दुर्भाग्य है या सौभाग्य नहीं पता, पर पत्रकारिता में मेरा कोई गुरू नहीं है। शायद, इसीलिए हर समय सीखने की प्रक्रिया में ही लगा रहता हूं। खैर, मन में न कोई आदर्श था और न किसी के जैसा बनने की कल्पना थी, लेकिन मन ही मन इतनी प्रतिज्ञा जरुर कर ली थी कि गुणवत्तापरक पत्रकारिता का अग्रणी नेता न बनूं, तो न सही, पर कम से कम ह्लास करने वालों की सूची में भी नाम दर्ज न हो।