Yashwant Singh: मुंबई से एक वकील मित्र का फोन आया. उन्होंने एक स्वाभिमानी पत्रकार की कहानी बताई. ये महिला पत्रकार दो बरस पहले जी न्यूज में हुआ करती थी. शादी के लिए जब उसने छुट्टी मांगी तो उसे छुट्टी देने में बहुत परेशान किया गया. जब प्रीगनेंट हुई और मैटर्निटी लीव की बात जुबानी की तो उसे टर्मिनेट कर दिया गया. उसने कोर्ट का सहारा लिया. मुंबई में अपने पत्रकार पति के सहयोग से उसने लेबर कोर्ट में जी ग्रुप के खिलाफ मुकदमा किया. तारीख पर तारीख. सुनवाई पर सुनवाई. जी वालों की तरफ से प्रलोभन दर प्रलोभन. पर वह झुकी नहीं. लालच में नहीं आई. हार नहीं मानी.
ताजी सूचना है कि इस मामले में इसी अप्रैल महीने में 11 तारीख को फैसला आने वाला है. यह संभवतः पहला मामला होगा जिसमें मैटर्निटी लीव मांगने पर महिला पत्रकार को बर्खास्त कर दिया गया और उस पत्रकार ने प्रबंधन के खिलाफ पूरे सुबूतों, मेल, दस्तावेज के साथ मुकदमा किया, जिसमें अब फैसला आने वाला है. हालांकि जी ग्रुप से उन लोगों की तो पहली ही छंटनी हो चुकी है या हटाए जा चुके हैं जिन लोगों ने इस महिला पत्रकार को छुट्टी न देने, प्रताड़ित करने और बर्खास्त कराने में बढ़-चढ़ कर भूमिका निभाई.
इस मामले की पूरी खबर भड़ास पर जल्द ही प्रकाशित कराउंगा. फिलहाल इतनी शुरुआती सूचना शेयर कर रहा हूं ताकि आप को समझ में आ सके कि लड़ना कितना जरूरी होता है. ये धनपशु, ये घराने, ये बड़े-बड़े आफिसों वाले, ये बड़े लोग कहे जाने वाले बैल कितने डरपोक, कमजोर और सतही होते हैं कि इनके सामने कोई भी अगर टाइट होकर, मजबूत इरादा बनाकर और अंत तक लड़ने का मन बनाकर खड़े हो जाएं तो ये दाएं बाएं झांकने लगते हैं और किसी तरह मामले को सेटल कराने में जुट जाते हैं. कई तरह की ब्लैमेलिंग, पेड न्यूज, पीत पत्रकारिता के लिए कुख्यात हो चुके जी न्यूज का नाम इन दिनों मेरी पहाड़ यात्रा के दौरान भी कानों तक पहुंच रहा है.
यात्रा से जुड़े एक साथी बताते हैं कि जी न्यूज वालों की तरफ से फोन आया था, वो खबर दिखाने के बदले ओबलाइज करने के लिए दबाव डाल रहे थे. कोई सूरी नामक प्राणी ने फोन किया था. सोचिए, जो लोग हर खबर से पैसा बनाने की 'कला' को आगे बढ़ाने में लीन हों, क्या उनसे हम किसी सरोकार, मानवीयता या देश-समाज की चिंता करने की बात सोच सकते हैं. ये जो चिंता करने का दावा, दिखावा करते हैं वह इतना खोखला, दयनीय होता है कि आन स्क्रीन पकड़ में आ जाता है. फिलहाल मैं उस महिला पत्रकार को बधाई देना चाहता हूं जिसने जी न्यूज वालों को उनकी औकात पर लाने को मजबूर कर दिया है. मई महीने में जब फैसला आएगा तब पूरी दुनिया जानेगी की भारत में एक ऐसा भी मीडिया घराना है जो देश समाज की चिंता के नाम पर रोज नोट बटोर बटोर कर मोटा होता जा रहा है और अपने ही महिला कर्मियों को मैटर्निटी लीव देने के नाम पर उन्हें बर्खास्त कर देता है.
जैजै
भड़ास के संपादक यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
उपरोक्त स्टेटस पर आईं कुछ टिप्पणियां इस प्रकार हैं…
Dushyant N Sewak : एक स्टोरी और है…. मुझे याद पड़ता है मुंबई की कहानी है और मैंने शायद सोनी टीवी के कार्यक्रम क्राइम पेट्रोल में देखि थी। उसमें यौन शोषण के आरोप में एक महिला पत्रकार अपने संगठन के खिलाफ मुक़द्दमा दायर करती है और जीतती भी है…. लिंक ये है… https://www.youtube.com/watch?v=Kzp-9xopil4
Dhirendra Giri उस महिला पत्रकार को सलाम – प्रेरणादायी * सीखे सारे पत्रकार इस वास्तविक प्रसंग से Yashwant Singh sir आपको भी साधुवाद इस घटना को मीडिया जगत के लोगो तक पहुचाने का
Namrata Das, a journalist joins the media house 'Awaken' as a probationary senio…See more
Anjali Rai Bahut krantikari ho gaya ye to…..
