हरियाणा से खबर है कि मुख्यमंत्री भूपेंदर हुड्डा के थप्पड़ पड़ने के बाद वहां के कई इलाकों में 'थौलोत्सव' मनाया गया। हरियाणा के कुछ इलाकों में थप्पड़ को थौल भी कहते हैं। इस थप्पड़ की गूंज जैसे ही लाखों युवाओं के कानों में पहुंची वैसे ही उनके घरों में खुशी की लहर दौड़ गई। सबने फोन कर के एक-दूसरे को बधाइयां दीं। लोग देर रात तक इस घटना का ज़िक्र करते हुए ठाहके लगाते रहे। कुछ लोगों का कहना था कि ये तो होना ही था।
कमल मुखीजा नाम के जिस युवक ने हुड्डा को थप्पड़ मारा, वह उन लाखों हरियाणवी युवाओं में से है जिसे सरकारी नौकरी सिर्फ इसलिए नहीं मिली क्योंकि वो एक जाति विशेष से नहीं हैं या उसके पास कुछ खास जाति विशेष के लोगों से ज्यादा पैसे नहीं हैं। हरियाणा में सरकारी नौकरी पाने के लिए क्षेत्र विशेष के साथ-साथ आपका जाति विशेष से होना भी जरूरी है। कमल मुखीजा गोहाना का रहने वाला है जो हुड्डा के क्षेत्र के नजदीक ही है। लेकिन वह जाति विशेष से नहीं है इसलिए "पैसे देने के बावजूद" उसका इंटरव्यू क्लीयर नहीं हुआ।
हरियाणा में आमतौर पर कहा जाता है कि सरकारी नौकरी में भर्ती तो पर्ची से होती है। यह एक ओपन सीक्रिट है। कहा जाता है कि विधायकों को कोटा अलॉट होता है। उस अलॉटमेंट के हिसाब से ही विधायक (पैसे लेकर) अपनी-अपनी सिफारिशें भेजते हैं और फिर भर्तियां होती हैं। उसमें भी अगर आप मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र रोहतक-झज्जर से नहीं हैं तो इस बात की प्रबल संभवना है कि आपकी नौकरी न लगे। कुछ दिन पहले लेक्चरर्स की भर्तिया हुईं। रोहतक-झज्जर में की लगभग सारी सीटें भर दी गई हैं, जबकि 'थौल' वाले इलाकों में हजारों सीटें खाली पड़ी हैं।
हरियाणा में लाखों युवक मुखीजा-सिन्ड्रोम से ग्रस्त हैं, इसलिए कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री को अब रोड-शो के दौरान अधिक सावधानी बरतने की ज़रूरत है।