मनमोहन सिंह को बंदर कैसे कह सकते हैं गड़करी?

नितिन गड़करी नहीं सुधरेंगे। सुधरेंगे तो अजित पवार भी नहीं। पवार चाहे पेशाब से नदियां भरने की बात कहें या कुछ और…। लेकिन अजित पवार और उनकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से कमसे कम देश को तो कोई बहुत उम्मीद नहीं है। पवार अकड़ू टाइप के आदमी हैं, और वे कुछ भी बोलें तो उनके बोलने के कोई बहुत बड़े राजनीतिक अर्थ नहीं होते। लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से जिस भी तरीके से घर आने को मजबूर हुए हों, फिर भी नितिन गड़करी से कुछ उम्मीद अब भी बाकी है। मगर लग रहा है कि बोलने के मामले में उनसे भी उम्मीद पालना किसी बेवकूफी से कम नहीं है।

जिस कपिल सिब्बल को आप नही जानते…

यह जो हेडिंग आपने पढ़ा, इन सात अक्षरों को जिनने लिखा, वे लिखनेवाले देश के बहुत सिद्ध, प्रसिद्ध एवं धारदार पत्रकार आलोक तोमर अब उस दुनिया में नहीं हैं। उनने लिखा था कि मशहूर शायर निदा फाजली जब यह शेर लिख रहे थे कि ‘हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिसको भी देखना हो कई बार देखना…’ तब वे शायद कपिल सिब्बल के बारे में ही लिख रहे होंगे। क्योंकि कपिल सिब्बल को जितनी बार देखते हैं, हर बार उनका नया अवतार सामने आता है। कभी स्तब्ध करने वाला, कभी अवाक कर देने वाला तो कभी चौंकाने वाला।

इन्‍होंने भैरोसिंह शेखावत को राजस्‍थान में बेगाना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

इश्क, व्यापार और राजनीति में जो होता है, वह सब जायज माना जाता है। लेकिन राजनीति जब खोई हुई सत्ता पाने की हो रही हो, तब तो फिर, जो हो रहा है, उसे आंख मूंदकर जायज मानने के अलावा और किसी के पास और कोई चारा ही नहीं होता। सो, राजस्थान में श्रीमती वसुंधरा राजे जो कुछ भी कर रही है, वह जायज ही है, यह मानने में बुराई क्या है।

आधा जोधपुर गहलोत का!

राजनीति में आरोपों का सिलसिला कोई नया नहीं है। लेकिन आरोप जब रिश्तेदारी निभाने को लेकर उछाले जाने लगें, और सामने आदमी का नाम जब अशोक गहलोत हो तो मामला कुछ ज्यादा ही भारी हो जाता है। वैसे, रिश्तेदारी का भी अपना अलग ही मायाजाल है। रिश्तों के बिना जिंदगी आसान नहीं होती। लेकिन लोग रिश्तेदारी को जी का जंजाल भी बना देते हैं। खासकर राजनीति में तो बहुत दूर की रिश्तेदारी भी आफत बनकर उभरती है। हमारे सीएम अशोक गहलोत इस तथ्य को और तथ्य में छुपे सत्य को पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर बहुत अच्छी तरह समझ गए थे। इसीलिए रिश्तेदारी और रिश्तेदारों से शुरू से ही वे थोड़ी दूरी पर ही मिलते रहे।

बजट से मारा, अब पेट्रोल से जलाया, और डीजल अभी बाकी है मेरे दोस्त

महंगाई पता नहीं हमें कहां ले जाएगी। आमदनी घट रही है। महंगी बढ़ रही है। सरकार कह रही है कि हर एक को आधार कार्ड जरूरी है। लेकिन हालात देखकर अपना मानना है कि आधार नहीं उधार कार्ड जरूरी है। आप जब तक यह पढ़ रहे होंगे, महंगाई और बढ़ चुकी होगी। सरकार ने अपने लुभावने लगनेवाले बजट के घाटे को कम करने का इंतजाम कर दिया है। पहले बजट से तेल निकाला। अब वह तेल से कमाई निकालेगी। दो दिन पहले बजट में जो महंगाई बढ़ाई गई थी, उससे भी ज्यादा महंगाई पेट्रोल के भाव बढ़ाकर बढ़ाई है। 

आपने तो हमारे अर्थशास्त्र की ऐसी की तैसी कर दी सरदारजी!

हमारे देश का बजट आने वाला है। कहने को भले ही सरदार मनमोहन सिंह पीएम हैं और पी चिदंबरम हमारे वित्त मंत्री। लेकिन सरकार बहुत सारे दलों के बावजूद कांग्रेस की है और श्रीमती सोनिया गांधी उसकी वास्तविक मुखिया है। वह जितना कहती है उतना ही होता है। न उससे कम, न ज्यादा। किसी की औकात नहीं है कि सोनिया गांधी जैसा कहें, वैसा न करे। उनकी बात मानना मजबूरी जैसा है। इसीलिए लोग इंतजार कर रहे हैं कि इस बार के बजट में देश के लिए तो होगा ही, महिलाओं के लिए भी बहुत कुछ होगा।

मकसद हंगामा करने का नहीं था, पर वह तो हो गया बंसल साहब!

