं। अर्द्ध-न्यायिक निकायों में भी समान संख्या और नियोजित है। फिर भी परिणाम और इन लोगों की नीयत लाचार जनता से छुपी हुई नहीं हैं। भारत में मुक़दमेबाजी उद्योग एक चक्रव्यूह  की तरह संचालित है, जिसमें सत्ता में शामिल सभी पक्षकार अपनी-अपनी भूमिका निसंकोच और निर्भीक होकर बखूबी निभा रहे हैं। प्राय: झगड़ों और विवादों का प्रायोजन अपने स्वर्थों के लिए या तो राजनेता स्वयं करते हैं या वे इनका पोषण करते हैं। अधिकाँश वकील किसी न किसी राजनैतिक दल से चिपके रहते हैं और उनके माध्यम से वे अपना व्यवसाय प्राप्त करते हैं, क्योंकि विवाद के पश्चात पक्षकार सुलह–समाधान के लिए अक्सर राजनेताओं के पास जाते हैं और कालांतर में राजनेताओं से घनिष्ठ संपर्क वाले वकील ही न्यायाधीश बन पाते हैं।

स्मृति-शेषः तुमको तो दिल्ली आना था देवेंद्र….

तुमको तो दिल्ली आना था, कहां चले गए देवेंद्र? मैं तो इंतजार कर रही थी कि कब तुम दिल्ली आओ कब तुमसे ढेर सारे गाने सुनूं। कहीं साथ बैठकर खाना खाएं और ढेर सारी गपशप हो। पर रायपुर छोड़ने के बाद से यह सपना ही रह गया। तुम जब भी आए कितनी हडबडी में आए। कोई ऐसा करता है क्या? मुझे याद आ रहा है कटोरा तालाब में नए साल का जश्न। कितनी अच्छी महफिल जमाई थी न अपन ने, मेरी छत पर। रीतेश, अमित कुमार, तुम ,डाक्टर इंगले और मेरा परिवार। रात भर हारमोनियम बजा-बजाकर हर कोई सुरा -बेसुरा गाता रहा। मैं तुम्हे बेसुरा नहीं कह सकती। कितना अच्छा गाते हो तुम पर… उस दिन पत्नी से मासांहारी भोजन बनवाकर लाए थे तुम। जानते थे न कि दीदी न नॉनवेज बनाती है न खाती हैं।

बाबा रामदेव पर आचार संहिता के उल्लंघन का मुक़दमा दर्ज

फतेहपुर(उत्तर प्रदेश)। योग गुरू बाबा रामदेव के खिलाफ चुनाव आयोग के निर्देश पर शनिवार की रात आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया। बिना अनुमति प्रेस कांफ्रेंस करने और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी व केजरीवाल पर निजि टिप्पणी करने को आयोग ने गंभीरता से लिया है। सदर कोतवाली में बाबा रामदेव के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। बाबा रामदेव को फतेहपुर औरखागा तहसील में योग शिविर करने की अनुमति मिली थी, लेकिन उन्होंने बिना प्रशासन की इजाज़त के भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में शनिवार दोपहर आवास-विकास कालोनी में प्रेस वार्ता की।

ईस्ट इंडिया कंपनी की नयी कहानी- अम्बानी और अडानी

आवश्यकता आविष्कार की जननी है। साल 2012-13 का दौर भी कुछ ऐसा ही वक़्त लगा था। तब हिन्दुस्तान को लगा कि आज़ादी की दूसरी क्रान्ति शुरू हो गयी है। अन्ना नाम के शख्स ने एक उम्मीद जगाई और केजरीवाल नाम के "नायक" का जन्म हुआ। इस दौर में लोगों की सोच में ख़ासी तब्दीली आई। महज़ घर में टी.वी. के सामने बैठ नेताओं को कोसने और देश की दुर्दशा पर घड़ियाली आंसू बहाने वाला तबका भी घर से बाहर निकला। "आज़ादी की दूसरी लड़ाई" में, आंशिक तौर पर ही सही, पर शामिल हुआ। "आप" का जन्म हुआ। अरविन्द केजरीवाल ने, आम आदमी का पैसा चूसने वाले क्रोनी कैप्टिलिज़्म के प्रतीक अम्बानी-अडानी और वाड्रा जैसे तथा-कथित प्रॉपर्टी डीलरों की जमात की खुलेआम मुख़ालफ़त की। पर अचानक नयी फिल्म आयी। "महानायक" नरेंद्र मोदी का अवतार सामने आया। ऐसा "अजूबा" अवतार जिसका फैन आम आदमी हो गया।

मीडिया पर क्यों हो रहे चौतरफा हमले?

मीडिया में साख की कमी है ये तो जानी हुई बात है। लेकिन पिछले कई दिनों से मीडिया(खासकर टीवी चैनल्स) पर जिस तरह आरोपों के हमले हो रहे हैं वो असहजता पैदा करने वाले हैं। शनिवार को भी राज ठाकरे और उसके बाद आजम खान ने जिस अंदाज में भड़ास निकाली वो ध्यान खींचने के लिए काफी है। राज के बयान में उदंडता का भाव है वहीं आजम ने लगातार मीडिया पर नरेन्द्र मोदी से पैसे खाने का आरोप  लगाया है। एबीपी न्यूज के एक कार्यक्रम में आजम ने बदमिजाज लहजे में एंकर अभिसार को मोदी से पैसे मिलने का जिक्र किया। इस चैनल ने कोई प्रतिकार नहीं किया। बेशक पत्रकारिता की परिपाटी है कि सवाल पूछने के बाद पत्रकार को जवाब सुनना होता है चाहे जवाब कितना भी उत्तेजना पैदा करने वाला क्यों न हो। लेकिन केजरीवाल की तरफ से पत्रकारों को जेल भेजने वाली धमकी के बाद से ये सिलसिला सा बन गया है।

स्मृति-शेषः अपने जिंदादिल अंदाज़ और बेबाकी के लिए बहुत याद आएंगें देवेंद्र कर

रायपुर के दैनिक अखबार ‘आज की जनधारा’ के संपादक-प्रकाशक देवेंद्र कर का रविवार एक सड़क दुर्धटना में निधन हो गया। यह लेख उनकी स्मृति में लिखा गया है।
 

मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि अपने बहुत प्यारे दोस्त, सहयोगी और एक जिंदादिल इंसान देवेंद्र कर के लिए मुझे यह श्रद्धांजलि लिखनी पड़ेगी। तीन दिन पहले की ही बात है देवेंद्र का फोन आया था वे मुझसे पूछ रहे थे “आखिर मप्र कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने मेरे खिलाफ बयान क्यों दिया है। ऐसा क्या लिख दिया सर।” वही चहकता अंदाज पर भोपाल और रायपुर की दूरी को पाट देने वाली हंसी। “सर विवाद आपका पीछा नहीं छोड़ते।” फिर वही परिवार का हाल “भाभी कैसी हैं बात कराइए।” मैंने कहा आफिस में हूं, घर जाकर भूमिका से बात कराता हूं। पर बात नहीं हो पाई। अब हो भी नहीं पाएगी। प्रभु को इतना निर्मम होते देखना भी कठिन है। एक परिवार से तीन शव निकलें, यह क्या है महिमामय परमेश्वर। इस दुर्घटना में देवेंद्र ,उनकी पत्नी और बहन तीनों की मौत मेरे लिए हिलाकर रख देने वाली सूचना है। उनके बहुत प्यारे दो बच्चे भी घायल हैं।

पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार हामिद मीर पर जानलेवा हमला

करांची। पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार और जियो न्यूज़ के संपादक हामिद मीर को, अज्ञात हमालावरों ने शनिवार शाम गोली मार दी। मीर पर हमला करांची एयरपोर्ट से जियो न्यूज के दफ्तर जाते समय हुआ। खबर है कि हमलावर एयरपोर्ट से ही उनकी गाड़ी का पीछा कर रहे थे। गाड़ी पर अचानक फायरिंग की गई जिसमें पिछली सीट पर बैठे मीर के शरीर के निचले हिस्से में तीन गोलियां लगीं। समझदारी का परिचय देते हुए गाड़ी का ड्राइवर गंभीर रूप से घायल मीर को  एक अस्पताल तक ले गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत अब ख़तरे से बाहर है।

विफल रहीं चुनाव आयोग की कोशिशें, मप्र में कम रहा मतदान प्रतिशत

आमतौर पर माना जाता है कि जब वोट ज्यादा पड़ते हैं तो सत्ता में बदलाव निश्चित है लेकिन कल मध्यप्रदेश में मतदान प्रतिशत ने नक्सली समस्या से ग्रस्त पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ का सिर ऊंचा कर दिया है क्योंकि छत्तीसगढ़ में 66% व मप्र में 55% वोटिंग हुई। ट्विटर, फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर दिन-दुगने रात-चौगुने नमो-नमो का जाप करने वाले तथाकथित विकास के चहेते भी लगता है वोटिंग के दिन भी अपना एडमिन धर्म नहीं छोड़ पाए, मतदान के दिन भी ट्विट करने में व्यस्त रहे। रही बात विपक्षी कांग्रेस की तो वहां 2-4 सीटों पर प्रत्याशिेयों की दमखम रही वहीं, शेष सीटों पर पार्टी ने पहले से ही हार मान ली और कार्यकर्ता भी निराश है एवं उसका परंपरागत वोटर भी इस बार कुछ सोच नहीं पाया।

पैसों की खातिर हेयर सैलून में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने लगे हैं फिल्मी सितारे

राजस्थान की राजधानी जयपुर में फिल्म प्रमोशन के नाम पर होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस अब फैन्स कॉन्फ्रेंस बनकर रह गई हैं। पिछले कुछ अरसे से देखा जा रहा है कि यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस के नाम पर पत्रकारों की अच्छी-खासी संख्या जमा कर ली जाती है, लेकिन मीडिया को फिल्मी सितारों से बातचीत की बजाय अन्य लोगों की भीड में धक्के खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। फिल्म प्रमोशन कंपनियों तथा निर्माता-निर्देशकों की धनपिपासु प्रवृति के चलते इन दिनों हालात ये हो गए हैं कि फिल्मी सितारे पैसों की खातिर हेयर सैलून तक में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने लगे हैं। मीडिया की मजबूरी यह है कि उन्हें कवर करने के लिए उसे ऐसी जगहों पर जाना पड़ता है जहां उनसे खुलकर बातचीत करना तो दूर, पत्रकारों को खड़े रहने के लिए भी जगह नहीं मिल पाती।

सामाजिक न्याय के एजेण्डे पर लड़ा जा रहा है वर्तमान लोकसभा चुनाव

सदियों से ऊंच-नीच की घृणा पर आधारित सामाजिक व्यवस्था में बदलाव का चक्र पूर्ण हुए बिना देश का सुचारु तरीके से आधुनिक लोकतांत्रिक प्रशासन की ओर अग्रसर होना संभव नहीं है। पिछले कई चुनाव से सामाजिक न्याय का एजेण्डा सर्वोपरि बना हुआ है। हालांकि जातिवादी वर्चस्व के दिन फिर लौटने का दिवास्वप्न देखने वाले मोदी को लेकर कुछ और ही राग अलाप रहे थे। उग्र हिन्दुत्व के संवाहक के रूप में मोदी की छवि को देखने की वजह से उन्हें यह मुगालता था कि इससे उनके दो मकसद हल होंगे। एक तो ऊंच नीच से मुक्त और भाईचारे पर आधारित होने के कारण पूरी दुनिया में बढ़त बनाने वाले इस्लाम को मोदी हिन्दुस्तान की सरजमीं पर शिकस्त देकर सैकड़ों वर्ष पहले उनसे परास्त होकर अपमानित हुए पूर्वजों का बदला पूरा होगा। दूसरे शोषित समाज में बराबरी के लिये जो कसमसाहट पैदा हुई है उसे भी कालीन के नीचे दबाया जा सकेगा लेकिन प्रधानमंत्री पद के दावेदार घोषित होने के बाद मोदी ने अपनी पुरानी केंचुल धीरे-धीरे उतार फेंकी और शोषित समाज में नव अंकुरित स्वाभिमान को आक्रामक चेतना में बदलते हुए नये हिन्दुस्तान की जरूरत के मुताबिक अपने को ढालना शुरू कर दिया। अम्बेडकर जयंती पर मोदी का भाषण इस कवायद का चरमोत्कर्ष था जिसके बाद से यथास्थितिवादियों में खलबली मची हुई है। वे हतप्रभ हैं और समझ नहीं पा रहे कि जिस वर्ण व्यवस्था के पुनरुत्थान के लिये उन्होंने मोदी का कंधा इस्तेमाल करने की योजना बनायी थी। मोदी की नई सोच की वजह से वह कहीं इतिहास की कब्र में हमेशा के लिये दफन न हो जाये।

सिर्फ लोकप्रियता पाने के लिए दायर की गई दहेज़ की रोकथाम हेतु पीआईएलः हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा दहेज़ के कुप्रभावों को रोकने के लिए बनाए गए उत्तर प्रदेश दहेज़ प्रतिषेध नियमावली 1999 के पूर्ण अनुपालन हेतु दायर पीआईएल को ख़ारिज कर दिया।

रायपुर के पत्रकार विजय मिश्रा के भाई का सड़क दुर्घटना में निधन

रायपुर, 18 अप्रैल 2014। दतरेंगा के पास शुक्रवार की सुबह दैनिक अग्रदूत के पत्रकार विजय मिश्रा के भाई और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी संजय मिश्रा (49 वर्ष) का अज्ञात वाहन की चपेट में आ जाने से निधन हो गया।

कहां हो दलितों के ‘मसीहाओं’, पुलिस नहीं सुन रही इस दुराचार पीड़िता की

इलाहाबाद। वाह रे पुलिस! दलित और कमजोर तबके के लोगों को कानूनी मदद तो दूर, खुद आरोपी से मिलकर उसकी मदद करने में पुलिस जुट गई है। एसपी के एफआईआर दर्ज करने का आदेश थाना आफिस में पड़ा धूल फांक रहा है। भुक्तभोगी बालिका एफआईआर कराने को दर-दर भटक रही है। सवाल उठता है, आखिर समाज के शोषित और कमजोर तबके को न्याय मिल पाना यूपी में टेढ़ी खीर साबित होता जा रहा है। सभी को न्याय और कानून सबके लिए का सरकारी नारा क्या सिर्फ थोथा नारा बनके रह गया है। चुनाव में तो नेताओं की बाढ़ है, सबके अपने बड़े-बड़े दावे और वादे हैं। दलित शोषित को न्याय दिलाने का दिनरात राग अलापने वाले हे राजनीति के मठाधीशों! आखिर इस गरीब दलित बालिका और उसके परिजनों को न्याय कैसे मिलेगा?

हाई कोर्ट ने आईपीएस अमिताभ के तबादले पर मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर द्वारा 30 जनवरी 2014 को मात्र 15 दिन में अभियोजन से नागरिक सुरक्षा विभाग में हुए तबादले पर दायर याचिका पर राज्य सरकार ने जवाब माँगा है।

हरियाणा के भगाणा गांव की गैंग रेप पीड़ित लड़कियों के समर्थन में उतरे जेएनयू के छात्र

नई दिल्‍ली, 18 अप्रैल: हरियाणा के हिसार जिले के भगाणा गांव की गैंग रेप की शिकार चार नाबालिग लड़कियां अपने सैकड़ों परिजनों के साथ पिछले दो दिनों से जंतर-मंतर पर धरने पर बैठी हैं। इनकी मांग है कि कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी व भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्‍याशी नरेंद्र मोदी इनके गांव का दौरा करें तथा हरियाणा में दलितों-पिछड़ी महिलाओं के साथ निरंतर हो रही बलात्‍कार की घटनाओं से निजात दिलाएं।

जनता से सीधा संवाद, राजनीति में नई परम्परा की शुरूआत

वाराणसी। परम्परागत राजनीति से अलग हटकर चुनौती, विरोध और सवाल-जबाब के जरिए राजनीति की नयी परिभाषा गढ़ने चली आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार की शाम कटिंग मेमोरियल स्थित गोकुल लान में जनता से सीधा संवाद स्थापित कर लोकसभा चुनावों में एक नई परम्परा की शुरूआत की। बनारस में अब तक हुए लोकसभा के चुनावों के इतिहास में षायद ऐसा पहली बार हुआ कि खुद चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी ने जनता के सवालों के सीधे जबाब दिया, नही तो चुनावी सभाओं, रैलियों में पहुंचे नेता अपनी ही कहकर चलते बनते है।

शेखर गुप्ता ने अपनी किताब विवेक गोयंका को समर्पित की

इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता की बहुप्रतीक्षित किताब 'ANTICIPATING INDIA' बाज़ार में है लेकिन थोड़े परिवर्तन के साथ। किताब का जैकेट कवर और टैग लाइन बदली हुई है। पहले की टैग लाइन ' IF MODI WINS ON SUNDAY' बदल कर अब हो गई है 'THE BEST OF NATIONAL INTEREST.' शेखर गुप्ता की ये किताब, शनिवार को प्रकाशित उनके कॉलमों का संकलन है।

मोदी के खिलाफ पर्चा भरने जा रहे नेता की कार सीज़

इलाहाबाद। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ संसदीय क्षेत्र वाराणसी से पर्चा दाखिल कर उनके खिलाफ चुनाव में ताल ठोंकने जा रहे एक युवा नेता संजीव मिश्रा की झंडा लगी कार को पुलिस ने सीज कर दिया। घंटों पुलिस से मिन्नतें करने के बाद भी पुलिस का दिल नहीं पसीजा। पुलिस ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन करने के मामले में लिखापढ़ी करते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया है।
आखिरकार संजीव मिश्रा की मोदी के खिलाफ पर्चा दाखिल करने की हसरत मन में ही धरी रह गई।

पंजाब केसरी भी अपने कर्मचारियों से ले रहा ‘शौकिया पत्रकारिता’ करने का शपथपत्र

दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान के बाद अब सूचना है कि पंजाब केसरी भी मजीठिया से बचने की जुगाड़ कर रहा है। पंजाब केसरी प्रबंधन अपने कर्मचारियों से दस रुपए के ग़ैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर एक शपथ पत्र ले रहा है। शपथ पत्र का प्रारूप पंजाब केसरी द्वारा उपलब्ध कराया गया है। इसमें शपथकर्ता को अपने पूर्णकालिक मूल व्यवसाय की जानकारी देते हुए ये घोषणा करनी है कि पत्रकारिता उसकी मुख्य आजीविका न हो कर मात्र एक शौक है। औऱ यह भी कि उसके मूल व्यवसाय से होने वाली आमदनी उसके जीवन-यापन के लिए पर्याप्त है।

गोदौलिया प्रकरणः संदीप की लड़ाई उसका अखबार लड़े न लड़े, आईसीएन मीडिया ग्रुप उसके साथ है

मिर्ची। अपने कंधे पर जनसुरक्षा का दायित्व उठाने की सौगंध लिए घूम रही पुलिस ने जमीन छोड़ दिया है। शब्दों को अक्षरशः परिभाषित कर रही है जिले के दशाश्वमेघ थाने की पुलिस। नैतिकता, मानवाधिकार, और मानवीय संवेदनाओ को ताख पर रख चुकी पुलिस अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहती है। अमानवीय चेहरा दिखाते हुए दशाश्वमेघ थाने के गोदौलिया चौराहे पर दो पुलिसकर्मियों ने आम जनता को अपने कोपभाजन का शिकार बनाने के साथ-साथ मीडियाकर्मी संदीप त्रिपाठी, भाई अरुण त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार और संदीप त्रिपाठी के चाचा राजनाथ त्रिपाठी पर ताबड़तोड़ डंडे का प्रयोग, वर्दी का रौब, नियम कानून की धज्जिया उड़ाने के बाद दिखा दिया कि असली गुंडे हम है।

वाह रे कारपोरेट मीडिया का ‘लोकतंत्र’! मेक्सिको के कुछ सबक

पी. कुमार मंगलम का यह लेख मेक्सिको में चुनावों और प्रायोजित आंदोलनों तथा दलों के जरिए फासीवादी, जनविरोधी उभारों और जन संघर्षों को दबाने के साम्राज्यवादी प्रयोगों की रोशनी में भारत में पिछले कुछ समय से चल रही लहरों की (पहले ‘आप’ की लहर और अब मोदी की) पड़ताल करता है।   नरेंद्र मोदी या …

संजय बारु की किताब से उठे सवाल और मीडिया की भूमिका

पिछले दिनों दो पुस्तकें बाज़ार में आईं, जिन्होंने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया। पहली पुस्तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे वरिष्ठ पत्रकार संजय बारु की है और दूसरी पुस्तक कोयला मंत्रालय में सचिव रह चुके पी सी पारिख की है। इन दोनों पुस्तकों में मोटे तौर पर सोनिया गांधी के लोगों द्वारा चलाई जा रही सरकार के कामकाज के तौर तरीक़ों पर टिप्पणियाँ की गईं हैं। पारिख की किताब की चर्चा तो इसलिये हो रही है कि उन्होंने सोनिया गांधी की पार्टी की सरकार द्वारा आवंटित की गई कोयला खदानों की चर्चा की है। कोयले की खदानों का आवंटन इक्कीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ का सबसे बड़ा घोटाला कहा जा सकता है। इस पर देश के उच्चतम न्यायालय ने केवल आलोचना ही नहीं की, बल्कि कुछ खदानों के आवंटन को रद्द भी करना पड़ा। इस घोटाले में फँसे ऊँचे लोग अभी भी न्यायालयों का चक्कर काट रहे हैं। पारिख की कथनी का महत्व इस लिये बढ़ जाता है कि वे खदान आवंटन के इस सारे नाटक के दर्शक मात्र नहीं थे बल्कि उनके सामने ही इस घोटाले का स्क्रिप्ट लिखा जा रहा था। पारिख का कहना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस घोटाले के बारे में जानते ही नहीं थे बल्कि इसमें परोक्ष रुप से अपनी मौन स्वीकृति भी दे रहे थे।

प्रधानमंत्रियों के शहर इलाहबाद को आखिर मिला क्या?

आनंद भवन, स्वराजभवन इलाहाबाद में है और पूरी दुनिया उसे गांधी और नेहरू परिवार के बारे में वहीं से जानती है फिलहाल मैं इलाहाबादी ही हूँ और पूरे इलाहाबाद की तरफ से आप सभी से या पूछना चाहता हूं की आखिर क्या कारण था की आज आप को इलाहाबाद से कोई प्यार नहीं चलो मान भी लिया की राजीव, सोनिया, राहुल या प्रियंका का कोई कोई लेना देना न हो लकिन क्या जवाहर लाल नेहरू का भी कोई लेना देना इलाहाबाद की जनता या इलाहाबाद से नहीं था, कोई नाता ……………!

