अगर मुझसे पूछा जाए कि अमृत और स्याही में से तुम क्या लेना पसंद करोगे तो मैं हर बार स्याही को ही चुनूंगा, ताकि यह कलम के जरिए उजाले की ताकत बन सके। उजाले से मेरा मतलब दुनिया को अच्छाई से रोशन करने वाली सभी कोशिशों से है। मेरा जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के एक छोटे-से गांव कोलसिया में हुआ। बुजुर्गों से मालूम हुआ कि वह साल 1987 था। भयंकर अकाल का साल। सही वक्त मुझे याद नहीं, तब मैं बहुत छोटा था और बड़ों ने जानने की कोशिश नहीं कि क्योंकि घड़ी रखने का सौभाग्य तब हर किसी को नहीं मिलता था। तारीख थी 6 अगस्त, हिरोशिमा बम कांड की बरसी।