ये तो वही बात हो गयी कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. मेरा तो सभी भाइयों से यही अनुरोध है कि क्या कोई सड़क चलते इंसान को एक लाख रुपए बिना किसी पहचान के दे सकता है या फिर किसी का विवाद न्यायलय में चल रहा हो और उसे कोई खाली करवाने का ठेका ले सकता है. इससे भी ज्यादा मजेदार बात ये कि जनाब कोर्ट की भी अवेहलना कर रहे हैं. जब इन्हें पता है कि दुकान ना तो बेची जा सकती है और ना ही उक्त कब्जेदार से खाली करवाई जा सकती है, क्यूंकि उक्त कब्जेदार को कोर्ट ने स्टे दिया हुआ है कि जब तक ये मामला सुलझ नहीं जाता तब तक यथास्थिति बनी रहेगी और जाहिर सी बात है.
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आजतक के रिपोर्टर ने तानी पत्रकार पर पिस्टल
: दुकान खाली कराने के लिए एक लाख रूपये लेने का आरोप : आजतक के अभिषेक ने कहा पूरा ड्रामा मुझे हटाने के लिए : अभी तक आजतक के पत्रकार चैनल का बोर्ड रखकर जमीन पर कब्जा जमा रहे थे. अब वे मकान-दुकान खाली करने का सुपारी भी लेने लगे हैं. ताजा मामला है देहरादून का. आजतक, देहरादून के पत्रकार अभिषेक सिन्हा के खिलाफ रिटायर्ड अधिकारी महेन्द्र प्रसाद गर्ग ने लिखित कम्पलेन की है कि उन्होंने उनका दुकान खाली करवाने के नाम पर उनसे एक लाख रूपये लिए और अब तक न तो वे दुकान खाली करवाए और ना ही पैसे वापस कर रहे हैं. पैसा वापस मांगने पर पर धमकी दे रहे हैं.