मेरे एक डॉक्टर मित्र खुद ‘शक्काइटिस’ रोग से पीड़ित थे

मैं सौ फीसद पत्रकार हूँ। क्या बात है किसी को कोई शक? शक का इलाज भी होता है बशर्ते शक्की चाहे तब। हमारे इर्दगिर्द कई ऐसे भी मानव प्राणी हैं, जिन्हें ‘शक्काइटिस’ नामक भयंकर बीमारी ने जकड़ रखा है। मैं चाहता हूँ कि इन लोगों को शक की इस बीमारी से निजात मिले। ऊपर वाले की मर्जी, जब वह चाहेगा तभी ऐसा मुमकिन होगा। शक की बात चली तो अर्सा पहले के एक ऐसे व्यक्ति की याद आने लगी जो पेशे से चिकित्सक हैं। अच्छी खासी पढ़ाई करके (एम.बी.बी.एस. की) वह निजी प्रैक्टिस करना शुरू कर दिए थे। उनकी शादी हुई थी, वह बेचारे परेशान रहा करते थे।

बालेन्दु दाधीच की किताब ‘तकनीकी सुलझनें’ का विमोचन

नई दिल्ली। नई दिल्ली। चर्चित तकनीकविद् और वरिष्ठ पत्रकार बालेन्दु शर्मा दाधीच की नई पुस्तक 'तकनीकी सुलझनें' का 15 अप्रैल को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनैशनल सेंटर में लोकार्पण किया गया। भारत में मॉरीशस के उच्चायुक्त श्री आर्य कुमार जगेसर ने कई हिंदी विद्वानों, वरिष्ठ पत्रकारों, तकनीक-विशेषज्ञों तथा हिंदी प्रेमियों की मौजूदगी में पुस्तक का लोकार्पण किया। कार्यक्रम का आयोजन सोसायटी ऑफ इंडियन पब्लिशर्स, ऑथर्स एंड आर्टिस्ट्स (सिपा) की तरफ से किया गया था। तकनीकी सुलझनें में आम कंप्यूटर, स्मार्टफोन, इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग, प्राइवेसी, डेटा सुरक्षा आदि विषयों से जुड़ी समस्याओं को सरल, सुबोध भाषा में सुलझाने का प्रयास किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकप्रिय कवि अशोक चक्रधर ने की। वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव, कोशकार अरविंद कुमार, भाषा-तकनीक शास्त्री डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा आदि ने भी समारोह को संबोधित किया।

मजीठिया से बचने के लिए अपने पत्रकारों को ‘शौकिया-पत्रकार’ बना रहा ‘हिन्दुस्तान’

सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के बाद मजीठिया वेज बोर्ड लागू करना अखबार मालिकों की मजबूरी है। लेकिन इससे बचने की जुगत सभी अखबार मालिक पहले से ही कर रहे हैं। मजीठिया से बचने के लिए जागरण प्रबंधन ने इनपुट, आउटपुट तथा प्रोडक्शन डेस्क के अंतर्गत सभी कर्मचारियों को बांटना पहले ही शुरू कर दिया था। अब खबर है कि मजीठिया से बचने के लिए हिन्दुस्तान प्रबंधन भी सभी पत्रकारों से एक समझौता-पत्र साइन करवा कर उन्हे 'शौकिया पत्रकार' बना रहा है।

प्राकृत भाषा की प्रथम समाचार पत्रिका का विमोचन

प्राकृत भाषा में निकलने वाले प्रथम अखबार " पागद भासा " के प्रथम अंक का विमोचन दिनांक 13.04.2014 को महावीर जयंती के शुभ दिन पर परमपूज्य आचार्य विद्यानंद मुनिराज एवं पूज्य आचार्य वर्धमान सागर जी के करकमलों से कुन्दकुन्द भारती,नई दिल्ली में संपन्न हुआ। प्राकृत भाषा में विश्व में पहली बार निकलने वाले इस अख़बार के संस्थापक संपादक डॉ. अनेकांत कुमार जैन हैं तथा प्रकाशक JIN FOUNDATION, NEW DELHI है। ज्ञातव्य है कि इसी वर्ष डॉ. जैन को प्राकृत भाषा एवं वांग्मय के लिए भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी जी ने महर्षि युवा राष्ट्रपति पुरस्कार-वादरायण व्यास सम्मान से सम्मानित करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रूपए प्रदान किये थे। डॉ. जैन ने उस राशि को प्राकृत भाषा एवं जैनागम के संरक्षण एवं संवर्धन में ही उपयोग करने का संकल्प लिया है। इस पत्र का प्रकाशन उसी की एक शुरुआत है। इस प्रथम शुरुआत के लिए अनेक विद्वानों ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।

पत्रकारों को ठगने में एक हैं लालू और नीतीश

पत्रकार मित्रों ,
                     याद
है आपको पत्रकार स्वास्थ्य बीमा योजना। नीतीश सरकार ने जिसे बड़े धूम धड़ाके से शुरू किया था। सरकार की अन्य घोषणाओं की तरह यह भी एक छलावा ही साबित हुआ। बिना प्रक्रिया पूरी किये सरकार ने आनन- फानन में पत्रकारों से 1796 रूपये भी जनसम्पर्क विभाग के खजाने में जमा करवा लिया। लेकिन अब तक पत्रकारों को बीमा कार्ड नहीं मिला। करीब दो महीने हो गये। मिले भी कैसे? पैसा बीमा कंपनी को दिया ही नहीं गया है। दे भी कैसे। अभी तक नियमावली ही नहीं बनी है। यानी योजना लागू करने की मंशा ही नहीं थी। मंशा थी आँखों में धूल झोंक कर चुनाव में पत्रकारों की सहानुभूति हासिल करने की। वरना बिना नियमावली बनाये कैसे पत्रकारों से पैसे जमा कराये गये?

उत्तराखंड सरकार विज्ञापनों पर लुटा रही पैसा (देखें आंकड़े)

चुनावी मौसम में उत्तराखंड में नेता फिर से दावों और वायदों की पोटली लेकर जनता की दहलीज़ पर दस्तक दे रहे हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे नेता हैं जो कभी कभार ही अपने इलाके की जनता के दुख दर्द में शरीक हुए होंगे। इसे उत्तराखंड और यहां के लोगों की बदकिस्मती ही कहेंगे कि राज्य बनने के 13 साल में यहां आठ मुख्यमंत्री बदल गए हैं। 1 फरवरी 2014 को हरीश रावत ने सीएम पद के शपथ ली। बहुगुणा के कुर्सी छोड़ने के बाद सूबे के लोगों को उम्मीद थी कि नए सीएम कुछ अलग करेंगे। लेकिन हरीश रावत से भी लोगों को मायूसी ही हाथ लगी है। सरकार के पास कहने को बहाना है कि आचार संहिता लगी है। असल मायने में उत्तराखंड में कांग्रेस ने सरकार तो जैसे तैसे बना ली लेकिन पार्टी के भीतर की आपसी लड़ाई और सरकार के समर्थन दे रहे दूसरे विधायकों ने सीएम को भी परेशानी में डाले रखा।

चुनाव, दारू, रुपया, टीवी, झंडा औऱ……पत्रकार!

विशेष समाज के लोगों ने कवरेज के लिए पत्रकारों को बांटी थैली

रोहतक में एक समाज विशेष के लोगों ने कल होने वाले अपने कार्यक्रम के लिए पत्रकारों को थैली बांटी। पत्रकारों को थैली देने की सलाह एक प्रतिष्ठित अखबार के फोटोग्राफर ने दी। जिसकी सलाह पर पत्रकारों को फोन कर कार्यालयों के नीचे बुलाकर थैलियां वितरित की गई। ऐसा ही एक फोने मेरे पास आया तो मुझे मामले का पता चला। फोन करने वाले युवक ने कहा कि सर मैं आपके दफ्तर के नीचे आकर फोन करुंगा, प्लीज आप नीचे आ जाना। इस पर मैंने ऐसा करने की वजह पूछी तो सामने वाले ने कहा कि सर आप पूरी साल हमारी सेवा करते हैं, इसलिए हम कुछ सम्मान के रुप में एकांत में देंगे। इस पर मैंने साफ मना किया तो युवक ने फोन काट दिया।

राजगढ़ के दो पत्रकारों ने बनवाए फर्जी रेलवे पास

राजगढ़, मध्यप्रदेश। जिले के ब्यावरा स्थित रेलवे स्टेशन पर जनसंपर्क विभाग में अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को दिए जाने वाले रियायती रेलवे यात्रा पास के दुरूपयोग का मामला प्रकाश में आया है। रेलवे स्टेशन मास्टर एलआर मीणा ने बताया कि जनसंपर्क संचालनालय भोपाल से जारी अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों के कार्ड के आधार पर रेलवे रियायती यात्रा पास जारी किये जाते हैं। लेकिन ब्यावरा के दो पत्रकारों ने फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाकर उनके आधार पर रियायती यात्रा पास जारी करवा लिए हैं।

आई विटनेस न्यूज़ से कई लोगों का इस्तीफा, अविनाश पहुंचे हरियाणा न्यूज़

हरियाणा से हालिया लांच हुए 'आई विटनेस न्यूज़" चैनल से लोगों के जाने का सिलसला जारी है। लांच के तुरंत बाद आउटपुट हेड अख़्लाक़ उस्मानी ने इस्तीफा दे दिया था। इस चैनल के लॉन्चिंग टीम में रही एंकर नेहा कालिया ने भी चैनल को अलविदा कह दिया। एंकर सचिन वर्मा ने भी चैनल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। प्राइम टाइम एंकर अविनाश कुमार सिंह ने भी चैनल से इस्तीफा दे दिया है।

चुनाव में फलफूल रहा खबरों का धंधा, कहीं पत्रकार मांग रहे तो कहीं प्रत्याशी खुद दे रहे पैसा

सुलतानपुर। अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान के पत्रकारों द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी से खबर छापने के लिए कैमरा व पांच हजार रुपये के मामले ने तूल पकड़ लिया है। फेसबुक व सोशल मीडिया पर इनके और भी कारनामे उजागर किए जा रहे हैं। हालांकि इन संवाददाताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इतना जरूर है कि अमर उजाला ने विज्ञापन छापकर विज्ञापन दाताओं को आगाह जरूर किया है।

आकाशवाणी पटना के उर्दू बुलेटिन ‘‘इलाकाई खबरें’’ ने पूरे किये 25 साल

16 अप्रैल, 1989 समय…….अपराह्न 3 बजकर 15 मिनट ……………बिहार में रेडियो सेट पर एक आवाज गूंजती है।……..ये आकाशावाणी पटना है…..अब आप शानू रहमान से……इलाकाई खबरें…..सुनिये……।

यह दिन, समय, क्षण बिहार की मीडिया के लिए एक यादगार दिन बन गया। इतिहास के पन्नों में यह दिन दर्ज हुआ, बिहार में उर्दू समाचार बुलेटिन का आकाशवाणी से प्रसारण को लेकर। आकाशवाणी पटना के प्रादेशिक समाचार की शुरूआत यों तो 28 दिसम्बर, 1959 को ही शुरू हो गया था। हालांकि 26 जनवरी, 1948 को आकाशवाणी, पटना केन्द्र का उद्घाटन हुआ था। जहां तक रेडियों पर समाचार प्रसारण का बिहार से संबंध की बात है तो हिन्दी के बाद सबसे ज्यादा बोली जाने वाली उर्दू भाषा को तरजीह दी गयी। केन्द्र सरकार ने बिहार को भी उर्दू बुलेटिन के लिए चुना। बिहार में उर्दू बुलेटिन की शुरूआत 16 अप्रैल, 1989 को हुआ। इसके बाद ‘‘इलाकाई खबरें’’ बिना रूके-थके लगातार प्रसारित होते हुए 25 साल का सफर तय कर लिया है। इलाकाई खबरें, उर्दू बुलेटिन ने कई उतार-चढ़ाव को पार किया।

अगर पुलिस और दैनिक जागरण नितिन श्रीवास्तव को बचाते हैं तो मैं आत्मदाह कर लूंगी: बीना शुक्ला

दैनिक जागरण प्रेस सर्वोदय नगर कानपुर में कार्य के दौरान मुझे(बीना शुक्ला) नितिन श्रीवास्तव, प्रदीप अवस्थी, संतोष मिश्रा, दिनेश दीक्षित आदि लोगों ने कार्यालय में बंधक बना कर छेड़खानी और बदतमीजी की थी। इन लोगों ने मुझे बदनाम करने की भी कोशिश की। दिनांक 30.05.2012 को मैंने शिकायती प्रार्थना पत्र थानाध्यक्ष काकादेव, कानपुर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कानपुर, पुलिस महानिरीक्षक, कानपुर जोन, महिला आयोग एवं भारतीय प्रेस परिषद को दिया था। लेकिन अभियुक्तों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुयी। तब मैंने न्यायालय के माध्यम से नितिन श्रीवास्तव आदि के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354 घ(1) (प) 342, 504, 506, 500 के अंतर्गत मुकदमा (सं. 217/2013) थाना काकादेव कानपुर नगर में पंजीकृत कराया। दिनांक 13.09.2013 से आईओ की जांच की कार्यवाही चल रही है।

वाजपेयी के दत्तक दामाद वरिष्ठ संपादकों की देख-भाल में निजि रुचि रखते थे

संजय बारू की किताब 'The Accidental Prime Minister: The Making and Unmaking of Manmohan Singh' राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाए हुए है। बारू लिखते हैं कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को ऐसा टाइट कर रखा था कि वो स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते थे। लेकिन इन राजनीतिक बातों से इतर, बारू की किताब मीडिया जगत की उन महीन बातों पर भी रोशनी डालती है जो आम लोगों के सामने नहीं आ पातीं।

गुजरात मॉडलः जिसमें मुसलमानों को मोदी से ‘असहमत’ होने का अधिकार नहीं है

जैसे-जैसे चुनाव बीतता जा रहा है, वैसे-वैसे चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम मुसलमान में बदल रहा है। कथित धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों की कोशिश है कि मोदी का भय दिखाकर उनके वोटों का ध्रुवीकरण अपने पक्ष में किया जाए। लेकिन जिस तरह से मुसलमानों के वोट बिखरे हैं, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी कोशिश कामयाब नजर होती नजर नहीं आ रही है। सवाल उठता है कि क्या मुसलमानों में नरेंद्र मोदी का भय नहीं है, या सुनियोजित तरीके से उनके वोटों का बिखराव कराकर भाजपा की राह आसान की गई है। कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के मुसलमान बसपा को ही वोट करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुसलिम वोट बिखर गए। 10 अप्रैल को हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी 10 सीटों पर कमोबेश यही नजारा देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में अगले चरण में यह ट्रेंड बदलेगा या ऐसे ही चलता रहेगा, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।

जिया राजा बनारस, ई बड़ा कप्तान त खुद के कासी वाला काल-भैरव समझत हव्वैं

वाराणसी: यह शख्स खुद को काशी का कोतवाल समझता है। बावजूद इसके, कि यह काल-भैरव के बाल बराबर तक नहीं, लेकिन खुद को काल-भैरव की प्रतिमूर्ति समझता है। जबकि है एक अदना-सा एक दारोगा। इसके जैसे दारोगाओं का ट्रांसफार राजनीतिक आकाओं की मर्जी पर होता है। वे जब चाहें, उस जैसे दारोगाओं की बदली चुटकियों में हो सकती है। जिया राजा बनारस। जी हां, यही है वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र कुमार। त जिया राजा बनारस। पूरा तीन दिन बीतने वाला है, लेकिन गोदौलिया चौराहे पर दो बड़े पत्रकारों पर लाठियां चटकाने वाले पुलिसवालों की करतूतों को दण्डित करने के बजाय, टाल-मटोल करना शुरू कर दिया है। जिया राजा बनारस।

मोदी के आर्थिक विकास मॉडल में भारी मुनाफा देख रहे हैं कॉर्पोरेट घराने

12 सितंबर 2003 को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने, गुजरात नरसंहार के डरावने भूत से मोदी और संघ का रास्ता आसान कर दिया। इसे मोदी की बेगुनाही के तौर पर प्रचारित किया जाने लगा और मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी का आधा रास्ता, भाजपा और संघ द्वारा साफ मान लिया। बाकी का आधा रास्ता साफ करने के लिए सामाजिक सद्भावना हेतु मोदी ने तीन दिन के उपवास की घोषणा करके किया हुआ मान लिया। गुजरात नरसंहार के लिए जिम्मेदार महाशय अब सामाजिक सद्भावना के लिए उपवास करते दिखते हैं। नरेंद्र मोदी को गले लगाने के लिए लालायित पूंजीपति वर्ग को यह पर्याप्त बहाना प्रदान कर देता है। याद कीजिये वर्ष 2009 में संपन्न 'वाइब्रेंट गुजरात' सम्मेलन में, प्रधानमंत्री पद हेतु, भारत के दो बड़े उद्योगपतियों अनिल अंबानी और सुनील मित्तल ने खुले तौर पर मोदी का समर्थन किया था। अनिल अंबानी ने कहा था, 'नरेंद्र भाई ने गुजरात का भला किया है, और जरा सोचिए, जब वह देश का नेतृत्व संभालेंगे, तो क्या होगा।' वहां मौजूद रतन टाटा ने भी केवल दो दिन के भीतर नैनो के लिए जमीन की व्यवस्‍था करने वाले मोदी की तारीफ की थी। इसके दो वर्ष बाद 2011 में हुए इसी सम्मेलन में मुकेश अंबानी ने कहा, 'गुजरात एक स्वर्ण दीपक की भांति जगमगा रहा है, और इसकी वजह नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि है।' 2013 में अनिल अंबानी ने मोदी को राजाओं का राजा कह कर संबोधित किया था।

नईदुनिया में आंतरिक फेरबदल और मजीठिया से बचने की जुगाड़

नईदुनिया में आतंरिक बदलाव जारी हैं। हाल ही में कई संपादकों को इ्धर से उधर किया गया है। इंदौर के संपादक गंगेश मिश्रा को जबलपुर तबादला किया गया है। जबलपुर के संपादक दविाकर को भोपाल भेजा गया है और भोपाल के संपादक विनोद पुरोहित को इंदौर का संपादक बनाया गया है।

वाराणसी गोदौलिया-काण्डः एसएसपी ने जल्द कार्यवाही नहीं की तो मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे पत्रकार

वाराणसी: देश की धार्मिक राजधानी मानी जाने वाली वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अपने सिपाहियों द्वारा यहां के पत्रकारों की सरेशाम हुई पिटाई को हजम कर लेना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि इस पत्रकारिता जगत के चेहरे पर पड़ी पुलिसवालों की इस बेहद शर्मनाक करतूत को थाने की रोजनामचा पर दर्ज न कराया जाए। बल्कि वे इस मामले में अपना एक नया नजरिया पेश कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस हरकत के दोषी पुलिस सिपाहियों पर वे अनुशासनिक कार्रवाई करें। उनका तर्क है कि अगर इन सिपाहियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई के बजाय अगर आपराधिक मामला दर्ज कराया जाएगा तो वादी यानी पत्रकारों को अनावश्यक झंझटों का सामना करना पड़ेगा।

धर्मेन्द्र, आदित्य, अरविंद, रफ़ीक औऱ मनोज के बारे में सूचनाएं

आगरा से खबर है कि धर्मेन्द्र पाराशर ने 'कल्पतरु एक्सप्रेस' को अलविदा कह दिया है। धर्मेन्द्र यहाँ सब एडिटर के पद पर कार्यरत थे। वह 2012 में टद सी एक्सप्रेसट छोड़कर कल्पतरु से जुड़े थे ।

मोदी का मिशन बनाम संघ का टारगेट

मोदी को पीएम की कुर्सी चाहे 272 में मिलती हो लेकिन संघ का टारगेट 395 सीटों का है। संघ के इस टारगेट का ही असर है कि अगले एक महीने में मोदी के पांव जमीन पर तभी पड़ेंगे, जब उन्हें रैली को संबोधित करना होगा। यानी हर दिन औसतन चार से पांच रैली। और यह तेजी मोदी के रैली में इसलिये लायी जा रही है क्योंकि मोदी के पांव जिस भी लोकसभा सीट पर पड़ते हैं, उस क्षेत्र में संघ के स्वयंसेवकों में उत्साह भी आ जाता है और क्षेत्र में लोग संघ परिवार के साथ संबंध बनाने से भी नहीं चूक रहे। स्वयंसेवकों के लिये टारगेट का नाम बूथ जीतो रखा गया है। इसके तहत कम से कम 395 सीटों पर बीजेपी पूरा जोर लगाएगी। 100 से ज्यादा सीटें ऐसी, जिस पर जीत पक्की। 120-130 सीटें ऐसी, जिन पर थोड़ी मेहनत से ही जीत तो पक्की। यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड से कम से कम 90 सीटें जीतने का टारगेट। लेकिन पहली बार सवाल सिर्फ पीएम की कुर्सी को लेकर टारगेट का नहीं है बल्कि देशभर में आरएसएस अपने स्वयंसेवकों की संख्या कैसे दुगुनी कर सकती है, नजरें इस पर भी हैं और इसीलिये समूचे संघ परिवार के लिये 2014 का चुनाव उसके अपने विस्तार के लिये इतना महत्वपूर्ण हो चला है और यह मोदी के मिशन 272 पर भी भारी है।

शाहदरा थाने के एसआई ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार के साथ की बदसलूकी

दिल्ली। दिल्ली पुलिस गाहे-बगाहे किसी ना किसी बात को लेकर चर्चा में बनी ही रहती है। कभी वाक्या होता है चोर के साथ चोर-सिपाही का खेल खेलने का, कभी किसी की बिना बात के ही इज्जत उतार फैंकने का तो कभी बिना कुछ किये भी कुछ कर जाने का। कुछ ऐसा ही वाक्या हुआ बीती 30 मार्च को जब पूर्वी दिल्ली के शाहदरा थाने में एसएचओ से मिलने गये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार हेमन्त कुमार शर्मा का वहां सादी वर्दी में मौजूद सब-इंस्पेक्टर मेहराब आलम ने माँ-बहन की गालियों के साथ स्वागत किया। अफसरी का भूत सर पर लिये आलम यहीं नहीं रुका जबकि पत्रकार ने विनती की कि आप इतना मत बोलिये, बिना बात के इतना बोलना शोभा नहीं देता।

वाराणसी में पत्रकारों की पिटाई पर ‘ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन’ ने जताया रोष

वाराणसी। सोमवार की शाम हरहुआ चौराहे स्थित यश कम्प्यूटर्स बजरंग कटरा में ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन, उप्र, के वाराणसी जनपद के सदस्यों की एक अपातकालीन बैठक बुलाई गयी जिसमें गोदौलिया में वरिष्ठ पत्रकार राजनाथ तिवारी व संदीप त्रिपाठी के साथ सिपाहियों द्वारा की गयी बदसलूकी की निंदा की गयी।

‘हिन्दुस्तान’ ने खबर तब लगाई जब प्रधान संपादक के बेटे का वोटर कार्ड गलत बना

हिन्दुस्तान अखबार के 07 अप्रैल के नोएडा संस्करण में एक समाचार छापा गया है। जिसमें वोटरों की परेशानी का जिक्र है। चुनाव आयोग ने वोटरों को दिए पहचान पत्रों में पिता का नाम गलत कर दिया है। इस खबर में एक आई कार्ड छापा गया है। यह आई कार्ड समर्थ शेखर नाम के युवक का है। लेकिन लोगों को यह जानकर ताज्जुब होगा कि समर्थ शेखर कोई और नहीं हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर के पुत्र हैं। मुद्दा यह नहीं है कि समर्थ शेखर के कार्ड में गलती होने पर समाचार नहीं छापा जा सकता है। मुद्दा यह है कि नोएडा में करीब दो महीने से यह समस्या बड़ी संख्या में वोटर झेल रहे थे। तब इस अखबार को कुछ नहीं नजर नहीं आया। जबकि दैनिक जागरण, अमर उजाला और नवभारत टाइम्स ऐसी खबरें पहले ही छाप चुके थे। हिन्दुस्तान के पत्रकारों को समस्या तब समस्या लगी, जब प्रधान संपादक के बेटे का कार्ड गलत आ गया। शायद यही है तरक्की का नया नजरिया।

