: अमन को चुकानी पड़ी संस्थान बदलने की कीमत : मीडिया जगत में ऐसा अक्सर होता रहता है कि एक पत्रकार या डेस्क कर्मी यहां तक कि संपादक तक बढिय़ा मौके व वेतन की तलाश में एक संस्थान से दूसरे संस्थान में चले जाते हैं। लेकिन ऐसा होने के बावजूद भी मीडियाकर्मियों के मन में कोई बदलाव नहीं होता और न ही कोई मनमुटाव। सभी को पता रहता है कि हो सकता है कि आने वाले समय में वह फिर से एक दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हों, लेकिन बठिंडा में जो हुआ, वह पत्रकार जगत में चलती इस भाईचारे वाली परंपरा के उलट हुआ।