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लोकमत समाचार का उत्कृष्ट साहित्य वार्षिकी ‘दीप भव’, लोकार्पण 22 को दिल्ली में

महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूह लोकमत मीडिया लिमिेटेड के हिंदी दैनिक लोकमत समाचार द्वारा प्रकाशित कला साहित्य वार्षिकी दीप भव-2011 का लोकार्पण 22 अक्टूबर को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के मल्टीपरपस हॉल में शाम 6.30 बजे होगा। लोकार्पण करेंगे प्रख्यात साहित्यकार कृष्णकुमार। कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे कवि और श्रेष्ठ आलोचक अशोक वाजपेयी।

<p style="text-align: justify;">महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूह लोकमत मीडिया लिमिेटेड के हिंदी दैनिक लोकमत समाचार द्वारा प्रकाशित कला साहित्य वार्षिकी दीप भव-2011 का लोकार्पण 22 अक्टूबर को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के मल्टीपरपस हॉल में शाम 6.30 बजे होगा। लोकार्पण करेंगे प्रख्यात साहित्यकार कृष्णकुमार। कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे कवि और श्रेष्ठ आलोचक अशोक वाजपेयी।

महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित समाचार पत्र समूह लोकमत मीडिया लिमिेटेड के हिंदी दैनिक लोकमत समाचार द्वारा प्रकाशित कला साहित्य वार्षिकी दीप भव-2011 का लोकार्पण 22 अक्टूबर को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के मल्टीपरपस हॉल में शाम 6.30 बजे होगा। लोकार्पण करेंगे प्रख्यात साहित्यकार कृष्णकुमार। कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे कवि और श्रेष्ठ आलोचक अशोक वाजपेयी।

कार्यक्रम में ‘हमारी स्थिति’ विषय पर परिचर्चा भी होगी। परिचर्चा में प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह, वरिष्ठ चित्रकार जतिन दास, वरिष्ठ रंगकर्मी कीर्ति जैन, आलोचक अपूर्वानंद तथा कुलदीप कुमार भाग लेंगे। लोकमत मीडिया लिमिटेड के चेयरमैन विजय दर्डा तथा संयुक्त प्रबंध निदेशक ऋषि दर्डा भी मौजूद रहेंगे. लोकमत समाचार के इस बेहतरीन कला साहित्य वार्षिकी दीप भव-2011 के अतिथि संपादक की भूमिका निभाई है फिल्मी पर्दे पर तीखे तेवर निभाने वाले नाना पाटेकर ने। लोकमत मीडिया लिमिटेड के चेयरमैन विजय दर्डा कहते हैं कि नाना की बहुमुखी प्रतिभा व व्यक्तित्व का चुंबकत्व दीप भव-2011 में एक राग की तरह निनादित है। इस कला साहित्य वार्षिकी का नामाकरण संस्कार किया है सांस्कृतिक व्यक्त्वि अशोक वाजपेयी ने। दीप भव के संपादक हैं गिरीश मिश्र और प्रकल्प निदेशक हैं पीयूष दईया।

लोकमत मीडिया लिमिटेड का हिंदी में इस तरह का यह पहला लेकिन परिपक्व प्रयास है. गागर में सागर की तरह है यह साहित्य वार्षिकी। इसमें मकबूल फिदा हुसैन की आत्मकथा भी है और मल्लिकार्जुन मंसूर की रस यात्रा भी। कुमार गंधर्व, पंडित भीमसेन जोशी, गंगूबाई हंगल पर विशेष सामग्री भी है। अशोक बाजपेयी, मंगलेश डबराल, अरुण कमल, राजेश जोशी, आस्तीक वाजपेयी, गीत चतुर्वेदी, शिरीष ढोबले, हेमंत शेष, सिद्धार्थ त्रिपाठी की कविताएं हैं तो गीतांजलि श्री, सारा राय, अर्चना वर्मा, अखिलेश और बहुत से लेखकों की कहानियां भी. प्रियदर्शन ने बताया है गांधी और अन्ना के बीच का फासला। और भी बहुत कुछ है इस कला साहित्य वार्षिकी में। 288 ग्लेज्ड पृष्ठों की यह कला साहित्य वार्षिकी वाकई लाजवाब है। लोकमत समाचार के प्रोडक्ट हेड मतीन खान कहते हैं कि देश भर के प्रमुख स्टॉल्स पर दीप भव उपलब्ध है। केवल 100 रुपए मूल्य का यह वार्षिकी पढ़ने के लिए भी है और सहेजने के लिए भी। प्रेस रिलीज

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