खुदकुशीः हंसते चेहरे के पीछे पनपता अवसाद

खुदकुशी.… जो मानसिक रूप से स्वस्थ हैं वो ये शब्द सुनते ही सिहर जाते हैं। जो किसी अवसाद से ग्रस्त है वो किसी को बताते तक नहीं और मन ही मन इस खतरनाक फैसले के लिए खुद को मजबूत कर लेते हैं। गौर कीजिएगा मैंने कहा मजबूत। जीने की इच्छा का त्यागना एक ऐसा रोग है जो दिमाग में एक बार घुस जाए तो धीरे-धीरे अपनी जड़े मजबूत करता है और फिर वो होता है जिसे हम-आप सुनकर भी दहल जाएं। इस विषय पर लिखने का संदर्भ है एक 27-28 साल के युवा का ऐसा ही एक खतरनाक और रुला देने वाला फैसला।

कांग्रेस प्रत्याशी ने सीईसी से रिटर्निंग ऑफिसर झालावाड़ को तत्काल हटाने के लिए पत्र लिखा

सेवा में,
           माननीय श्री वी. एस. सम्पत
           मुख्य चुनाव आयुक्त,
           भारत निर्वाचन आयोग,
           नई दिल्ली।

विषय:– रिटर्निंग ऑफिसर झालावाड़ को तत्काल हटाने एवं मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश की सीमा के 20 किमी क्षेत्र में लगे मतदान केन्द्रों पर अतिसंवेदनशील घोषित किये जाने के क्रम।

महोदय,
             राजस्थान
की झालावाड़-बारां संसदीय सीट (25) के लिए आगामी 17 अप्रेल 2014 को मतदान होना है, लेकिन यहां भाजपा द्वारा श्री दुष्यंत सिंह को अधिकृत प्रत्याशी के रूप में उतार दिये जाने से राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए यह अत्यधिक प्रतिष्ठा वाला संसदीय क्षेत्र है। क्योंकि श्री दुष्यंत सिंह उनके इकलौते पुत्र है और किसी भी सूरत में ये इस सीट को खोना नहीं चाहते, जबकि खुफिया रिपोर्टस को देखा जाये तो, यह सीट बीते 10 दिन में बदली हवा के साथ राजस्थान की 7 उन सीटों की श्रेणी में आ गयी, जहां कांग्रेस भाजपा के मुकाबले ज्यादा भारी है। यहीं वजह है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने यकायक इस संसदीय क्षेत्र में अपना पूरा ध्यान केन्द्रित करते हुए दौरे बढ़ा दिये।

वाराणसी में पुलिस ने दो पत्रकारों को लाठियों से बुरी तरह पीटा

वाराणसी: गोदौलिया पुलिस ने एक वरिष्ठ पत्रकार समेत दो पत्रकारों पर बीती शाम बुरी तरह लाठियां बरसायीं। यह पुलिसवाले बुरी तरह घायल एक महिला को पैदल जाने पर मजबूर कर रहे थे। पत्रकारों ने जब इस पर ऐतराज किया तो पुलिसवालों ने भद्दी गालियां देते हुए इन पत्रकारों को जमकर पीट दिया। उधर इस हादसे पर वाराणसी के पत्रकार खासे नाराज हैं।

सीरियली हीरो छाप एंकर और ऑनसाइकल सीएम

रेलम पेल मची है। जिसको देखिए वही मुंह उठाए भागा जा रहा है। हंफरी छूट रही है तो छूटे अपन तो भइया सबसे तेज़ हैं। हम सबसे अलग करेंगे। अच्छा? फलां ने इंटरव्यू फलाने सीएम का किया? कैसे किया? सोफे पर उल्टा बइठके? अच्छा रुको हम कुछ सोचते हैं। ज़रा कहो न यार सीएम लंगड़ी खेलते हुए इंटरव्यू देंदे मज़ा आ जाएगा। ज़मीनी नेता के तौर पर छवि बनेगी सो अलग।

समाचार वक्ता या राजनीतिक प्रवक्ता? दलाली और पत्रकारिता में क्या है फ़र्क?

पिछले कई दिनों से लगातार टी.वी.चैनल्स चुनावी ख़बर परोस रहे हैं। ये कोई बड़ी बात नहीं है। बड़ी खबर ये है कि वोटों के ध्रुवीकरण की तर्ज़ पर अब न्यूज़ चैनल्स का भी ध्रुवीकरण हो चला है, जिसका विशुद्ध पैमाना आर्थिक लें-दें है। अपनी-अपनी "सरंक्षक" पार्टियों के प्रति "वफादारी" का परिचय ये चैनल्स खुल कर दे रहे हैं। इन चैनल्स को ध्यान से देखें और उनकी भाषा पर ध्यान दें तो समझ में आ जाएगा कि "पेड" न्यूज़ को कूटनीतिक तौर पर कैसे "नॉन-पेड" न्यूज़ का अमली जामा पहनाया जा रहा है।

‘आप’ के एक औऱ प्रत्याशी को पेड न्यूज़ का नोटिस

संगरूर। चुनाव आयोग ने संगरूर से 'आप' के लोक सभा प्रत्याशी भगवंत सिंह मान को पेड न्यूज़ के लिए नोटिस जारी किया है। मान पर एक क्षेत्रीय दैनिक समाचार पत्र के कॉलमों में पेड न्यूज़ छपवाने का आरोप है। नोटिस संगरूर की जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी किया गया है। मान को 48 घंटे के अन्दर नेटिस का जवाब देना है। कॉमेडियन से पॉलिटीशियन बने मान कांग्रेस के एमपी विजय इंदर सिंह औऱ शिरोमणी अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

बृजेश चतुर्वेदी ने कन्नौज राष्ट्रीय सहारा को गुडबाय कहा

कन्नौज। कन्नौज जिले के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश चतुर्वेदी ने राष्ट्रीय सहारा को अलविदा कह दिया है। 1 जून 2009 को राष्ट्रीय सहारा में अपनी नयी पारी की शुरूआत करने वाले बृजेश चतुर्वेदी ने 9 अप्रैल 2014 को संपादीय प्रभारी के पद से त्याग पत्र दे दिया है। वे जल्द ही नये अखबार में काम शुरू करेंगे। बृजेश चतुर्वेदी के कार्यकाल में कन्नौज राष्ट्रीय सहारा को काफी सफलता मिलती रही है।

‘हिन्दुस्तान’ का कारनामाः भगत सिंह आदि 29 शहीदों को राष्ट्रपति भवन में उपस्थित दिखाया

मीडिया पर सवाल खड़े करने का मतलब अपनी जान आफत में डाल लेना है। पर, कई बार ऐसी चीजें सामने होती हैं कि चाहकर भी चुप नहीं रहा जा सकता। 11 अप्रैल के हिन्दुस्तान, हरिद्वार संस्करण में पेज-5 पर एक खबर छपी है '29 देश के बलिदानियों को मिले शहीद का दर्जा।' खबर ये है कि रामदेव ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें 29 लोगों की सूची सौंपी, जिन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग की गई है। खबर का सबसे रोचक पहलू अखबार ने इनसेट में छापा है, जिसमें लिखा है-रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, रानी चेनम्मा, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, अल्लूरी सीताराम राजू, ललित बर्पफूकन, खुदीराम बोस, उधमसिंह, मदनलाल ढींगड़ा, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, लाला लाजपत राय, सत्येंद्रनाथ सान्याल, कल्पना दत्त, दुर्गा भाभी, वीरबाला प्रीतिलता और स्वामी श्रद्धानंद आदि उपस्थित थे।…….उम्मीद है पूरा मामला आप भी समझ गए होंगे।

लखनऊ जलकल विभाग का कहना है कि फिल्टर या आरओ तो लोग आत्म-संतुष्टि हेतु लगवाते हैं

लखनऊ। जलकल विभाग, जोन-5, आलमबाग, का कहना है कि उनके द्वारा क्षेत्र में नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाता है और इसके लिए समय-समय पर टेस्टिंग का कार्य किया जाता है। अधिशासी अभियंता, जोन-5 द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर को प्रेषित उत्तर के अनुसार गंदे पानी की सप्लाई की सूचना प्राप्त होने ही पाइप लाइन को तत्काल वाश कराया जाता है और ब्लीचिंग पाउडर डाल कर पेयजल शुद्धिकरण किया जाता है।

भारतीय पुरुषों को घर के लिए घूंघट वाली और व्यवसाय के लिये बिकने वाली स्त्री चाहिए: गुलबर्गा विवि सेमिनार

‘मीडिया और न्यायपालिक में स्त्री के सवाल को लेकर बहुत सारे अंतर्विरोध हैं। स्त्री हिंसा की घटनायें लगातार बढ़ रही हैं और जितने कानून बने हैं वे नाकाफी हैं। इलेक्टोनिक, इंटरनेट और प्रिंट माध्यमों पर पोर्नोग्राफी को बढ़ावा मिल रहा है। छोटे-छोटे पर्दे और अभिव्यक्ति के तमाम माध्यम मिस ब्यूटी और क्वीन कॉन्टेस्ट से भरे पड़ें हैं। इस वीभत्स बाजार के पीछे बड़ी और बहुराष्ट्रीय आवारा पूंजी लगी है। यह अजीब उहापोह की स्थिति है कि स्त्री को लेकर पुरुष सत्ता उसे आजादी भी देना चाहती है और प्रतिबंधित भी करना चाहती है। यह अकारण नहीं है कि स्त्री हिंसा की घटनायें बढ़ती चली जा रहीं हैं। कहते हैं कि हम आधुनिक हैं लेकिन भारतीय पुरुषों को घूंघट वाली स्त्री और सीता-पार्वती चाहिये। अपने व्यवसाय के लिये उन्हें बिकने वाली स्त्री भी चाहिए’। ये बातें प्रसिद्ध कानूनविद अरविंद जैन ने केंद्रीय वि.वि. गुलबर्गा में ‘कला और साहित्य में स्त्रियों के योगदान विषयक सेमिनार के अपने संबोधन में कही। स्त्रीकाल पत्रिका, भारतीय भाषा संस्थान मैसूर और केंद्रीय वि.वि. गुलबर्गा के साझा प्रयत्नों से इस सेमिनार का आयोजन किया गया था। दो दिनों में तीन सत्रों में बंटा पूरा कार्यक्रम ‘स्त्रियां और भागीदारी’ थीम पर एकाग्र रहा। ‘स्त्री सत्ता भागीदारी: यथार्थ या विभ्रम’, ‘साहित्य और कला में स्त्री का योगदान: स्पेस की दावेदारी’ एवं ‘भाषा, संवाद और मीडिया: पितृसत्ता और स्त्री के सवाल’ सरीखे विषयों पर इन अलग-अलग सत्रों में बातें संपन्न हुईं।

अंकल, आपकी खबर लगानी मुश्किल है, पर आपने जलपान कराया है तो कोशि‍श करेंगे

हरि‍याणा के यमुनानगर शहर के कुछ पत्रकारों ने उस समय पत्रकारि‍ता को शर्मशार कर दिया, जब एक बेटे के हाथों मार खाकर आंसू बहाने वाले पि‍ता से भी जलपान की सेवा ले ली। वक्‍त का मारा बूढ़ा आदमी पांच मि‍नट पहले पत्रकारों को अपने शरीर की चोटें दि‍खाकर रो कर हटा ही था। उसने पत्रकारों को जलपान के लिए पूछा, तो वहां मौजूद सारे पत्रकार तैयार हो गए। दहां मौजूद सारे पत्रकारों ने उस बूढ़े पिता की जेब से फास्‍टफूट और काफी का आनंद लि‍या। बूढ़े पिता का सबसे बड़ा दर्द था कि उसके बेटे ने उसे कारोबार के लालच में पीटा और शिकायत करने पर भी पुलि‍स ने कोई कार्रवाई नहीं की।

जब प्रणय रॉय ने कहा, ‘वो प्रधानमंत्री की तरह नहीं एक हेडमास्टर की तरह बात कर रहे थे’

लोक सभा चुनाव की आपाधापी के बीच प्रधानमंत्री के भूतपीर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने अपनी किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर-द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' में कई सनसनीखेज़ खुलासे कर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। बारू ने लिखा हैं कि यूपीए के दूसरे कार्यकाल में मनमोहन सिंह एक लाचार और कमज़ोर प्रधानमंत्री रह गए थे। एक तरह से वे सोनिया गांधी की कठपुतली बन चुके थे।

पत्रकार को पीटने वाले दरोगा की गिरफ्तारी की मांग

अनपरा (सोनभद्र): राब‌र्ट्सगंज के पत्रकार जुल्फिकार हैदर की चुर्क चौकी इंचार्ज द्वारा की गई पिटाई की ऊर्जान्चल के पत्रकारों ने निंदा की है। औड़ी मोड़ पर आयोजित निंदा बैठक में वरिष्ठ पत्रकार अतुल शाह व अखिलेश भटनागर ने कहा कि चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर कर प्रशासन सिर्फ खानापूर्ती कर रहा है। ऐसे लोगों की जगह पुलिस लाइन नहीं जेल में होनी चाहिए। पत्रकार दिनेश मिश्र और सुल्तान शहरयार ने कहा कि जब पुलिस पत्रकारों के साथ ऐसा व्यवहार कर सकती है तो आम जनता के साथ क्या सलूक करती होगी इसका सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

‘आप’ के योगेन्द्र यादव पेड न्यूज़ के दोषी, एमसीएमसी ने की कार्यवाही

गुड़गांव से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार योगेन्द्र यादव को आदर्श चुनाव संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। डिस्ट्रिक्ट मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनीटरिंग कमेटी(एमसीएमसी) ने उनके द्वारा अपनी सभा में बांटे गए एक अरजिस्ट्रीकृत समाचार पत्र 'आप की क्रांति' को 'पेड न्यूज़' मानते हुए ये कार्यवाही की है। एमसीएमसी की इस कार्यवाही के तहत समाचारपत्र को छापने और बांटने का खर्चा योगेन्द्र यादव के चुनाव खर्च में जोड़ दिया जाएगा।

मोहम्मद रफी की पुण्य तिथि पर होगा ‘‘द वल्र्ड आफ रफी/रफी का संसार’’का लोकार्पण

महान गायक मोहम्मद रफी के कभी नहीं भुलाये जाने वाले मधुर गीतों ने संगीत और सुरों के एक संसार की रचना की। भौगोलिक चैहदियों की सीमाओं से परे सुरों के इस संसार में लाखों संगीत प्रेमियों की जान बसती है। यह सागर से भी अधिक गहरी और आकाश से भी अधिक उंची है। सुरों की यह दुनिया जितनी मधुर है उतनी ही विविधतापूर्ण और विलक्षण है। संगीत के इस संसार के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करने की कोशिश के तहत मोहम्मद रफी के गीतों, उनके चाहने वालों, उन पर केन्द्रित संगठनों और फैन क्लबों, संगीत कार्यक्रमों एवं अन्य जानकारियों पर आधारित विस्तृत सचित्र काफी टेबल बुक और डायरेक्टरी/डाटाबैंक प्रकाशित की जा रही है।

खबरों को रिपीट कर पन्ने भर रहा है दैनिक जागरण

दैनिक जागरण कहता है कि वह देश का प्रतिष्ठित, नंबर वन अखबार है। रीडरशिप में अव्वल है। इस मुकाम तक पहुंचने में संस्थान की मेहनत काबिले तारीफ है। जिम्मेदार लोगों की बदौलत ही संस्थान ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। पर, जागरण के कुछ गैर जिम्मेदार लोग संस्था की साख पर बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मामला खबरों को रिपीट किए जाने का है। इलाहाबाद यूनिट से जुड़े प्रतापगढ़ एडिशन में 09 अप्रैल और 10 अप्रैल को ऐसा ही देखने को मिला। 09 अप्रैल के प्रतापगढ़ संस्करण में पेज संख्या 9 पर एक रिपोर्ट "ठहरे हुए तालाब की मानिंद" प्रकाशित हुई है। यह रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार विष्णु प्रकाश त्रिपाठी की है। यही रिपोर्ट 09 अप्रैल के ही अंक में पेज संख्या 13 पर भी प्रकाशित की गई है। फर्क सिर्फ इतना है कि पेज 13 की रिपोर्ट में फोटो नहीं लगाई गई है।

नहीं जुटी भीड़, राहुल की शाहजहांपुर सभा निरस्त

शाहजहांपुर। यूपी में चुनाव की बागडोर संभाले कांग्रेज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सभा के लिए शाहजहापुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी चेतराम व कार्यकर्ता भीड़ तक नहीं जुटा पाए। नतीजन राहुल गांधी की सभा निरस्त कर दी गई। राहुल की सभा निरस्त होने के कारण सुरक्षा के सारे इंतजामात धरे रह गए और कार्यकर्ताओं को मायूस होना पड़ा। हालांकि धौराहरा से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद मंच से लोगों को भाषण देकर लोगों को केंद्र सरकार की नीतियों से अवगत कराकर प्रत्याशी चेतराम के लिए वोट मांगते रहे। हालांकि इस बीच समर्थकों को यह कहकर फुसलाने की कोशिश भी की गई कि राहुल की जगह फिल्म अभिनेता राजबब्बर आ रहे हैं। जिस पर कुछ लोगों ने शोर मचाते हुए हंगामा भी काटा।

हिटलर और मोदीः साम्यताएं महज संयोग हैं क्या?

मानव का स्वभाव है कि वह किसी चीज को किसी परिप्रेक्ष्य में रखकर ही पहचान सकता है, उसे पूरी तरह समझ सकता है। अब तो सापेक्षता विज्ञान की भी स्वीकृत धारणा है। कोई चीज किसी संदर्भ में ही मोटी-पतली या अच्छी-बुरी होती है। अगर इसी बात को दूसरे शब्दों में कहा जाये तो तुलना और उदाहरण बुद्धि द्वारा विकसित बौद्धिक उपकरण हैं- इससे ही विकास की धारा का, इतिहास की दिशा का पता चलता है। वस्तुतः बिना दूरी लिए हम किसी भी वस्तु को पूर्ण रूप से नहीं देख सकते हैं और वर्तमान से दूरी लेने का एक ही तरीका है कि उसे अतीत से जोड़कर देखा जाए। इतिहास में एक परम्परा रही है कि किसी भी व्यक्तित्व को समझने के लिए ‘उसी जैसा’ व्यक्ति इतिहास की गर्त में खंघाला जाता है, इतिहास के विद्यार्थियों के पास ऐसे तमाम उदाहरण हैं जब वह किसी ऐतिहासिक व्यक्ति को समझने के लिए अतीत की धारा में आगे-पीछे होते हंै। कभी किसी को ‘कश्मीर का अकबर’ तो कभी किसी को ‘भारत का नेपोलियन’ कह कर उसे आंकता है। अभी हाल में ही भारत में तमाम लोगों ने अन्ना हजारे को गांधी के सापेक्ष करके अतीत को खंघाला। खैर अभी हाल में राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी को हिटलर कह कर हमें फिर से अतीत की धारा में पीछे जाने के लिए विवश किया है। पूरी भारतीय राजनीति में हिटलर (जर्मनी का) फिर से चर्चा में है- आखिर कौन है ये हिटलर? नरेन्द्र मोदी से उसका क्या रिश्ता है? मोदी जिस संघ परिवार में खेल-कूद कर बड़े हुए हैं क्या उसकी विचारधारा से हिटलर जुड़ा हुआ है? ये सारे सवाल आज राजनैतिक विश्लेषकों और मीडिया द्वारा उछाले जा रहे हैं।

आखिर कांग्रेस, बीजेपी को ही विदेशी कंपनियां इतनी ज्यादा मात्रा में फंडिंग क्यों कर रही हैं?

अभी हाल ही में, अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की गयी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि वे बहुराष्ट्रीय कंपनी वेदांता और उसकी सहायक कंपनियों से गैर कानूनी तरीके से करोड़ों रुपए चुनावी चंदा लेने के लिए भाजपा और कांग्रेस पर कार्यवाही करे। उच्च न्यायालय का यह आदेश दोनों राजनैतिक दलों द्वारा ’फॉरेन कंन्ट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट-1976’ का उल्लंघन करने पर आया है, जिसमें किसी भी विदेशी स्त्रोत या संस्थान से चुनावी चंदा लेने की स्पष्ट मनाही है। न्यायमूर्ती प्रदीप नन्दाजोग और जयंतनाथ की खण्डपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि इन दोनों ही पार्टियों के चंदों की रसीदों की जांच होनी चाहिए और केन्द्र सरकार छह महीने के भीतर इन पर कार्यवाही करे। याचिका में मांग की गयी थी कि इन दोनों पार्टियों को जो भी चंदा इन विदेशी कंपनियों से मिला है उसे हाईकोर्ट की निगरानी में जब्त कर लिया जाए। ब्रिटेन की मल्टीनेशनल कंपनी वेदांता रिसोर्स ने कई सौ करोड़ रुपए चुनावी चंदा दोनों ही दलों को चुनाव लड़ने के लिए दिया है। यही नहीं, वेदांता समूह की अन्य सहायक कंपनियां-सेसागोवा, मार्को, स्टरलाइट इंडस्ट्री, जो देश में कारोबार करतीं हैं, ने भी बड़ी मात्रा में चुनावी चंदा इन दोनों दलों को दिया है।

क्या चुनावी खबरों की निष्पक्ष रिपोर्टिंग कर रहा है अमर उजाला बरेली?

