द संडे इंडियन हिंदी के कार्यकारी संपादक अनिल पांडेय को उनकी खोजी रिपोर्टस् के लिए पुरस्कृत किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें सेन्टर फॉर सिविल सोसायटी की ओर से 8 जनवरी, 2014 की शाम दिल्ली के ललित होटल में दिया गया। इस दौरान कुल तीन पत्रकारों को पुरस्कृत किया गया और पुरस्कार के तहत बीस-बीस हजार रूपये नकद और शील्ड प्रदान की गई। अनिल पांडेय के अलावा यह पुरस्कार तहलका के अतुल चौरसिया और दिल्ली प्रेस के जगदीश पंवार को भी दिया गया।
पुरस्कार प्राप्त करते अनिल पांडेय
अनिल पांडेय को यह पुरस्कार उनकी दो खोजी रिपोर्टस् के लिए दिया गया है, जो कि खोये हुए बच्चों और बालू के अवैध खनन से जुड़ी हुई हैं। पिछले साल प्रसिद्ध मीडिया संस्थान एक्सचेंज फॉर मीडिया ने भी हिंदी पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनिल पांडेय को सम्मानित किया था। जनसत्ता और स्टार न्यूज में काम कर चुके अनिल पांडेय अपनी खोजी रिपोर्टस् के लिए जाने जाते हैँ। उनकी कई रिपोर्टस् पर डाकूमेंट्री भी बनाई जा चुकी है। अनिल की स्टोरी, हरियाणा में बीटी काटन की खेती से मनुष्य और जानवारों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर ग्रीन पीस द्वारा बनाई गई डाकूमेंट्री काफी चर्चित हुई थी। दिल्ली के खेलगांव में सुविधाओं के अभाव में मरने वाले मजदूरों की अनिल की रिपोर्ट पर येल विश्वविद्यालय ने एक शोध प्रोजेक्ट तैयार किया था। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे अनिल पांडेय को सीएसडीएस की मीडिया फेलोशिप भी मिल चुकी है।
सेन्टर फॉर सिविल सोसायटी अमेरिका के विश्व प्रसिद्ध एडवोकेसी ग्रुप एटलस नेटवर्क का हिस्सा है जो भारत में जीविका और शिक्षा से जुड़े मुद्दे के लिए एडवोकेसी का काम करती है। अमेरिका का एटलस इकोनॉमिक रिसर्च फाऊंडेशन 80 देशों के 400 से अधिक मुक्त बाजार संगठनों के वैश्विक नेटवर्क को बढ़ावा देने व विचारों और संसाधनों की आवश्यकता के आधार पर जोड़ने का कार्य कर रहा है।