दिल्ली हाईकोर्ट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और न्यूज़ ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड ऑथारिटी को नोटिस जारी कर पूछा है कि थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा का अंधविश्वास भरा विज्ञापन- ‘थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा’ देश भर के चैनलों पर कैसे प्रसारित हो रहा है? अदालत ने टेलीविज़न कार्यक्रमों की रेटिंग करने वाली संस्था टैम से भी पूछा है कि उसने इस विज्ञापन को अपनी सूची में कैसे जगह दे दी? ये नोटिस पत्रकार-संपादक धीरज भारद्वाज की रिट याचिका पर ज़ारी किए गए हैं।
धीरज भारद्वाज के अधिवक्ता पुष्पेंदु शुक्ला के मुताबिक हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी ने मामले की सुनवाई की है। शुक्ला के मुताबिक अदालत ने याचिका में उठाए गए मुद्दों को सुनवाई के योग्य माना है। उन्होंने कहा कि टेलीविजन दर्शकों का आकलन करने वाली एजेंसी टैम को याचिका में इसलिए पार्टी बनाया गया है क्योंकि उसी ने इस विज्ञापन को कार्यक्रम के तौर पर रेटिंग दी है और जिसके कारण चैनलों में इसे दिखाने की होड़ मच गई। हालांकि टैम एक निजी संस्था है, लेकिन भारत में दर्शकों के सर्वे के लिए सबसे ज्यादा मान्य और स्थापित संस्था है। जितने भी टीवी चैनल हैं, टैम की सूची में अपनी जगह उपर करने के लिए ही कोशिश में जुटे रहते हैं क्योंकि विज्ञापन देने वाली लगभग सभी बड़ी एजेंसियां इसे ही मानदंड मानती हैं।
ग़ौरतलब है कि धीरज भारद्वाज ही वह पत्रकार हैं जिन्होंने सबसे पहले निर्मल बाबा की कमाई पर सवालिया निशान लगाया था और उस के बाद बाबा ने उन्हें तथा उनके पोर्टल को कानूनी नोटिस भेज दिया था। मीडिया दरबार ने डट कर निर्मल बाबा के खिलाफ़ जो अभियान चलाया उसमें सारी मीडिया ने उसका साथ दिया और बाबा की पोल-पट्टी खुल पाई। ‘थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा’ एक ऐसी प्रचार फिल्म है जो करीब 30 चैनल पर प्रसारित हो रही है और समाज में अंधविश्वास फैला रही है। याचिका के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को देश भर के चैनलों पर प्रसारित होने वाली प्रसारण सामग्रियों को नियंत्रित करने के अधिकार हैं, लेकिन वो इनका प्रयोग नहीं कर रहा है। ग़ौरतलब है कि न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी भी टेलीविजन कार्यक्रमों के कंटेंट पर निगरानी रखने का दावा करती है, लेकिन इस विज्ञापननुमा कार्यक्रम पर उसने भी चुप्पी ही साध रखी है।
धीरज भारद्वाज के मुताबिक उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पहले भी लिखित में कई शिकायतें भेजीं थीं, लेकिन मंत्रालय ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। सूत्रों का कहना है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत टीवी कार्यक्रमों की निगरानी का काम बेसिल नामक संस्थान के पास है और उसने कई बार ‘थर्ड आई’ के बारे में नकारात्मक टिप्पणियां भी भेजी हैं। इसके बावजूद कभी इस विज्ञापन के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।
धीरज भारद्वाज का मानना है कि यह विज्ञापन उनके घरों में न सिर्फ अंधविश्वास फैला रहा है बल्कि धार्मिक भावनाओं को ठेस भी पहुंचा रहा है। विज्ञापन में निर्मल बाबा घरों में समृद्धि लाने के लिए अन्य उटपटांग उपायों के साथ-साथ अपने पूर्वजों की तस्वीरों की पूजा न करने और शिवलिंग को घर के बाहर मंदिर में छोड़ आने की सलाह देते हैं। ऐसे में घर में इस बात को मानने या न मानने को लेकर विवाद छिड़ जाता है। निर्मल बाबा का विज्ञापन मास हिस्टीरिया जैसी स्थिति पैदा कर रहा है जिससे याचिकाकर्ता के घर का माहौल भी अछूता नहीं है।
भड़ास4मीडिया पर निर्मल बाबा से संबंधित प्रकाशित अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें-– FRAUD NIRMAL BABA