बरेली में पेड न्यूज़ का धंधा बहुत तेजी पर है। इसमें अमर उजाला ने तो शायद अब तक की सारी हदें पार कर दी हैं। इस मामले में काफी पहले से इस बात की अफवाह उड़ाई जा रही है कि कांग्रेस के मौजूदा सांसद और अब फिर प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन अमर उजाला में निवेश करके हिस्सेदार हो गए हैं। यह बात कितनी सच, इस बारे में अमर उजाला प्रबंधन को स्थिति साफ करनी चाहिए। ऐरन के पक्ष में और भाजपा के मज़बूत जनाधार वाले नेता संतोष गंगवार के खिलाफ खबर लगातार छापता रहता है अमर उजाला।

प्रफुल्ल पटेल औऱ गुरुदास कामत के खिलाफ चुनाव आयोग में पेड न्यूज़ की शिकायत

केंद्रीय मंत्री व भंडारा-गोंदिया से राकांपा उम्मीदवार प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ पेड न्यूज को लेकर चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई गई है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकार के यहां की गई शिकायत में कहा गया है कि श्री पटेल अपने धन-बल का इस्तेमाल कर अखबारों में अपने पक्ष में भ्रामक खबरे छपवा रहे हैं। इसे पेड़ न्यूज मानते हुए कार्रवाई की मांग की गई है।

मजीठिया पर पुनर्विचार के लिए याचिका का खारिज होना बहुत बड़ी खुशखबरी है: आईएफडब्ल्यूजे

इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट(आईएफडब्ल्यूजे) से संबंद्ध भोपाल वर्किंग जर्नजिस्ट यूनियन के अध्यक्ष राजेन्द्र कश्यप, उपाध्यक्ष दीपक शर्मा, महासचिव जवाहर सिंह और कोषाध्यक्ष अनिल शर्मा ने मजीठीया वेतन वोर्ड की संवैधानिकता को कायम रखने के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है। चीफ जस्टिस पी सदाशिवम सहित तीन जजों की बैंच द्वारा मजीठिया आयोग की सिफरिशों को लागू किये जाने के आदेश का आईएफडब्ल्यूजे के अध्यक्ष के विक्रम राव और महासचिव परमानंद पांडे ने भी स्वागत किया है। उन्होनें कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पत्रकारों के हितों को बढ़ावा देने वाला है।

चुनावी राजनीति में बढ़ रहा है कदाचार

16वीं लोकसभा के लिए तीसरे चरण का मतदान आज पूरा हुआ। चुनाव आयोग ने भरपूर कोशिश की है कि 9 चरणों में होने जा रहा चुनाव ठीक से संपन्न हो जाए। आदर्श चुनाव आचार संहिता को भी काफी कड़ाई से लागू करने की कोशिश की गई है। जिन राज्यों में प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ गंभीर शिकायतें मिली हैं, उन्हें बगैर देरी के चुनाव आयोग ने हटा दिया है। दो दिन पहले एक ऐसे ही आदेश पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अड़ियल रुख अपना लिया था। उन्होंने शर्मनाक ढंग से चुनाव आयोग के अधिकारों को चुनौती देने की जुर्रत की थी। लेकिन, चुनाव आयोग ने संविधान प्रदत्त अधिकारों का दम दिखा दिया।

हाई कोर्ट ने कहा सरकारी अफसर बिना अनुमति पीआईएल दायर नहीं कर सकते

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कल आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर द्वारा अपनी पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर के साथ, अधिवक्ताओं द्वारा किये जाने वाली हड़ताल के सम्बन्ध में दायर एक पीआईएल में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेशित करते हुए कहा है कि वे यह निर्देश सभी विभागों को भेजें कि भविष्य में प्रदेश सरकार का कोई भी कर्मचारी बिना सरकार की अनुमति के पीआईएल दायर नहीं कर सकता है।

मोदी जशोदाबेन को अपनाएँ तो मैं भाजपा को वोट दूंगी: नूतन ठाकुर

लखनऊ स्थित सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि उन्होंने जशोदाबेन को अपनी पत्नी स्वीकार कर बहुत अच्छा कार्य किया है। लेकिन जिस प्रकार जशोदाबेन ने लगातार अपने इंटरव्यू में उनके प्रति अपना स्नेह दिखाया है उसका सही आदर तभी माना जाएगा जब मोदी उन्हें पूरी तरह पत्नी के रूप में अपनाते हुए उन्हें अपने घर में समानजनक स्थान देंगे।

ईटीवी न्यूज़ का नया नाम होगा ‘न्यूज़18’

सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि टीवी18 ग्रुप और एनाडू ग्रुप के बीच हुए समझौते के अनुसार अगले वर्ष अप्रैल से ईटीवी न्यूज़ चैनल्स का नाम बदल कर 'न्यूज़18' हो जाएगा। टीवी18 ग्रुप नेटवर्क18 का हिस्सा है औऱ एनाडू ग्रुप ईटीवी न्यूज़ चैनल्स का पूर्व मालिक है। समझौते के अनुसार टीवी18 ने क्षेत्रीय हिन्दी न्यूज़ चैनल्स ईटीवी उत्तर प्रदेश, ईटीवी मध्य प्रदेश, ईटीवी राजस्थान औऱ ईटीवी बिहार का अधिग्रहण पूर्ण कर लिया है। टीवी18 ने हाल ही में ईटीवी बांग्ला का भी अधिग्रहण किया है।

कांग्रेस सांसद प्रवीन सिंह ऐरन पर क्यों इतना मेहरबान है अमर उजाला बरेली?

अमर उजाला में अशोक अग्रवाल के शेयर लगता है बरेली से कांग्रेस के सांसद प्रवीन सिंह ऐरन ने खरीद लिए हैं। लम्बे समय से बरेली में ये चर्चा आम रही है। वहीं दो महीने से खुद अमर उजाला इसे साबित करने में लगा हुआ है। श्री वीरेन डंगवाल के समय में बरेली में अपनी ख़ास पहचान बनाने वाला अमर उजाला दो महीने से कांग्रेस सांसद प्रवीन सिंह ऐरन के सामने जिस तरह से नतमस्तक है उससे तो यही लग रहा है कि राजुल माहेश्वरी के साथ ही प्रवीन सिंह ऐरन भी अमर उजाला के मालिक हैं।

जनता को छला कांग्रेस भाजपा ने औऱ दोषी केजरीवाल….वाह!!

महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था “जहां जब अत्याचार अन्याय और कदाचार देखो, तो दिलेरी के साथ सिर ऊंचा कर उसका प्रतिवाद करो…अत्याचार देख कर भी जो व्यक्ति उसका विरोध नहीं करता, वो अपनी इंसानियत को शर्मसार करता है…और जो शख़्स मानवता और सच्चाई की जंग लड़ते हुए ज़ख़्म खाता है, वो इंसानियत के उच्च शिखर पर प्रतिष्ठित होता है।” अरविंद केजरीवाल पर हो रहे हमलों से भाजपाई और बड़ी तादाद में कांग्रेसी भी बेहयाई के साथ हंस रहे हैं। तर्क है, कि जो जनता के साथ छल करेगा, उसके साथ ऐसा ही सुलूक होगा। कितनी हास्यप्रद बात है, तकरीबन साठ साल देश पर कांग्रेसियों ने शासन किया, छह साल भाजपाइयों ने और देश को धोखा दिया अरविंद केजरीवाल ने!!

मोदी-राहुल को चांदी का छप्पर- केजरीवाल को थप्पड़, ई चोलबे ना!

सुना है कि एसपीजी (प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री एवं उनके परिवार की सुरक्षा में तैनात हाई-प्रोफाइल सुरक्षा दस्ता) और ब्लैक-कैट कमांडो के घेरे में रहने वालों से, आम-आदमी बड़ा खौफ़ खाता है। खौफ़ क्या भीगी बिल्ली बन जाता है। लेकिन अरविन्द केजरीवाल नाम के शख्स को, आये-दिन, कोई कभी थप्पड़ तो कभी घूंसा मार देता है। आम आदमी इस कदर उस से उम्मीद लगा बैठा था, मानो अरविन्द नाम के आदमी ने उनकी उम्मीदों पे पानी फेर दिया। पानी किस तरह फ़िरा, इस पर बात करने के लिए कोई भी तैयार नहीं। कोई भी ठोस तर्क़ नहीं दे पा रहा कि अरविन्द का गुनाह क्या है?

मीडिया में किताबों पर गंभीर चर्चा देखने को नहीं मिलती

यह माना जाता है कि किताबें इंसान की सबसे अच्छी मित्र होती हैं। वह जीवनपथ को रोशन करती हैं और भले-बुरे की पहचान में मददगार होती हैं। वह ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं को सहजने का सबसे उत्तम तरीका हैं। अच्छी किताबों के जरिए ही दुनिया के अनेकों मनुष्यों ने अपने व्यक्तित्व को महानता के सांचे में ढाला और मानवता की सेवा की। इतिहास गवाह है, महान किताबों ने महान क्रांतियों का जन्म दिया और दुनिया को बदलकर रख दिया। कार्ल मार्क्स की लिखी पुस्तक ‘दास कैपिटल’ ने साम्यवाद की क्रांति को जन्म दिया और दुनिया के कई देशों में नई राजनीतिक व्यवस्थाओं को लागू करवाया। ‘टॉम काका की कुटिया’ नाम की किताब ने अमेरिका से नस्लभेद की महामारी को जड़ से खत्म कर दिया।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से नाराज हैं औरंगाबाद के प्रत्याशी, विज्ञापनों से प्रिंट की चांदी

औरंगाबाद(बिहार)। 16वीं लोकसभा चुनाव के मद्देनजर औरंगाबाद में पार्टी प्रत्याशियों के यहाँ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के प्रतिनिधियों का उठाना बैठना लगा हुआ है। मीडिया के बंधू जो कभी प्रत्याशियों के यहाँ जाते तक नहीं थे आज घंटो बैठकर समय व्यतीत कर रहे है। कारण है पैसा?, चाहे वो विज्ञापन के नाम पर हो या फिर वोट सेटिंग या पॉकिट खर्चा के नाम पर। मीडिया के बंधू हर उस ख़बर पर नज़र बनाये हुए है जिसमे चुनाव प्रत्याशी प्रेस कॉन्फ्रेंस करे। यदि किसी प्रत्याशी का प्रेस कॉन्फ्रेंस की सुचना किसी भी एक बंधू को आती है तो जानकारी मिलने पर दूसरे बंधु अपने मोबाइल पर टकटकी लगाए रहते है कि कब उनके फ़ोन की घंटी भी बजे।

राजगढ़ के ‘आप’ प्रत्याशी को पेड न्यूज़ प्रकाशन पर तीन नोटिस जारी

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार शर्मा ने भोपाल से प्रकाशित एक दैनिक समाचार-पत्र में प्रकाशित सशुल्क समाचार( पेड न्यूज़ ) के मामले में राजगढ़ संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी को तीन नोटिस जारी कर 96 घंटे के भीतर जवाब माँगा है।

भाजपा ने घोषणा पत्र में विवादित मुद्दे शामिल कर चला ध्रुवीकरण का दांव

भाजपा का बहुप्रतीक्षित चुनावी घोषणा पत्र आखिर आ ही गया। पूरे चुनाव अभियान में पार्टी के ‘पीएम इन वेटिंग’ नरेंद्र मोदी महीनों से अपनी पहचान विकास के एजेंडे पर बनाने के लिए लगे रहे हैं। वे बार-बार गुजरात के विकास मॉडल की दुहाई भी देते हैं। यह वायदा करते हैं कि उनकी सरकार बनी, तो पूरे देश में गुजरात के विकास मॉडल को लागू करने की कोशिश करेंगे। चुनावी घोषणा पत्र पार्टी के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में तैयार हुआ है। इसमें तमाम सपनीले वायदों के साथ ही अयोध्या के विवादित राम मंदिर मुद्दे का जिक्र किया गया है। संकल्प जताया गया है कि संविधान के दायरे के अंदर राम-मंदिर बनवाने की कोशिश की जाएगी। इसी तरह धारा-370 के मुद्दे को भी कुरेद दिया गया है। कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के लिए इस संवैधानिक प्रावधान पर नए सिरे से बहस कराने की जरूरत है। ताकि, स्थाई रूप से जम्मू-कश्मीर की समस्या का निदान हो सके। अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में भाजपा नेतृत्व ने इन विवादित मुद्दों को अपने एजेंडे से दूर कर दिया था। लेकिन, अब नए सिरे से इनकी सुगबुगाहट शुरू करा दी गई है। इससे सियासी हल्कों में जेर-ए-बहस तेज हो गई है।

चुनाव आयोग द्वारा अफसरों के तबादले की पीआईएल ख़ारिज, सुप्रीम कोर्ट में होगी अपील

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग के आदेशों पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किये गए तमाम आईएएस तथा आईपीएस अफसरों के तबादले को रद्द किये जाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा दायर पीआईएल को ख़ारिज कर दिया।

दैनिक ‘दबंग दुनिया’ मुंबई का कॉरपोरेट एडिटर लाखों की ठगी कर फरार

दबंग दुनिया पब्लिकेशन, मुंबई में कॉरपोरेट एडीटर, जीएम मार्केटिंग आदि पदों पर रहे योगेश नारायण उर्फ योगेश नारायण प्रेमशंकर मिश्रा पर अखबार ने आर्थिक फर्जीवाड़े का आरोप लगाया है। योगेश नारायण ने दबंग दुनिया के विज्ञापनों की आय तथा लाखों की नकद धनराशी का ग़बन किया है। उस पर झूठे औऱ फर्जी चेक के जरिए करीब 4.5 करोड़ रुपयों की जालसाजी का भी आरोप है।

जब एक संपादक ने एक नेता से अपनी मित्रता जगज़ाहिर की

आमतौर पर ऐसा देखने के नहीं मिलता कि एक पत्रकार सार्वजनिक तौर पर एक पॉलिटीशियन से अपनी मित्रता को स्वीकार करे। दोनों का रिश्ता ही कुछ है। पत्रकार औऱ नेता दो विपरीत ध्रुवों पर खड़े दिखायी देते हैं। लोग ऐसा मानते हैं कि दोनो की सार्वजनिक दोस्ती एक दूसरे के लिए खतरनाक हो सकती है।

अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गुलाल’ राजनीतिक मुखौटों का दस्तावेज थी

राजनीति के प्रति सामान्य समझ विकसित करने वाली की फिल्मों में ‘गुलाल’ याद आती है। अनुराग कश्यप नई पीढ़ी के प्रतिभावान फिल्मकारों में से हैं। इस पीढ़ी के फिल्मकार कहानी को अलग नजरिए से कहने का संकल्प रखते हैं। अनुराग हर बार कुछ अलग-अनकही किस्म की प्रस्तुती लेकर आते हैं। उनकी ‘गुलाल’ को देखकर यह विश्वास मजबूत हुआ। गुलाल का शुमार अनुराग कश्यप की बेहतरीन फिल्मों में किया जा सकता है। कहानी राजपुताना सनक के जरिए राजनीति की एक व्यापक हक़ीकत को बयान कर सकी थी। राजपुताना का ख्वाब बेचकर जातिगत, राजनीतिक व नीजि हित साधने वाला दुकी बना(मेनन) हों या फिर इंसानियत में पड़े लेकिन नपुंसकता की सीमाओं में घिर गए दिलीप सिंह(राज सिंह चौधरी) के किरदार समाज का एक हिस्सा मालूम देते हैं।

गोरखधंधों में लिप्त ‘समाधान’ एनजीओ का सर्विस प्रोवाइडर लाइसेंस कैंसिल

'बिना पंजीकरण के किया जा रहा था एनजीओ का संचालन। मामलो की न्यायिक जांच कर हो कानूनी कार्यवाही।'

देहरादून। उत्तराखण्ड में एनजीओ की आड़ लेकर तमाम गैर कानूनी गतिविधियो को अंजाम देने वाली एक एनजीओ पर राज्य सरकार ने बिना पंजीकरण के सर्विस प्रोवाइडर बनाए पर उसे बाहर का रास्ता दिखाकर कानूनी कार्यवाही करने की तैयारी शुरू कर दी है। बहुगुणा सरकार के शासनकाल में इस एनजीओ पर कई शिकायतें होने के बाद भी किसी प्रकार की कार्यवाही केा अंजाम नहीं दिया गया था और महज जांच के नाम पर काफी समय तक शासन से लेकर प्रशासन तक के अधिकारी एनजीओ को बचाने का खेल खेलते रहे। लेकिन प्रदेश में नए निजाम की कुर्सी पर बैठने के बाद से ही कई मामलेा में लोगो को न्याय देकर उनकी समस्याओ को मुख्यमंत्री हरीश रावत जिस तरह दूर करते जा रहे हैं उससे वह लोग भी कांगेस के साथ जुड़ते जा रहे हैं जो पिछले दो सालो में बहुगुणा सरकार के शसनकाल में दूर चले गए थे क्योंकि प्रदेश में अब जनता को न्याय मिलना भी शुरू हो गया है।

पेड न्यूज़ पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल, शुक्रवार को होगी सुनवाई

नई दिल्ली, 07 अप्रैल। प्रिंट औऱ इलैक्टॉनिक मीडिया में 'पेड न्यूज़' पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच इस पर शुक्रवार, 11 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

किशनगंज प्रेस क्लब ने जिला निर्वाचन अधिकारी की निर्वाचन आयोग से शिकायत की

किशनगंज, बिहार। प्रेस क्लब, किशनगंज के सदस्यों ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर जिला निर्वाचन अधिकारी, किशनगंज, की शिकायत की है। जिला प्रशासन द्वारा प्रेस क्लब पर अंकुश लगाते हुए प्रेस को मतदान से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है। पत्र के माध्यम से आशंका व्यक्त की गई है कि जिला निर्वाचन अधिकारी के रवैये के चलते निष्पक्ष मतदान होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। जिला निर्वाचन अधिकारी पर एक पार्टी विशेष के लिए प्रचार का आरोप भी लगाया गया है। किशनगंज संसदीय लोकसभा क्षेत्र में मतदान 24 अप्रैल को है।

झरिया मौजा में वन विभाग के आदेश के बिना कट गए सैकडों पेड़, आरटीआई ने मचाई खलबली

जादूगोड़ा(झारखण्ड)। पोटका प्रखंड के भाटिन पंचायत के झरिया मौजा में स्वर्ण रेखा परियोजना के अंतर्गत नहर निर्माण का कार्य वन भूमि में किया किया जा रहा है। नहर के निर्माण के लिए सैकडों की संख्या में छोटे-बड़े वृक्षों को काटा गया है। सामाजिक औऱ आरटीआई कार्यकर्ता सोनू कालिंदी ने सूचना अधिकार के तहत डीएफओ पूर्वी सिंहभूम से इस संबंध में जानकारी माँगी, जिसके बाद से पुरे वन विभाग में खलबली मच गयी और आनन् फानन में नहर निर्माण का काम बंद करवा दिया गया।

इस बार वोट नहीं देंगे झारखण्ड की ‘सबर’ जनजाति के लोग

जादूगोड़ा(झारखण्ड)। मुसाबनी प्रखंड के कुलामाड़ा गाँव में पोंडाकोचा टोला के ग्रामीण सरकारी उपेक्षा के कारण नारकीय जीवन जीने को विवश है। इस टोला के सारे लोग बेरोजगार हैं और जंगल में पत्थर तोड़कर और लकड़ी बेचकर जीवन यापन करते है। गाँव तक जाने के लिए न सड़क है न ही गांवों में बिजली। स्वच्छ पानी की सुविधा भी नहीं है। ग्रामीण करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से नाले का पानी लाकर इस्तेमाल करते हैं और नाले के पानी से ही नहाने पीने का काम चलता है। गाँव में महिलाओं को प्रसव भी घरों में ही कराया जाता है।

उरई के पत्रकार अखिलेश के पिता का निधन, शोकसभा का आयोजन

उरई। जालौन मीडिया हाउस शहीद भगत सिंह चौराहे पर आयोजित शोकसभा में इलेक्ट्रानिक चैनल के पत्रकार अखिलेश सिंह के पिता तुलाराम के आकस्मिक देहावसान पर शोक प्रकट करते हुए उनकी आत्म शांति हेतु दो मिनट का मौन धारण किया गया। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार केपी सिंह ने की। बैठक में सिराजुल हक मामू, सुरेश खरकया, सत्येन्द्र पस्तोर, सुनील शर्मा, राकेश बाथम, प्रमोद यादव, इसरार, शैलेन्द्र सिंह, आशीष श्रीवास्तव, सुनीता सिंह, श्याम नायक अजय सोनी इरफ़ान पठान प्रवीन द्विवेदी स्वदेश शुक्ल राजा राजावत, भीम राजावत, नवजीत सिंह, नीलेन्द्र प्रताप सिंह राजावत, प्रभात राजपूत, संजय सोनी, मयंक गुप्ता, अज्जन भाई, धीरेन्द्र प्रताप सिंह टिमरौ, रज्जन सिंह परासन, करुणा निधि शुक्ल, उपेन्द्र सिंह भदौरिया आदि उपस्थित रहे।

9 माह का बालक हत्या के प्रयास में गिरफ्तार, ज़मानत पर रिहा

लाहौर(पाकिस्तान) के मूसा मुहम्मद खान पर तीस अन्य लोगो के साथ हत्या की साजिश रचने, सरकारी कार्य में बाधा डालने, पुलिस पर पथराव करने का आरोप है। मूसा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया औऱ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसे ज़मानत भी मिल गयी। पर आपको जान कर आश्चर्य होगा कि मूसा की उम्र सिर्फ 9 महीने की है। जी हां….सिर्फ 9 महीने!!

नेशनल दुनिया में काम करके मुझे एहसास हुआ कि चापलूसी में काफी दम होता है

मैं नेशनल दुनिया अखबार में उसके जन्म से जुड़ा था। इससे पहले मै नई दुनिया में था, जिसे बिकने के बाद आलोक मेहता साहब ने नेशनल दुनिया अखबार की शुरूआत करा कर सैकड़ों लोगों को बेरोजगार होने से बचा लिया था। नई दुनिया के नक्शे कदम पर नेशनल दुनिया भी चला और अपने पाठकों को इस बात की कमी नहीं खलने दी कि यह नया अखबार है। बल्कि अखबार ने और मजबूत पकड़ बनाते हुए पाठकों के दिल में अपनी जगह लगातार बनाता गया। मगर मैनेजमेंट की अंदरूनी विवादों के चलते धीरे-धीरे आलोक मेहता साहब के अलावा कई बड़े नाम के पत्रकारों को अखबार से अलविदा कहना पड़ा।

यदि वोट देने का पैमाना विकास है तो फिर बिहार में नीतीश को वोट क्यों नहीं?

