मीडिया पर सवाल खड़े करने का मतलब अपनी जान आफत में डाल लेना है। पर, कई बार ऐसी चीजें सामने होती हैं कि चाहकर भी चुप नहीं रहा जा सकता। 11 अप्रैल के हिन्दुस्तान, हरिद्वार संस्करण में पेज-5 पर एक खबर छपी है '29 देश के बलिदानियों को मिले शहीद का दर्जा।' खबर ये है कि रामदेव ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें 29 लोगों की सूची सौंपी, जिन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग की गई है। खबर का सबसे रोचक पहलू अखबार ने इनसेट में छापा है, जिसमें लिखा है-रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, रानी चेनम्मा, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, अल्लूरी सीताराम राजू, ललित बर्पफूकन, खुदीराम बोस, उधमसिंह, मदनलाल ढींगड़ा, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, लाला लाजपत राय, सत्येंद्रनाथ सान्याल, कल्पना दत्त, दुर्गा भाभी, वीरबाला प्रीतिलता और स्वामी श्रद्धानंद आदि उपस्थित थे।…….उम्मीद है पूरा मामला आप भी समझ गए होंगे।
रिपोर्टर ने इन सभी महान विभूतियों को रामदेव के साथ राष्ट्रपति भवन में उपस्थित दिखा दिया और डेस्क ने इसे इनसेट बनाकर खबर में छाप भी दिया। हम जैसे पाठक मजबूर हैं ये मानने के लिए रामदेव ने इन महान आत्माओं को स्वर्ग से बुलाया होगा और अपने साथ राष्ट्रपति भवन ले गए होंगे! पता नहीं, अखबारों कोई मॉनीटरिंग सिस्टम जिंदा है या नहीं ? संभव है कि रिपोर्टर लिखते वक्त गलती कर देगी, लेकिन डेस्क और उसके बाद पेज को फाइनल करने वाले सीनियर क्या करते हैं?
इस खबर का हेडिंग देखकर भी आप सिर धुन सकते हैं '29 देश के बलिदानियों को मिले शहीद का दर्जा।' लग रहा है जैसे ये शहीद 29 देशों के हैं, अकेले भारत के नहीं। यदि, देश के 29 बलिदानियों को मिले शहीद का दर्जा, लिख जाता तो पाठकों पर बड़ी कृपा होती।
एक पाठक द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।