[caption id="attachment_19887" align="alignleft" width="94"]अनामी शरण[/caption]18 मार्च, 2011 की रात करीब साढ़े दस बजे मैं कम्प्यूटर के सामने बैठा कुछ काम कर रहा था कि एकाएक आलोक कुमार का फोन आया। आलोक भैय्या (तोमर) की खराब सेहत का हवाला देते हुए बताया कि सुप्रिया भाभी बात करना चाहती हैं। मैं एकदम हतप्रभ रह गया और भाभी से बातचीत में भी यह छिपा नहीं पाया कि भैय्या से मैं नाराज हूं। भाभी की शीतल बातों से मन शर्मसार सा हो गया। मेरी पत्नी ममता से भाभी ने बात की और फिर कैंसर से पीड़ित और खराब हालात में बत्रा में दाखिल आलोक तोमर को लेकर मेरे मन में संबधों के 28 साल पुरानी फिल्म घूमने लगी।
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नहीं दिख रहा किसी को शीला का महाघोटाला
: डीटीसी में रंगीन बसों का करप्शन पुराण : करप्शन के जमाने में हरिकथा अनंता… की तरह ही फिलहाल मामला कामनवेल्थ गेम करप्शन के साथ होकर भी इससे अलग है। करीब एक लाख करोड़ रूपए के कथित हुए विकास के नाम पर इस महाघोटाला या करप्शन पुराण के नौकरशाहों में नौकर तो जेल की रोटी का स्वाद ले रहे है, मगर अभी शाहों की बारी नहीं आई है। करप्शन गेम के बहाने ही इस बार हम आपको दिल्ली सरकार के एक ऐसे करप्शन पुराण की जानकारी दे रहे हैं, जिसको जानते और मानते तो सभी है, मगर करप्शन की बजाय इसे शीला सरकार की उपलब्धियों सा देख रहे हैं।
रमाकांत गोस्वामी : पत्रकार से मंत्री बनने का सफर
पत्रकारिता से राजनीति में आने वाले पत्रकारों की कोई कमी नहीं रही है, मगर दिल्ली की राजनीति में पिछले 15 साल के दौरान एकाएक (भाग्य) से चमकने वाले राजनीतिज्ञों में कम से कम तीन नामों पर चर्चा जरूर होनी चाहिए। हम यहां पर बात तो करेंगे केवल दिल्ली की शीला सरकार में कल (16 फरवरी) ही जगह पाने वाले (भूत) पूर्व पत्रकार रमाकांत गोस्वामी की। मगर गोस्वामी के बहाने कमसे कम दो और नेताओं का कोई जिक्र ना करना एक बड़ा अपराध सा होगा।