मैं स्पष्ट कर दूं कि बिहार के एक ऐसे इलाके से आता हूं जहां विकास की लौ अब पहुंचनी शुरु हुई है। 2007 से मैं बिहार में नहीं रहता लेकिन इन सात सालों में जो कुछ भी परिवर्तन दिखा उसमें नीतीश कुमार का अक्स सामने आता है। सोचता हूं कि वो वहीं बिहार है जहां गड्ढ़े को सड़क कहा जाता था, ये वही स्कूल है जिसके छत नहीं होते थे, ये वही अस्पताल है जहां दवाएं तो दूर डॉक्टर नजर नहीं आते थे, ये वही पगडंडियां हैं जहां सैकड़ों बच्चियां साइकिल चला रही हैं।

सोनिया गांधी ने किया चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन

कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी 4 अप्रैल को अपने चुनावी दौरे में सरकारी उपक्रम एनटीपीसी के हैलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर खुले आम न केवल चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है बल्कि अपने राजनीतिक रसूख की दबंगई कर सरकारी साधन व पैसों का दुरुपयोग किया है। चुनाव आयोग को मामले को संज्ञान लेकर तत्काल चुनाव प्रचार में सरकारी साधनों के इसेतेमाल पर सख्त अंकुश लगाना चाहिए तथा इस्तेमाल करने वाले प्रत्याशी का नामांकन रद्द कर देना चाहिए।

सहारा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर निवेशकों की रकम वापसी का प्रस्ताव वापस लिया

नई दिल्ली: सहारा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर निवेशकों की रकम वापसी का अपना प्रस्ताव वापस ले लिया है। सहारा ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि वह सेबी को तत्काल 2500 करोड़ देने को तैयार है और 2500 करोड़ की दूसरी किस्त वह तीन हफ्ते में दे देगा।

अपने अस्तित्व की आखिरी लड़ाई लड़ रहे है अजीत सिंह

देश के राजनैतिक परिदृश्य में कुछ चेहरे और उनके कृत्य हमेशा से ही आवाम के लिए बेहद दिलचस्प रहे हैं। राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट अस्मिता के वाहक चैधरी अजीत सिंह इस देश के राजनैतिक परिदृश्य में एक ऐसी ही शख्सियत रहे हैं जिन्होंनें, विचारधारा से हटकर किसी भी दल के साथ गठबंधन करने और, उस गठबंधन को अपने हित के लिए कभी भी खत्म करने में कतई गुरेज नहीं किया। अगर पिछले लोकसभा चुनाव की ही बात की जाए तो, उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन भाजपा गठबंधन के चुनाव हार जाने के बाद वे कांग्रेस का दामन थाम कर केन्द्र में मंत्री बन गए। अपने गढ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार का आम चुनाव वे कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ रहे हैं लेकिन, अतीत के अनुभवों को देखते हुए यह दावे से नही कहा जा सकता कि चुनाव के बाद उनकी राजनैतिक प्रतिबद्धता किस दल के साथ जाकर हाथ मिला लेगी।

राजगढ़ के डीएम ने दो मीडियाकर्मियों को जिला बदर किया

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के  कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी आनंद कुमार शर्मा ने आज दो मीडिया कर्मियो के खिलाफ़ जिला बदर के आदेश जारी कर दिए है। मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत यह कार्रवाही की गई है। जारी आदेश के मुताबिक आपराधिक गतिविधियों में लगातार लिप्त रहने, समाज विरोधी गतिविधियां घटित करने, अधिकारियो और आम जनता को भयभीत एवं आतंकित करने के कारण मीडिया कर्मी अनूप सक्सेना और लखन जाटव निवासी राजगढ़ को 6 माह के लिए राजगढ़ जिले और इससे लगे सीमावर्ती जिले गुना, शाजापुर, आगर मालवा, भोपाल, सीहोर, विदिशा जिले की सीमाओ के बाहर चले जाने के आदेश पारित किये है।

कर्नाटक के वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकार रंगनाथराव राघवेन्द्र को “गोइन्का हिन्दी साहित्य सम्मान”

जैन ग्रप ऑफ इंस्टिट्यूशन्स के चेयरमैन डॉ. चेनराज रॉयचंद जी की अध्यक्षता में गुलबर्गा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार कमला गोइन्का फाउण्डेशन द्वारा घोषित इक्कीस हजार राशि का "पिताश्री गोपीराम गोइन्का हिन्दी कन्नड़ अनुवाद पुरस्कार" से डॉ. काशीनाथ अंबलगे जी को उनकी अनुसृजित कृति "सुमित्रानंदन पंत अवरा कवितेगळू" के लिए पुरस्कृत किया गया।

सुब्रत राय को बेसहारा छोड़ गई उनकी ‘सेलीब्रिटी ब्रिगेड’

आसाराम बापू और सुब्रत राय सहारा के मामले में एक गजब की समानता देखी गई। वह यह कि अपने-अपने क्षेत्र के इन दोनों दिग्गजों पर जब कानून का शिकंजा कसना शुरू हुआ, तो दोनों ने पहले इसे काफी हल्के में लिया। उनके हाव- भाव से यही लगता रहा कि इनकी नजर में ऐसी बातों का कोई महत्व नहीं है। उनके प्रताप से कानून की सारी कड़ाई धरी रह जाएगी। लेकिन कमाल देखिए कि एक बार ये कानून के शिकंजे में फंसे तो फिर इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता फिलहाल इन्हें या इनके कुनबे को नहीं सूझ रहा। कुछ ऐसा ही हाल 1990 के दशक में फिल्म अभिनेता संजय दत्ता का रहा था। मुंबई दंगों के दौरान घर में अवैध असलहा रखने के मामले में कानून ने जब संजय को गिरफ्त में लेना शुरू किया, तब  शुरू में संजय बिल्कुल बेपरवाह नजर आते रहे। पुलिस, अदालत औऱ जेल आदि उन्हें किसी फिल्म की शूटिंग जैसा लगता रहा।

न्यूज इंडिया राजस्थान से जुड़े दिनेश कुमार डांगी

दिनेश कुमार डांगी अब अपनी नई पारी न्यूज इंडिया राजस्थान में खेलेंगे। इस चैनल में उन्होंने बतौर रिपोर्टर ज्वाइन किया है। दिनेश इससे पहले पत्रिका टीवी और भास्कर टीवी में काम कर चुके हैं।

चुनावी बिसात पर सजी मोहरें और हिन्दू राष्ट्र का सपना

16वीं लोकसभा के लिये चुनाव की सरगर्मी अपने चरम पर है और 7 अप्रैल से मतदान की शुरुआत भी हो चुकी है। इस बार का चुनाव इस दृष्टि से अनोखा और अभूतपूर्व है कि समूची फिजा़ं में एक ही व्यक्ति की चर्चा है और वह है नरेंद्र मोदी। भाजपा के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जिन्हें बड़े जोर-शोर से प्रधानमंत्री पद के लिये आगे किया गया है। इनके मुकाबले में हैं कांग्रेस के राहुल गांधी और एक हद तक ‘आम आदमी पार्टी’ के अरविंद केजरीवाल। केजरीवाल ने अभी कुछ ही दिनों पहले अपनी पार्टी बनायी है और देखते-देखते उनकी हैसियत इस योग्य हो गयी कि वह राष्ट्रीय राजनीति में जबर्दस्त ढंग से हस्तक्षेप कर सकें। कांग्रेस और भाजपा के बीच भारतीय राजनीति ने जो दो ध्रुवीय आकार ग्रहण किया था उसे तोड़ने में ‘आप’ ने एक भूमिका निभायी है और दोनों पार्टियों के नाकारापन से ऊबी जनता के सामने नए विकल्प का भ्रम खड़ा किया है।

इंडिया टीवी का जर्नलिस्ट निकला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता

नवी मुंबई। अभी तक टीवी व प्रिंट मीडिया से जुड़े पत्रकारों पर पेड न्यूज़ लिखने का आरोप कुछ लोग लगाते रहे हैं। हालांकि इसकी कहीं भी पुष्टि नहीं हो पाई है। पर देश में सबसे अधिक टीआरपी वाले प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनेल इंडिया टीवी (श्री रजत शर्माजी जिसके एडीटर हैं) की तरफ से नवी मुंबई, पनवेल व रायगढ़ क्षेत्र से न्यूज़ भेजने वाला गोपाल शाह नामक उनका टीवी जर्नलिस्ट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में सामने आया है। विभिन्न सूत्रों से यह भी पता चला है और खुद इस संवाददाताता ने देखा है कि गोपाल शाह अपनी टाटा इंडिगो कार पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता का लेबल लगाकर पूरे शहर में घूमता है। इसके अलावा वह खुद का अपना परिचय इसी रूप में देता है व साथ में इंडिया टीवी का टीवी जर्नलिस्ट बताते हुए सबको कहता है कि मैं अब इंडिया टीवी में परमानेंट हो चुका हूँ।

समाचार प्लस (यूपी-उत्तराखंड) से जुड़े विकास शर्मा

ख़बर है कि विकास शर्मा ने समाचार प्लस (यूपी-उत्तराखंड) के साथ बतौर एंकर-प्रोड्यूसर नई पारी की शुरुआत की है। ऑल इंडिया रेडियों, एफएम रेडियो, डीटीएच की हिंदी प्रसारण सेवा और गोल्ड दिल्ली में रेडियो जॉकी रहे विकास टोटल टीवी, टीवी100 और जनता टीवी में बतौर एंकर काम कर चुके हैं। विकास 2011 से 2012 तक इंडिया न्यूज़ में प्राइम टाइम एंकर भी रहे हैं।

पटना की गलियों तक सिमटा भास्कर, नये ठिकानों की तलाश में कई जिला संवाददाता

दैनिक भास्कर के बिहार में आने और उसके लांच होने के बाद यहां की पत्रकारिता जगत में काफी उथल-पुथल की स्थिति बन गई थी। कई मीडिया हाउसों के लोग इधर से उधर गये थे। पटना में अखबारों की कीमत भी घटी। कई जिलों के हिन्दुस्तान और जागरण के ब्यूरो प्रभारियों ने दैनिक भास्कर का दामन थाम लिया था। लेकिन आज वे खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। कारण है दैनिक भास्कर का सिर्फ राजधानी पटना में ही सिमट कर रह जाना।

पीएमओ ने कहा वाड्रा डीएलएफ की सूचना माँगना ग़ैरकानूनी और आरटीआई का दुरुपयोग है

प्रधानमंत्री कार्यालय रोबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से जुड़े आरोपों के बारे में कोई भी सूचना तो नहीं ही देना चाहता, वह इस सूचना मांगने को गैरकानूनी, क़ानून का दुरुपयोग और आरटीआई एक्ट का बेज़ा इस्तेमाल भी समझता है।

क्या केजरीवाल इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा पायेंगे?

'आधार कार्ड परियोजना के खिलाफ क्यों खामोश हैं कारपोरेट के खिलाफ जिहादी केजरीवाल?'
'केजरीवाल के साथ जनांदोलनों के चेहरे तो हैं, लेकिन उनके मुद्दे सिर से गायब क्यों हैं?'

क्या सच में केजरीवाल में है इतना दम है कि वे इस चुनाव में वाकई महत्वपूर्ण किरदार निभा पायेंगे? जिस तरह से उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा, उससे उनकी राजनीतिक साख को बट्टा लग गया है तो दूसरी ओर उन्होंने भ्रष्टाचार के मसले उठाते हुए कारपोरेट राज को बेपर्दा करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में सवाल तो उठा दिया लेकिन उन्होने आर्थिक सुधारों के बारे में, विनिवेश और विदेशी पूंजी निवेश के जरिये बेदखल हो गयी अर्थव्यवस्था के बारे में मौन साध रखा है।

साहित्यिक पत्रिका ‘गुफ्तगू’ के ‘नवाब शाहाबादी’ अंक का विमोचन 6 अप्रैल को

इलाहाबाद। साहित्यिक पत्रिका ‘गुफ्तगू’ के नवाब शाहाबादी अंक का विमोचन 6 अप्रैल को अपराह्न तीन बजे महात्मा गांधी अंतरराष्टीय हिन्दी विश्वविद्याल के परिसर में किया जाएगा, इस अवसर पर मुशायरे का भी आयोजन किया गया है। मीडिया प्रभारी अजय कुमार ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि बुद्धिसेन शर्मा करेंगे, मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर …

मकान कब्जाने के लिए डॉक्टर को धमका रहे डीबी स्टार जबलपुर के संपादक

जबलपुर में सबसे ज्यादा प्रसार संख्या वाले दैनिक भास्कर के डीबी स्टार के संपादक गंगा पाठक औऱ उनके सहयोगी पर मकान कब्जाने के लिए गुंडागर्दी करने का आरोप लगा है। मामले जबलपुर के डॉ. बेहरे दंपति का है जिन्होने गंगा पाठक पर उनका मकान कब्जाने की नियत से धमकी देने का आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक से लिखित में शिकायत की है। डॉ. सुरेंद्र बेहरे ने शिकायत में कहा है कि गंगा पाठक की धमकियों औऱ दवाब के कारण उनकी पत्नी डॉ. सुषमा बेहरे की तबीयत बिगड़ी औऱ उन्हे आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। पत्रिका अखबार ने 5 अप्रैल के अंक में इस प्रकरण के बारे में खबर छापी है।

दुनिया की श्रेष्ठतम महिला राजनीतिज्ञ रही हैं इन्दिरा गांधी

'पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों को भारत की जेल में दबोचा……..निराश निक्सन इन्दिरा गांधी को बिच, यानी कुतिया कहता था'

भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो पूरी दुनिया में अगर कोई लाजवाब राजनीतिज्ञ रहा है, तो वह थीं, बिला-शक, इन्दिरा गांधी। हां हां, मुझ पर गालियां-लानत भेजने के बाद जब थक जाएं तो सोचियेगा कि मैं क्‍या लिख-कह रहा हूं।

वेज बोर्ड को लेकर एकजुट हो रहे बस्तर के पत्रकार

नक्सली हिंसा के लिए चर्चित छत्तीसगढ के बस्तर संभाग में कार्यरत् पत्रकार अपने अधिकारों के लिए आंदोलन के मूड में है। खबर है कि मजिठिया आयोग की सिफारिशों पर कोर्ट से आदेश पारित होने के बाद विभिन्न समाचार पत्र समूहों में वर्षों से कार्यरत् पत्रकार अपना अधिकार पाने के लिए बेचैन है। उचित पारिश्रमिक के …

पीएम, पूर्व पीएम और उनके परिवार को एसपीजी सुरक्षा के खिलाफ पीआईएल

स्पेशल सिक्यूरिटी ग्रुप अधिनयम 1988 को संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत होने के कारण विधिविरुद्ध घोषित करने और एसपीजी सुरक्षा मात्र आवश्यकता के अनुसार प्रदान किये जाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक पीआईएल दायर किया गया है।

इसीलिए कांग्रेस के सामने मैं अपना शीश झुकाता हूं

'केवल नेता ही नहीं, कांग्रेस के कार्यकर्ता तक संवेदनशील रहे हैं, आज के दौर में तो केवल लूट-खसोट में मशगूल हैं कांग्रेसी। ज्यादातर लुच्चेा-लफंगों की जमात बन गयी है कांग्रेस'

लखनऊ: तारीख की तो ठीक-ठाक याद तो नहीं है, लेकिन हल्का-सा याद है कि यह करीब सन-73 के आसपास की बात होगी। या हो सकता है कि सन-74 ही रहा होगा। तब हवाई हमलों का दौर का भले न रहा हो, लेकिन उसकी आशंकाएं लगी रहती थीं। रात में हवाई जहाज उड़ते थे, और उसी वक्तस तेज सायरन बजा करता था। हल्ला मच जाता था कि हर आदमी अपने घर की सारे लालटेन-ढिबरी-चूल्हे वगैरह बुझा दे, वरना पुलिस पकड़ लेगी।

अफ़ग़ानिस्तान में पुलिस अधिकारी ने महिला पत्रकारों को गोली मारी

अफ़ग़ानिस्तान में एक अफ़ग़ान पुलिस अधिकारी ने दो विदेशी महिला पत्रकारों को गोली मार दी। पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के खोस्त कस्बे में यह घटना ऐसे समय हुई है जब शनिवार को अफ़ग़ानिस्तान में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए संभावित तालिबानी ख़तरे के मद्देनज़र देश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है।

कालेधन के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरेंगे मोदी

महज चार दिनों बाद ही मतदान के चरणों की शुरुआत होने जा रही है। भाजपा नेतृत्व की कोशिश है कि ऐन वक्त पर मतदाताओं के दिल और दिमाग में यह बात अच्छी तरह से बैठा दी जाए कि सत्ता में नरेंद्र मोदी आ गए, तो देश की तस्वीर बदल जाएगी। कांग्रेस की सत्ता में कालेधन का जाल बहुत विस्तृत हो गया है। लाखों करोड़ रुपए की रकम काले धन के रूप में विदेशी बैंकों में जमा है। यह जमा रकम गलत तरीके से कमाई गई है। इसी काली अर्थ व्यवस्था ने ही देश में कई तरह के आर्थिक संकट खड़े किए हैं। यदि भारी बहुमत से मोदी आते हैं, तो यह गारंटी समझी जाए कि एक साल के भीतर यह धन वापस आ जाएगा। इस खजाने से गरीबों और वंचितों के लिए कारगर कल्याणकारी योजनाएं शुरू की जाएंगी। ताकि, पूरे देश में खुशहाली आ जाए। इन निर्णायक चुनावी क्षणों में मोदी जोर-शोर से यह राजनीतिक ‘सपना’ बेचने में जुट गए हैं। वे जगह-जगह चुनावी रैलियों में यह बताना नहीं भूलते कि विदेशों में जमा काले धन से कांग्रेस के आला नेताओं के तार जुड़े हुए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम कई मौकों पर इस मुद्दे पर सफाई दे चुके हैं। बजट के दौरान भी उन्होंने उल्लेख किया था कि सरकार ने कालेधन को वापस लाने के लिए किस तरह की ताबड़-तोड़ कोशिशें की हैं?

मुनाफे के लालच में अपने स्कूल की किताबों का लेखक बन गया चौथी पास कोयला व्यापारी

Pradeep Mishra: इन्दौर में एक कोयले औऱ ट्रांसपोर्ट का व्यसायी है नाम है पुरषोत्तम अग्रवाल। इनकी शैक्षिक योग्यता मात्र चौथी क्लास है। पिछ्ले कुछ वर्षो से ये शहर में, अपने पैसे के बल पर तीन स्कूल संचालित कर रहे है। अग्रवाल पब्लिक स्कूल, चमेली देवी पब्लिक स्कूल पार्ट एक और पार्ट दो। चमेली देवी पब्लिक स्कूल पार्ट दो, नर्सरी से 5वीं क्लास तक है। ये, यशवंत प्लाज़ा बिल्डिंग जो रेलवे स्टेशन के पास है, उसकी तीसरी मंज़िल की दुकानो व गलियारे मे चलाया जा रहा है। जहां न खेलने का मैदान है, ना ही प्रकतिक हवा व प्रकाश की व्यवस्था है। ये तीनो स्कूल सीबीएसई से मान्यता पात्र हैं।

बस्तर को संविधान के दायरे में लाने के लिए सोनी सोरी को चुनाव में सफलता दिलाना जरुरी

सोनी सोरी का प्रचार अभियान समय के साथ साथ सघन होता जा रहा है। उन्हें विभिन्न जनजातीय समाजों के समर्थन के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर पर जाने पहचाने चेहरों का सहयोग भी मिल रहा है। डॉक्टर सुनीलम के आज लौट जाने के बाद बस्तर लोकसभा क्षेत्र में स्वामी अग्निवेश का पहुँचाना सोनी सोरी और उनकी टीम को उत्साहित कर रहा है। साथ ही, मानवाधिकार हनन के गम्भीर मामलों के खिलाफ संघर्षरत सोनी सोरी के पक्ष में विभिन्न क्षेत्रों से मिलती चुनावी मदद से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का असहज होना नुकसानदेह है।

कोबरा पोस्ट का नया खुलासाः पूर्वनियोजित साजिश थी बाबरी मस्जिद विध्वंस

आम चुनाव के शुरू होने से ठीक पहले 'कोबरा पोस्ट' द्वारा बाबरी मस्जिद से जुड़ा एक नया स्टिंग ऑपरेशन सामने लाया गया है। कोबरा पोस्ट के स्टिंग के सामने आने के बाद से राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है। इस स्टिंग में दिखाया गया है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस योजना पहले से बनाई गई थी। इसकी जानकारी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं थी। बीजेपी इस स्टिंग औऱ इसके जारी करने की टाइमिंग का खुलकर विरोध कर रही है। वहीं विरोधी पार्टियों का कहना है कि इस स्टिंग में कुछ नया नहीं है।

मोदी के मंच से बोले सुभाष चंद्राः ‘यो ज़ी चैनल भी समझो थारा ही सै’

कुरुक्षेत्र, हरियाणा। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली में 'ज़ी न्‍यूज' के मालि‍क सुभाष चंद्रा मोदी के साथ मंच पर बैठे। उन्‍होंने ठीक उस शहर में मोदी के साथ मंच साझा कि‍या, जो उनके वि‍रोधी कांग्रेस सांसद व उद़योगपति नवीन जिंदल का लोकसभा क्षेत्र है। इस बहाने सुभाष चंद्रा ने अपना रोना रोया कि कैसे उन्‍हे झूठे मामले में एक सेठ और राजनेता ने फंसाया है। ऊपर से ये भी कहा भाइयों कुछ और मत समझना, मैं कोई राजनीति‍क आदमी नहीं हूं।

तेजपाल के पक्ष में लिखने पर मनु जोसेफ औऱ सीमा मुस्तफा की प्रेस काउंसिल में शिकायत

वरिष्ठ पत्रकारों मनु जोसेफ और सीमा मुस्‍तफ़ा द्वारा तरुण तेजपाल प्रकरण में लिखे गए हालिया लेखों की शिकायत कुछ लोगों ने 'नेटवर्क ऑफ वुमन इन मीडिया' की तरफ ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया(पीसीआई) में की है। पीसीआई को लिखे पत्र में कहा गया है कि सीमा मुस्तफा का 'द सिटिज़न' में लिखा गया लेख “Alleged victim’s testimony in the Tarun Tejpal case at variance with CCTV footage” और मनु जोसेफ का 'आुटलुक' का लेख “What the elevator saw” आरोपी तेजपाल के पक्ष में लिखे गए प्रतीत होते हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि जनभावनाओं को प्रभावित करने के लिए ये जानबूझ कर किया गया प्रयास है जिससे कि पीड़िता के आरोपों को हल्का किया जा सके। दोनो ही लेखों में घटना के एक महत्वपूर्ण साक्ष्य, सीसीटीवी फुटेज, को लेकर एक ही तरह का केस तेजपाल के पक्ष में बनाने की कोशिश की गई है। जबकि इस विषय में ट्रायल कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि उस सीसीटीवी फुटेज को देखना, दिखाना और उसके विषय में लिखना ग़ैर-कानूनी है।

पत्रकारिता के नीरा राडिया काल में ‘निष्पक्षता’

नत्थी पत्रकारिता के खतरे  

न्यूज चैनल– ‘आज तक’ के एंकर-पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी और आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल के बीच ‘आफ द रिकार्ड’ बातचीत का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर न्यूज मीडिया और चैनलों पर सुर्ख़ियों में है। अरुण जेटली जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं से लेकर कुछ न्यूज चैनल तक एंकर-पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी पर पत्रकारिता की नैतिकता (एथिक्स) और मर्यादा लांघने का आरोप लगा रहे हैं। इस ‘आफ द रिकार्ड’ बातचीत में वाजपेयी की केजरीवाल से अति-निकटता और सलाहकार जैसी भूमिका को निशाना बनाते हुए उनकी निष्पक्षता पर ऊँगली उठाई जा रही है।

पत्रकार संगठनों से अपील है, वे आगे आयें और यूएनआई को मरने से बचायें

यूएनआई और इसकी हिंदी शाखा यूनिवार्ता की हालत खस्ता है। दूसरों की खबर देने वाली यह राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी खुद खबरों में हैं। समस्त कर्मचारियों को पिछले आठ महीने से वेतन नहीं मिला है। किराये के मकान में रह रहे कर्मचारियों को मकान मालिकों ने मकान खाली कराने की नोटिस दे दिया है। किराना दुकानदारों ने उधार देना बंद कर दिया है। फीस का भुगतान न करने के कारण बच्चों के स्कूल से नाम कट रहे है। कर्मी धन संकट के कारण बेटियों के हाथ पीले नहीं कर पा रहे हैं लेकिन निष्ठुर प्रबंधन को इसकी कोई चिंता नहीं। हाल ही में चेयरमैन के एक नोटिस से कर्मियों के होश फाख्ता है। नोटिस संलग्न है। यूनियन की क्या हालत है किसी से छिपी नहीं।

चुनाव आयोग द्वारा आईएएस, आईपीएस के तबादलों पर दायर पीआईएल में फैसला सुरक्षित

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग के आदेशों पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किये गए तमाम आईएएस तथा आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर को रद्द किये जाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा दायर पीआईएल पर आज अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।

बुरा न मानो चुनाव है, बदजुबानी जायज़ है

पिछले कई सालों से परंपरा सी बन गई है कि चुनावी राजनीति में एक-दूसरे के खिलाफ बदजुबानी की जाए। कुछ अंदाज होली के माहौल जैसा हो चला है, मानो कहा जा रहा हो कि बुरा न मानो चुनाव है। पिछले दशकों में स्थानीय नेता ही एक-दूसरे के खिलाफ कठोर टिप्पणियां उछालते दिख जाते थे। लेकिन, बड़े नेता राजनीतिक शालीनता बनाए रखने का शिष्टाचार जरूर निभा लेते थे। लेकिन, अब कई दलों के बड़े नेता भी बेशर्मी से जुबानी जंग पर उतारू हो रहे हैं। ताजा मामला केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का है। उन्होंने गोंडा की एक चुनावी सभा में एनडीए के ‘पीएम इन वेटिंग’ नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करते वक्त अपना संयम तोड़ दिया।

पवारों, कलमाड़ियों, बंसलों, राजाओं, वाड्राओं से त्रस्त एक आम आदमी का राहुल गांधी को पत्र

Mayank Saxena : ये चिट्ठी राहुल गांधी के लिए…. प्रिय राहुल गांधी जी, आप के होर्डिंग और पोस्टर भी देखता हूं, भाषण भी सुनता हूं और आपकी सरकार भी देखी, दिल में कई सवाल उठते हैं और तमाम आक्रोश भी है। आप से सभी कुछ साझा कर देने को जी चाहता है, इसलिए नहीं कि आप कुछ कर सकेंगे बल्कि इसलिए कि आपको पता हो कि जनता सब समझती है। राहुल जी, आज से 10 साल पहले जब कांग्रेस नीत यूपीए सत्ता में आया तो लोगों ने बीजेपी नीत एनडीए की नाकामियों और कारपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ आपको वोट दिया था। हालांकि बहुमत आपको भी नहीं मिला था लेकिन जनादेश निश्चित तौर पर एनडीए के खिलाफ था।

रेडियो पर ऐलान-ए-केजरीवाल और राग मोदी….