रेल बजट पेश हो गया। अपने जीवन का पहला और इस सरकार का अंतिम रेल बजट पेश करते समय रेल मंत्री पवन बंसल ने लोकसभा में कहा तो था कि हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,… पर सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी तथा विपक्षी दलों ने भारी हंगामा किया। हंगामे के कारण रेल मंत्री अपना बजट भाषण भी पूरा नहीं पढ़ पाए। अब चर्चा होगी। बहसबाजी भी होगी। और पास भी हो जाएगा। लेकिन सवाल ये है कि क्या रेलवे की हालत सुधरेगी।

सैक्सी सिंघवी की सियासत और कुकर्म के कलंक का दाग

बम फटे हैदराबाद में और दिल्ली में दुकान सजाने लग गए अभिषेक मनु सिंघवी। वैसे, सिंघवी खुद तो किस ‘काम’ के काबिल हैं, यह उनके दफ्तर की दीवारें और वहां के सीसीटीवी कैमरे के अलावा, एक बेबस महिला वकील के साथ मुंह काला करते हुए सिंघवी को देखनेवाला सारा देश अच्छी तरह जानता है। लेकिन फिर भी सिंघवी देश के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की काबिलियत पर सवाल उठा रहे है। हैदराबाद में बम फटने के बाद सिंघवी ने कहा कि जब देश के गृह मंत्री का प्रमोशन उनकी कार्यक्षमता के बजाए वफादारी के बूते पर हुआ है तो ऐसे में उनसे क्या अपेक्षा की जा सकती है।

अरे कोई इस राहुल भैया को राजनीति सिखाओ भाई… !

हरीश रावत अचानक बहुत खुश हैं। वैसे तो, रावत जितने बड़े आदमी हैं, उत्तराखंड में उससे भी बड़े नेता हैं। केंद्र में मंत्री भी हैं। राहुल गांधी के करीबी हैं और सोनियाजी भी उनको पसंद करती है। कांग्रेस में उनकी चलती है। रावत की जिंदगी में खुश होने के सारे साधन मौजूद हैं। लेकिन फिर भी आजकल अचानक ज्यादा खुश क्यों?

दिल्ली आकर देश के दिल में बैठेंगे मोदी?

नरेंद्र मोदी दिल्ली आ रहे हैं। देश ने, आपने–हमने और खासकर कांग्रेस ने मोदी को इस मुकाम पर ला दिया है कि अब उनके पास दिल्ली आने के सिवाय कोई चारा नहीं बचा है। वक्त आ गया है कि गुजरात से बाहर निकलें। वहीं रहे, तो जितने हैं, उससे बड़े नहीं होंगे। हालांकि देश के पीएम की कुर्सी पर बैठे होने के बावजूद अपने सरदारजी की गुजरात के सीएम मोदी के सामने कोई बहुत बड़ी  राजनीतिक औकात नहीं है। मोदी का कद इतना बड़ा हो गया है कि गुजरात के फ्रेम की साइज से उनकी तस्वीर बाहर निकलने लगी है। अब वे दिल्ली आएंगे। और देश की राजनीति में छाएंगे तो कांग्रेस को डर है कि मोदी बहुत कुछ अपने साथ बहा ले जाएंगे।

कांग्रेस में कमजोर कड़ियों को कसने की कवायद शुरू

राजस्थान में विधानसभा चुनाव सर पर है। कांग्रेस ने तैयारी कर ली है। सीएम अशोक गहलोत कमर कस चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर बहुत सारे कामों की इजाजत एक साथ ले ली है। अब थोड़ी सी तेजी आनेवाली है। सवाल सिर्फ राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता फिर से लाने का नहीं है। निशाना केंद्र की सरकार में फिर से आने पर भी है। यानी पहले प्रदेश, फिर पूरा देश। इसीलिए हर स्तर पर कांग्रेस की कमजोर कड़ियों को कसने की कवायद शुरू हो गई है। साथ ही ब्लॉक स्तर ही नहीं गांव और बूथ लेवल तक के मैनेजमेंट को भी मजबूत किया जा रहा है। सरकार और संगठन में सामंजस्य की तैयारी है और जो जहां मजबूत है वहां उसे ज्यादा जोरदार बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

लोकप्रिय संसद में सेक्सप्रिय सांसद

संसद एक बार फिर शर्मसार है। पहले अभिषेक मनु सिंघवी और अब पीजे कुरियन। कुरियन राज्यसभा के उप सभापति हैं। ऊम्र 72 साल और इस उमर में माथे पर है सोलह साल की बाला से सीरियल रेप का कलंक। संसद की गरिमा कलंकित है। कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के अहाते के अपने दफ्तर में ही राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने एक महिला वकील के साथ सेक्स करके अपने साथ अपने पिता लक्ष्मीमल्ल सिंघवी का भी नाम रोशन किया था। अभिषेक राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद है। उनकी करतूत पर पूरा राजस्थान अब भी शर्मसार है।