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पी7न्यूज के स्ट्रिंगर भुखमरी के कगार पर

प्रिय संपादक जी, भड़ास4मीडिया, महोदय… आपसे एक निवेदन है कि मेरी ये बात पी7न्यूज चैनल में बैठे अधिकारियों तक जरूर पहुंचायें क्योंकि ये बात उन पीड़ित स्ट्रिंगरों की है जो बिचारे दिन-रात चैनल के लिए खबरें लाते हैं और अगर किसी खबर पर शहीद हो जाएं तो चैनल वाले हमें स्ट्रिंगर नाम का तमगा देकर हाथ हटा लेते हैं. जब खबर पर फोनो या पैकेज चलना हो तो तब हमें ये 'हमारे संवाददाता' का नाम देते हैं. खैर, हम तो पत्रकारिता की दुनिया में इंसान माने ही नहीं जाते, कीड़े मकोड़ों की तरह इस्तेमाल करके मार दिए जाते हैं.   आज बहुत दुःख होता है कि हम इतनी मेहनत करते हैं और उसका भी भुगतान हमें पूरा तो करना दूर, समय पर ही दे दें, यही बहुत बड़ी बात है.

प्रिय संपादक जी, भड़ास4मीडिया, महोदय… आपसे एक निवेदन है कि मेरी ये बात पी7न्यूज चैनल में बैठे अधिकारियों तक जरूर पहुंचायें क्योंकि ये बात उन पीड़ित स्ट्रिंगरों की है जो बिचारे दिन-रात चैनल के लिए खबरें लाते हैं और अगर किसी खबर पर शहीद हो जाएं तो चैनल वाले हमें स्ट्रिंगर नाम का तमगा देकर हाथ हटा लेते हैं. जब खबर पर फोनो या पैकेज चलना हो तो तब हमें ये 'हमारे संवाददाता' का नाम देते हैं. खैर, हम तो पत्रकारिता की दुनिया में इंसान माने ही नहीं जाते, कीड़े मकोड़ों की तरह इस्तेमाल करके मार दिए जाते हैं.   आज बहुत दुःख होता है कि हम इतनी मेहनत करते हैं और उसका भी भुगतान हमें पूरा तो करना दूर, समय पर ही दे दें, यही बहुत बड़ी बात है.

आज पी7 के स्ट्रिंगरों की हालत इतनी बुरी हो गयी है कि अब तो कहने में भी शर्म आने लगी है. हम स्ट्रिंगरों को पिछले 6 महीनों से हमारा मेहनताना नहीं मिला है और जब पूछो तो ढांढस बंधा कर बात को रफा-दफा कर देते हैं. हम लोग पिछले 6 महीनों से इतनी महनत कर रहे हैं और हमारी मजदूरी भी देने में ये लोग कतराते हैं. आखिर हम क्या करें, कहाँ जायें, किससे कहें? चैनल में बैठे स्टाफ यहाँ तक कि वहाँ के चपरासी को भी उसकी तनख्वाह महीने की 6 तारीख को मिल जाती है लेकिन हमको देने में क्या परेशानी है. आखिर हम भी तो इंसान हैं. हमारा भी तो परिवार है. तो क्या करें, भूखों मर जायें या फिर इस पत्रकारिता के नाम पर शहीद हो जायें. मैं अपने चैनल में बैठे बड़े अधिकारियों से निवेदन करना चाहता हूँ कि हमें हमारा हक़ दे दें और हमें पिछले 6 महीनों से रुका हुआ मेहनताना दिलवा दें क्यूंकि हम अब भुखमरी की कगार पर पहुँच गए हैं.
 

REQUEST-: आदरणीय संपादक जी, इस खबर पर मेरा नाम मत दीजियेगा वरना बहुत बुराई हो जायेगी और शायद मुझे अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़े. बस इस खबर को इतना फैलायें कि हमें इन्साफ मिल सके. मुझे आपसे बहुत उम्मीद है.

आपका छोटा भाई –
xyz
उत्तर प्रदेश

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