Vikas Mishra: एफएम सुनना इन दिनों बड़ा मुश्किल हो गया है। चुनावी प्रचार पका रहा है। केजरीवाल साहब का ऐलान सुन रहा हूं। फिर शर्त रख रहे हैं दिल्ली वालों पर कि 50 सीटें दो तब बनूंगा मुख्यमंत्री, फिर नहीं भागूंगा बढ़िया काम करूंगा। केजरीवाल 49 दिनों की सरकार चलाने के बाद भाग खड़े हुए थे, उसकी सफाई में कह रहे हैं कि लाल बहादुर शास्त्री भी ऐसा कर चुके हैं। बड़ी खुशी हुई जानकर कि देश के इतिहास में कोई तो एक नेता हुआ जिससे अपने से तुलना लायक पाते हैं केजरीवाल, शास्त्री जी ही सही। वरना तो केजरीवाल साहब अन्ना, गांधी, नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी को तो अपने चरणों की धूल के बराबर भी नहीं सेटते।

मैटर्निटी लीव मांगने पर महिला पत्रकारों को बर्खास्त कर देता है ज़ी न्यूज़

Yashwant Singh: मुंबई से एक वकील मित्र का फोन आया. उन्होंने एक स्वाभिमानी पत्रकार की कहानी बताई. ये महिला पत्रकार दो बरस पहले जी न्यूज में हुआ करती थी. शादी के लिए जब उसने छुट्टी मांगी तो उसे छुट्टी देने में बहुत परेशान किया गया. जब प्रीगनेंट हुई और मैटर्निटी लीव की बात जुबानी की तो उसे टर्मिनेट कर दिया गया. उसने कोर्ट का सहारा लिया. मुंबई में अपने पत्रकार पति के सहयोग से उसने लेबर कोर्ट में जी ग्रुप के खिलाफ मुकदमा किया. तारीख पर तारीख. सुनवाई पर सुनवाई. जी वालों की तरफ से प्रलोभन दर प्रलोभन. पर वह झुकी नहीं. लालच में नहीं आई. हार नहीं मानी.

फोटो जर्नलिस्‍ट रेप केस: तीनो आरोपी पुनरावृत्तिक अपराध के दोषी पाये गये

मुम्बई के शक्ति मिल परिसर में दो बार सामूहिक दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले कासिम बंगाली, विजय जाधव और मोहम्मद सलीम अंसारी को अदालत ने आईपीसी की धारा 376(ई) के अपराध का भी दोषी पाया है। इस धारा के अंतर्गत आजीवन कारावास, जिसमें व्यक्ति अपना शेष जीवन कारावास में बिताएगा, या मृत्यु दण्ड का प्रावधान है।

जनादेश के जश्न से पहले कद्दावर नेताओं की तिकड़म

1977 में देश की सबसे कद्दावर नेता इंदिरा गांधी को राजनारायण ने जब हराया तो देश में पहली बार मैसेज यही गया कि जनता ने इंदिरा को हरा दिया। लेकिन राजनारायण उस वक्त शहीद होने के लिये इंदिरा गांधी के सामने खड़े नहीं हुये थे बल्कि इमरजेन्सी के बाद जनता के मिजाज को राजनारायण ने समझ लिया था। लेकिन इंदिरा उस वक्त भी जनता की नब्ज को पकड़ नहीं पायी थीं। और 52 हजार वोट से हार गयीं। राजनारायण 1971 में इंदिरा से हारे थे और 1977 में इंदिरा को हरा कर इतिहास लिखा था। लेकिन उसी रायबरेली में इस बार सोनिया गांधी के खिलाफ किसी कद्दावर नेता को कोई क्यों खड़ा नहीं कर रहा है यह बड़ा सवाल है। तो क्या 2014 के चुनाव में जनता की नब्ज को हर किसी ने पकड़ लिया है इसलिये कद्दावर नेताओ के खिलाफ कोई शहीद होने को तैयार नहीं है या फिर जिसने जनता की नब्ज पकड़ ली है वह कद्दावर के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने को तैयार है। यह सवाल पांच नेताओं को लेकर तो जरुर है। रायबरेली में सोनिया गांधी, बनारस में नरेन्द्र मोदी,लखनऊ में राजनाथ सिंह, आजमगढ़ में मुलायम सिंह यादव और अमेठी में राहुल गांधी।

चुनावी पैंतरा: टीम मोदी अब सेक्यूलर क्षत्रपों की भी लेने लगी ‘खबर’

चुनाव की घड़ी नजदीक आती जा रही हैं। ऐसे में, सियासी संग्राम तेज होता जा रहा है। होड़ लगी हुई है कि कैसे राजनीतिक रूप से नहले पर दहला मार दिया जाए। इधर, टीम मोदी ने भी अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव किया है। अभी तक भाजपा के वरिष्ठ नेता अपना मुख्य राजनीतिक निशाना कांग्रेस पर ही साधते रहे हैं। लेकिन, अब रणनीति में कुछ बदलाव किया गया है। अलग-अलग राज्यों के लिए कई रणनीतियां बना ली गई हैं। कांग्रेस के साथ ही धुर-खांटी सेक्यूलर क्षत्रपों को भी निशाने पर रखा जा रहा है। इसकी आक्रामक शुरुआत खुद एनडीए के ‘पीएम इन वेटिंग’ मोदी ने शुरू की है। बिहार में वे पहले से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधते आए हैं। वे बिहार के दौरे पर जाते हैं, तो चुनावी सभाओं में कांग्रेस से ज्यादा नीतीश पर बरसते हैं। उनकी सेक्यूलर राजनीति पर कटाक्ष के तीखे तीर चलाने से नहीं चूकते। शुरुआती दौर में वे उत्तर प्रदेश में सपा नेतृत्व पर सीधा निशाना साधने से बचते नजर आ रहे थे। लेकिन, अब उन्होंने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उनके सुपुत्र मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर तीखे कटाक्ष शुरू कर दिए हैं। मंगलवार को बरेली की रैली में तो उन्होंने सीएम अखिलेश यादव पर कई कटाक्ष किए। कह दिया कि सपा और बसपा का राज उत्तर प्रदेश को कंगाली के सिवाए और कुछ नहीं दे सकता।

कोई भी व्यक्ति मुझ पर खबर न लिखने का दबाव नहीं बना सकता

आपके वेब पोर्टल भडास पर अपने बारे में पढ़ा। धांधली के संबंध में पशुपालन विभाग के  प्रमुख सचिव का कहना था कि बिना लिखित शिकायत के कोई कार्यवाही संभव नहीं है। इस पर मैंने स्वयं शिकायत की। मेरे द्वारा की गई शिकायत पर उप्र के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने स्वंय जांच के आदेश दिए हैं, जोकि प्रचलित है। साथ ही पशुपालन विभाग के अधिकारियों को हिदायत भी दी गई है कि बसपा नेता की माताजी के नाम पर हाल ही में बने विवि से कापी जांचने का कार्य नहीं कराया जाएगा। किस हद तक गड़बड़ी की जा रही है, इसका अंदाजा मेरी संलग्न् खबर पढ़कर ही लग जाएगा।

महिला प्राचार्य से रंगदारी मांग रहे पांच मीडियाकर्मियों पर आपराधिक मामला दर्ज

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की ब्यावरा थाना पुलिस ने शासकीय बुनियादी प्राथमिक विधालय ब्यावरा की महिला प्राचार्य को धमका कर 25 हजार रुपए मांगने के आरोप में पांच मीडियाकर्मियों के खिलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज किया है।

सोनभद्र का सूचना विभाग बना लायज़निंग का अड्डा, दस साल से सूचना अधिकारी की तैनाती नहीं

सोनभद्र। एक दशक से जिला सूचना अधिकारी की नियुक्ति की बाट जोह रहा जिला सूचना विभाग, सोनभद्र इन दिनों जिले में तैनात अधिकारियों की कारगुजारियों को छिपाने में मशगूल है। इनमें मजदूरों की हत्या तक के मामले शामिल हैं। ऐसे ही एक मामले का खुलासा दैनिक जागरण ने बुधवार को किया।

शूद्र मोदी का उभार हुआ तो सारे नालायक ओबीसी दलित नेताओं की खटिया खड़ी हो जाएगी

चुनावी समर की शुरुआत हो चुकी है। भारत की महान जनता सोलहवीं लोकसभा के गठन के लिए तय तारीखों पर अपने वोट डालेगी। हर चुनाव की कुछ न कुछ खासियत होती है। लेकिन यह चुनाव, जैसा कि अनुमान है, अपने नतीजों को लेकर लंबे अरसे तक जाना जाएगा और उम्मीद यह भी है कि यह भारत की भावी राजनीति का प्रस्थान बिंदु बनेगा। अर्थात् कई दृष्टियों से यह चुनाव ऐतिहासिक महत्व का होगा। परंपरानुसार, हम अपने वोट का दान करते हैं-मतदान। इसका इस्तेमाल हम हथियार या औजार की तरह कुछ गढ़ने या संघर्ष करने के लिए नहीं करते। शायद ऐसा इसलिए भी है कि हमारा समाज और लोकतंत्र आज भी मध्ययुगीन या उससे भी प्राचीन जमाने की मानसिकता में पल-बढ़ रहा है।

पिंकसिटी के पत्रकारों ने पेपर लैस चुनाव जरिए जनता को दिया संदेश

पिंकसिटी प्रेस क्‍लब जयपुर के हाल ही हुए चुनावों में पत्रकारों ने जनता को एक संदेश भी दिया है। क्‍लब की प्रबंध कार्यकारिणी के 15 पदों के लिए हुआ चुनाव पूरी तर‍ह पेपर लैस रहा। इस पूरे चुनाव में प्रत्‍याशियों की तरफ से पोस्‍टर, बैनर, पम्‍पलैट और पर्चो का कोई उपयोग नहीं किया गया। प्रत्‍याशियों ने केवल फोन, मोबाईल और सोशल मीडिया के जरिए ही मतदाताओं से वोट देने की अपील की थी। इस चुनाव प्रक्रिया में जो सुधार किया गया, उनकी चहुंओर तारीफ हो रही है। गुलाबी नगर के अनेक संगठनों ने प्रक्रिया में सुधार की तारीफ करते हुए उसे अपनाने की बात कही है।

हाय यूपी, हाय गरीबीः पांच रूपए खर्च करने पर पत्नी को मार डाला

यूपी का भगवान ही मालिक है। नेता-अफसर दिनरात मालामाल होते जा रहे हैं और आम आदमी गरीबी और मुफलिसी का शिकार। यहां आमदनी अठन्नी, खर्चा रूपैया की हालत है। सरकारी फाइलों में गरीबों के लिए कई योजनाएं दौड़ रही हैं। हुक्मरान उसी कागजी आंकड़ों को उपलब्धि मान इतरा रहे हैं, बलखा रहे हैं। यूपी में आखिर यह कैसा समाजवाद है जहां गरीब मर रहे हैं और अफसर-नेता गरीबों का हक मार करोड़ों से खेलते, जमुहाई लेते तोंद पर हाथ फेर रहे हैं। नेताओं पर लक्ष्मी की कृपा बरस रही है। मुट्ठीभर नेता सैकड़ों नहीं हजार-हजार करोड़ रूपए के मालिक बन बैठे हैं।

क्या वोट डालने भर से हमें बेहतर जिंदगी, वास्तविक आजादी मिल जायेगी?

16वीं लोकसभा के चुनावों की घोषणा हो चुकी है। सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर गयी है। चुनाव आयोग ने भी अपनी कमर कास ली है "आदर्श" आचार संहिता के नाम पर। जनता को वोट डालने के लिए समझाया जा रहा है ताकि "महान" लोकतंत्र की गरिमा को बचाया जा सके। जनता को बताया जा रहा है कि कैसे उनका एक वोट देश कि तस्वीर बदल सकती है? कैसे उनका एक वोट उनके पसंद का नेता चुन सकती है? कैसे उनका एक वोट उसके सरे समस्याओं का हल कर सकती है? और जनता को ये भी समझाया जा रहा है कि कैसे उनके वोट नहीं डालने से इस "महान" लोकतंत्र पर दाग लग सकता है और दुनिया के सबसे "बड़े" लोकतंत्र की बेइज्जती हो सकती है?

ढाई दर्जन पत्रकारों की रोज़ी छीनने वाले प्रभात रंजन दीन पत्रकारों के हितैषी कैसे?

लखनऊ: खासकर ब्यूरोक्रेसी पर भण्डा-फोड़ी खबरों के लिए शुरू हुए नये पोर्टल हल्लाबोल4यू के विमोचन समारोह पर बात क्या शुरू हुई कि सवालों की बौछारें शुरू हो गईं। पत्रकारिता पर बाहरी और भीतरी दबावों और खतरों को सूंघने और पत्रकारिता के भीतर पनप रहे दावों और उनके खोखलेपन पर खुलकर बातचीत शुरू हो गयी। गनीमत है कि मामला हल्की गर्मी से ज्यादा नहीं भड़क सका। इसी के साथ नये तेवर के साथ ताजा और विश्‍लेषणात्मक खबरों की एक नयी दुनिया शुरू करने का संकल्प लिया गया।

एनडीटीवी के खिलाफ जांच से सूचना मंत्रालय ने पल्ला झाड़ा

इन्कमटैक्स कमिश्नर एसके श्रीवास्तव के बारे में एनडीटीवी के चैनल्स पर झूठी खबर चलाए जाने के मामले में एडवोकेट एसके गुप्ता द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय में शिकायत की गई थी। मंत्रालय ने उनकी शिकायत को न्यूज़ ब्रॉडकासेटर्स एसोसिएशन(एनबीए) को अग्रेतर कार्यवाही के लिए भेज दिया है।

Journalist moves Labor Court against Hindustan for Majithia and Manisana Wage Board.

To    The Labour Commissioner,    Haryana, Chandigarh.   Sub:- Application for directing the management of Hindustan(Hindi), 18-20 Kasturba Gandhi Marg, New Delhi for releasing the wages of the applicant on the bases of Majithia wage Award 2011 and Manisana wage board award 2000 since the time of his appointment till the retrenchment of his …

भुल्लर प्रकरण में बिट्टा के ‘विद्रोही विलाप’ को भुनाने को तैयार है भाजपा

खालिस्तानी आतंकवादी देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर की फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दी है। अदालत ने फांसी के अमल में हुई देरी और खराब सेहत के आधार पर भुल्लर को यह राहत दी है। सितंबर 1993 में नई दिल्ली में यूथ कांग्रेस के दफ्तर के बाहर भुल्लर और उसके साथियों ने भयानक आतंकी विस्फोट किए थे। इसमें 9 लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता और सुरक्षाकर्मी भी थे। दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे। घायलों में युवा कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष एम एस बिट्टा भी थे। आतंकियों के खास निशाने पर बिट्टा ही थे। लेकिन, उनकी जान बाल-बाल बच गई थी। इस हादसे के बाद बिट्टा ने आतंकविरोधी संगठन बनाकर अपनी सक्रियता बढ़ाई। भुल्लर को मिली राहत के बाद वे कांग्रेस नेतृत्व पर जमकर बरसने लगे हैं। उन्हें लगता है कि कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी के सलाहकार ठीक नहीं हैं। ऐसे में, वे आतंकवादियों के मामले में भी नरम पड़ गई हैं। इसी का फायदा भुल्लर जैसे आतंकियों को हो रहा है। इस चुनावी मौसम में भाजपा के रणनीतिकार कांग्रेसी बिट्टा के विलाप को राजनीतिक रूप से भुनाने के लिए तैयार हो गए हैं।

देवनाथ का ज़ी न्यूज़ से इस्तीफा, अमर भारती प्रकाशन समूह में की वापसी

देवनाथ ने ज़ी न्यूज़ से इस्तीफा देकर 2 अप्रैल से 'अमर भारती' प्रकाशन समूह ज्वाइन कर लिया है। वह पिछले वर्ष अगस्त में ज़ी समूह में चले गए थे। पूर्व में भी 'अमर भारती' के संचालन का अधिकतम दारोमदार उन्हीं के कन्धों पर था। अतः अपने पत्रकारिता जीवन की प्रथम पाठशाला 'अमर भारती' के पुनः विस्तारीकरण एवं सुदृणीकरण हेतु उन्हें 'प्रबन्ध सम्पादक' के पद की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।

PARDAPHASH reporter and cameraman attacked, FIR lodged

Lucknow: Pardaphash has always been the torch bearer in unearthing scams from the various government departments in the Uttar Pradesh state. Practicing investigative journalism and standing true to the journalistic ethics has never been a cake walk as the unkind souls leave no stone unturned to create hindrances through verbal spats or by being violent. The same has been once again suffered by two Pardaphash team members, who were attacked by the goons of corrupt BN Tewari, who is the owner Mars Farm Equipments ltd., for uncovering the fraud cooked by its firm worth several of crores.

तम्बाकू के दुष्प्रभावों से लोगों को बचाने के लिए अतिरिक्त उपायों की जरूरतः हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सिगरेट तथा सभी प्रकार के तम्बाकू पदार्थों के कुप्रभावों और हानिपरक असर से लाखों लोगों की जान बचाए जाने हेतु भारत सरकार और उसके प्राधिकारियों को सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध तथा व्यापर तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय तथा वितरण का विनियमन) अधनियम, 2003 (तम्बाकू अधिनियम) के प्रावधानों के अतिरिक्त अन्य आवश्यक उपाय भी अपनाए जाने हेतु निर्देशित किया है।

चुनाव आयोग द्वारा किए गए आईएएस, आईपीएस अफसरों के ट्रान्सफर के खिलाफ पीआईएल

चुनाव आयोग के आदेशों पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल में तमाम आईएएस तथा आईपीएस अफसरों के किये गए ट्रांसफर को रद्द किये जाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक पीआईएल दायर की गयी है।

एक अप्रैल से मुंबई प्रेस क्लब में खाना-पीना हुआ मंहगा

अभी तक मुंबई प्रेस क्लब द्वारा सदस्यों से कार्ड स्वाईप पेमेण्ट के लिए तीन पर्सेंट अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा था। आरोप था कि मुंबई प्रेस क्लब अपने सदस्यों को ही लूट रहा है। लेकिन अब मुंबई प्रेस क्लब क्रेडिट/ डेबिट कार्ड लेनदेन पर लगाए जाने वाले 3 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क की वसूली सदस्यों से नहीं करेगा। एक अप्रैल से इस प्रकार लेनदेन पर लगने वाले अतिरिक्त शुल्क को क्लब द्वारा वहन किया जाएगा। इसके साथ ही सरकारी निर्देशों के अनुरूप सभी सदस्यों से फूड आइटम्स पर वैट औऱ सेवा शुल्क वसूला जाएगा। प्रेस स्लब के सचिव ने सदस्यों को सूचित किया है कि पिछले दो सालों से कैंटान के रेट्स में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। केटरर का कहना है कि इस दौरान खाद्य पदार्थों के दाम बहुत बढ़ गए हैं। अतः अन्य कोई विकल्प न होने के चलते कैंटीन रेट्स में थोड़ी बढ़ोत्तरी की जा रही है।

चुनाव के दौरान सतर्क रहना होगा, कहीं नेताजी अप्रैल फूल न बना दें

भारत में आजकल विदेश से आयातित त्यौहारों की संख्या बढ़ गई है। कैलेंडर में देखें तो रोज कोई न कोई खास दिन होता है। इधर पश्चात्य संस्कृति ने अपने पांव पसारे हैं तो लगता है कि हर दिन ही त्यौहार है। जैसे ही लोग 14 फरवरी प्रेम दिवस (वैलेंटाइन-डे) मनाकर ही निपटे थे कि 8 मार्च को महिला दिवस मनाया और अब 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाएंगे। फिर मित्र दिवस, मातृ दिवस, पितृ दिवस और नया वर्ष जैसे दिन तो हर साल आते हैं और कभी एड्स विरोधी दिवस तो कभी कैंसर निरोधी दिवस भी सुनाई देता हैं। निकट भविष्य में अगर बुखार दिवस, बेबी(बच्चा) दिवस भी मनाए जाने लगें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।

बुद्ध और अंबेडकर के विचारों का प्रसार करता देश का पहला दलित चैनल ‘लॉर्ड बुद्धा टीवी’

नागुपर से देश के पहले ऐसे सेटेलाइट चैनल का प्रसारण होता है जो गौतम बुद्ध और डॉ. अंबेडकर के विचारों और संस्कारों का प्रसार करता है। चैनल का नाम है ‘लॉर्ड बुद्धा टीवी’। दलितों को मुख्यधारा के मीडिया में उचित जगह नहीं मिलती इसलिए दलितों का भी एक मीडिया होना चाहिए, इस विचार को लेकर नागपुर के दो भाइयों राजू मून और सचिन मून ने इस चैनल की शुरुआत की है। बहुत ही सीमित संसाधनों से चलने वाले इस सैटेलाइट चैनल की शुरुआत 18 मई 2012 को हुई थी।

गुवाहाटी से प्रकाशित ‘संगबाद लहरी’ बंद, 100 कर्मचारी बेरोज़गार

गुवाहाटी और शिलांग से प्रकाशित बंगाली दैनिक 'संगबाद लहरी' का प्रकाशन प्रबंधन ने बंद कर दिया है। प्रबंधन के इस फैसले से करीब 100 कर्मचारी बेरोज़गार हो गए हैं। इसके विरोध में कल गुवाहाटी के समाचार पत्रों औऱ न्यूज़ चैनल्स के पत्रकारों और ग़ैर-पत्रकार कर्मियों ने गुवाहाटी प्रेस क्लब के सामने मुंह पर काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन किया।

लॉन्च हुआ ईटीवी न्यूज़ हरियाणा/ हिमाचल प्रदेश

जैसा कि नेटवर्क18 द्वारा पूर्व में घोषणा की गई थी, ईटीवी ग्रुप ने हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के लिए नए 24X7 न्यूज़ चैनल को लॉन्च कर दिया। लॉन्चिंग के मौके पर वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर व्यास ने कहा कि ये दोनों ही राज्य भारत की राजनीति को प्रतिबिंबित करते हैं। उन्होने कहा कि भले ही हरियाणा …

दुराचार पीड़ित महिला पत्रकार ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज़ कराया

मिर्जापुर। बलात्कार की शिकार महिला पत्रकार ने शनिवार को सीजेएम न्यायालय में सीआरपीसी की धारा 164 का कलमबंद बयान दर्ज कराया। इसके पहले महिला का पुलिस ने जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराया था। इस मामले में पुलिस ने तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। जबकि घटना में प्रयुक्त स्कार्पियों को पुलिस ने सीज कर आरोपी अश्विनी तिवारी को जेल भेज दिया। मजिस्ट्रेट को बयान देने के बाद महिला पत्रकार ने बताया कि उसके साथ बुरा हुआ है। घटना में तीन लोग शामिल थे। एक की पहचान वह कर चुकी है, एक फरार है, और तीसरे को सामने आने पर पहचान लेगी।

