वाराणसी : असद लारी। यह नाम बनारस के पत्रकारों में खासा पहचाना नाम है। यह साहब पत्रकार हैं, धाकड़ हैं और अपनी धाक की नुमाइश करने के लिए वे लगातार अपनी मूछों में हमेशा कुछ न कुछ खोजते ही रहते हैं। अंदाज ठीक वैसा ही जैसे नैनीताल के थारू मजदूर, जो खाली वक्त में अपना लबादा उतारकर चीलर-जूं खोजते रहते हैं।