Vishal Shukla पत्रकार साथी को सलाम,जहाँ एक और आज हम मीडिया में किसी भी तरह नौकरी का जुगाड़ हो जाए, इस कवायद में लगे रहते हैं,इस स्थिति में एेसा जज्बा-काबिले तारीफ है, फिर जी-न्यूज के सुधीर चौधरी जैसे लोग तो पुराने दलाल हैं।
Madan Tiwary dikkat hai ki hum ladne ke pahle hi haar maaan lete hai. udaharan hai bhdas, agar aap nahi ladte to kab ka bhadas band ho gaya rahta aur aur ulte aap hi court kachahari ka chakkar lagate . isliye lade jarur, der ho sakti hai jeet nishchit hai. ek aur baaat media karmiyon ki ladai main ladne ke liye taiyar rahta huin yah sandesh bhi jana chaiye.
Bipin Chandra Chaturvedi बिल्कुल सही, ताकि समझ में आ सके कि लड़ना कितना जरूरी होता है….
Nidar Rahi मजबूत इरादा बनाकर लड़ना जरूरी है ऐसा जज्बा-काबिले तारीफ है………
Neh Indwar जी न्यूज वालों पर कोयला घोटाले को दबाने के लिए 100 करोड के विज्ञापन मांगने का आरोप लगा था। सुधीर चौधरी काफी दिन अंदर हो कर आए और फिर से ट्रक भर नैतिकता की बातें करते रहे हैं। इस मामले में जी न्यूज वालों को अपने न्यूज के माध्यम से बताना चाहिए कि उनके पास महिलाओं, पत्रकारों के लिए किस प्रकार के अवकाश और अन्य सुविधाऍं मौजूद है।
Siddharth A Lamba Salam us junun ko.
Ajay Kumar Ise Kahte Hai Corporet Ki Dadagiri
Manika Sonal Kameene hain ye zee wale…
पीसी रॉय दलाली कला में माहिर चौधरीजी के 'जी' घराना के इतने बड़े बड़े चर्चे हैं बाजार में … कईयों का विश्वास डगमगा जायेगा । प्यारे दर्शकों , सहन कर लेना ।See Translation
Aslam Siddiqui प्रसूति अवकाश न देने वाले जाएंगे जेल, पहले से है सख्त कानून
चूंकि मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट-1961 के अन्तर्गत किसी भी महिला कर्मी, यहां तक कि, किसी दुकान अथवा कोयला खदान अथवा संविदा आदि में भी काम करने वाली महिला को प्रसूति अवकाश का लाभ (सैलरी के साथ) लेने का अधिकार है। यदि प्रसूति अवकाश का लाभ नहीं दिया जाता है तो तो यह कृत्य पूरी तरह गैर-कानूनी होगा एवं इसे न मानने वाले अधिकारी, मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट-1961 के अन्तर्गत एक साल तक की सजा एवं जुर्माने के भागीदार होंगे। इस एक्ट का कड़ाई से पालन कराने की जिम्मेदारी श्रम विभाग की है। मई माह में आने वाला फैसला कोई नया नहीं होगा, वह निश्चित रूप से इस महिला के पक्ष में ही आएगा, क्योंकि पूर्व में ही उच्चतम न्यायालय ने केस सं0 -3एस0सी0सी0 224/2000 में केन्द्र सरकार के माध्यम से समस्त राज्य सरकारों को एवं उच्च न्यायालय इलाहाबाद लखनऊ बेंच ने केस सं0 962/2011 एवं 1206/2012 में महिलाओं को मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट-1961 के अन्तर्गत मातृत्व अवकाश देने के निर्देश दे रखे हैं।
असलम सिद्दीकी
ब्यूरो प्रमुख
पंजाब केसरी
लखनऊ
08127786786
Shivendra Khampariya बहुत ही बिरले पत्रकार होते हैं जो अपने शोषण के किलाफ आवाज़ उठतें हैं कोई कोशिश भी करे तो आम तोर पर कोई साथ नहीं देता लोग अपना पीएफ फार्म साईन नहीं करा पते मैने कई लोगों की इस मामले मे हस्तक्षेप कर मदद की तब उनका काम हो पाया बहरहाल उस महिला पत्रकार को सलाम जिसने लड़ने का माद्दा दिखाया
Laxmikant Hajare Keep it up sister
Anjali Dubey that's good sahi kiya usne i respect her.
Sharma Sonu zee ke din bhut khrab chal rahey h bhaiya. lagta h ab in nalayko ka ' g' nikal kar hi rahega