क्या कहती हैं राजनेताओं की ग्रहदशा, देखिए 4रीयल न्यूज का नया कार्यक्रम ‘सत्ता का योग’

कुण्डली का छठा, सांतवा, दसवां व ग्यारहवां भाव राजनीति के लिए विचारणीय होते है। जबकि इनमें से सबसे प्रमुख दशम भाव ही होता है। अगर दशमेश उच्च का हो या दशम भाव में कोई ग्रह उच्च का हो तो सत्ता से जुड़ना आसान रहता है। अब जबकि 16वीं लोकसभा चुनाव को मुश्किल से कुछ दिन ही बचे हैं, लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है, ऐसे में कौन बनेगा प्रधानमंत्री इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म होने लगा है। जहां एक ओर कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, वहीं बीजेपी नरेंद्र मोदी की हवा का भरपूर फायदा उठाने को बेताब है। इसी बीच राजनीतिक हलकों की नई पार्टी "आप" भी इन दोनों पार्टियों के समीकरण को बिगाड़ने की भी पूरी तैयारी कर चुकी है। ऐसे में यह अनुमान लगाना दिलचस्प होता है कि आखिर चुनाव के परिणाम क्या होने वाले है। कौन होगा 7 आरसीआर का प्रबल दावेदार।

मेरे दिवंगत चाचा को न्याय दिलाने में मेरी मदद कीजिए

प्रिय मित्रों,
         मेरे
चाचा श्री भानु कुमार ओझा जयपुर में पीओपी के ठेकेदार थे। वे दिल के बहुत ही अच्छे इंसान थे। रामपाल के 'हिप्नोटिज़्म'(सम्मोहन) के कारण बरवाला आश्रम में जाने की ज़िद किया करते थे। ये घटना करीब 6 दिन पहले का है। अंतिम बार जब वो आश्रम गए तो 10 दिनों तक उनका फ़ोन बंद आया। मन में शंका हुई तो हम सब उनको ढूंढने आश्रम पहुंचे।

अखिलेश बाबू, महिला पत्रकार गैंगरेप कांड में आपकी पुलिस और नेता भी कम दोषी नहीं

यूपी में जंगलराज होने की एक बार फिर पुष्टि हो गई। उत्तराखंड की महिला पत्रकार को लबेरोड स्कार्पियो से अगवा कर, उसके साथ गैंगरेप किया गया। उसके बाद पुलिस ने लीपपोती कर केस को हल्का करने की उससे भी बड़ी शर्मनाक हरकत की। इन सबसे यह साफ हो गया है कि इस जंगलराज में महिलाएं किस कदर असुरक्षित हैं और यूपी की पुलिस अपनी कार्रवाई कितनी जिम्मेदारी से करती है। अगर मामला किसी सत्ताधारी वीआईपी नेता आजम खां के भैंसों के लापता हो जाने सरीखे हो तो नौकरी बचाने के लिए पुलिस अफसरों का कार्य कौशल देखने लायक हो जाता है। पहले तो यूपी के थानों में रिपोर्ट दर्ज कराना ही टेढ़़ी खीर है। अगर किसी तरह रिपोर्ट हो भी जाए तो अपराधियों का साथ देना और उल्टे भुक्तभोगी को परेशान करना पुलिस की आदतों में शुमार हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को राज्य का दर्जा देने हेतु दायर पीआईएल ख़ारिज की

लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर तथा अधिवक्ता प्रतिमा पाण्डेय द्वारा दिल्ली तथा पुदुचेरी को राज्य का दर्जा दिए जाने हेतु अनुच्छेद 32 के अंतर्गत दायर पीआईएल सुप्रीम कोर्ट ने आज ख़ारिज कर दी।

महाराष्ट्र ‘पेड न्यूज़ की राजधानी’ हैः चुनाव आयुक्त

लोकसभा चुनावों की तैयारियों का जायजा लेने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग इन दिनों महाराष्ट्र दौरे पर है। शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत, चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा और डॉ. नसीम जैदी व राज्य के अन्य चुनाव अधिकारियों ने पत्रकारों से बातचीत की। मीडिया से बात करते हुए चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा ने कहा …

हिसार में कुलदीप बिश्नोई और आईएनएलडी प्रत्याशी को पेड न्यूज़ प्रकाशन के लिए नोटिस

हिसार के जिला निर्वाचन अधिकारी ने हरियाणा जनहित कांग्रेस-बीएल के मुखिया कुलदीप बिश्नोई औऱ आईएनएलडी के प्रत्याशी दुष्यंत चौटाला को 'पेड न्यूज़' के प्रकाशन के लिए नोटिस जारी किया है।

‘हम दोनो’ नंदा के फिल्मी सफ़र की एक महत्वपूर्ण फिल्म है

“अपने हाथों की कमाई हुई सुखी रोटी भी…” “तुम भी सुखी रोटी में यकीन करने वाले हो!! जिसने हमेशा पुलाव खाएँ हो, उसे सुखी रोटी मे कविता नज़र आती है, जो गरीबी से कोसों दूर रहा हो उसे गरीबी मे ‘रोमांस’ नज़र आता है। लेकिन कविता और रोमांस अमीरों के दिल बहलाव की चीज़े हैं, और सुखी रोटी……उसे चबाना पड़ता है, निगलना पड़ता है, पचाना पड़ता है। गरीबी ज़िन्दगी का एक श्राप है आनंद( देवआनंद) साहब! जिससे निकलना इंसान का फ़र्ज़ है, जानबुझ कर पड़ना हिमाकत। जो अपने प्यार के खातिर सौ रुपए तक की नौकरी ना पा सका, वह प्यार का मतलब समझाने आया है। तुम आए हो मीता(साधना) से उसका आराम और सुख छीनने, एक सुखी रोटी का वादा लेकर, तो ले जाओ। वह तो है ही नादान। कितने दिनो तक अपने साथ रखोगे, तुम ज़िन्दगी भर उसे इतना नहीं दे पाओगे, जितना मीता अपने एक जन्मदिन पर खर्च कर देती है।

लोसल नगर पालिकाध्यक्ष ने मीटिंग के बहाने पत्रकारों को अपमानित

लोसल(सीकर), प्रेस क्लब द्वारा हाल ही में आयोजित किए गए होली स्नेह मिलन फागोत्सव कार्यक्रम में शेखावाटी एज्युकेशन ग्रुप के चेयरमैन बीएल रणवां के हाथों दीप प्रज्वलित कराया गया था। इसको लेकर स्वयं को अपमानित महसूस करने वाले लोसल नगर पालिकाध्यक्ष ने शनिवार को पत्रकारों को मीटिंग के बहाने अपने चैम्बर में बुलाया। पालिकाध्यक्ष ने शिक्षण संस्थानों के संचालकों की मौजूदगी में पत्रकारों को भलाबुरा कहकर अपमानित किया।

आशुतोष महाराज की समाधि, सत्य या असत्य?

आज बार-बार एक ही प्रश्न मन मे उठ रहा है कि क्या धर्म अंध विश्वास है? क्या धर्म केवल और केवल एक अंधी आस्था ही है, जिसका कोई आधार नहीं? क्या धर्म केवल एक प्रश्न ही है कि जिसका ठोस उत्तर आज किसी के पास नहीं। और अगर है तो कोई उसे स्वीकार करने को तैयार ही नहीं। आज धर्म और आस्था के नाम पर जो हो रहा है, आज सत्य और असत्य के नाम का जो ढ़ोल पीटा जा रहा है, क्या धर्म उसके शोर में दब जाएगा?

नईदुनिया भिंड के ब्यूरोचीफ और रिपोर्टर पर रिश्वत मांगने का आरोप

भिंड जिले के कुछ प्राइवेट स्कूल संचालको ने नईदुनिया के सीईओ को इंदौर पत्र भेज कर शिकायत की है कि बोर्ड परीक्षाओं के बहाने नईदुनिया, भिंड के ब्यूरो चीफ और रिपोर्टर द्वारा उनसे रिश्वत की मांग की गई। संचालकों का कहना है कि उन्होने कुछ रुपए दे भी दिए हैं लेकिन फिर भी उन्हे धमकाया जा रहा है। आरोप है कि रुपए न देने पर संचालकों के खिलाफ झूठी खबरें भी छापी गईं।

प. बंगाल में शारदा फर्जीवाड़े को मुद्दा नहीं बना पा रहा विपक्ष

शारदा फर्जीवाड़े मामले को सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक साजिश का नतीजा बताकर भले ही बंगाल की मां-माटी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है, लेकिन इसका आगामी लोकसभा चुनाव नतीजों पर कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है। न निवेशकों को उनका पैसा वापस मिल रहा है, न रिकवरी की कोई सूरत है और न चिटफंड कारोबार केंद्रीय एजंसियों की सक्रियता के बावजूद बंद हो पाया है।

झूठ और सनसनी का व्यापार कर रहा है वर्तमान मीडिया

बात तब की है तब में एक अंतर्राष्ट्रीय न्यूज चैनल के लिए अपने जिले का प्रतिनिधि संवाददाता हुआ करता था। सर्दी के मौसम में मेरे पास उक्त चैनल के राजस्थान हैड का फोन आया और ठंडक पर एक खबर करके भेजने को कहा जबकि उस समय बीकानेर में इतनी ठंड नहीं थी। परंतु हैड साहब ने मुझे यह कहकर समझाया कि मैं चार मफलर लूं और राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाकर किसी ऊॅंटगाड़ी वाले को पकडूं और एक मफलर ऊॅंट को पहनाऊ एक गाड़ी वाले को पहनाऊं और स्वयं पहनकर कर पीटीसी करूं कि बीकानेर में भयंकर ठंड का मौसम है। मैंने स्पष्ट तौर पर इस तरह की खबर करने से मना कर दिया लेकिन उस समय मेरे समझ में यह बात जरूर आ गई कि मीडिया में जो दिखता है वह होता नहीं है बल्कि वह दिखाया जाता है जो कि बिकता है।

राजगढ़ से भाजपा प्रत्याशी को विज्ञापनों के संबंध में नोटिस जारी

मध्यप्रदेश में राजगढ़ के कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार शर्मा ने भोपाल से प्रकाशित दैनिक समाचार-पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों के मामले में राजगढ़ संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी को विज्ञापनों के सम्बंध में नोटिस जारी कर 96 घंटे के भीतर जवाब माँगा है।

रुद्रपुर के पत्रकारों ने गले मिलकर गिले शिकवे दूर किए

रुद्रपुर। पत्रकारों के बीच चल रहे विवाद का शहर के पत्रकारों की बैठक में पटाक्षेप हो गया। बैठक में सभी पत्राकारों द्वारा पूरे मामले पर चर्चा करने के बाद आपस की गलत-फहमियों को दूर कर एक दूसरे के गले मिलकर एक साथ सहयोग कर काम करने का निर्णय लिया गया। उल्लेखनिय है कि पिछले दिनों शहर के पत्राकारों के बीच में मनमुटाव हुआ जिसका प्रशासन ने फायदा उठाते हुये पत्राकारों के उत्पीड़न में कोई कमी नहीं छोड़ी। प्रशासन के साथ-साथ शहर के अन्य लोगों ने भी पत्राकारों की आपस की लड़ाई का फायदा उठाया।

आईपीएस की ट्रांसफर याचिका पर कैट ने आदेश सुरक्षित किया

केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की लखनऊ बेंच ने आज आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर द्वारा आईजी अभियोजन से आईजी नागरिक सुरक्षा के पद पर हुए ट्रांसफर के विरुद्ध दायर याचिका में अंतिम सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित कर लिया

पुण्य-बरखा-राजदीप-अर्नब-सुधीर आदि पत्रकारों का आर्थिक-इतिहास सार्वजनिक हो

REEL PICTURE: न्यूज़ चैनल्स पर मठाधीशनुमा बड़े-बड़े पत्रकार, भ्रष्टाचार के दायरे से इतर, 20-30 साल या 30-40 साल सार्वजनिक जीवन में रहने वाले किसी नेता के पास 4-5 करोड़ की संपत्ति होने की खबर को ऐसा कह कर बताते हैं मानो ये अरबों-खरबों के बराबर है। बड़े-बड़े पैनल डिस्कशन कराये जाते हैं कि आखिर नेता करोड़पति कैसे हो जा रहे हैं? अंदाज़ कुछ ऐसा रहता है, जैसे लगता हो कि ये नामचीन पत्रकार उधार मांगकर गुज़ारा कर रहे हैं और 4-5 करोड़ पर हैरान-परेशान हैं या इनके पास सपने में भी नहीं होगा।

सरकारी ज़मीन पर ‘बरिस्ता’ चला रहा है मुंबई प्रेस क्लब

मुंबई प्रेस क्लब अपने साफ सुथरे प्रशासन की बड़ी डींगें हांकता है। लेकिन असलियत में यहां कमेटी मेंम्बर्स की मनमर्जी के चलते नियम कायदों को ताक पर रख दिया गया है। कमेटी ने बिजली बचाने के उद्देश्य से दोपहर 3.30 से शाम 6.00 बजे तक एसी बंद रखने का निर्णय लिया है। तपती गर्मी के दिनों में भी ऐसा उटपटांग निर्णय लागू कर उस पर अमल किया जा रहा है। औऱ बिजली बचाने में अपने योगदान के लिए कमेटी अपनी पींठ खुद ही थपथपा रही है।

साहब-सेवक संवाद: राम भरोसे बोला आप पत्रकार हो, जरा सोंच समझ कर बोला करो

विवाद कभी खत्म नहीं होते। उन स्थितियों में तो कभी खत्म नहीं होंगे जब दोनों पक्षों में एक भी झुकने को तैयार नहीं हो। इस हफ्ते फिर राम भरोसे से जम कर लड़ाई हुई। मैं कह रहा था कि नेताओं का कोई भरोसा नहीं। उनकी जिंदगी बेहद अनिश्चित होती है। पता नहीं, अगला चुनाव जीतें या न जीतें। राम भरोसे बोला कौन से जन्म की बातें करते हैं। अगर नेता एक्सपर्ट है तो वह चुनाव जीतेगा ही। इस पार्टी में नहीं तो उस पार्टी में ही सही।

मोदी की हवा निकालने के लिए राजनाथ का यूपी गेमप्लान

भाजपा के लिए कहा जाता है कि उसे दुश्मनों की जरूरत नहीं है। यह काम पार्टी के नेता ही पूरा कर लेते हैं। इस बार यह काम पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कर दिया है। मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोकने और खुद को दावेदार पेश करने के लिए उन्होंने यूपी की एक दर्जन सीटों पर ऐसे लोगों को टिकट दे दिए जिनके जीतने की उम्मीद नहीं है।

सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसायटी पीआईएल की हाई कोर्ट में होगी सुनवाई

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के स्तर पर, कथित रूप से की जा रही अनियमितताओं के सम्बन्ध में, आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर तथा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा दायर पीआईएल की सुनवाई उस सम्बन्ध में दायर पुनरीक्षा याचिका के साथ की जाएगी।

एनसीपी के एमएलए का फतवा, चुनाव तक न टीवी देखो न पेपर पढ़ो

माजलगांव से एनसीपी के एमएलए और पूर्व मंत्री प्रकाश सोलंके ने कल माजलगांव के पास किट्टी आडगांव मे एक जनसभा को संबोधित करते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं से 17 अप्रैल तक टीवी देखने और न्यूज़ पेपर पढ़ना बंद करने को कहा है। सोलंके ने कहा कि कोका कोला के विज्ञापन की तरह मोदी को बार-बार टीवी पर दिखाया जा रहा है। बीड में गोपीनाथ मुंडे की तस्वीर के सिवा मिडिया को कुछ दिखता ही नहीं है। रोजाना यह सब खबरें पढ़ के और देख के सर दर्द बढ़ता जा रहा है इससे अच्छा की न्यूज़ पेपर पढ़ना आौर टीवी देखना बंद करना चाहिए।

मुजफ्फरनगर दंगे रोकने में यूपी सरकार ने लापरवाही बरतीः सुप्रीम कोर्ट

इस चुनावी मौके पर उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। बहुचर्चित मुजफ्फरनगर के दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को घोर लापरवाह ठहराया है। साफ-साफ कह दिया है कि यदि सरकारी तंत्र ने समय से कार्रवाई की होती, तो दंगे की आग इतनी नहीं भड़कती। अदालत की यह टिप्पणी सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक मुश्किलें और बढ़ा सकती है। क्योंकि, जो आरोप विपक्षी दल लगा रहे थे एक तरह से उसी पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी मुहर लगा दी है।

मोहन थपलियाल ने अनुकम्पा की नौकरी को छोड़ बेरोजगारी का दामन थाम लिया था

लखनऊ: बहुत बरसों बाद आज सुबह-सुबह जानकीपुरम के अपने भूले-भटके दोस्‍तों-भाइयों को खोजने निकला। और मिल गया स्‍वर्गीय मोहन थपलियाल का घर। बेटी और बेटा तो काम पर निकल चुके थे, लेकिन उनकी पत्‍नी से भेंट हो गयी।

नहीं छूटे सुब्रत रॉय, सहारा के पास नहीं है ज़मानत के लिए पैसा

सुब्रत रॉय को आज भी सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत नहीं मिली। अब सुब्रत रॉय को अगली सुनवाई तक जेल में रहना होगा। मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को होगी। सहारा ग्रुप ने उनकी जमानत के लिए 10,000 करोड़ रुपये की रकम देने में असमर्थता जताई है। सहारा ग्रुप का कहना है कि सुब्रत रॉय और सहारा कंपनियों की नेटवर्थ जमानत की रकम से कम है।

आगामी चुनाव दो कुंवारों की अग्नि परीक्षा से कम नहीं है

बदलती राजनीति, बदलते लोग और उनके बदलते मिजाज ने राजनीति को एक ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है जिसमें नेताओं की अस्मिता ही खतरे में पड़ती जा रही है। सालों साल तक देश की राजनीति को अपने इशारे पर नचाने वाले और जनता को धोखा देकर अपना उल्लू सीधा करने वाले नेता अब यकीन के साथ यह नहीं कह सकते कि जनता उन पर विश्वास कर लेगी और उन पर सब कुछ न्योछावर कर देगी। यह राजनीतिक बदलाव का ऐसा संक्रमण काल है कि बड़े सुरमा भी जनता और उनकी अपेक्षा के सामने पस्त होकर घिघियाते नतर आ रहे है।

कालाहांडी में अब भूख से लाशें नहीं बिछतीं, बचपन नहीं बिकते

समाज में दलाल और दलाली को हिकारत की नजर से भले ही देखा जाता हो, लेकिन जब दलाल किसी समाज और व्यवस्था की काया पलट कर दें तो इसे आप क्या कहेंगे। जी हां, केबीके के नाम से दुनिया में बदनाम उड़ीसा का कालाहांडी, बोलांगीर और कोरापुट जिले पिछले पांच सालों में विकास की नई इबारत लिख रहे है। हांलाकि इस विकास की कहानी में सरकार की नीति, सरकारी पहल, किसान, किसानी व सिंचाई के लिए बेहतर व्यवस्था और साथ ही किसानों की सोंच में आई तब्दीली की काफी अहमियत हैं। लेकिन इन सबसे उपर इस इलाके की तकदीर बदलने में दलालों की भूमिका को कमतर नहीं आंका जा सकता। आइए आपको ले चलते हैं देश में भूखमरी के लिए अभिशप्त कालाहांडी के भूगोल पर जहां अब कंगाली नहीं हर जगह हरियाली है, रूदन के स्थान पर मंगल गीत गाए जा रहे हैं और लगभग हर घर में टीवी, फ्रीज, रेडियों, डिश एंटिना साइकिल के बदले मोटरसाइकिल और नंग धरंग बच्चें और अधनंगे बुढे चमचमाते कपड़ों से लैस हैं। मानों पूरा का पूरा कालाहांडी मुस्कुरा रहा हो।

क्वालिस की टक्कर से इंजीनियरिंग छात्र घायल, मालिक के दबाव में पुलिस नहीं कर रही कार्यवाही

भुवनेश्वर में इंजीनियरिंग के फाइनल इयर के छात्र नीरज कुमार को होली के दिन एक गाड़ी ने टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज़ थी कि नीरज की जांघ की हड्डी ज्वाइंट से अलग हो गई और उसमें पांच फ्रैक्चर हो गए। टक्कर मारने वाली गाड़ी 'क्वालिस(नं. OR 02 T 9000)' उड़ीसा के चर्चित गुप्ता केबल्स के मालिक की है।

सीपीएम के पत्र में मोदी का विज्ञापन छपने से कम्यूनिस्ट नाराज़

सीपीआई(एम) के मलयाली समाचारपत्र 'देशाभिमानी' में मोदी सरकार का फुल पेज विज्ञापन छपने से केरल के कम्युनिस्टों में गुस्सा है। गुजरात के महात्मा गांधी स्वच्छता मिशन के इस विज्ञापन को मोदी के एक बड़े फोटो के साथ छापा गया है।

चर्च की घटना को कवर करने गए मीडिया कर्मियों से बदसलूकी

नवाबगंज(उन्नाव): मंगलवार को चर्च में हुई एक घटना की सूचना पर मीडिया कर्मी कवरेज के लिए चर्च पहुंचे तो उन्हे चर्च में घुसने नहीं दिया गया। जो मीडिया कर्मी अंदर घुसने में सफल रहे उनके कैमरे छीन कर मेमोरी डिलीट करा दी गई। कुछ मीडिया कर्मियों के कैमरे चर्च स्टाफ ने अपने पास ही रख लिए। चर्च के कार्यक्रम आयोजकों ने मीडिया कर्मियों के साथ जमकर अभद्रता की और वहां पर खड़ी पुलिस तमाशबीन बनी देखती रही।

कानपुर के पत्रकार ने वृद्धा की ज़मीन और मकान पर कब्जा किया

सर, हम बहुत दुखी हो कर आपको ये मेल कर रहे हैं। आपके चैनल की वजह से हमारा सब कुछ लुटा जा रहा है। आपके चैनल में कानपुर में एक पत्रकार है आश्विन निगम, इन्होने हमारी नानी इन्द्राणी की ज़मीन और मकान पर कब्ज़ा करा है।

उपजा की बैठक में मीडिया डायरेक्टरी के प्रकाशन औऱ सदस्यों के जीवन बीमा पर चर्चा

इलाहाबाद। कलम के सिपाहियों की जाति नहीं होती है। इसके बाद भी मीडिया को अमीर गरीब, जाति, धर्म, कार्य विभेद के सहारे पत्रकारों को उपेक्षित करने की नापाक कोशिश पत्रकार हित के नाम पर चल रहे संगठनों के द्वारा की जाती रही है। इस परंपरा को मिटाने के लिए युवा पत्रकारों ने जो कदम उठाया है, उसे बनाये रखने की जरुरत है। उक्त बातें वरिष्ठ पत्रकार शचीन्द्र श्रीवास्तव ने कहीं।

लोकसभा चुनाव-2014 – हाँ, हमें चुनना तो है! लेकिन किन विकल्पों के बीच?

