प्रिय साथियों, सप्रेम याद, जैसा कि आप सबों को ज्ञात है कि आगामी 17 फरवरी, तारीख गुरूवार को भारतीय जनसंचार संस्थान ( INDIAN INSTITUTE OF MASS COMMUNICATION) के नई दिल्ली स्थित मुख्य परिसर में आईआईएमसी पूर्व छात्र सम्मेलन 2013 का आयोजन IIMC Alumni Association के जानिब किया जा रहा है. पत्रकारिता का मक्का कहा जाने वाले इस संस्थान में पूर्व अग्रज साथियों का यह प्रयास सराहनीय है, क्योंकि इसी बहाने मुद्दतों बाद हम और आप अपने वरिष्ठ मित्रों, सहपाठियों और अनुज बंधुओं के साथ चंद घंटे व्यतीत करते हैं. इसी बहाने हम और आप अपने पत्रकारीय अनुभवों से नवांकुर पत्रकारों रूबरू कराते हैं. इसी बहाने हम और आप पत्रकारिता के समक्ष पैदा होने वाली चुनौतियां और उससे पार पाने की तरकीबों पर चर्चा करते हैं.
इसी बेहतरीन बहाने के जरिए हम लोग पत्रकारिता प्रशिक्षण संस्थान का एकमात्र मरकजृ ( केंद्र) के परिसर में अपने इस महापरिवार को एकजुट और प्रभावी बनाने पर सार्थक बहस करते हैं. आईआईएमसी से पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त करने वाले सभी पत्रकार साथी इस सालाना जलसे का शिद्दत से इंतज़ार करते हैं. हालांकि 17 फरवरी को होने वाले इस अल्युमिनाई मीट में मैं एक मसले पर मंच सभागार में चर्चा करना चाहता हूं. मेरा मानना है कि पूर्व छात्र संघ यानि अल्युमिनाई एसोसिएशन का पहला और अहम मकसद होना चाहिए वहां पढ़ने वाले छात्रों का अधिक से अधिक लाभ कैसे मिले ?
जैसा कि आप सभी साथी जानते हैं कि आज की तारीख में आईआईएमसी की शाखा नई दिल्ली के अलावा ढेंकनाल और अमरावती के अतिरिक्त कुछ अन्य प्रदेशों में है. यहां पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्राओं को सुसज्जित छात्रावास की सुविधा प्राप्त है, लेकिन बेहद अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आईआईएमसी के मुख्य परिसर नई दिल्ली में छात्राओं को हॉस्टल की सुविधा प्राप्त है, लेकिन यहां दाखिला पाने वाले छात्रों को इस सुविधा से महरूम रखा गया है. हालांकि कुछ दशक पहले आईआईएमसी, दिल्ली के छात्रों को भी हॉस्टल की सुविधा मुहैया कराई जाती थी, लेकिन इसे किस वजह से बंद किया गया, इसका सही जवाब किसी के पास नहीं है.
आखिर ऐसी कौन सी वजह है कि नई दिल्ली आईआईएमसी परिसर में पढ़ने वाले छात्र पड़ोस के मुनिरिका, बेर सराय, कटवारिया सराय या दीगर जगहों में सीलन और तंग कमरों में अपना जीवन व्यतीत करें. साथ ही पूरे 1 साल के पाठ्यक्रम के दौरान जेएनयू के पूर्वांचल, नर्मदा, झेलम, पेरियार और कावेरी जैसे छात्रावासों की कैंटीन में खानाबदोश की तरह अपना उदरपूर्ति करते रहें. मुझे यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि मैं आईआईएमसी में पढ़ने के दौरान शाम का खाना और सुबह का नाश्ता जेएनयू के विविध छात्रावास में करता था.
मुझे पता है मेरे से पूर्व कई बैच और मौजूदा बैच के छात्र भी जेएनयू के छात्रावासों में शाम का भोजन करते होंगे, जबकि हमारे यहां पढ़ने वाले विदेशी छात्रों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस छात्रावास की सुविधा प्राप्त है. बहरहाल, मैं आईआईएमसी एल्युमिनाई एसोशिएसन से जुड़े साथियों से यह आग्रह करना चाहता हूं कि वे 17 फरवरी को होने वाले पूर्व छात्र सम्मेलन में छात्रावास के मुद्दे को पुरजोर तरीक से उठाएं. मैं 17 फरवरी को अल्युमिनाई मीट में जरूर मौजूद रहूंगा और नई दिल्ली स्थित आईआईएमसी के मुख्य परिसर में छात्रों को हॉस्टल से महरूम करने संबंधी मुद्दे पर बेशक सवाल करूंगा. उम्मीद है अन्य साथियों का भी सहयोग मिलेगा.
आपका
अभिषेक रंजन सिंह
पूर्व छात्र आईआईएमसी