Deepak Sharma : बरसों पहले जब 8 PM WHISKY लॉन्च कि गई तो एक बिजनेस ट्रेनी पत्रकार के तौर में इसकी लांच पार्टी में मौजूद था. शराब की एक बोतल गिफ्ट में मिली थी जो मैंने पड़ोस के एक बिजली मिस्त्री मित्र को सप्रेम भेंट कर दी. बड़े आदमी से रिश्वत ली और आम आदमी के हाथ में आगे बड़ा दी. ये पत्रकारिता से रोमांस के दिन थे.
मित्रों पत्रकारों का एक बड़ा धड़ा रोज शराब पीता है और मुफ्त की पीता है.
रात के आठ बजते ही जब अर्नब गोस्वामी जैसे पत्रकार न्यूज़ बुलेटिन की तयारी कर रहे होते हैं उस वक्त शीशे पर प्रेस लिखी हुई बहुत सी कारें विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के बंगले में दाखिल होती हैं.
ये 8 PM JOURNALISM है.
ये ऐसा जर्नलिज्म है जो देश के कई होनहार राजनीतिक पत्रकारों, ब्यूरो प्रमुख और संपादकों के चरित्र लील गया. ये ऐसा जर्नलिज्म है जहां देश के दो मुख्तलिफ पेशे या यूँ कहे कि मिशन एक दूसरे से हम प्याला होकर जनता की नज़रों में खुद को गिराते चले गए.
मित्रों, नेताओं से, सरकारों से, पत्रकारों का संवाद ज़रूरी है…लेकिन मर्यादाओं की सीमा में. पत्रकारिता और दलाली साथ साथ नही चल सकती . सच तो ये है कि असली और सच्ची पत्रकारिता जनता के करीब और नेताओं से दूर रहकर ही की जा सकती है. बस बीट के रिपोर्टर इसके अपवाद हो सकते हैं.
कमर वाहिद नकवी, अर्नब गोस्वामी, सुप्रिया प्रसाद, राम कृपाल, उदय शंकर, दिबांग, अनिरुद्ध, सतीश के सिंह, एनपी सिंह (और भी) ऐसे पत्रकार रहे या हैं जिन्होंने नेताओं की गोद ठुकराई है. जिन्होंने 8 PM JOURNALISM को खुद से बेदखल रखा. काश ये गिनती ज्यादा होती….तो आप सब सोशल मीडिया पर हम जैसे पत्रकारों को शायद दलाल ना कह पाते.
आजतक न्यूज चैनल में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से.