साथियों! 16वें लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। हमें फिर चुनने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन चुनने के लिये क्या है? झूठे आश्वासनों और गाली-गलौच की गन्दी धूल के नीचे असली मुद्दे दब चुके हैं। दुनिया के सबसे अधिक कुपोषितों, अशिक्षितों व बेरोज़गारों के देश भारत के 66 साल के इतिहास में सबसे महँगे और दुनिया के दूसरे सबसे महँगे चुनाव (30 हज़ार करोड़) में कुपोषण, बेरोज़गारी या भुखमरी मुद्दा नहीं है! बल्कि “भारत निर्माण” और देश के “विकास” के लिए चुनाव करने की दुहाई दी जा रही है! विश्व पूँजीवादी व्यवस्था गहराते आर्थिक संकट तले कराह रही है और इसका असर भारत के टाटा, बिड़ला, अम्बानी-सरीखे पूँजीपतियों पर भी दिख रहा है। ऐसे में, भारत का पूँजीपति वर्ग भी चुनाव में अपनी सेवा करने वाली चुनावबाज़ पार्टियों के बीच चुन रहा है। पूँजीवादी जनतंत्र वास्तव में एक धनतंत्र होता है, यह शायद ही इससे पहले किसी चुनाव इतने नंगे रूप में दिखा हो। सड़कों पर पोस्टरों, गली-नुक्कड़ों में नाम चमकाने वाले पर्चों और तमाम शोर-शराबे के साथ जमकर दलबदली, घूसखोरी, मीडिया की ख़रीदारी इस बार के चुनाव में सारे रिकार्ड तोड़ रही है। जहाँ भाजपा-कांग्रेस व तमाम क्षेत्रीय दल सिनेमा के भाँड-भड़क्कों से लेकर हत्यारों-बलात्कारियों-तस्करों-डकैतों के सत्कार समारोह आयोजित करा रहे हैं, तो वहीं आम आदमी पार्टी के एनजीओ-बाज़ “नयी आज़ादी”, “पूर्ण स्वराज” जैसे भ्रामक नारों की आड़ में पूँजीपतियों की चोर-दरवाज़े से सेवा करने की तैयारी कर रही है; भाकपा-माकपा-भाकपा(माले) जैसे संसदीय वामपंथी तोते हमेशा की तरह ‘लाल’ मिर्च खाकर संसदीय विरोध की नौटंकी के नये राउण्ड की तैयारी कर रहे हैं। उदित राज व रामदास आठवले जैसे स्वयंभू दलित मसीहा सर्वाधिक सवर्णवादी पार्टी भाजपा की गोद में बैठ कर मेहनतकश दलितों के साथ ग़द्दारी कर रहे हैं। ऐसे में प्रश्न यह खड़ा होता है कि हमारे पास चुनने के लिए क्या है?

बीवी को छोड़ कर भागे मोदी से केजरीवाल के जीवन की उपलब्धियां बेहतर हैं

अरविन्द केजरीवाल को मैं भी पसंद नही करता और हो सकता है बहुत सारे अन्य लोग भी उन्हें पसंद न करते हो, पर उनके खिलाफ़ अपनी भाषा पर संयम तो रखिये। कोई बंदर कहता है, तो कोई कहता है कि भाग गया, कोई स्याही फेंक देता है तो कोई अंडे। केजरीवाल को सोशल मीडिया में हर राजनीतिक चुटकुले का संता-बंता बना रखा गया है। अरे मेरे विद्वान विचारक बंधुओं!! नरेद्र मोदी अभी प्रधानमंत्री बने नहीं है, सभी लोग अभी विकल्पहीनता में केवल उनसे उम्मीदें ही लगाये हैं। अभी मोदी को आपकी उम्मीदों को पूरा होना बाकी है।

शहीदों पर बनी फिल्मों में, मनोज कुमार की ‘शहीद’ आज भी प्रभावित करती है

हालीवुड ने यथार्थ व अतीत की यादगार जीवनियों पर अनेक फिल्में बनाई हैं। महात्मा गांधी से लेकर नेपोलियन और फिर महारानी एलिजाबेथ के जीवन को परदे पर लाने का दुर्लभ साहस किया। इतिहास से प्रेरित होकर अनुकरणीय कहानियों को याद करने की ख्याति उनके पास है। हिन्दी सिनेमा ने भी ऐतिहासिक कहानियों पर बहुत सी फिल्म बनाई, चंगेज खां तथा मुगल बादशाह अकबर से लेकर ‘जहांगीर’ एवं ‘शाहजहां की गाथा को प्रस्तुत किया। लेकिन फिल्मों की गुणवत्ता को अधिक सकारात्मक समीक्षा नहीं मिली। हां, ‘कोटनिस की अमर कहानी’ मील का पत्थर जरूर कही जा सकती है। कह सकते हैं कि पीरियड कहानियों को जमीन पर लाने का हमारा अंदाज हालीवुड से अलग होकर पोपुलर की तरफ अधिक झुक जाता है। ऐतिहासिक कहानियों को प्रस्तुत करने में उससे से इतर होने पर कहानी की विश्वसनीयता व लय टूट सकता है।

AAP popularity in Varanasi has increased: Prof Anand Kumar

FROM THE OFFICE OF PROF ANAND KUMAR
LOK SABHA CANDIDATE, NORTH EAST DELHI CONSTITUENCY

New Delhi, March 26, 2014: Aam Aadmi Party is getting historic support from Delhi to Varanasi and the wave is likely to sweep the country, said Prof Anand Kumar, senior AAP leader and party’s candidate for North East Delhi Parliamentary constituency. Prof Kumar returned to Delhi after addressing a rally in Varanasi along with AAP convenor Shri Arvind Kejriwal on Tuesday.

वाराणसी से कार्पोरेट घरानों के इशारे पर मीडिया द्वारा हो रही एकतरफा रिपोर्टिंग ‘पेड न्यूज़’ है

कार्पोरेट जगत द्वारा राजनीति में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप और नियंत्रण की सुनियोजित साजिश से चिंतित साझा संस्कृति मंच, वाराणसी से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं, चिंतकों एवं बुद्धिजीवियों ने सांकेतिक ढंग से इसका विरोध दर्ज करते हुए आज एक ज्ञापन जिला निर्वाचन अधिकारी / जिलाधिकारी को प्रेषित किया, इसकी प्रति पोस्ट द्वारा एवं मेल द्वारा राष्ट्रीय एवं राज्य चुनाव आयोग तथा राष्ट्रीय प्रेस परिषद् को भी आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की गयी। मंच का मानना है कि इन दिनों कतिपय कार्पोरेट घरानों के इशारे पर मीडिया (विशेषकर इलेक्ट्रानिक मीडिया) द्वारा एकतरफा समाचार प्रसारित/प्रकाशित करके काशी की गंगा जमुनी तहजीब को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है और वाराणसी में तनाव पैदा करने की साजिश की जा रही है, इस तरह समाचारों का प्रसारित/प्रकाशित करना प्रायोजित समाचार की श्रेणी में आता है और स्पष्ट रूप से आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है इस पर विधि सम्मत कार्यवाही आवश्यक है।

क्या इस बार फूलपुर संसदीय क्षेत्र में कमल खिला पाएगी भाजपा?

इलाहाबाद। काशी, अयोध्या, प्रयाग सरीखी धार्मिक नगरी के बीच स्थित फूलपुर संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं ने कभी खुद पर धर्म-मजहब का मुद्दा हावी नहीं होने दिया। देश की अहम संसदीय सीट में शामिल फूलपुर क्षेत्र में आज तक कभी भी कमल नहीं खिल सका। अयोध्या के राममंदिर आंदोलन में देशभर की राजनीति में चाहे जो उबाल आया हो पर यहां भाजपा तापमान काफी कम रहा। भाजपा के थ्री स्टार नेताओं में कभी नाम दर्ज कराने व बगल की सीट इलाहाबाद से लगातार तीन बार जीत दर्ज कराने वाले चाहे डॉ. मुरली मनोहर जोशी रहे हों या विहिप के अंतर्राष्ट्रीय नेता अशोक सिंघल या फिर आरएसएस के सर्वेसर्वा राजेंद्र सिंह रज्जू भइया इन दिग्गजों के घर के बगल की सीट फूलपुर में भाजपा की हालत ज्यादातर चुनावों में पतली ही रही।

भाषा तथा उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के लिए पीआईएल

भाषा शिक्षकों से सम्बंधित उत्तर प्रदेश शिक्षक अर्हता परीक्षा (यूपी-टीईटी) के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक पीआईएल दायर की गयी है।

ट्रायल ड्रग से हुई मौत में पीजीआई के दो डॉक्टरों पर एफआइआर

एसजीपीजीआई, लखनऊ के गैस्ट्रोइंटेरोलोजी विभाग के डॉ. विवेक आनंद सारस्वत और डॉ. श्रीजीथ वेणुगोपाल द्वारा लापरवाह ढंग से इंजेक्शन देने के कारण एक महिला की मौत होने के सम्बन्ध में पीजीआई थाना, लखनऊ में एफआइआर दर्ज की गयी है।

कपूरथला के डीएसपी ने महिला पत्रकार से दुर्व्यवहार किया

पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल के एक कार्यक्रम को कवर करने गई महिला पत्रकार के साथ डीएसपी द्वारा कथित तौर पर दुर्व्यवहार व धक्का-मुक्की की गई। पीड़ित महिला पत्रकार प्रोमिला कौशल ने पंजाब के डीजीपी को शिकायत भेज कर डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

ईटीवी रिपोर्टर ने सरकारी डॉक्टर से मार-पीट की, रिपोर्ट दर्ज़

अलिराजपुर जिले के जोबट ब्लाक से सूचना है कि वहां के स्वास्थ्य केन्द्र पर किसी बात को लेकर ईटीवी के पत्रकार गोविन्द गुप्ता औऱ ब्लॉक मेडिकल अधिकारी आनंद अतुलकर के बीच कहासुनी हो गई। बात बढ़ने पर ईटीवी पत्रकार गोविन्द ने बीएमओ के साथ गाली-गलौच करते हुए उन्हे थप्पड़ मारे औऱ वहां से चला गया। बीएमओ ने तुरन्त अपने उच्चाधिकारियों को घटना की सूचना दी औऱ थाने जा कर इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज़ कराई। घटना से डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों में भारी रोष है। ईटीवी के रिर्पोटर गोविन्द पर, पूर्व मे अलिराजपुर की जिला चिकित्सा अधिकारी से हुए विवाद में जोबट थाने में इसी प्रकार के दुर्व्यवहार की रिर्पोट है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को सशर्त ज़मानत दी

सुप्रीम कोर्ट ने आज सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को सशर्त अंतरिम ज़मानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सहारा की ओर से निवेशकों को पैसे लौटाने को लेकर आज एक फार्मूला पेश किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने उस पर विचार किया औऱ सहारा समूह को आदेश दिया है कि वह सेबी को 10 हजार करोड़ रूपए दें। पांच हजार करोड़ नगद और पांच हजार करोड़ की बैंक गारंटी के रूप में। कोर्ट ने अपनी टिप्‍पणी में कहा कि कुल दस हजार करोड़ रुपये जमा होने पर उन्‍हें जमानत दे दी जाएगी। ऐसे में गुरुवार को सुब्रत रॉय को जमानत मिल सकती है।

क्या त्रिपुंड लगाने के लिए गोधरा और गुजरात काण्ड कराने पड़ते हैं?

मैं आप पार्टी की समर्थक नहीं हूँ पर,
केजरीवाल के गंगा स्नान करने, त्रिपुंड लगाने पर जिन राष्ट्रवाद के ठेकेदारों को बड़ा ऐतराज़ है वे यह बताएं कि इन हिन्दू कर्मकाण्डो को करने के लिए कितने गोधरा काण्ड और कितने गुजरात काण्ड कराने पड़ते हैं?? कितनी हत्याओं से दामन दागदार करना होता है ?? कितने पीड़ितों की आह लेनी पड़ती है?

शादी का प्रलोभन देकर युवक ने किया जर्नलिज्म छात्रा का शारीरिक शोषण

रायपुर(छत्तीसगढ़) में पत्रकारिता की एक छात्रा से बलात्कार का मामला सामने आया है। युवती ने न्यू राजेन्द्र नगर थाना पुलिस को रिपोर्ट लिखाई है कि शादी करने का प्रलोभन देकर युवक डेढ़ साल तक उसका शारीरिक शोषण करता रहा। पुलिस ने मामला दर्ज कर युवक की तलाश शुरू कर दी है।

बताइये थानवी जी, अब आप गोयनका से माफ़ी मंगवाएंगे या खुद इस्तीफ़ा देंगे?

कल (24 मार्च को) इंडियन एक्सप्रेस समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक विवेक गोयनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पाञ्चजन्य के कार्यक्रम में आये। संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ मंच साझा किया। अपने भाषण में बताया कि उन्हें आदेश मिला और वे आ गए। गोयनका जी का मन परिवर्तन क्यों हुआ यह तो वे ही जाने। पर जनसत्ता के सम्पादक ओम थानवी के पास क्या जवाब है। याद रखना चाहिए कि थानवी धुर संघ विरोधी हैं।

ये फिल्मी सितारे राजनीति में क्यों आते हैं?

यह सचमुच विडंबना ही है कि एक आइपीएल मैच खेल कर कोई क्रिकेट खिलाड़ी करोड़पति बन सकता है, और महज एक अंतरराष्ट्रीय मैच में भाग लेकर विख्यात। जबकि दूसरे कई खेलों के चैंपियन हमारे बगल में भी खड़े हों, तो शायद हम उन्हें पहचान न पाएं। इसी तरह बालीवुड की एक फिल्म में काम करके कोई कलाकार समूचे देश में पहचान पा लेता है। जबकि भाषाई और क्षेत्रीय सिने जगत के महानायकों व महानायिकाओं को पड़ोसी राज्यों के लोग भी नहीं पहचानते। यह विडंबना समाज के हर क्षेत्र में कदम-कदम पर नजर आती है।

एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने से रोक संबंधी पीआईएल पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने संसद तथा विधान मंडलों में सांसद और विधायक पद पर एक ही चुनाव में एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाए जाने हेतु आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर तथा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा दायर पीआईएल में विधि एवं न्याय मंत्रालय और चुनाव आयोग …

26 को लॉन्च होगा ईटीवी न्यूज़ हिमाचल प्रदेश/हरियाणा

नेटवर्क18 का ईटीवी ग्रुप 26 मार्च को हिमाचल प्रदेश औऱ हरियाणा के लिए एक क्षेत्रीय 24×7 हिन्दी चैनल ईटीवी न्यूज़ हिमाचल प्रदेश/हरियाणा लॉन्च करने जा रहा है। सोंची समझी रणनीति के तहत बांग्ला और कन्नड ईटीवी न्यूज़ चैनलों की तरह चुनाव के ठीक पहले इस चैनल को लॉन्च किया जा रहा है। चैनल अपनी 80 प्रतिशत न्यूज़ हिमाचल और हरियाणा से कवर करेगा औऱ शेष 20 प्रतिशत राष्ट्रीय न्यूज होगी। बलवंत तक्षक को एडिटर तथा नरेन्द्र भास्कर को चैनल का मार्केटिंग हेड बनाया गया है।

डरे हुए हैं केजरीवाल का प्रायोजित विरोध कर रहे नमो समर्थक लफ़ंगे

बनारस में केजरीवाल का जिस तरह से प्रायोजित विरोध हो रहा है, वह भाजपा की घबराहट को दिखाता है। वे बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं और पछताएँगे। भाजपा और नमो समर्थकों में इतनी भी हिम्मत नहीं है कि वे सामने आकर अरविंद केजरीवाल का विरोध करें। लेकिन लोग देख और समझ रहे हैं। बनारस में विचारों की लड़ाई में नमो समर्थक लफ़ंगे इतने डरे हुए हैं कि सवालों को डरा-धमकाकर और स्याही फेंक कर चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल पर अंडे या स्याही फेंकने वाले नमो समर्थक पोंगापंथी-गुंडे नहीं जानते हैं कि वे बनारस के लोगों की चेतना का अपमान कर रहे हैं।

केजरीवाल के साथ न चलें न सही, पर उनके हौसले को सलाम ज़रूर कीजिए

मोदी के खिलाफ केजरीवाल का गुस्सा जायज है। पर उस गुस्से को जाहिर करने की सीमा कहां खत्म होती है, यह गहरा सवाल है। ….बनारस आये केजरीवाल आखिर चुनाव लड़ने का ही तो गुनाह कर रहे हैं, तो क्या इस अपराध के लिए उनको डराने की कोशिश की जायेगी, सार्वजनिक तौर पर अण्डे फेंके जायेंगे, कालिख पोती जायेगी? अगर उठती आवाजों को दबाने का यह भगवा तरीका कोई संकेत है, तो इस संकेत को इस देश को समझने की जरूरत है। लेखों में, फेसबुकिया विचारों में और बहसों में भी कई बार लोगों को कहते सुना है कि केजरी पलायनवादी हैं, 49 दिनों में ही सरकार छोड़कर भाग गये, आदि आदि। भली कही, पर अगर बौने बनकर सरकार चलाते तो क्या अलग करते?

‘डैमेज कंट्रोल’ की कवायद तेज: भाजपा में बढ़ चली विद्रोह की बयार

‘चाल-चरित्र और चिंतन’ के अपने जुबानी एजेंडे पर इतराने वाली भाजपा इन दिनों गहरे आंतरिक संकट से गुजर रही है। पार्टी का नेतृत्व अपने आंतरिक अनुशासन को लेकर इतराता रहा है। लेकिन, इस चुनावी दौर में भाजपा के अनुशासन तंत्र की पोल खुल गई है। टिकटों के झगड़े में यहां दूसरे दलों के मुकाबले ज्यादा ‘लट्ठम-लट्ठ’ की स्थिति दिखाई पड़ने लगी है। मन चाही चुनावी टिकट न मिलने के कारण पार्टी की तमाम तपे-तपाए बुजुर्ग नेता भी ‘धुर कांग्रेसी’ तेवर दिखाने लगे हैं। इन लोगों के व्यवहार में इनके चाल-चरित्र और चिंतन के नारे को भी गैर-मौजूं बना दिया है। टिकटों को लेकर पार्टी के अंदर विद्रोह की बयार तेजी से बहने लगी है। हालांकि, पार्टी के रणनीतिकार ‘डैमेज कंट्रोल’ की कवायद तेजी से कर रहे हैं। लेकिन, अंदरूनी संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है।

एनडीटीवी ने 900 करोड़ की आय को सरकार से छुपाया

एनडीटीवी के फर्ज़ीवाड़े औऱ काली कमाई के बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है। यथावत मैगजीन में छपी जितेन्द्र चतुर्वेदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनडीटीवी ने अपनी करीब 900 करोड़ रुपए की आय को सरकार से छुपाया है। पूर्व में एक आयकर अधिकारी संजय श्रीवास्तव ने गहरी छानबीन के बाद दावा किया था कि एनडीटीवी ने बही-खातों में अपनी वास्तविक आय का खुलासा नहीं किया है। संजय श्रीवास्तव के इस आरोप को आयकर विभाग के अर्द्ध-न्यायिक संगठन 'विवाद निस्तारण पैनल(डीआरपी)' ने सही पाया। इस पूरे विवाद की जड़ एनडीटीवी औऱ अमरीकी कंपनी एनबीसीयू के बीच हुआ फर्ज़ी लेन-देन है। डीआरपी के मुताबिक 2009-10 की सालाना रिपोर्ट में एनडीटीवी ने तकरीबन 900 करोड़ रुपए की आय छुपाई है, जिस पर उचित कार्यवाही करने का आदेश निर्धारण अधिकारी को दिया गया है।

गांव-गिरांव की चुनावी चर्चाः तब नेता होते थे अब लुक्खों की फौज है

16वीं लोकसभा चुनाव की रणभेरी क्या बजी, उसका असर शहर कस्बे से लेकर गांव-गिरांव तक दिखने लगा है। शहर के नुक्कड़, गांव गली-गलियारे व खेत खलिहान चारों तरफ एक अजीब सा रंग दिखने लगा है। चुनावी चर्चा और कयासबाजी तेज है। सियासत भी अजीब-सी होती है। चुनाव आयोग के ऐलान के बाद दलों ने उम्मीदवार सामने ला पटके। ले दही, ले दही….हमारा माल चोखा, हमारा माल चोखा है, नहीं, नहीं हमारा माल उससे भी बड़ा चोखा। लीजिए चखकर तो देखिए। चखने का कोई पैसा नहीं। एक अजीब सी नौटंकी।

आचार संहिता उल्लंघन मामले में बीजेपी विधायक संजय सिंह को सज़ा

आराः आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के एक मामले में बीजेपी विधायक और प्रवक्ता संजय सिंह 'टाइगर' को कोर्ट ने एक महीने की सज़ा सुनाई है। संजय सिंह पर 2010 के विधानसभा चुनावों में आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप था। उन पर उदवंतनगर थाने में केस दर्ज़ हुआ था। आरा के प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट आशुतोष ने संजय सिंह को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाते हुए एक महीने की सजा का एलान किया।

सुब्रत रॉय की जमानत पर सुनवाई कल तक के लिए स्थगित

सुप्रीम कोर्ट ने आज सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की की ज़मानत याचिका पर सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी। रॉय अभी न्यायिक हिरासत में ही रहेंगे।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा राज्य सूचना आयोग 45 दिन में सेकेंड अपील पर निर्णय करें

स्वतंत्र भारत के इतिहास में सूचना का अधिकार अधिनियम को मील का पत्थर माना जा रहा है। निश्चित तौर पर इस कानून को बनाने में जनहित का काफी ध्यान रखा गया है किन्तु फिर भी इसमें, अन्य भारतीय कानूनों की ही तरह, नौकरशाही के मनमानेपन पर अंकुश लगाने का इस कानून में भी कोई प्रावधान नहीं है। मेरे विचार से भारतीय शासन को आज भी वास्तव में ब्रिटिश राज की भांति नौकरशाह ही संचालित करते हैं और कोई कानून बनाने से पहले उनसे सलाह मशविरा किया जाता है कि इससे उनको तो कोई तकलीफ नहीं है मानो कि जनप्रतिनिधियों को जनता की बजाय नौकरशाहों की तकलीफें सुनने के लिए चुना गया हो। सूचना कानून की उद्देशिका में जो उद्देश्य बताये गए हैं उनको पूरा करने का किसी का कोई दायित्व नहीं बताया गया है और न ही इन शब्दों की आगे अधिनियम में कोई पुनरावृति की गयी है।

सच्ची आजादी के लिए जरूरी है भगत सिंह और पाश के सपने को जिन्दा रखना

शहीद भगत सिंह और उनके साथियों तथा पंजाबी के क्रान्तिकारी कवि अवतार सिंह पाश के शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर 22 मार्च 2014 को जन संस्कृति मंच, लखनऊ की ओर से लेनिन पुस्तक केन्द्र, लालकुंआ, लखनऊ में ‘खतरनाक होता है सपनों का मर जाना’ कार्यक्रम हुआ। इसके अन्तर्गत पाश की तीन कविताएं ‘हम लड़ेंगे साथी’, ‘मेहनत की लूट’ तथा ‘हर किसी को सपने नहीं आते’ प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर वक्ताओं ने भगत सिंह के विचारों, पाश की कविताओं तथा आज के राजनीतिक संकट के दौर में इन क्रान्तिकारियों के महत्व पर अपने विचार रखे।

पीलीभीत में नामांकन के दौरान मीडिया से भिड़ गए कांग्रेस नेता सुखलाल

पीलीभीत: जनपद में दूसरे चरण में मतदान है। ऐसे में जहां मेनका गांधी जीत की ओर कदम बढ़ा रही है तो वहीं कांग्रेसी नेता अपनी हार सहन नहीं कर पा रहे है। पीलीभीत में वैसे तो कल बसपा, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी समेत कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना-अपना नामांकन कराया। जहां एक ओर बसपा से अनीस अहमद खां, आम आदमी पार्टी से राजीव अग्रवाल ने नामांकन कराया तो वहीं इस बार जहां कांग्रेस के पर्यवेक्षक रहे जनपद राम